क्या कोरोना वायरस को लेकर चीन आँकड़े छुपा रहा है?
पिछले साल नवंबर महीने में चीन में कोरोना वायरस का संक्रमण शुरू हुआ। चीन का कहना है कि तब से लेकर अब तक कोरोना वायरस के कारण उसके यहां 3,300 लोगों की मौत हुई। अब पूरी दुनिया में कोरोना वायरस का संक्रमण फैल चुका है। यहां तक कि चीन में हुई मौतों से ज़्यादा इटली, स्पेन और अमरीका में मौतें हो चुकी हैं। चीन में मौत के आँकड़े पर चौतरफ़ा सवाल उठ रहे हैं।
कहा जा रहा है कि कोरोना से मौत और तबाही के आँकड़े चीनी प्रशासन की ओर से जो दिए जा रहे हैं, उन पर भरोसा नहीं किया जा सकता।
बीबीसी न्यूज़ के चाइना संवाददाता रॉबिन ब्रैंट चीन के आँकड़ों पर कहते हैं, ''चीन की सरकार की तरफ़ से दिए जाने वाले डेटा पर दुनिया संदेह करती रही है। इस मामले में चीन का रिकॉर्ड बहुत ख़राब रहा है। ये डेटा अधूरे नहीं होते बल्कि जानबूझकर डिजाइन किए जाते हैं। यहां की कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार कई बार अपने लक्ष्य के हिसाब से काम करती है। अगर वो अपने टारगेट तक नहीं पहुँच पाती है तो सच को छुपाती है। नाकामियों को बताने से बचती है। ऐसे में आँकड़ों के मामले में चीन की सरकार की विश्वसनीयता संदिग्ध रही है। चीन जीडीपी डेटा को लेकर भी वास्तविक ग्रोथ बताने से बचता रहा है।''
ब्रैंट कहते हैं, ''चीन में कोरोना वायरस से होने वाली मौतों और संक्रमण के मामलों के आँकड़े पर भी उसी तरह के संदेह हैं। इसे जारी करने में तीन हफ़्तों की देरी की गई और संक्रमण फैलने के बाद भी बताने में देरी हुई। जो संख्या बताई गई उस पर आसानी से भरोसा नहीं किया जा सकता। संक्रमण फैलने के कुछ दिन बाद ही चीन के हूबे प्रांत में अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने कोरोना वायरस के संक्रमण के उन मामलों की गिनती नहीं की है जिनके स्पष्ट लक्षण सामने नहीं मिले हैं। एक सवाल और उठ रहा है कि चीन के हूबे प्रांत के बाहर क्या वाक़ई कोरोना वायरस के संक्रमण का कोई मामला नहीं था?''
अमरीका का भी कहना है कि कोरोना वायरस को लेकर चीन से सही सूचना नहीं दी गई। ट्रंप प्रशासन आरोप लगा रहा है कि चीन ने कोरोना वायरस को लेकर सूचनाओं को बाहर नहीं आने दिया। अमरीका के विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने कहा था कि कोरोना की महामारी से लड़ने के लिए चीन में पारदर्शिता और सही सूचना की ज़रूरत है। पॉम्पियो ने कहा कि चीन अब ख़ुद को अच्छा दिखाने के लिए मेडिकल सप्लाई भेजने का दिखावा कर रहा है।