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हम सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक 377 वार्डिक्ट का स्वागत करते हैं : कांग्रेस

कांग्रेस ने कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक # 377 फैसले का स्वागत करते हैं। हमने हमेशा यह माना है कि यह लंबे समय से आ रहा है और हम इसे एलजीबीटीक्यूएआई + समुदाय में अपने दोस्तों के साथ मनाते हैं। समानता आज जीती!

वायु प्रदूषण की वजह से डेढ़ साल कम हो रही है भारतीयों की उम्र

वायु प्रदूषण से एक आम भारतीय की उम्र डेढ़ साल तक कम हो जाती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि हवा की बेहतर गुणवत्ता से दुनियाभर में मनुष्य की उम्र बढ़ सकती है।

यह पहली बार है जब वायु प्रदूषण और जीवन अवधि पर डाटा का एक साथ अध्ययन किया गया है ताकि यह पता लगाया जा सके कि इसमें वैश्विक अंतर कैसे समग्र जीवन प्रत्याशा पर असर डालता है।

अमेरिका के ऑस्टिन में टेक्सास विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने वायुमंडल में पाए जाने वाले 2.5 माइक्रोन से छोटे कण (पी एम) से वायु प्रदूषण का अध्ययन किया। ये सूक्ष्म कण फेफड़ों में प्रवेश कर सकते हैं और इससे दिल का दौरा पड़ने, स्ट्रोक्स, सांस संबंधी बीमारियां और कैंसर होने का खतरा होता है। पी एम 2.5 प्रदूषण बिजली संयंत्रों, कारों, ट्रकों, आग, खेती और औद्योगिक उत्सर्जन से होता है।

वैज्ञानिकों ने पाया कि वायु प्रदूषण से बांग्लादेश में 1.87 वर्ष, मिस्र में 1.85, पाकिस्तान में 1.56, सऊदी अरब में 1.48, नाइजीरिया में 1.28 और चीन में 1.25 वर्ष तक लोगों की उम्र कम होती है। अध्ययन के अनुसार, वायु प्रदूषण से भारत में व्यक्ति की औसत आयु 1.53 वर्ष तक कम होती है।

जामिया निजामिया का फतवा - इस्लाम में झींगा, केकड़ा और चिंराट खाना हराम है

भारत में हैदराबाद की एक इस्लामिक संस्था ने मुस्लिमों के लिए फतवा जारी किया है। फतवे में कहा गया है कि मुस्लिम झींगा, केकड़ा और चिंराट नहीं खाएं। इन्हें खाना इस्लाम में हराम है। खबर के अनुसार, फतवा एक जनवरी को जामिया निजामिया के मुफ्ती मोहम्मद अजीमुद्दीन ने जारी किया है।

ये संस्था करीब 142 साल पुरानी है। यह डीम्म यूनिवर्सिटी के अंतर्गत भी आती है। ऐसे में संस्था द्वारा फतवा जारी करने से मुफ्ती मोहम्मद अजीमुद्दीन विवादों के घेरे में आ गए हैं।

हालांकि फतवे के खिलाफ अन्य धार्मिक संस्थानों ने अपनी राय जाहिर की है। इनका कहना है कि इस फतवे के पीछे कोई तर्क नहीं है।

दरअसल फतवे में कहा गया है कि झींगा संधिपाद प्राणी है और यह मकरूह तरहीम की श्रेणी में आता है, जो खाना हराम है। मुसलमानों के लिए यह खाना हराम है। फतवे में आगे कहा गया, ''इसलिए मुस्लिमों को सलाह दी जाती है, वह यह सब नहीं खाएं।''

दरअसल मुफ्ती का कहना है कि इस्लाम में तीन श्रेणी हैं जिसके तहत इन्हें खाना हराम है। ये श्रेणी हैं - हलाल, पाबंदी और घृणित हैं।

बता दें कि मकरूह की श्रेणी में एक उपश्रेणी भी है। इसमें ऐसी चीजें भी हैं जिनको खाना घृणित माना जाता है, लेकिन उन्हें खाया जा सकता है, जबकि मकरूह तहरीम में आने वाली चीजों को खाने पर पूरी तरह से पाबंदी है।

गौरतलब है कि जामिया निजामिया एक मशहूर इस्लामिक शैक्षणिक संस्था है, जिसे कई अन्य देशों में भी प्रतिष्ठित संस्था के रूप में देखा जाता है।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इंसानों को धरती पर रहने नहीं देगा: स्टीफन हॉकिंग

