तुर्की-ग्रीस तनाव: तुर्की एक क़दम भी पीछे नहीं हटेगा - प्रेसिडेंट अर्दोआन
तुर्की और ग्रीस ने घोषणा की है कि वे मंगलवार को ग्रीस के क्रीट द्वीप के पास एक-दूसरे के विरोध में सैन्य अभ्यास करेंगे।
दोनों देशों के बीच पूर्वी भूमध्यसागर में तेल और गैस भंडारों पर दावों को लेकर विवाद बढ़ गया है।
तुर्की ने आधिकारिक चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि जहाज़ इस क्षेत्र से दूर रहें।
तुर्की के अपने खोजी मिशन को आगे बढ़ाने का ऐलान करने के बाद ग्रीस ने भी सैन्य अभ्यास का ऐलान किया है।
इसी बीच जर्मनी के विदेश मंत्री हीको मास मंगलवार को एथेंस और अंकारा पहुंच रहे हैं जहां वो तनाव कम करने के लिए वार्ताएं करेंगे।
हीको मास पहले एथेंस में ग्रीस के प्रधानमंत्री किरयाकोस मिट्सोटाकिस से बात करेंगे और फिर अंकारा में तुर्की के विदेश मंत्री के साथ वार्ता करेंगे।
क्रीट और साइप्रस के पास विवादित जलक्षेत्र में तेल और गैस के भंडार मिलने के बाद से ही ग्रीस और तुर्की के बीच तनाव बढ़ा हुआ है।
ग्रीस यूरोपियन यूनियन का भी हिस्सा है, जिसने वार्ता की अपील की है लेकिन फ्रांस ग्रीस का साथ देता दिख रहा है। फ्रांस ने हाल ही में ग्रीस के साथ सैन्य अभ्यास भी किया है।
सोमवार को तुर्की ने घोषणा की थी कि उसका शोध जहाज़ ओरुक रीस 27 अगस्त 2020 तक अपना काम चारी रखेगा। माना जा रहा है कि ग्रीस इसी से नाराज़ है। ग्रीस तुर्की के सर्वेक्षण को ग़ैर क़ानूनी मान रहा है और अब तुर्की के विरोध में युद्धाभ्यास करने जा रहा है।
ग्रीस सरकार के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा है, ''ग्रीस शांति से जवाब दे रहा है और कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर जवाब के लिए तैयार है। राष्ट्रीय विश्वास के साथ, ग्रीस अपनी संप्रभुता की रक्षा के लिए हरसंभव प्रयास करेगा।''
तुर्की ने भी इसी भाषा में जवाब दिया है।
तुर्की के राष्ट्रपति अर्दोआन ने कहा है, ''तुर्की ओरुक रीस और उसे एस्कॉर्ट कर रहे जंगी जहाज़ों की गतिविधियों से एक क़दम भी पीछे नहीं हटेगा।''
उन्होंने कहा कि ग्रीस ने अपने आप को ऐसी मुसीबत में डाल लिया है जिससे बाहर निकलने का रास्ता उसे नहीं मिल रहा है।
बीते महीने जब तुर्की ने अपने जहाज़ को भेजते समय नौसैन्य चेतावनी नेवटेक्स जारी की थी तब भी ग्रीस ने आक्रामक रवैया अपनाया था।
ग्रीस ने तुर्की से कहा था कि वह पूर्वी भूमध्य सागर में तेल की खोज में निकले अपने जहाज़ को वापस बुला ले।
ग्रीस और तुर्की के बीच तनाव भड़कता रहता है, लेकिन गैस रिज़र्व और जलक्षेत्र अधिकारों को लेकर शुरू हुए इस ताज़ा विवाद के बड़े संघर्ष में बदलने का ख़तरा पैदा हो गया है।
जुलाई में जब तुर्की ने ग्रीस के द्वीप कास्टेलोरीज़ो के पास अपने सर्वे जहाज़ भेजने का ऐलान किया था तो जर्मनी ने मध्यस्थता करके संकट टाल दिया था। जर्मनी इस समय यूरोपीय यूनियन का अध्यक्ष है।
लेकिन अब ये जहाज़ और इसके साथ तुर्की की नौसेना के पाँच जंगी जहाज़ जलक्षेत्र में सर्वे कर रहे हैं और तनाव फिर से बढ़ गया है।
नेटो सदस्य ग्रीस और तुर्की के बीच ज़ुबानी जंग छिड़ गई है।
इसी विवाद में ग्रीस कहता रहा है कि वह अपनी संप्रभुता की रक्षा करेगा और यूरोपीय यूनियन ने कहा है कि दोनों देशों के बीच बातचीत होनी चाहिए।
तुर्की और ग्रीस के रिश्ते कैसे ख़राब हुए?
