अर्थव्यवस्था

नीति आयोग उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने इस्तीफा दिया

अर्थशास्त्री डॉ. अरविंद पनगढ़िया ने मंगलवार (1 अगस्त) को नीति आयोग के उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। इस इस्तीफे के बाद अरविंद केवल 31 अगस्त तक ही उपाध्यक्ष पद का कार्य भार सम्भालेंगे और फिर नीति आयोग को दूसरा उपाध्यक्ष नियुक्त करना होगा।

नीति आयोग के कार्यों से फ्री होने के बाद अरविंद अमेरिका चले जाएंगे, जहां पर वे कॉलम्बिया विश्वविद्यालय में छात्रों को इकॉनोमिक्स पढ़ाएंगे। अरविंद 5 सितंबर यानि की शिक्षक दिवस पर विश्वविद्यालय ज्वाइन करेंगे।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अरविंद ने अपने इस्तीफे की जानकारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दे दी है। फिलहाल अभी उनके इस्तीफा को स्वीकार नहीं गया है क्योंकि मोदी बाढ़ ग्रस्त इलाकों में दौरे पर गए हुए हैं और वहां से वापस आने के बाद ही अरविंद के इस्तीफे और नए उपाध्यक्ष नियुक्त करने को लेकर विचार-विमर्श किया जाएगा।

आपको बता दें कि अरविंद पनगढ़िया दुनिया के सबसे अनुभवी अर्थशास्त्रियों में से एक हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अरविंद पहले भी कोलम्बिया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर थे, चूंकि इस विश्वविद्यालय से किसी भी शिक्षक को रिटायर नहीं किया जाता है, इसलिए उन्हें विश्वविद्यालय द्वारा दोबारा अपना पद सम्भालने के लिए नोटिस भेजा गया था। अरविंद से इस नोटिस में पूछा गया था कि क्या वे वापस आकर छात्रों को पढ़ाना चाहेंगे या नहीं क्योंकि उनकी गैर मौजूदगी में छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है।

सूत्रों का कहना है कि अरविंद की सबसे ज्यादा रुचि बच्चों को पढ़ाने में है और इस्तीफा देने के पीछे यही वजह है कि वे वापस विश्वविद्यालय जाकर छात्रों को इकॉनोमिक्स पढ़ाएंगे।

इससे पहले अरविंद पनगढ़िया एशियन डिवेलपमेंट बैंक के प्रमुख अर्थशास्त्री और मैरीलैंड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और को-डायरेक्टर भी रह चुके हैं।

अरविंद ने प्रिंसटन विश्वविद्यालय से इकॉनोमिक्स में पीएचडी की थी। वे वर्ल्ड बैंक, इंटरनेशनल मोनेटरी फंड, वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइज़ेशन और यूएनसीटीएडी में अलग-अलग पद पर काम कर चुके हैं। अरविंद करीब 10 किताब लिखा और ठीक कर चुके हैं। उन्होंने अपनी आखिरी किताब 'इंडिया: द इमरजिंग जियांट' लिखी थी जिसे 2008 में ऑक्सफॉर्ड विश्वविद्यालय में पब्लिश किया गया था।

नरेंद्र मोदी सरकार ने छोटे निवेशकों को दिया झटका

भारत में केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने छोटे निवेशकों को झटका दिया है। सरकार ने स्मॉल सेविंग स्कीम के तहत आने वाले पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (पीपीएफ) अकाउंट, किसान विकास पत्र (केवीपी) और राष्ट्रीय बचत पत्र (एन एस सी) पर मिलने वाले ब्याज में कटौती की है। शुक्रवार (30 जून) को सरकार ने इन छोटे निवेशों पर 10 बेसिस प्वाइंट इन्टेरेस्ट रेट में कटौती की है।

अब पीपीएफ और एनएससी पर 7.8 फीसदी ब्याज मिलेगा, जबकि केवीपी पर 7.5 फीसदी ब्याज मिलेंगे। इनके अलावा वरिष्ठ नागरिकों की बचत योजनाओं और सुकन्या समृद्धि योजना की ब्याज दरें भी फिर से निर्धारित की गई हैं। इकॉनोमिक टाइम्स की खबर के मुताबिक, इसे 8.3 फीसदी रखा गया है। नई दरें एक जुलाई से लागू होगी।