मशहूर भौतिक वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग ने एक बार फिर मानव जाति को चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि मानव जाति को अपना अस्तित्व बचाये रखने के लिए जल्द ही दूसरी धरती या फिर प्लानेट खोज लेना चाहिए।

वायर मैगज़ीन को दिए अपने इंटरव्यू में स्टीफन हॉकिंग ने कहा कि विश्व अत्यधिक पर्यावरणीय एवं प्रौद्योगिकीय चुनौतियों का सामना कर रहा है और मानवता की रक्षा के लिए एकजुट होने तथा साथ काम करने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि हमारे पास अब अपने ग्रह को नष्ट करने की टेक्नोलॉजी है, लेकिन इससे बच निकलने की क्षमता अब तक विकसित नहीं की है। शायद कुछ सौ साल में हम तारों के बीच मानव बस्तियां बसा लेंगे, लेकिन फिलहाल हमारे पास सिर्फ एक ग्रह है और इसे बचाने के लिए हमें साथ मिल कर काम करने की जरूरत है।

मशहूर वैज्ञानिक हॉकिंग ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी कृत्रिम बुद्धिमत्ता धरती पर मानव के विनाश का कारण बनेगा। उन्होंने कहा कि मुझे डर है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मनुष्य को धरती से दूसरे ग्रह पर पलायन करने के लिए मजबूर कर देगा। ऐसे में लोगों को वक्त रहते दूसरे ग्रहों पर जल्द ही अपना नया ठिकाना ढूढ़ लेना चाहिए।

हॉवर्ड विश्वविद्यालय ने जीन में गलतियों को ठीक करने का एक अत्यंत ही सटीक तरीका ईजाद किया

अमेरिकी वैज्ञानिकों ने बुधवार को दो नए आणविक संपादन उपकरण का निर्माण किया है। इससे म्यूटेशनों को ठीक करने में मदद मिलेगी। म्यूटेशन बहुत से बीमारियों का कारण बनता है, जिनमें से कुछ का कोई उपचार नहीं है।

हॉवर्ड विश्वविद्यालय के डेविड लियू और ब्रॉड इंस्टीट्यूट ऑफ एम आई टी और हार्वर्ड जीन में गलतियों को ठीक करने का एक अत्यंत ही सटीक तरीका प्रदान करता है, जो डीओक्सीरिबो न्यूक्लिक एसिड या डीएनए के बने होते हैं।

ब्रॉड इंस्टीट्यूट के आण्विक जीवविज्ञानी फेंग झांग द्वारा एक दूसरी खोज, जो राइबोन्यूक्लिक एसिड या आरएनए को संपादित करने पर ध्यान केंद्रित करता है। ये डीएनए को बदले बिना प्रोटीन बनाने के लिए आनुवंशिक निर्देश करता है।

भारत में डॉक्टर मरीजों को सिर्फ 2 मिनट का समय देते हैं

भारत के डॉक्टर या प्राइमरी केयर कंसल्टेंट, मरीजों को सिर्फ दो मिनट का वक्त देते हैं। इसका खुलासा एक रिसर्च से हुआ है। मेडिकल कंसल्टेशन पर हुए सबसे बड़े इंटरनेशनल शोध में यह बात सामने आई है।

पड़ोसी देशों बंग्लादेश और पाकिस्तान में स्थिति और भी बदतर है, यहां कंसल्टिंग टाइम औसतन 48 सेकंड से 1.3 मिनट ही है।

यह शोध गुरुवार को मेडिकल जर्नल बी एम जे ओपन में प्रकाशित हुआ है। इसके विपरीत स्वीडन, अमेरिका और नॉर्वे जैसे देशों में कंसल्टेशन का औसत समय 20 मिनट होता है।

यह शोध यूनाइटेड किंगडम के कई अस्पतालों के शोधकर्ताओं ने किया था।

जर्नल में कहा गया है, ''यह चिंता की बात है कि 18 ऐसे देश, जहां की दुनिया की 50 फीसदी आबादी रहती है। यहां का औसत कंसल्टेशन टाइम 5 या इससे कम मिनट है।

स्टडी के मुताबिक, मरीज ज्यादा वक्त फार्मेसी में या ऐंटीबायॉटिक दवाएं खाकर बिता रहे हैं और उनके डॉक्टरों से रिश्ते उतने अच्छे नहीं है।