गैस भंडारों को लेकर तुर्की और ग्रीस के अपने-अपने दावे हैं और पूर्वी भूमध्यसागर के कई महत्वपूर्ण इलाक़ों को लेकर दोनों देशों के बीच भारी मतभेद हैं।
दोनों ही देश कई इलाक़ों पर अपने-अपने दावे इस तर्क के साथ ठोकते रहे हैं कि ये उनके महाद्वीपीय जलसीमा में आते हैं।
जुलाई में तुर्की ने नौसैनिक अलर्ट (नेवटेक्स) जारी किया था कि वह अपने शोध जहाज़ ओरुक रीस को ग्रीस के द्वीप कास्टेलोरीज़ो के पास सर्वे करने भेज रहा है।
ये द्वीप दक्षिण-पश्चिम तुर्की के तट से कुछ ही दूर स्थित है।
इस सर्वे में तुर्की साइप्रस और क्रीट के बीच के इलाक़ों में गैस की खोज कर रहा है।
उस समय तुर्की के जहाज़ ने अंतालया के बंदरगाह से अपना लंगर नहीं उठाया था लेकिन ग्रीस की सेना में कास्टेलोरीज़ो द्वीप के नज़दीक संघर्ष की चिंता पैदा हो गई थी।
बीते कई महीनों से तुर्की और ग्रीस के रिश्ते ठंडे हैं। दोनों देशों के बीच प्रवासियों के ग्रीस में घुसने को लेकर भी विवाद है। और फिर तुर्की ने इस्ताबुंल के हागिया सोफ़िया म्यूज़ियम को फिर से मस्जिद बना दिया। ये इमारत कई सदियों तक ऑर्थोडॉक्स चर्च रही है। इससे भी ग्रीस को बुरा लगा।
जर्मनी के दख़ल के बाद दोनों देश बातचीत के लिए तैयार हुए और कुछ दिनों के लिए मामला ठंडा पड़ गया।
लेकिन इसी बीच अगस्त में ग्रीस ने मिस्र के साथ समझौता कर एक जलक्षेत्र बना लिया जिससे तुर्की भड़क गया है।
बातचीत टूट गई और तुर्की के जहाज़ ओरुक रीस ने दस अगस्त को बंदरगाह छोड़ दिया। अगले ही दिन ये क्रीट और साइप्रस के बीच के पानी में पहुंच गया।
अब क्यों बढ़ा तनाव?
पूर्वी भूमध्यसागर में ऊर्जा संसाधन विकसित करने की दौड़ में तुर्की और ग्रीस एक दूसरे के ख़िलाफ़ हैं।
हाल के सालों में साइप्रस के पास के पानी में बड़े गैस भंडार मिले हैं। साइप्रस, ग्रीस, इसराइल और मिस्र की सरकारें इनके दोहन के लिए एक साथ आई हैं। समझौते के तहत दो हज़ार किलोमीटर पाइपलाइन के ज़रिए यूरोप तक गैस भेजी जाएगी।
पिछले साल तुर्की ने साइप्रस के पश्चिम में तेल और गैस की खोज शुरू की थी। साइप्रस 1974 से बँटा हुआ है। तुर्की के नियंत्रण वाले उत्तरी साइप्रस को सिर्फ़ तुर्की ने ही मान्यता दे रखी है। तुर्की हमेशा ये तर्क देता रहा है कि इस द्वीप के प्राकृतिक संसाधनों पर उसका भी हक़ है और इनका बँटवारा होना चाहिए।
और फिर नवंबर 2019 में तुर्की ने लीबिया के साथ एक समझौता करके तुर्की के दक्षिणी तट से लीबिया के उत्तर पूर्वी तट तक एक विशेष आर्थिक जलक्षेत्र का निर्माण कर लिया।
मिस्र ने कहा कि ये समझौता ग़ैरक़ानूनी है और ग्रीस ने कहा कि ये बेतुका है क्योंकि इसमें बीच में आने वाले ग्रीस के द्वीप क्रीट का संदर्भ नहीं लिया गया है।
फिर मई में तुर्की ने कहा कि वह अगले कुछ महीनों में पश्चिम की ओर अन्य इलाक़ों में तेल और गैस की खोज में खुदाई शुरू करेगा। इससे यूरोपीय यूनियन के सदस्य ग्रीस और साइप्रस में चिंताएं पैदा हो गईं।
तुर्की ने पूर्वी भूमध्यसागर में खुदाई करने के लिए टर्किश पेट्रोलियम को कई लाइसेंस जारी कर दिए हैं। इनमें ग्रीस के द्वीप क्रीट और रोड्स के आसपास खुदाई करने का लाइसेंस भी है।
जुलाई में तुर्की के उप-राष्ट्रपति फ़वात ओकताई ने कहा था, ''सभी को ये बात स्वीकार कर लेनी चाहिए कि इस क्षेत्र के ऊर्जा समीकरणों से तुर्की और टर्किश रिपब्लिक ऑफ़ नॉर्थ साइप्रस को अलग नहीं किया जा सकता है।''
फिर 6 अगस्त 2020 को ग्रीस और मिस्र ने अपना समझौता करके तुर्की को जवाब दिया। दोनों ने विशेष आर्थिक ज़ोन का निर्माण करते हुए कहा कि इससे लीबिया के साथ तुर्की का समझौता रद्द हो जाएगा।
अब तुर्की ने अपने सर्वे जहाज़ को भेजने के अलावा ये भी कहा है कि इस महीने के अंत तक महाद्वीपीय शेल्फ़ के पश्चिमी क्षेत्र में तेल और गैस की खोज के लिए लाइसेंस जारी कर दिए जाएंगे।
क़ानूनी विवाद क्या हैं?
