चुनाव

सर्वेक्षण: उत्तर प्रदेश चुनाव में सपा-कांग्रेस गठबंधन को बहुमत

भारत के प्रान्त उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में मुख्य रूप से तीन मुख्य प्रतिद्वंदियों के बीच मुकाबला है। एबीपी न्यूज चैनल और सीएसडीएस ने 17 से 23 जनवरी के दौरान उत्तर प्रदेश में किए चुनावी सर्वेक्षण में समाजवादी पार्टी-कांग्रेस गठबंधन को बहुमत के करीब बताया गया है।

हालांकि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की लोकप्रियता में दिसंबर 2016 के मुकाबले दो फीसदी की गिरावट दर्शायी गई है। वहीं दूसरे स्थान पर बीजेपी गठबंधन को दिखाया गया है। उत्तर प्रदेश में बसपा को सर्वेक्षण में तीसरे स्थान पर खिसकता दिखाया गया है। सपा के झगड़े में अखिलेश यादव पार्टी के सर्वोच्च नेता बनकर उभरे हैं।

अखिलेश यादव की लोकप्रियता में दो फीसदी की गिरावट आई है। दिसंबर में 28 फीसदी की पसंद अखिलेश थे, लेकिन जनवरी में इसी सवाल पर अखिलेश 26 फीसदी वोटरों की पसंद रह गए। मायावती पहले की तरह ही 21 फीसदी पर तो राजनाथ सिंह 03 फीसदी पर बने हुए हैं।

सर्वेक्षण के मुताबिक, मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दोनों से लोग संतुष्ट हैं। सर्वेक्षण की मानें तो प्रधानमंत्री के रूप में मोदी और मुख्यमंत्री के रूप में अखिलेश से संतुष्ट लोगों का प्रतिशत एक समान है।

सपा-कांग्रेस के गठबंधन से फायदे के मामले में कोई स्पष्ट राय नहीं दिखी। करीब 43 प्रतिशत लोगों ने इस पर अपनी कोई राय ही नहीं दी। लेकिन 37 प्रतिशत लोगों ने एसपी को फायदा बताया।

अखिलेश यादव के खिलाफ सत्ताविरोधी रुझान घटा, 43 प्रतिशत देना चाहते हैं दूसरा मौका। झगड़े के लिए शिवपाल यादव को जिम्मेदार मानते हैं 36 प्रतिशत मतदाता। विकास बना मुख्य चुनावी मुद्दा, 32 प्रतिशत मानते हैं इसे मुद्दा। नोटबंदी पर मोदी सरकार का समर्थन बढ़ा 41 प्रतिशत लोगों ने फैसले को सही ठहराया।

एबीपी न्यूज-लोकनीति-सीएसडीएस ने 17 से 23 जनवरी के बीच उत्तर प्रदेश के लोगों की राय ली। इसमें उत्तर प्रदेश की 65 विधानसभा क्षेत्रों के 6481 लोगों से बात की। यह सर्वेक्षण यूरोपियन सोसाइटी फॉर ओपिनियन एंड मार्केटिंग रिसर्च (ESOMAR) के दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए किया गया।

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों को लेकर दूसरी ओर एक और न्यूज चैनल टाइम्स नाऊ-वीएमआर ने पोल सर्वे किया। इसमें ठीक उलट 1991 के बाद पहली बार राज्य में भाजपा को बहुमत में दिखाया गया है। टाइम्स नाऊ ने उत्तर प्रदेश के 24 जिलों मे 7500 मतदाताओं को इस सर्वेक्षण में शामिल किया।

चुनाव लड़ रहे उम्मीदवार बैंकों से लिमिट से अधिक पैसा नही निकाल पाएंगे

भारत में नोटबंदी के बाद नकदी निकालने की साप्ताहिक सीमा को पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों में लड़ रहे उम्मीदवारों के लिए बढ़ाने के चुनाव आयोग के अनुरोध को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने खारिज कर दिया जिस पर आयोग की तीखी प्रतिक्रिया आई है।

चुनाव आयोग ने बुधवार को आरबीआई से उम्मीदवारों की नकदी निकासी की साप्ताहिक सीमा 24,000 रपये से बढ़ाकर दो लाख रपये करने का अनुरोध किया था।

चुनाव आयोग का कहना था कि नोटबंदी के बाद लागू सीमा से उम्मीदवारों को अपने प्रचार का खर्च निकालने में कठिनाई होगी।

लेकिन रिजर्व बैंक का कहना है कि इस स्तर पर सीमा बढ़ाना संभव नहीं है। नाराज दिख रहे चुनाव आयोग ने आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल को पत्र लिखकर इस मुददे से निपटने के तरीके पर गंभीर चिंता प्रकट की है।

चुनाव आयोग ने कहा, ऐसा लगता है कि आरबीआई को स्थिति की गंभीरता का आभास नहीं है।

यह बात दोहराई जाती है कि निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव कराना और सभी उम्मीदवारों को समान अवसर प्रदान करना चुनाव आयोग का संवैधानिक अधिकार है और उचित तरीके से चुनाव कराने के लिए जरूरी है कि चुनाव आयोग के दिशानिदेर्शों का पालन किया जाए।

चुनाव आयोग ने रिजर्व बैंक से प्रस्ताव पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया है।