कंसल्टेशन का वक्त कम होने का मतलब है कि हेल्थकेयर सिस्टम में ज्यादा बड़ी समस्या है। भारत के परिपेक्ष्य में लोकल एक्सपर्ट्स का कहना है कि ये अस्पतालों में भीड़ और प्राइमरी केयर फिजिशन की कमी को दर्शाता है। प्राइमरी केयर डॉक्टर कंसल्टेंट्स से अलग होते हैं जो कि मेडिसिन की खास ब्रांच में ट्रेनिंग पाए होते हैं।

भारत में कंसल्टेशन को दो मिनट का वक्त मिलने वाली बात से किसी को भी हैरानी नहीं हुई। हेल्थ कंमेंटेटर रवि दुग्गल का कहना है, ''यह बात सभी को पता है कि अस्पतालों में भीड़भाड़ के चलते डॉक्टर मरीजों को कम वक्त दे पाते हैं।''

डॉ दुग्गल के मुताबिक, ''कोई नई बात नहीं है कि डॉक्टर मरीजों के लक्षणों में भ्रमित हो जाएं।''

वहीं प्राइवेट क्लीनिक और अस्पतालों में भी भीड़ का यही हाल है। यहां डॉक्टर सिर्फ लक्षण पूछते हैं और बहुत कम ही शारीरिक परीक्षण कर पाते हैं।

वेस्टर्न और इंडियन कंसल्टेशन में बीमारियों में फर्क होता है। महाराष्ट्र के डॉक्टर सुहास बताते हैं, ''स्वीडन में मरीज को वायरल फीवर के बजाय साइकोसोशल समस्या होती है। वही भारत में अगर डॉक्टर को हवा में मौजूद किसी खास तरह के वायरस के बारे में जानकारी है तो वह कई लोगों का आसानी से इलाज कर सकता है।'' बी एम जे ओपन स्टडी में कई देशों की स्वास्थ्य सेवाओं की ख़राब हालत को देखा गया।

दिल्ली में चार गुना बढ़ाई गई वाहन पार्किंग की फीस

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए प्रशासन ने मंगलवार को वाहन पार्किंग शुल्क चार गुना बढ़ा दिया। यह निर्णय सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त पर्यावरण प्रदूषण निवारण और नियंत्रण प्राधिकरण (ई पी सी ए) की एक बैठक में लिया गया, ताकि लोग निजी वाहनों का कम इस्तेमाल करें।

दिल्ली में वायु प्रदूषण की स्थिति अधिक बदतर हो गई है और मंगलवार को यह खतरनाक स्तर पर पहुंच गया। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में साल की सबसे खराब हवा की गुणवत्ता और धुंध की स्थिति देखी गई, जो दिवाली के बाद से अधिक खराब है। दिल्ली के आसमान में धुंध की पीली चादर छाई हुई है।

उल्लेखनीय है कि 21 सक्रिय प्रदूषण निगरानी केंद्रों में से 18 में वायु गुणवत्ता गंभीर दर्ज किए गए। इसके साथ ही प्रदूषण खतरनाक स्तर तक पहुंच गया है।

बीती शाम से वायु की गुणवत्ता और दृश्यता में तेजी से गिरावट आ रही है तथा नमी और प्रदूषकों के मेल के कारण शहर में घनी धुंध छा गई है। यह अत्यंत गंभीर से बेहतर स्थिति है, लेकिन वैश्विक मानकों के मुताबिक, यह भी खतरनाक है।

अगर स्थिति और खराब होती है और कम से कम 48 घंटों तक बनी रहती है तो जी आर ए पी के तहत आने वाला कार्यबल स्कूलों को बंद कर सकता है और सम-विषम (आॅड-ईवन) योजना को फिर शुरू कर सकता है।

इस सिलसिले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरंविद केजरीवाल ने शहर में बढ़ते प्रदूषण के मद्देनजर मंगलवार को उप मुख्यमंत्री एवं शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया से स्कूलों को कुछ दिन तक बंद रखने पर विचार करने को कहा। इसके बाद सिसोदिया ने शिक्षा, स्वास्थ्य और पर्यावरण विभागों के अधिकारियों की बैठक बुलाई है।

सिसोदिया ने पर्यावरण विभाग को मंगलवार शाम तक शहर के प्रदूषण स्तर पर एक रिपोर्ट देने का निर्देश भी दिया है। उन्होंने बताया कि दिल्ली सरकार रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद स्कूलों को बंद करने और हफ्ते के अलग-अलग दिनों में सम-विषम नंबर के हिसाब से गाड़ियां चलाने की योजना के विषयों पर अंतिम निर्णय लेगी।

