दक्षिण भारत

आप की तरह, मुझे भी आंध्र प्रदेश के महान नेताओं पर गर्व है: राहुल गांधी

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कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कुरनूल, आंध्र प्रदेश में सभा को संबोधित किया

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लाइव: कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कुरनूल, आंध्र प्रदेश में सभा को संबोधित किया

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कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कुर्नूल, आंध्र प्रदेश के छात्रों के साथ बातचीत किया

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तेलंगाना मतदाता सूची विसंगतियाँ : कांग्रेस मुख्यालय में अभिषेक मनु सिंघवी द्वारा एआईसीसी प्रेस ब्रीफिंग

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तेलंगाना विधानसभा विघटन: रामचंद्र खुंटिया और उत्तम कुमार रेड्डी द्वारा एआईसीसी प्रेस ब्रीफिंग

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भीमा-कोरेगांव केस: सुप्रीम कोर्ट का पांच मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी पर रोक

भारत में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को महाराष्ट्र पुलिस की ओर से भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में हिरासत में लिए गए सभी पांच मानवाधिकार कार्यकताओं की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी। लेकिन महाराष्ट्र पुलिस को उन्हें अपने घरों में अगली सुनवाई यानी 6 सितंबर तक नजरबंद रखने की अनुमति दे दी। साथ ही भारत की केंद्र और महाराष्ट्र सरकार से मामले में 5 सितंबर तक जवाब देने को कहा।

भारत के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने इस याचिका का उल्लेख कर इस पर बुधवार को ही सुनवाई करने का अनुरोध किया था। इस पर मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस ए एम खानविल्कर और जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने विशेष सुनवाई अदालत का समय पूरा हो जाने पर साढ़े चार बजे के बाद सुनवाई की। दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने आरोपियों को 6 सितंबर तक घर में ही नजरबंद करने का आदेश दिया।

सुनवाई के दौरान पीठ ने टिप्पणी की कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में मतभेद सेफ्टी वाल्व की तरह होते हैं। अगर इन्हें रोका गया तो प्रेशर कुकर फट जाएगा। साथ ही महाराष्ट्र पुलिस की ओर से घटना के नौ महीने बाद गिरफ्तारी पर सवाल किए।

सुनवाई के दौरान आरोपियों की ओर से वरिष्ठ वकीलों ए एम सिंघवी, इंदिरा जयसिंह, राजीव धवन, दुष्यतं दवे, राजू रामचंद्रन, अमरेंद्र शरण और सी यू सिंह ने बहस की। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र पुलिस द्वारा की गई गिरफ्तारी असहमति को कुचलने का प्रयास है। ये लोग आदिवासियों के लिए काम कर रहे हैं। इनमें से एक वकील सुधा भारद्वाज ने अमेरिका की नागरिकता छोड़कर आदिवासियों के लिए काम करने का फैसला किया है। उन्हें भी गिरफ्तार करने पुलिस आ गई। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष दिसंबर में भीमा कोरेगांव में हुई हिंसा में यह लोग मौके पर भी नहीं थे। लेकिन फिर भी उन्हें अभियुक्त बनाया गया है।

महाराष्ट्र सरकार की ओर से ए ए ए जी तुषार मेहता ने बहस की। उन्होंने कहा कि अजनबी लोग आरोपियों के लिए रिट याचिका देकर जमानत की मांग नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि कोई भी आरोपी सुप्रीम कोर्ट में नहीं आया है। वहीं दिल्ली हाईकोर्ट इस मामले को सुन ही रहा है।

आरोपियों की ओर से पेश सिंघवी ने कहा कि याचिका में व्यापक मुद्दा उठाया गया है। यह अनुच्छेद 21 के तहत व्यक्तिगत अधिकारों का मामला है। वहीं इसमें से दो लोग गौतम नवलखा और सुधा भारद्वाज संबंधित हाईकोर्ट गए हैं। लेकिन मुख्य न्यायाधीश ने सख्ती से इस तर्क को ठुकरा दिया।