इससे पहले एनएससी और पीपीएफ खातों पर 7.9 फीसदी और किसान विकास पत्र पर 7.6 फीसदी ब्याज दिया जा रहा था। मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी सुकन्या समृद्धि योजना पर इससे पहले 8.4 फीसदी ब्याज दिया जा रहा था। इससे पहले 31 मार्च को भी ब्याज दरों में कटौती की गई थी। उस समय भी ब्याज दरों में 0.1 फीसदी की कटौती की गई थी।

गौरतलब है कि पीपीएफ को टैक्‍स बचाने का सबसे सुरक्षित जरिया माना जाता है। इस योजना में ब्‍याज दर सरकार निर्धारित करती है जिसके चलते हर साल बदलाव आता है। वर्तमान में पीपीएफ पर 7.9 प्रतिशत सालाना की दर से ब्‍याज मिलता था। कोई भी व्‍यक्ति किसी भी राष्‍ट्रीय बैंक, प्राइवेट बैंक या पोस्‍ट ऑफिस में 15 साल के लिए पीपीएफ खाता खुलवा सकता है। इसमें न्‍यूनतम 500 से लेकर डेढ़ लाख रुपये सालाना तक जमा करा सकता है। तीसरे साल से इस राशि पर लोन लिया जा सकता है। पीपीएफ पर मिलने वाले ब्‍याज पर भी टैक्‍स नहीं लगता है। खाता खुलाने के छह साल बाद आप एक तय राशि निकाल सकते हैं।

सातवें वेतन आयोग: केंद्र सरकार ने एचआरए व अन्‍य भत्‍तों को दी मंजूरी

भारत में केंद्र सरकार ने सातवें वेतन आयोग द्वारा भत्‍तों से जुड़ी सिफारिशों को मंजूरी दे दी है। इससे 47 लाख केन्‍द्रीय कर्मचारियों को फायदा होगा। नए भत्ते और पेंशन 1 जुलाई 2017 से लागू होंगे।

केंद्रीय वित्‍त मंत्री अरुण जेटली ने बुधवार को प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में इसका ऐलान किया। नए भत्ते और पेंशन से सरकार पर लगभग 30 हजार करोड़ का अतिरिक्त खर्च आएगा। तीन देशों की यात्रा से लौटे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कैबिनेट बैठक में यह फैसला लिया।

सरकार ने सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को 34 संशोधनों के साथ मंजूरी दी है। उन्‍होंने कहा, ''जो पे कमीशन के सुझाव थे कर्मचारियों के पक्ष में, उनकों स्‍वीकार करके उनमें सुधार किया गया।''

केंद्र ने नए बेसिक पे का 24 फीसदी, 16 फीसदी और 8 फीसदी बतौर एचआरए देने का फैसला किया है। शहर के आधार पर एचआरए का प्रतिशत तय किया जाएगा। चूंकि न्‍यूनतम वेतन 18,000 रुपए है इसलिए शहर के आधार पर कम से कम 5400, 3600 और 1800 रुपए से कम एचआरए नहीं मिलेगा। इससे करीब 7.5 लाख कर्मचारियों को फायदा होगा।

हालांकि केंद्रीय कर्मचारियों की मांग थी कि 30 फीसदी, 24 फीसदी और 16 फीसदी एचआरए दिया जाए।

इसके अलावा जिन भत्‍तों पर कैबिनेट ने फैसला लिया है, वे इस प्रकार हैं:

सियाचीन अलाउंस
वित्त मंत्रालय के मुताबिक, सेना के जवानों के लिए सियाचीन भत्ता को 14 हजार रुपये प्रति महीना से बढ़ाकर 30 हजार रुपये प्रति महीना कर दिया गया है। जबकि सेना के अफसरों के लिए ये भत्ता 21 हजार रुपये से बढ़ाकर 42 हजार 500 रुपये हर महीना कर दिया गया है।

नर्सों और मंत्रालय के अस्पताल के स्टाफ के लिए
केन्द्र सरकार ने नर्सिंग भत्ता को बढ़ा दिया है, अब नर्सिंग भत्ता 4800 रुपये से बढ़कर 7200 रुपये प्रति महीना हो गया है। ऑपरेशन थियेटर अलाउंस को 360 रुपये प्रति महीना से बढ़ाकर 540 रुपये कर दिया गया है। इसके अलावा पेशेंट केयर भत्ता को 2070-2100 रुपये प्रति महीना से बढ़ाकर 4100-5300 रुपये हर महीना कर दिया गया है।

पेंशन भोगियों के लिए
पेंशन भोगियों के लिए स्थायी मेडिकल अलाउंस को 500 रुपये प्रति महीना से बढ़ाकर 1000 रुपये कर दिया गया है। इसके अलावा पूर्ण अशक्तता पर कॉन्सटेंट अटेंडेंस अलाउंस को 4500 रुपये प्रति महीना से बढ़ाकर 6750 रुपये कर दिया गया है।

