डोनल्ड ट्रंप किस गंदगी की बात कर रहे हैं?

अमरीका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने न्यूयॉर्क के इकॉनमी क्लब में 12 नवंबर को जलवायु परिवर्तन पर बोलते हुए भारत, रूस और चीन को निशाने पर लिया।

उन्होंने अपने संबोधन में कहा, "मैं पूरी पृथ्वी पर साफ़ हवा चाहता हूं, साफ़ हवा के साथ साफ़ पानी भी चाहता हूं। लोग मुझसे सवाल पूछते हैं कि आप अपने हिस्से के लिए क्या कर रहे हैं। मुझे इससे एक छोटी सी समस्या है। हमारे पास ज़मीन का छोटा सा टुकड़ा है - यानी हमारा अमरीका। इसकी तुलना आप दूसरे देशों से करें, मसलन चीन, भारत और रूस से करें तो कई देशों की तरह ये भी कुछ नहीं कर रहे हैं।''

ट्रंप ने ये भी कहा, "ये लोग अपनी हवा को साफ़ रखने के लिए कुछ नहीं कर रहे हैं, ये पूरी पृथ्वी को साफ़ रखने के लिए कुछ नहीं कर रहे हैं। ये अपना कूड़ा कचरा समुद्र में डाल रहे हैं और वह गंदगी तैरती हुई लॉस एंजलिस तक पहुंच रही है। क्या यह आश्चर्यजनक नहीं है कि ये गंदगी लॉस एंजलिस तक पहुंच रही है? आप यह देख रहे हैं लेकिन कोई इस पर बात नहीं करना चाहता।''

ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि ट्रंप किस गंदगी की बात कर रहे हैं और क्या वो वाक़ई भारत, चीन और रूस से आ रही है?

दरअसल ट्रंप जिस गंदगी की बात कर रहे हैं, उसे दुनिया ग्रेट पैसिफ़िक गारबेज पैच के नाम से जानती है। यह कचरा अमरीका के कैलिफ़ोर्निया से लेकर हवाई द्वीप समूह के बीच फैला हुआ है।

नेचर पत्रिका की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, गंदगी से भरा यह इलाक़ा छह लाख वर्ग मील में फैला हुआ है जिसका क्षेत्रफल अमरीकी राज्य टेक्सस से दोगुने में फैला हुआ है।

दुनिया को इसका पहली बार पता 1990 के दशक में चला था। ओशन क्लीनअप फ़ाउंडेशन के मुताबिक़, यहां पूरे पैसिफ़िक रिम से प्लास्टिक का कचरा पहुंचता है। यानी प्रशांत महासागर के इर्द-गिर्द बसे एशिया, उत्तरी अमरीका और लैटिन अमरीकी देशों से।

वैसे यहां यह जानना दिलचस्प है कि ये पूरा इलाका सॉलिड प्लास्टिक से भरा नहीं है। बल्कि यहां मोटे तौर पर 1.8 खरब प्लास्टिक के टुकड़े मौजूद हैं जिनका वजन क़रीब 88 हज़ार टन माना जा रहा है यानी 500 जंबो जेट्स के वज़न के बराबर।

इस गंदगी को साफ़ करने के लिए अभी तक किसी देश की सरकार सामने नहीं आई है, हालांकि ओशन क्लीनअप फ़ाउंडेशन कुछ समूहों के साथ ये काम करने की कोशिश कर रहा है।

पैसिफ़िक रिम के चारों ओर बसे देशों से निकला कचरा इस क्षेत्र में फैलकर जमा हो जाता है। इसमें प्लास्टिक की वे बेकार चीज़ें होती हैं जिन्हें यूं ही फेंक दिया जाता है।

नदियों के रास्ते ये समंदर में पहुंच जाती हैं। यानी ग्रेट पैसिफ़िक गारबेज पैच में आपको अलग-अलग देशों से बहकर आई प्लास्टिक की चीज़ें मिल सकती हैं जिनमें से कुछ अमरीका के ही लॉस एंजलिस की हो सकती हैं।

यूएस टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ यहां सबसे ज़्यादा गंदगी चीन और दूसरे देशों से पहुंचता है। ऐसे में एशिया के दूसरे नंबर के देश होने के कारण भारत की भूमिका पर भी सवाल उठेंगे।

लेकिन 2015 में साइंस एडवांसेज़ पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार सबसे ज़्यादा प्लास्टिक का कचरा एशिया से ही निकलता है। इनमें चीन, इंडोनेशिया, फ़िलिपींस, वियतनाम, श्रीलंका और थाईलैंड सबसे ज़्यादा गंदगी फैलाने वाले छह शीर्ष देश हैं।