दिल्ली-एनसीआर में छाई जहरीली धुंध

भारत के दिल्ली में मंगलवार को वायु प्रदूषण बेहद गंभीर स्तर पर पहुंच गया। प्रदूषण परमीसिबल स्टैंडर्ड (सहन करने लायक स्तर) से कई गुना अधिक होने के कारण पूरी दिल्ली धुंध की मोटी चादर में लिपट गई।

बीती शाम से वायु की गुणवत्ता और दृश्यता में तेजी से गिरावट आ रही है तथा नमी और प्रदूषकों के मेल के कारण शहर में घनी धुंध छा गई है।

मंगलवार सुबह दस बजे तक केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने हवा की गुणवत्ता को बेहद गंभीर स्थिति में बताया जिसका मतलब यह है कि प्रदूषण बेहद खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है।

वर्तमान हालात के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर गठित पर्यावरण प्रदूषण रोकथाम एवं नियंत्रण प्राधिकरण (ई पी सी) द्वारा ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (जी आर ए पी) के तहत तय उपाय इस्तेमाल में लाए जा सकते हैं जिसमें पार्किंग शुल्क को चार गुना बढ़ाया जाना शामिल है।

अगर स्थिति और खराब होती है और कम से कम 48 घंटों तक बनी रहती है तो जी आर ए पी के तहत आने वाला कार्यबल स्कूलों को बंद कर सकता है और सम-विषम (आॅड-ईवन) योजना को फिर शुरू कर सकता है।

पिछली बार हवा की गुणवत्ता दीपावली के एक दिन बाद 20 अक्टूबर को बेहद गंभीर स्थिति में पहुंची थी। तब से प्रदूषण के स्तर पर लगातार निगरानी रखी जा रही है और हवा की गुणवत्ता काफी खराब स्तर पर बनी हुई है। यह अत्यंत गंभीर से बेहतर स्थिति है, लेकिन वैश्विक मानकों के मुताबिक यह भी खतरनाक है।

वायु गुणवत्ता बेहद खराब होने का मतलब है कि लंबे समय तक इसके संपर्क में आने पर लोगों को सॉंस संबंधी परेशानी हो सकती है, जबकि बेहद गंभीर स्तर पर होने का मतलब है कि यह सेहतमंद लोगों पर भी असर डाल सकती है और सॉंस तथा दिल के मरीजों को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती है।

सी पी सी बी के एयर लैब प्रमुख दीपांकर साहा ने बताया कि हवा बिलकुल भी नहीं चल रही जिस वजह से यह हालात बने हैं। वहीं, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आई एम ए) ने दिल्ली में हवा के खराब गुणवत्ता को देखते हुए इसे पब्लिक हेल्थ के लिए बेहद हानिकारक बताया है। आई एम ए के प्रेसिडेंट डॉ. के के अग्रवाल ने स्कूल बंद करने और लोगों को घर से बाहर ना जाने की अपील की है।

मौसम में मौजूद नमी ने जमीन पर स्थित स्रोतों से निकलने वाले प्रदूषकों को वहीं पर रोक दिया है। मौसम का हाल बताने वाली निजी एजेंसी स्कायमेट का कहना है कि पड़ोसी राज्य पंजाब और हरियाणा में बड़े पैमाने पर पराली जलाई जा रही है और वहां से हवा दोपहर के वक्त शहर में प्रवेश कर रही है। सी पी सी बी ने पड़ोसी शहर नोएडा और गाजियाबाद में भी हवा की गुणवत्ता बेहद गंभीर बताई है।

मैकडोनाल्डस बर्गर नहीं म‍िलेंगे: भारत भर में बंद होंगे 169 आउटलेट

मैकडोनाल्डस इंडिया ने कनाट प्लाजा रेस्टोरेंट लिमिटेड सी पी आर एल द्वारा पूरे भारत में चलाए जा रहे सभी 169 रेस्त्राओं के लिए व्यावसायिक करार खत्म कर दिया है।

कंपनी ने सी पी आर एल पर अनुबंध की शर्तों के उल्लंघन व भुगतान में चूक का आरोप लगाते हुए यह कदम उठाया है और इससे वह अब मैकनोनाल्ड के नाम, चिन्ह, प्रणालियों और बौद्धिक सम्पदा का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगी।

मैक्डी के प्रचलित नाम से जानी जाने वाली मैकडोनाल्डस अमेरिका की एक प्रमुख बर्गर रेस्त्रां कंपनी है और मैकडोनाल्ड्स इंडिया इसकी भारतीय अनुषंगी है।

