ईरान हमला: ईरान ने अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर हमला क्यों किया?
ईरान ने इराक़ में मिसाइल हमले किए। ईरान ने अमरीकी सेना के दो ठिकानों पर हमले किये। अमरीका ने कहा कि नुक़सान की समीक्षा हो रही है। ईरान ने कहा कि ये जनरल क़ासिम सुलेमानी पर हुए हमले का जवाब है।
कई विशेषज्ञों का मानना है कि ईरान का अमरीकी सैन्य ठिकानों पर हमला करने का फ़ैसला एक बड़ा दाँव है। यूनिवर्सिटी ऑफ ओटावा में ईरान मामलों के प्रोफ़ेसर थॉमस जुनेआउ ने कहा, ''ईरान का यह मूल्यांकन है कि ट्रंप मध्य-पूर्व में कोई व्यापक जंग में नहीं फंसना चाहते हैं। ऐसे में ईरान बहुत ही चतुराई से फ़ैसला कर रहा है। यह कहना मुश्किल है कि ईरान के इस दाँव को अप्रत्याशित फ़ैसला करने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कैसे लेते हैं?''
ईरान के 22 मिसाइल दागे जाने के बावजूद किसी का ज़ख़्मी तक नहीं होना ये बताता कि उसका लक्ष्य किसी को मारना नहीं था।
इराक़ में अमरीकी सैन्य ठिकानों पर ईरान के मिसाइल हमले को लेकर दुनिया भर से प्रतिक्रिया आई है। इराक़ी संसद के स्पीकर मोहम्मद अल-हलबौसी ने कहा है कि इराक़ की सरकार के पास यह अधिकार है कि अपनी संप्रभुता बचाए और युद्ध के अखाड़ा बनने से रोके।
उन्होंने इराक़ की सभी पार्टियों से विवेक से काम लेने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि ईरान का इराक़ में अमरीकी सैन्य ठिकानों पर हमला उनके मुल्क की संप्रभुता का उल्लंघन है।
मोहम्मद अल-हलबौसी ने कहा, ''इराक़ की संप्रभुता बचाने के लिए सरकार को ज़रूरी क़दम उठाने चाहिए। इराक़ को बेवजह युद्ध का अखाड़ा बनाया जा रहा है। हम इस टकराव में कोई पार्टी नहीं हैं।''
मलेशिया के प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद ने कहा है कि अमरीका की ओर से ईरानी सैन्य कमांडर क़ासिम सुलेमानी के मारे जाने के बाद मुस्लिम देशों को एकजुट हो जाना चाहिए। महातिर मोहम्मद दुनिया के सबसे बुज़ुर्ग प्रधानमंत्री हैं।
उनकी उम्र 94 साल हो रही है। महातिर ने कहा कि अब वक़्त आ गया है कि सभी मुस्लिम देश एकजुट हो जाएं। उन्होंने कहा कि इस्लामिक देश निशाने पर लिए जा रहे हैं और असुरक्षा बढ़ रही है। ईरान पर प्रतिबंधों के बावजूद मलेशिया के ईरान से अच्छे संबंध हैं। एक अनुमान के मुताबिक़ मलेशिया में 10 हज़ार ईरानी नागरिक रहते हैं।
अमेरिकी विदेश मंत्री पोम्पिओ ने ट्वीट किया, ईरानी शासन ने अफगानिस्तान में शांति के लिए क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय आम सहमति में शामिल होने से इनकार कर दिया है। यह अफगान शांति प्रक्रिया को कमजोर करने वाले आतंकवादी समूहों का समर्थन करने के लिए निरंतर प्रयास है। ईरान के गंदे काम में तालिबान का उलझना केवल प्रगति में बाधा बनेगा।
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी ने बुधवार को कहा कि मध्य-पूर्व में बढ़ते तनाव से किसी का भला नहीं होगा। पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने कहा कि जंग किसी के भी हक़ में नहीं है।
क़ुरैशी ने कहा कि अगर जंग हुई तो वैश्विक अर्थव्यवस्था बुरी तरह से प्रभावित होगी। क़ुरैशी ने यह भी साफ़ कर दिया है कि क्षेत्रीय टकराव में पाकिस्तान कोई पार्टी नहीं बनेगा।