एजियन सागर और पूर्वी भूमध्यसागर में ग्रीस के कई द्वीप ऐसे है जो तुर्की के तट के बिल्कुल पास हैं। ऐसे में दोनों देशों के बीच जलक्षेत्र को लेकर जटिल विवाद हैं और कई बार दोनों देश युद्ध के मुहाने तक आ चुके हैं।
यदि ग्रीस अंतरराष्ट्रीय क़ानून के तहत अपने जलक्षेत्र को छह मील से लेकर 12 मील तक बढ़ाता है तो तुर्की का तर्क है कि इससे उसके कई समंदरी रास्ते बुरी तरह प्रभावित हो सकते हैं।
तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तेयेप अर्दोआन ने हाल ही में कहा था, ''तुर्की ऐसे किसी भी प्रयास को सहमति नहीं देगा जो उसे उसके तट तक सीमित कर दे।''
लेकिन विवाद सिर्फ़ जलक्षेत्रों तक ही नहीं है बल्कि विशेष आर्थिक ज़ोन (ईईज़ेड) भी एक बड़ा मुद्दा है। जैसे तुर्की और लीबिया का ईईज़ेड, मिस्र और ग्रीस का ईईज़ेड और साइप्रस और लेबनान का ईईज़ेड, मिस्र और इसराइल का ईईज़ेड।
और अब इस ताज़ा विवाद में महाद्वीपीय जलसीमा भी शामिल है जो तट से दो सौ मील दूर तक हो सकती है।
ग्रीस का तर्क है कि तुर्की का सर्वे जहाज़ उसकी महाद्वीपीय जलसीमा का उल्लंघन कर रहा है। ग्रीस का द्वीप कास्टेलोरीज़ो तुर्की के तट से सिर्फ़ दो किलोमीटर दूर है।
एक ओर जहां ग्रीस ने तुर्की से कहा है कि वह उसकी महाद्वीपीय जलसीमा को तुरंत छोड़ दे, तुर्की का कहना है कि ऐसे द्वीप जो मुख्य भूभाग से दूर हैं और तुर्की के पास हैं उनकी महाद्वीपीय जलसीमा नहीं हो सकती है।
बीते महीने तुर्की के उपराष्ट्रपति ने कहा था कि तुर्की उन नक्शों को फाड़ रहा है जो उसे मुख्य भूभाग तक सीमित करने के लिए बनाए गए हैं।
तुर्की इस बात पर भी ज़ोर देता रहा है कि वह संयुक्त राष्ट्र के जलक्षेत्रों को लेकर क़ानूनों के तहत ही काम कर रहा है।
इसकी प्रतिक्रिया क्या रही है?
ग्रीस के यूरोपीय सहयोगी देशों ने उसका पक्ष लिया है, हालांकि जर्मनी और यूरोपीय यूनियन बातचीत पर ज़ोर दे रहे हैं।
फ्रांस के राष्ट्रपति इमेनुएल मैक्रो ने ग्रीस और साइप्रस को पूर्ण समर्थन देते हुए कहा है कि तुर्की इन देशों की संप्रभुता का उल्लंघन कर रहा है।
हाल के महीनों में फ्रांस के रिश्ते तुर्की से ख़राब हुए हैं, ख़ासकर लीबिया को लेकर।
बढ़ते हुए तनाव के बीच फ्रांस ने कहा है कि वह क्षेत्र में अस्थायी रूप से एक फ्रीजेट और दो रफ़ाल विमान तैनात कर रहा है जो ग्रीस के साथ सैन्य अभ्यास भी करेंगे।
अमरीका ने दोनों ही पक्षों से बात करने के लिए कहा है और नेटो के महासचिव येंस स्टोलटेनबर्ग ने कहा है कि स्थिति को बातचीत के ज़रिए अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों और नेटो भाइचारे का ध्यान रखते हुए सुलझाया जाए।
जर्मनी की चांसलर एंगेला मर्कल तनाव कम करने की कोशिशें कर रहीं हैं और उन्होंने तुर्की और ग्रीस दोनों देशों के नेताओं से बात की है।