अर्थव्यवस्था

गुजरात बिटकॉइन घोटाला: कांग्रेस मुख्यालय में शक्तिसिंह गोहिल द्वारा एआईसीसी प्रेस ब्रीफिंग

गुजरात बिटकॉइन घोटाला: कांग्रेस मुख्यालय में शक्तिसिंह गोहिल द्वारा एआईसीसी प्रेस ब्रीफिंग

प्रेस ब्रीफिंग के मुख्य अंश

- भाजपा नेताओं के लिए नोटबन्दी एक जैकपॉट बन गया।

- सूरत में नोटबन्दी के बाद, पुराने नोट्स को बिटकॉइन में परिवर्तित कर दिया गया।

- गुजरात के एक दैनिक समाचार पत्र ने ₹ 88000 करोड़ के पुराने नोटों के बारे में बताया कि ये पुराने नोट बिटकॉइन में परिवर्तित हो गए थे।

- सूरत के निवासी शैलेश बाबूलाल भट से पहले, सीबीआई निरीक्षक और अमरेली पुलिस ने बिटकॉइन निकाले थे। शैलेश के शिकायत दर्ज कराने के बाद, सीआईडी ने उसे शिकायतकर्ता नहीं बनाया।

- जांच के बाद यह पता चला कि आईपीएस भी इसमें शामिल है और इसके पीछे मास्टरमाइंड भाजपा नेता नलिन कोटडिया है। अब नलिन कोटडिया गायब है।

- सरकार, ईडी, आईटी विभाग कर्नाटक के नेताओं पर छापा मार सकते हैं, लेकिन जब वे समाचार पत्र ₹ 88000 करोड़ के बिटकॉइन घोटाले की सूचना देते हैं तो वे चुप क्यों हैं।

- बिटकॉइन घोटाले की जांच क्यों नहीं की जा रही है? यदि मोदी सरकार कर्नाटक में नेताओं की जांच के लिए सीबीआई और ईडी भेज सकती है, तो गुजरात में बीजेपी नेताओं की जांच क्यों नहीं की जा रही?

मोदी ने किसानों को धोखा दिया : कांग्रेस मुख्यालय में रणदीप सिंह सुरजेवाला द्वारा एआईसीसी प्रेस ब्रीफिंग

मोदी ने किसानों को धोखा दिया : कांग्रेस मुख्यालय में रणदीप सिंह सुरजेवाला द्वारा एआईसीसी प्रेस ब्रीफिंग

प्रेस ब्रीफिंग के मुख्य अंश

- मई 2014 में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों से झूठे वादे कर समर्थन प्राप्त किया, लेकिन पिछले 4 वर्षों में किसानों को सही एमएसपी नहीं मिला।

- मोदी सरकार जानबूझकर जनता के सामने कृषि लागत और मूल्य आयोग के दिशानिर्देशों का खुलासा नहीं कर रही है। यह किसानों के साथ विश्वासघात नहीं है, तो क्या है?

- कृषि लागत और मूल्य आयोग के दिशानिर्देश के अनुसार, आज घोषित एमएसपी कृषि उत्पादों की लागत से 50 फीसदी से अधिक नहीं है।

- एमएसपी घोषित करते समय मोदी सरकार इन तीन महत्वपूर्ण मुद्दों की उपेक्षा कर रही है:
1. डीजल लागत में ₹ 11 की वृद्धि हुई है।
2. पिछले 6 महीनों में, उर्वरक महंगा हो गया है।
3. कीटनाशक और बिजली पहले की तुलना में महंगा है।

स्विस बैंकों में धन: भारत 88वें स्थान से 73वें स्थान पर पहुंचा

स्विस बैंकों में किसी देश के नागरिक और कंपनियों द्वारा धन जमा कराने के मामले में 2017 में भारत 73वें स्थान पर पहुंच गया। इस मामले में ब्रिटेन शीर्ष पर बना हुआ है। वर्ष 2016 में भारत का स्थान इस मामले में 88वां था।

हाल में जारी स्विस नेशनल बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2017 में स्विस बैंकों में भारतीयों की जमा राशि में 50 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है और यह करीब 7,000 करोड़ रुपये हो गयी। 2016 में इसमें 44 फीसदी की गिरावट आई थी और भारत का स्थान 88 वां था।