कार्यकताओं के लिए इतिहासकार रोमिला थापर, प्रभात पटनायक, देवकी जैन, सतीष देशपांडे और माजु दारूवाला ने संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत रिट याचिका दायर की थी।

महाराष्ट्र पुलिस ने मंगलवार को अखिल भारतीय छापों में गौतम नवलखा को दिल्ली से, सुधा भारद्वाज को फरीदबाद से, वरवरा राव को आंध्रप्रदेश से और अरुण फरेरा व वर्नोन गोंजाल्विस को गिरफ्तार कर लिया था। नवलखा और भारद्वाज को हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र पुलिस को ले जाने से रोक दिया था और उन्हें नजरबंद रखने का आदेश दिया था।

याचिका पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि भीमा-कोरेगांव मामले में गिरफ्तार सभी पांच मानवाधिकार कार्यकताओं को जेल नहीं भेजा जाए, बल्कि अगली 6 सितंबर तक घर में नजरबंद रखा जाए। इसके साथ ही केंद्र और महाराष्ट्र सरकार से 5 सितंबर तक मामले में अपना पक्ष रखने को कहा। पीठ ने महाराष्ट्र पुलिस से भी घटना के नौ महीने बाद इन लोगों की गिरफ्तारी पर भी सवाल उठाया।

गौरतलब है कि पुणे के नजदीक एलगार परिषद ने 31 दिसंबर 2017 को एक कार्यक्रम आयोजित किया था, जिसकी वजह से भीमा-कोरेगांव में हिंसा हुई। पुलिस ने इस हिंसा में कथित भूमिका के आरोप में ये गिरफ्तारियां की।

केरल बाढ़ : राज्य को फिर से पटरी पर लाना एक बेहद चुनौतीपूर्ण काम है

केरल में भारी बारिश और उसके बाद आई बाढ़ से तबाही का आलम ये है कि फिलहाल भले ही पानी घट रहा हो, लेकिन इस आपदा से निकलने के लिए केरल के लोगों को वर्षों लग जाएंगे। बर्बादी के असर को कम कर आम जनजीवन को सामान्य बनाने की दिशा में जिन महत्वपूर्ण कदमों को उठाया जाएगा, उसे लागू करने में ही काफी वक्त लग जाएंगे।

सबसे ज्यादा बाढ़ से प्रभावित जिले हैं इडुक्की, मलप्पुरम, कोट्टयम और एर्नाकुलम। केरल सरकार का यह अनुमान है कि इससे करीब 20 हजार करोड़ रुपये की बर्बादी हुई है। सरकारी अधिकारियों का कहना है कि राज्य की इस समय प्राथमिकता लोगों को बचाना और बाढ़ प्रभावित लाखों लोगों तक राहत सामग्री पहुंचाना है। हालांकि, उन्होंने यह माना कि राज्य को फिर से पटरी पर लाना एक बेहद चुनौतीपूर्ण काम है।

केरल के मुख्यमंत्री पिनारई विजयन से जब सोमवार को पुनर्निर्माण को लेकर उनकी योजना के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ''मुश्किल दिन अभी आने बाकी हैं।'' उन्होंने कहा, ''करीब दस लाख से ज्यादा लोग राहत कैम्पों में हैं और इस समय वे हमारी प्राथमिकता हैं। हम जानमाल के नुकसान का आकलन कर रहे हैं।''
 
सरकार का यह अनुमान है कि करीब एक लाख इमारतें जिनमें लोगों के घर भी शामिल हैं और 10 हजार किलोमीटर राजमार्ग और सड़कें बर्बाद हुई हैं। जबकि, सैकड़ों पुल बाढ़ में बह गए और लाखों हेक्टेयर फसल तबाह हो गई। अधिकारी ने बताया कि राहत और बचाव कार्य पूरी होने के बाद सरकार नुकसान के सही आकलन की प्रक्रिया शुरू करेगी।

केरल बाढ़ राहत पर कांग्रेस मुख्यालय में जयवीर शेरगिल द्वारा एआईसीसी प्रेस ब्रीफिंग

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रणदीप सिंह सुरजेवाला ने केरल बाढ़ की स्थिति पर मीडिया को संबोधित किया

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