कोराना संकट: क्या ग़रीबों का मामला अदालत में ले जाने का यह सही समय है?
भारत सरकार के सॉलिसिटर जनरल का कहना है कि देश पर संकट है, इसलिए ''पेशेवर जनहित याचिकाओं की दुकानें बंद हों''।
उन्होंने यह बात सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस नागेश्वर राव और दीपक गुप्ता की अदालत के सामने टेलीकॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए कही।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने याचिका दायर करने वालों को 'जनहित का पेशेवर दुकानदार' कहा। उन्होंने याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार किए जाने पर आपत्ति व्यक्त की। अदालत ने केंद्र सरकार को जवाब देने के लिए सात अप्रैल का समय दिया है।
याचिका क्या थी? याचिका ये थी कि सरकार शहरों से पलायन करने पर मजबूर ग़रीबों को वहीं आर्थिक सहायता दे, जहाँ वे हैं। याचिका दायर करने वाले पूर्व आईएएस अधिकारी हर्ष मंदर, वकील अंजलि भारद्वाज और सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश का कहना था कि ग़रीबों के लिए सरकार ने पर्याप्त क़दम नहीं उठाए हैं।
सॉलिसिटर जनरल सरकार के प्रतिनिधि के रूप में ही पेश हुए थे इसलिए जो कुछ उन्होंने कहा है वह सरकार का ही रुख़ है। एक बुनियादी बात सरकार कह रही है कि इस याचिका को ख़ारिज हो जाना चाहिए क्योंकि अभी देश पर संकट है।