क्या भारत स्वदेशी रक्षा उपकरणों के उत्पादन में सक्षम है?
क्या रक्षा उपकरणों के आयात पर प्रतिबंध लगाने से भारत आत्मनिर्भर बन जायेगा? वैसे तो भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बड़ा ऐलान किया है और 101 रक्षा उपकरणों के आयात पर प्रतिबंध लगाने की बात की है। रक्षा मंत्री ने भारत को रक्षा उपकरणों के उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भर बनाने की बात की है और इसका लक्ष्य 2024 रखा है। लेकिन क्या ऐसा हो पायेगा! क्या इसका भी वही हश्र होगा जो मेक इन इंडिया का हुआ?
भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने जिन 101 रक्षा उपकरणों के आयात पर प्रतिबंध लगाने की बात की है, क्या इन उपकरणों के निर्माण की तकनीक भारत के पास है? क्या अगले 4 साल यानि 2024 तक भारत इन रक्षा उपकरणों की तकनीक का अविष्कार कर लेगा? क्या भारत के निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योग इन तकनीकों को विदेशी हथियार निर्माता कंपनियों से लाइसेंस समझौता करके इन रक्षा उपकरणों का भारत में निर्माण करेंगे? ये कुछ अहम सवाल हैं जिसका जवाब मिलना जरूरी है।
भारत की कंपनियां रिसर्च एंड डेवलपमेंट पर पैसे खर्च नहीं करती, इसके बदले विदेशी कंपनियों से लाइसेंस समझौता करके तकनीक हासिल करती है और फिर भारत में उत्पादन करती है। अगर ऐसा होता है तो इसे आत्म निर्भरता नहीं कही जाएगी और जो विदेशी हथियार निर्माता कंपनियां भारत को अपना हथियार सीधे बेचती हैं वे भारत की कंपनियों के माध्यम से बेचेगी। सबसे बड़ा सवाल कि घरेलू रक्षा उद्योग को चार लाख करोड़ रुपये का कॉन्ट्रैक्ट देने की बात कही गई है। ये किसे मिलेगा?
फ़िलहाल मोदी शासनकाल में सार्वजनिक रक्षा उद्योगों से कॉन्ट्रैक्ट छीनकर निजी रक्षा उद्योगों को दिया जा रहा है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण भारत सरकार की कंपनी हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड से राफेल लड़ाकू विमान का कॉन्ट्रैक्ट छीनकर रिलायंस नवल एंड इंजीनियरिंग लिमिटेड (रिलायंस डिफेन्स एंड इंजीनियरिंग लिमिटेड) को दे दिया गया जिससे रिलायंस डिफेन्स को राफेल लड़ाकू विमान की बिक्री के कमीशन के तौर पर लगभग 3000 करोड़ रुपये मिले। जब रिलायंस डिफेंस को राफेल का कॉन्ट्रैक्ट मिला था तो इस कंपनी के पास अपनी बिल्डिंग भी नहीं थी। तथाकथित आत्म निर्भरता के इस बड़े खेल को इस छोटे से उदाहरण से समझा जा सकता है। भारत में अभी तो आत्म निर्भरता का खेल शुरू हुआ है। बस देखते रहिये कि आत्म निर्भरता के खेल में आगे क्या-क्या होता है?
वास्तव में आत्म निर्भरता हासिल करनी है तो भारत में रिसर्च और डेवलपमेंट को बढ़ावा दिया जाये और सिर्फ उन्हीं कंपनियों को कॉन्ट्रैक्ट दिया जाये जो भारत में विकसित तकनीकों से ही उत्पादन करें और यह कॉन्ट्रैक्ट देने का अनिवार्य शर्त हो।
आइये भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की घोषणा पर एक नज़र डालते हैं।
भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने घोषणा की है कि रक्षा मंत्रालय अब आत्मनिर्भर भारत पहल में एक बड़ी भूमिका निभाने के लिए तैयार हो रहा है।
रक्षा उत्पादन के मामले में स्वदेशीकरण को बढ़ावा देने और सेना की आत्मनिर्भरता बढ़ाने के मकसद से रक्षा मंत्रालय 101 से ज्यादा वस्तुओं पर एम्बार्गो यानी आयात पर प्रतिबंध लगाएगा।
रक्षा मंत्री ने बताया कि इन वस्तुओं की सूची रक्षा मंत्रालय ने सभी संबंधित पक्षों से कई दफा परामर्श करने के बाद तैयार किया है। इसमें आर्म्ड फोर्सेज, निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योग भी शामिल है ताकि वर्तमान और भविष्य में युद्ध उपकरणों को तैयार करने की क्षमता का आकलन किया जा सके।
चर्चा के बाद जो 101 वस्तुओं की सूची तैयार की गई है जिसमें सिर्फ आम चीज़ें ही शामिल नहीं है बल्कि कुछ उच्च तकनीक वाले हथियार भी हैं जैसे आर्टिलरी गन, असॉल्ट राइफल्स, ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट, LCHs रडार और दूसरी चीजें हैं जो देश की रक्षा सेवा की जरूरतों को पूरा करती है।
उन्होंने अगले 6-7 साल के लिए घरेलू रक्षा उद्योग को चार लाख करोड़ के कंट्रैक्ट देने की बात कही है।
इसके अलावा उन्होंने मौजूदा वित्त वर्ष 2020-21 में घरेलू रक्षा उद्योग के लिए 52 हज़ार करोड़ के अलग बजट की घोषणा की है।
उन्होंने कहा कि इन वस्तुओं के आयात पर प्रतिबंध तुरंत लगाने की बजाय धीरे-धीरे 2020 से 2024 के बीच लागू करने की योजना है।
उन्होंने आगे बताया कि इनमें से लगभग 1,30,000 करोड़ रुपये की वस्तुएं सेना और वायु सेना के लिए होगी तो वहीं नौसेना के लिए 1,40,000 करोड़ रुपये की वस्तुएं तैयार की जाएगी।