इस सूची में पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान का स्थान भारत से एक ऊपर यानी 72 वां हो गया है। हालांकि यह उसके पिछले स्थान से एक कम है क्योंकि उसके द्वारा जमा किए जाने वाले धन में 2017 के दौरान 21 फीसदी कमी आयी है। स्विस नेशनल बैंक की रिपोर्ट में इस धन को उसकी ग्राहकों के प्रति देनदारी के रुप में दिखाया गया है। इसलिए यह स्पष्ट नहीं होता कि इसमें से कितना कथित कालाधन है।

स्विट्जरलैंड के केंद्रीय बैंक द्वारा इन आधिकारिक आंकड़ों को सालाना आधार पर जारी किया जाता है। इन आंकड़ों में भारतीयों, अनिवासी भारतीयों और अन्य द्वारा अन्य देशों से इकाइयों के नाम पर जमा कराया गया धन शामिल नहीं है। अक्सर यह आरोप लगाया जाता है कि भारतीय और अन्य देशों के लोग अपनी अवैध कमाई को स्विस बैंकों में जमा कराते हैं, जिसे टैक्स से बचने की सुरक्षित पनाहगाह माना जाता है।

हालांकि स्विट्जरलैंड ने भारत समेत कई देशों के साथ स्वत: सूचना साझा करने की संधि पर हस्ताक्षर किए हैं। इससे अब भारत को अगले साल जनवरी से स्विस बैंक में धन जमा करने वालों की जानकारी स्वत: मिलना शुरु हो जाएगी। उल्लेखनीय है कि धन के हिसाब से 2015 में भारत का स्थान इस सूची में 75 वां और 2014 में 61वां था। ब्रिटेन इस सूची में पहले और अमेरिका दूसरे स्थान पर है।

शीर्ष दस देशों की सूची में वेस्ट इंडीज, फ्रांस, हांगकांग, बहामास, जर्मनी, गुएर्नसे, लक्जमबर्ग और केमैन आईलैंड शामिल है। ब्रिक्स देशों की सूची में चीन का स्थान 20वां, रूस का 23वां, ब्राजील का 61वां, दक्षिण अफ्रीका का 67वां है। पड़ोसी मुल्कों में मॉरीशस का स्थान 77वां , बांग्लादेश का 95वां, श्रीलंका का 108वां, नेपाल का 112वां और अफगानिस्तान का 155वां स्थान है।

वर्ष 1996 से 2007 के बीच भारत इस सूची में शीर्ष 50 देशों में शामिल था। उसके बाद 2008 में वह 55वें, 2009 और 2010 में 59वें, 2011 में 55वें, 2012 में 71वें और 2013 में 58वें स्थान पर रहा।

असफल जीएसटी: पी चिदंबरम, मनप्रीत बादल और गौरव वल्लभ द्वारा एआईसीसी प्रेस ब्रीफिंग

असफल जीएसटी: पी चिदंबरम, मनप्रीत बादल और गौरव वल्लभ द्वारा एआईसीसी प्रेस ब्रीफिंग

स्विस बैंकों में भारतीयों का पैसा 50 प्रतिशत बढ़ा : प्रियंका चतुर्वेदी और गौरव वल्लभ द्वारा एआईसीसी प्रेस ब्रीफिंग

स्विस बैंकों में भारतीयों का पैसा 50 प्रतिशत बढ़ा : प्रियंका चतुर्वेदी और गौरव वल्लभ द्वारा एआईसीसी प्रेस ब्रीफिंग

प्रेस ब्रीफिंग के मुख्य अंश

- स्विस बैंकों में भारतीय धन की वृद्धि के बाद, हम फिर से पूछते हैं, हमारा वित्त मंत्री कौन है? सरकार क्यों है? आम आदमी की कीमत पर इन काले धन जमाकर्ताओं की रक्षा क्यों की जा रही है?

- मैं इस देश के असली और नकली वित्त मंत्री को याद दिलाना चाहता हूँ कि नोटबंदी ने पीएम मोदी के 'सूट-बूट' वाले दोस्तों को काले धन को सफेद में बदलने में मदद की। हमने अमित शाह और सहकारी बैंकों के मामले में सबसे बड़ा उदाहरण देखा है।

- क्या पीएम और एफएम हमें जवाब देंगे कि वे अपने दोस्तों का बचाव क्यों कर रहे हैं जो विदेशी बैंक खाते धारण कर रहे हैं?