उन्होंने कहा, ''क़ासिम सुलेमानी को मारने का असर ओसामा बिन लादेन और इस्लामिक स्टेट प्रमुख अबु बकर अल-बग़दादी की मौत से भी ज़्यादा होगा। पाकिस्तान किसी भी तरह की एकतरफ़ा कार्रवाई का समर्थन नहीं करेगा। मध्य-पूर्व का तनाव बहुत ही गंभीर है।''
क़ुरैशी ने कहा कि यूएन चार्टर के हिसाब से किसी भी देश की संप्रभुता का सम्मान होना चाहिए। उन्होंने कहा, ''पाकिस्तान अपनी ज़मीन का इस्तेमाल नहीं होने देगा। हम इस मामले में कोई पार्टी नहीं बनेंगे।''
इराक़ की सेना के अनुसार ईरान ने इराक़ में अमरीकी सैन्य ठिकानों पर कुल 22 मिसाइलें दागी थीं। इराक़ की सेना का कहना है कि इस हमले में कोई हताहत नहीं हुआ है। ईरान ने जब हमले की पुष्टि की उसके कुछ घंटे बाद ही इराक़ की तरफ़ से बयान आया था।
ब्रिटेन ने इराक़ में अमरीकी सैन्य ठिकानों पर ईरान के मिसाइल हमले की निंदा की है। इराक़ में ब्रिटेन के भी सैनिक मौजूद हैं। ब्रिटेन के विदेश मंत्री डॉमिनिक राब ने कहा, ''गठबंधन सैन्य ठिकानों पर ईरान का हमला स्वीकार्य नहीं है। हम ईरान से अनुरोध करते हैं कि वो दोबारा इस तरह का हमला न करे।''
जापान ने भी दोनों देशों से तनाव कम करने का आग्रह किया है। जापान के प्रधानमंत्री शिंज़ो आबे इसी महीने सऊदी अरब, यूएई और ओमान जाने वाले थे लेकिन कहा जा रहा है कि वो तीनों देशों की यात्रा टाल सकते हैं।
जापान कैबिनेट के प्रवक्ता योशिहिदे सुगा ने बुधवार को कहा कि उनकी सरकार इस मामले में समन्वय करने की कोशिश करेगी। जापान ने ये भी कहा कि राजनयिक कोशिशों को ज़रिए तनाव को कम करना चाहिए। जापान खाड़ी में पोत भेज रहा है ताकि जापानी पोतों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने कहा कि उनके सैनिक और डिप्लोमैट पूरी तरह से सुरक्षित हैं। ऑस्ट्रेलिया के क़रीब 300 सुरक्षाकर्मी इराक़ में हैं। मॉरिसन ने कहा कि उन्होंने पूरे हालात पर अमरीका और ईरान से चर्चा की है। पत्रकारों से बात करते हुए मॉरिसन ने कहा, ''अमरीका ने ख़ुफ़िया सूचना के आधार पर कार्रवाई की थी।''
भारत ने अपने नागरिकों से कहा है कि ईरान और इराक़ की ग़ैर-ज़रूरी यात्रा टाल दें और अगले नोटिंस तक इंतज़ार करें। जो पहले से ही दोनों देशों में हैं वो सतर्क रहें और बाहर निकलने से बचें।
पाकिस्तान ने ईरान की सैन्य कार्रवाई पर बयान जारी किया है। पाकिस्तान ने कहा, ''हम अपने नागरिकों को आगाह करते हैं कि वो ईरान और इराक़ जाने की योजना बना रहे हैं तो पूरी तरह से सतर्क रहें। जो पहले से ही इराक़ में हैं, वो बग़दाद स्थित पाकिस्तानी दूतावास के संपर्क में रहें।''
संयुक्त अरब अमीरात के विदेश मंत्री अनवर गर्गाश ने कहा कि वर्तमान तनाव मध्य-पूर्व के लिए ठीक नहीं है। तनाव को कम करना ज़रूरी और विवेकपूर्ण है। राजनीतिक संवाद से तनाव को कम किया जा सकता है।
जर्मनी की रक्षा मंत्री एनग्रेट क्राम्प ने कहा कि किसी भी पक्ष की आक्रामकता स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने जर्मनी के सरकारी प्रसारक एआरडी से कहा कि ईरान को अब और किसी भी तरह की सैन्य कार्रवाई की तरफ़ नहीं बढ़ना चाहिए। एनग्रेट ने यह भी कहा कि इराक़ में जर्मनी का कोई भी सैनिक ज़ख़्मी नहीं हुआ है।
यूरोपीय यूनियन ने कहा है कि मध्य-पूर्व में हथियारों का इस्तेमाल तत्काल बंद हो।