आपसी समझौता रद्द करने के इस नोटिस से सी पी आर एल अपने बिक्री केंद्रों पर मैक्डोनाल्डस के ब्रांड का इस्तेमाल नहीं कर पाएगी। इन केंद्रों पर हजारों की संख्या में कर्मचारी हैं।

उद्यमी विक्रम बख्शी की अगुवाई वाली सी पी आर एल का मैकडोनाल्ड्स इंडिया से विवाद चल रहा था। यह विवाद कंपनी के प्रबंधन को लेकर था। सी पी आर एल में बक्शी और मैकडोनाल्ड्स इंडिया आधे-आधे की भागीदार हैं।

मैक्डोनाल्डस ने हालांकि कहा है कि कर्मचारियों, आपूर्तिकर्ताओं व जमीन मालिकों आदि प्रभावितों की दिक्कतों को दूर करने को प्राथमिकता दी जाएगी। कंपनी इसके लिए सी पी आर एल के साथ काम करने तो तैयार है।

फ्रैंचाइजी समझौता खत्म किए जाने के बाद अब सी पी आर एल को अमेरिकी कंपनी के नाम, व्यावसायिक प्रतीक चिन्ह, डिजाइन और उससे जुड़ी बौद्धिक संपदा आदि के इस्तेमाल करने का अधिकार नहीं रहेगा।

ये शर्तें करार खत्म किए जाने के नोटिस के 15 दिन के अंदर लागू हो जाएंगी।

इस निर्णय से कुछ सप्ताह पहले ही सी पी आर एल ने दिल्ली के अपने 43 रेस्त्रां बंद कर दिए थे क्योंकि स्थानीय नगर निकाय ने मैकडोनाल्ड्स के नाम से चल रही इन दुकानों का लाइसेंस का नवीनीकरण करने से मना कर दिया था।

दार्जिलिंग की अशांति से सिक्किम को मिल रहा है फायदा

पर्यटन के लिहाज से सबसे अधिक कमाई वाले इस सीजन में दार्जिलिंग में अशांति का लाभ सिक्किम को मिल रहा है क्योंकि गोरखा जनमुक्ति मोर्चा आंदोलन के कारण पर्यटक दार्जिलिंग के बजाए यहां का रुख कर रहे हैं। सिक्किम पर्यटन सचिव सी जांगपो ने कहा, ''दार्जिलिंग में तनाव के कारण यहां पर्यटन उद्योग में अचानक उछाल आ गया है।''

दार्जिलिंग में गोरखा जनमुक्ति मोर्चा आंदोलन के कारण वहां जाने की योजना बनाने वाले कई घरेलू एवं विदेशी पर्यटकों ने अपनी बुकिंग रद्द करा दी हैं और उन्होंने सिक्किम जाने की योजना बनाई है।

जांगपो ने कहा, ''गंगटोक में पर्यटन संबंधी प्रतिष्ठानों में इस समय बहुत से ग्राहक हैं और आगामी कई दिनों के लिए वहां बुकिंग पूरी हो चुकी हैं।''

सिक्किम पर्यटन सचिव ने कहा कि सिक्किम घूमने आए लगभग सभी पर्यटक या तो यात्रा के अपने दूसरे चरण में दार्जिलिंग जाने वाले थे या यहां आने से पहले वे दार्जिलिंग गए थे। ट्रैवल ऑपरेटरों को इस बात की चिंता है कि इतनी अधिक संख्या में पर्यटकों का प्रबंध करना मुश्किल है और सचिव ने भी इस प्रकार की चिंता व्यक्त की।

जांगपो ने कहा, ''हमने ट्रैवल ऑपरेटरों और होटलों से सेवा मानकों से समझौता किए बिना अधिक से अधिक संख्या में पर्यटकों को सेवाएं देने को कहा है क्योंकि इस संबंध में किसी भी प्रकार के कुप्रबंधन से पर्यटक उद्योग की बदनामी हो सकती है।''

कोलकाता के एक पर्यटक शांतनु बोस ने कहा, ''हम छुट्टियां मनाने दार्जिलिंग गए थे, लेकिन तभी यह सब (आंदोलन) हो गया। हमारे ट्रैवल एजेंट ने सिक्किम में ऑपरेटरों से तत्काल संपर्क किया और हम भाग्यशाली रहे कि हमें बुकिंग मिल गई।'' बोस ने यहां मीडिया को बताया कि कई पर्यटकों को बुकिंग नहीं मिल पाने के कारण दार्जिलिंग से ही लौटना पड़ा।