रुपया सबसे निम्न स्तर पर : कांग्रेस मुख्यालय में आरपीएन सिंह द्वारा एआईसीसी प्रेस ब्रीफिंग

रुपया सबसे निम्न स्तर पर : कांग्रेस मुख्यालय में आरपीएन सिंह द्वारा एआईसीसी प्रेस ब्रीफिंग

मोदी शासनकाल के दौरान स्विस बैंकों में भारतीयों की संपत्ति में 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई

मोदी शासनकाल में भारतीयों का स्विस बैंकों में जमा धन 50 फीसदी बढ़ गया है। चार साल में पहली बार स्विस बैंक में जमा धन बढ़ कर पिछले साल एक अरब स्विस फैंक (7,000 करोड़ रुपये) के दायरे में पहुंच गया है। यह आंकड़ा एक साल पहले की तुलना में 50 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है।

स्विट्जर लैंड के केंद्रीय बैंक के ताजा आंकड़ों में यह बात सामने आयी है। इसके अनुसार, भारतीयों द्वारा स्विस बैंक खातों में रखा गया धन 2017 में 50 फीसदी से अधिक बढ़कर 7000 करोड़ रुपये (1.01 अरब फ्रेंक) हो गया।

इससे पहले तीन साल यहां के बैंकों में भारतीयों के जमा धन में लगातार गिरावट आई थी। अपनी बैंकिंग गोपनीयता के लिए पहचान बनाने वाले स्विट्जर लैंड में भारतीयों के जमाधन में ऐसे समय दिखी बढ़ोत्तरी हैरान करने वाली है, जबकि भारत सरकार विदेशों में कालाधन रखने वालों के खिलाफ अभियान चलाए हुए है।

स्विस नेशनल बैंक (एस एन बी) के सालाना आंकड़ों के अनुसार, स्विस बैंक खातों में जमा भारतीय धन 2016 में 45 प्रतिशत घटकर 67.6 मिलियन फ्रेंक (लगभग 4500 करोड़ रुपये) रह गया। यह राशि 1987 से इस आंकड़े के प्रकाशन की शुरुआत के बाद से सबसे कम थी।

एस एन बी के आंकड़ों के अनुसार, भारतीयों द्वारा स्विस बैंक खातों में सीधे तौर पर रखा गया धन 2017 में लगभग 6891 करोड़ रुपये (99.9 मिलियन फ्रेंक) हो गया। वहीं प्रतिनिधियों या धन प्रबंधकों के जरिए रखा गया धन इस दौरान 112 करोड़ रुपये (1.62 मिलियन फ्रेंक) रहा।

ताजा आंकड़ों के अनुसार, स्विस बैंक खातों में जमा भारतीयों के धन में ग्राहक जमाओं के रूप में 3200 करोड़ रुपये, अन्य बैंको के जरिए 1050 करोड़ रुपये शामिल है। इन सभी मदों में भारतीयों के धन में आलोच्य साल में बढ़ोत्तरी हुई।

स्विस बैंक खातों में रखे भारतीयों के धन में 2011 में इसमें 12 फीसदी, 2013 में 43 फीसदी, 2017 में इसमें 50.2 फीसदी की वृद्धि हुई। इससे पहले 2004 में यह धन 56 फीसदी बढ़ा था। एस एन बी के ये आंकड़े ऐसे समय में जारी किए गए हैं, जबकि कुछ महीने पहले ही भारत और स्विटजरलैंड के बीच सूचनाओं के स्वत: आदान-प्रदान की एक नयी व्यवस्था लागू की गई है। इस व्यवस्था का उद्देश्य काले धन की समस्या से निजात पाना है।

इस बीच स्विटजरलैंड के बैंकों का मुनाफा 2017 में 25 फीसदी बढ़कर 9.8 अरब फ्रेंक हो गया। हालांकि इस दौरान इन बैंकों के विदेशी ग्राहकों की जमाओं में गिरावट आई। इससे पहले 2016 में यह मुनाफा घटकर लगभग आधा 7.9 अरब फ्रेंक रह गया था।

बैंक लूट घोटाला: कांग्रेस मुख्यालय में रणदीप सिंह सुरजेवाला द्वारा एआईसीसी प्रेस ब्रीफिंग

बैंक लूट घोटाला: कांग्रेस मुख्यालय में रणदीप सिंह सुरजेवाला द्वारा एआईसीसी प्रेस ब्रीफिंग

सब्सिडी वाले गैस सिलेंडर में दो रुपये की बढ़ोत्तरी, गैर सब्सिडी वाले गैस सिलेंडर में 48 रुपये की बढ़ोत्तरी