ईयू ने कहा कि अमरीका और ईरान दोनों संवाद शुरू करें और टकराव को ख़त्म करें। यूरोपीय यूनियन की अध्यक्ष उर्सुला वोन डेर लीयेन ने कहा कि वो इस मुद्दे पर ब्रिटेन के प्रधानमंत्री से बात करेंगे।
ईरान के सर्वोच्च नेता अयतोल्लाह अली ख़मेनेई ने बुधवार को कहा कि क़ासिम सुलेमानी की शहादत से स्पष्ट हो गया है कि इस्लामिक क्रांति अब भी ज़िंदा है। ख़मेनेई ने कहा कि अमरीका मध्य-पूर्व से निकल जाए। उन्होंने कहा कि मध्य-पूर्व अब अमरीका को बर्दाश्त नहीं करेगा।
ईरान में तेहरान के पास क्रैश हुए प्लेन में 82 लोग ईरान, 63 कनाडा, 11 यूक्रेन और 10 स्वीडन के नागरिक थे क्रैश के बाद किसी की भी जान नहीं बची।
ईरान स्थित यूक्रेन के दूतावास ने कहा है कि बुधवार सुबह क्रैश हुआ यूक्रेन का बोइंग 737 यात्री विमान इंजन ख़राब होने के कारण गिरा, आतंकी गतिविधियों के कारण नहीं।
ईरान की सरकारी न्यूज़ एजेंसी IRNA के अनुसार इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) के ऑपरेशन के बारे में मेजर जनरल मोहम्मद बाक़री ने कहा है कि ईरान ने अभी सिर्फ़ अपनी सैन्य क्षमताओं की झांकी दिखाई है। अगर अमरीका ने फिर हमला किया तो और सख़्त जवाब दिया जाएगा। अमरीका के लिए बेहतर होगा कि वो मध्य-पूर्व क्षेत्र को छोड़ने के लिए एक सैद्धांतिक विकल्प चुन ले।
ईरान के सर्वोच्च धार्मिक नेता अयातोल्लाह ख़मेनेई ने अमरीका को 'झूठा, बदमाश और अमानवीय' बताते हुए कहा है कि ईरान का जवाबी हमला अमरीका के 'मुँह पर एक तमाचा' है।
ख़मेनेई ने तेहरान के दक्षिण-पश्चिम में स्थित क़ूम प्रांत में हज़ारों लोगों की मौजूदगी में हुई एक बैठक में कहा कि 'दुनिया पर धौंस झाड़ने वालों को सबक सिखाने में ईरान सक्षम है। हमें लगता है कि अमरीका के ख़िलाफ़ ऐसे हमले नाकाफ़ी हैं। ज़्यादा महत्वपूर्ण ये है कि इस क्षेत्र से अमरीका की मौजूदगी का अंत हो'।
बीजिंग स्थित बीबीसी संवाददाता स्टीवन मैक्डोनल्ड ने कहा है कि बीजिंग स्थित ईरानी दूतावास ने अपने ट्विटर पन्ने पर ईरानी झंडे की तस्वीर पोस्ट करते हुए लिखा है, "पश्चिम एशिया में अमरीका की बुराई का अंत शुरू हो गया है।''
ईरान ने बैलिस्टिक मिसाइलों से इराक़ के उन दो सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया जहाँ अमरीकी सैनिक तैनात हैं। ईरान के सरकारी टीवी चैनल पर दिखाया जा रहा है कि ये हमला उनके कमांडर क़ासिम सुलेमानी की हत्या के जवाब में किया गया है। ईरान के सरकारी टीवी ने मिसाइल हमले का वीडियो जारी किया।
इस हमले में कितनी क्षति हुई, इसका आंकलन अभी नहीं किया जा सका है। ब्रिटेन सरकार ने कहा है कि इराक़ी कैंप में तैनात उनके 400 सैनिकों में से कोई भी इस हमले में हताहत नहीं हुआ है। यूके सरकार ने रॉयल नेवी और सैन्य हेलीकॉप्टरों को सतर्क कर दिया है।
अमरीका के डिफ़ेंस सेक्रेट्री मार्क एस्पर ने कहा है कि ईरान कोई हरक़त करेगा, इसका उन्हें पहले से अंदाज़ा था। फ़िलहाल वे स्थिति पर नज़र बनाए हुए हैं।
अमरीकी मीडिया में किसी बड़े सैन्य अधिकारी के हवाले से ख़बर चल रही है कि इराक़ के अल-असद कैंप में तैनात सैनिकों को वॉर्निंग सिस्टम के ज़रिए पहले ही मिसाइलों के आने की चेतावनी मिल गई थी।
इस बीच यूक्रेन के बॉइंग-737 विमान के ईरान में क्रैश होने की ख़बर आई। स्थानीय मीडिया के अनुसार इस विमान में सवार सभी 180 यात्रियों की मौत हो गई हैं।