हिंसक प्रदर्शनों के बाद कीनिया के राष्ट्रपति ने विवादित वित्त बिल वापस लिया
हिंसक प्रदर्शनों के बाद कीनिया के राष्ट्रपति ने विवादित वित्त बिल वापस लिया
बुधवार, 26 जून 2024
कीनिया में कई दिनों तक चले प्रदर्शनों के बाद सरकार झुक गई है। कीनिया के राष्ट्रपति विलियम रुतो ने कहा है कि वो विवादित वित्त बिल को वापस लेंगे, जिसमें टैक्स बढ़ोतरी के प्रावधान थे।
ये फ़ैसला राष्ट्रपति विलियम रुतो ने कीनिया में फैले हिंसक प्रदर्शनों के बाद लिया है।
केन्या के राष्ट्रपति विलियम रूटो ने कहा कि वो उस वित्त विधेयक को वापस ले लेंगे जिसमें ये प्रावधान हैं।
इन प्रावधानों के तहत ब्रेड पर 16 फ़ीसदी सेल्स टैक्स और कुकिंग ऑयल पर 25 फ़ीसदी ड्यूटी लगाई जानी थी।
गाड़ियों पर उनकी कीमत का 2.5 फीसदी टैक्स लगना था। साथ ही वित्तीय लेनदेन पर भी टैक्स बढ़ाने की योजना थी। इससे आम केन्याई लोगों का जीवन काफ़ी कठिन हो जाता।
कीनिया के लोगों को संबोधित करते हुए विलियम रुतो ने कहा कि ये साफ़ हो गया है कि कीनिया के लोगों को इस बिल से कुछ नहीं चाहिए था। बिल पर हस्ताक्षर कर इसे कानून की शक्ल न देने की बात कहते हुए विलियम रुतो ने कहा, ''मैं हार मानता हूं।''
सरकार के नए वित्त बिल को लेकर कीनिया में विवाद छिड़ा हुआ था और कई दिनों तक विरोध प्रदर्शन भी हुए लेकिन संसद में इसके पास होते ही प्रदर्शनों ने हिंसक रूप ले लिया।
मंगलवार, 25 जून 2024 के हिंसक प्रदर्शनों में 22 लोगों के मारे जाने की पुष्टि की गई। केन्या के राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने कहा है कि इस विधेयक के विरोध में हुए हिंसक प्रदर्शनों में अब तक 22 लोग मारे गए हैं।
राष्ट्रपति विलियम रुतो ने कहा है कि वो अब देश के उन युवाओं से बातचीत करेंगे, जिन्होंने साल 2022 के बाद से अब तक के सबसे बड़े प्रदर्शन का नेतृत्व किया।
देशभर में हुए विरोध प्रदर्शनों के बावजूद कीनिया की संसद ने विवादित वित्त बिल को पास किया था।
बिल के पास होने के बाद प्रदर्शनों ने हिंसक रूप ले लिया और प्रदर्शनकारी संसद में भी घुस गए थे, जहां उन्होंने आगज़नी की थी। प्रावधानों का विरोध कर रहे लोगों ने केन्याई संसद का एक हिस्सा भी जला दिया था।
शुरुआत में राष्ट्रपति रुतो भी सख्ती से इन प्रदर्शनों से निपटते नज़र आ रहे थे। प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए सेना तक को लगाया गया था हालांकि लोगों के भारी विरोध को देखते हुए राष्ट्रपति नरम हुए और बिल वापसी का ऐलान किया।
सरकार ने जो बिल पेश किया था उसका मकसद देश पर लदे 80 बिलियन डॉलर के कर्ज़ को कम करना था, इससे कीनिया के सालाना टैक्स पर प्रभाव पड़ता है।
रुतो ने कहा कि नए प्रावधान किसानों, छात्रों और शिक्षकों के लिए लाभकारी साबित हो सकते थे लेकिन उन्होंने माना कि लोग उनके साथ खड़े नहीं थे। उन्होंने कहा कि ''मैं लोगों का नेतृत्व करता हूं और उन्होंने अपनी बात कह दी है।''
कीनिया में सोशल मीडिया पर ऐसी चर्चा है कि मौजूदा प्रदर्शन जारी रहने वाले हैं। पहले इन प्रदर्शनों का मकसद था कि राष्ट्रपति विवादित वित्त बिल पर हस्ताक्षर न करें लेकिन अब मांग की जा रही है वो इस्तीफ़ा दे दें।