भारत में तेल विपणन कंपनियों ने रसोई गैस सिलेंडर की कीमत में बढ़ोत्तरी की है। सब्सिडी वाला गैस सिलेंडर दो रुपये 34 पैसे और गैर सब्सिडी वाला गैस सिलेंडर 48 रुपये महँगा हो गया है।

राजधानी दिल्ली में आज से सब्सिडी का एलपीजी सिलेंडर 2.34 रुपये बढ़कर 493.55 रुपये का हो गया है। गैर सब्सिडी वाला गैस सिलेंडर 48 रुपये महँगा होकर 698.50 रुपये का मिलेगा।

भारत के तीन अन्य बड़े महानगरों में कोलकाता में कीमत क्रमश: 496.65 और 723.50 रुपये हो गई है। मुंबई में कीमत क्रमशः 491.31 और 671.50 रुपये तथा चेन्नई में 481.84 और 712.50 रुपये हो गई है।

उपभोक्ता को एक वित्तीय वर्ष में 12 सिलेंडर सब्सिडी पर मिलते हैं, जबकि इससे अधिक लेने पर गैर सब्सिडी वाले दाम देने पड़ते हैं। सब्सिडी वाली रसोई गैस की कीमत में दो माह के बाद बढ़ोत्तरी की गई है और गैर सब्सिडी वाली रसोई गैस की कीमत में पांच महीने के बाद बढ़ोत्तरी की गई है।

10 लाख बैंक कर्मचारी हड़ताल पर, बैंकिंग सेवाएं दो दिन ठप रहेंगी

भारत में सरकारी बैंकों के प्रबंधन भारतीय बैंक संघ के दो प्रतिशत वेतन वृद्धि के प्रस्ताव के विरोध में बैंक कर्मियों की दो दिवसीय हड़ताल आज से शुरु हो गई। इसके चलते देशभर के सरकारी बैंकों में बैंकिंग सेवाएं बाधित रहीं। हालांकि निजी क्षेत्र के आई सी आई सी आई बैंक, एच डी एफ सी बैंक और एक्सिस बैंक में काम सामान्य तौर पर चल रहा है। सिर्फ चेक क्लियरेंस जैसी कुछ सेवाएं बाधित हुई हैं।

हड़ताल के महीने के आखिर में पड़ने से बैंक शाखाओं से वेतन की निकासी प्रभावित हुई है, वहीं कुछ एटीएम मशीनों के प्रभावित होने की भी संभावना है। इसके अलावा शाखाओं में जमा, सावधि जमा का नवीनीकरण, सरकारी खजाने से जुड़े काम, मुद्रा बाजार से जुड़े इत्यादि अन्य कामों पर इस हड़ताल का असर देखा जा सकता है।

अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ के महासचिव सी एच वेंकटाचलम ने कहा कि बैंक और उनके कर्मचारी संघों के बीच कई दौर की वार्ताओं के विफल होने के बाद यूनियन फोरम ऑफ बैंकिंग यूनियन (यू एफ बी यू) ने प्रस्तावित दो प्रतिशत वेतन वृद्धि के विरोध में दो दिन की हड़ताल पर जाने का निर्णय किया है क्योंकि पिछली बार 15 फीसदी की वेतन वृद्धि दी गई थी। यू एफ बी यू नौ बैंकों के कर्मचारी संघों का सम्मिलित संगठन है।

अखिल भारतीय बैंक अधिकारी परिसंघ (ए आई बी ओ सी) के संयुक्त महासचिव रविंद्र गुप्ता ने कहा, ''इस तरह की वेतन वृद्धि का प्रस्ताव, एक तरह से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक कर्मियों का अपमान है। हमारे पास हड़ताल पर जाने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा था।''

उन्होंने कहा कि सरकार की मुद्रा योजना, जनधन योजना और नोटबंदी जैसी सभी योजनाओं की सफलता सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक सुनिश्चित करते हैं और बदले में उसके कर्मचारियों को सिर्फ दो प्रतिशत वेतन वृद्धि की पेशकश की जाती है। यह उन बैंक कर्मियों के साथ अन्याय है जो देश निर्माण में कठिन परिश्रम करते हैं।

वेंकटाचलम ने कहा कि देशभर में करीब 10 लाख बैंक कर्मी इस हड़ताल में भाग ले रहे हैं। उल्लेखनीय है कि भारत में 21 सरकारी बैंकों की करीब 85,000 शाखाएं हैं जिनकी बाजार हिस्सेदारी करीब 70 प्रतिशत है। इस हड़ताल में शामिल होने की जानकारी भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा समेत अधिकतर बैंकों ने पहले ही दे दी थी।