खाद्य पदार्थों की कीमतों में गिरावट से महंगाई दर में भारी गिरावट दर्ज की गई

खाद्य पदार्थों की कीमतों में गिरावट से महंगाई दर में मई महीने में भारी गिरावट दर्ज की गई है। खुदरा अथवा उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित महंगाई दर मई में घटकर 2.18 फीसदी रही जो पिछले साल के इसी महीने में 5.76 फीसदी थी।

आधिकारिक आंकड़ों से सोमवार को मिली जानकारी के अनुसार, अप्रैल में महंगाई दर 2.99 फीसदी रही थी। उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचंकाक में (सीएफपीआई) मई में अपस्फीति देखी गई और यह नकारात्मक 1.05 फीसदी रही, जबकि साल 2016 की समान अवधि में यह 7.45 फीसदी पर थी।

इसमें कमी आने का मुख्य कारण दालों, अनाजों और खराब होने वाली वस्तुओं की कीमतों में गिरावट है। मई में सब्जियों की कीमतों में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 13.44 फीसदी की गिरावट आई, दालों की कीमत में 19.44 फीसदी की तेज गिरावट आई। समीक्षाधीन माह में खाद्य पदार्थ और बेवरेज की कीमतों में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 0.22 फीसदी की गिरावट आई।

गैर खाद्य पदार्थ श्रेणी में 'ईधन और बिजली' के क्षेत्र में सबसे ज्यादा 5.46 फीसदी की मुद्रास्फीति दर रही। ग्रामीण सीपीआई की दर मई में बढ़कर 2.30 फीसदी रही, जबकि शहरी क्षेत्रों में खुदरा महंगाई दर 2.13 फीसदी रही। साल 2012 के बाद से मुद्रास्फीति की दर में यह सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई है।

इस संबंध में पिछले हफ्ते भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने वित्त वर्ष 2017-18 की अपनी दूसरी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में प्रमुख ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं किया और इसे 6.25 फीसदी पर बरकरार रखा था।

अब महंगाई दर के नये आंकड़े आने के बाद रिजर्व बैंक पर ब्याज दर घटाने का दबाव बढ़ सकता है। अगर रिजर्व बैंक ब्याज दर घटाता है तो बैंकों को आरबीआई से अधिक नगदी मिल सकेगी और इस वजह से कस्टमर्स को भी सस्ते लोन मिल सकेंगे।

अगर किसानों का कर्ज माफ किया तो बढ़ेगी महंगाई: आरबीआई

राज्य सरकारों द्वारा किसानों के कर्ज माफ करने पर चिंता जताते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बुधवार को कहा कि ऐसे कदम से वित्तीय घाटा और महंगाई में वृद्धि का खतरा बढ़ जाएगा।

आरबीआई के गवर्नर उर्जित पटेल ने रेपो रेट को यथावत रखने की जानकारी देते हुए संवाददाताओं से कहा, मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के प्रस्ताव में कहा गया है कि अगर बड़े पैमाने पर किसानों के ऋण माफ किए गए तो इससे वित्तीय घाटा बढ़ने का खतरा है।

उन्होंने कहा कि जब तक राज्यों के बजट में वित्तीय घाटा सहने की क्षमता नहीं आ जाती, तब तक किसानों के ऋण माफ करने से बचना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह पिछले 2-3 साल में हुए वित्तीय लाभ को घटा सकता है।

उन्होंने यह भी कहा कि वित्तीय घाटा बढ़ने से जल्द ही महंगाई भी बढ़ने लगेगी। पटेल ने कहा कि पहले भी देखा गया है कि किसानों के ऋण माफ करने से महंगाई बढ़ी है।

उन्होंने कहा, ''इसलिए हमें बेहद सावधानी से कदम रखने चाहिए, इससे पहले कि स्थिति नियंत्रण से बाहर हो जाए।''

उत्तर प्रदेश के बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी राज्य के इतिहास में सबसे बड़े कृषि ऋण माफी की घोषणा की है।

वहीं दूसरी ओर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति ने नीतिगत समीक्षा से पहले वित्त मंत्रालय के चर्चा के आग्रह को खारिज कर दिया। आरबीआई के गर्वनर उर्जित पटेल ने बुधवार को यह खुलासा किया। आरबीआई ने सरकार की उम्मीद को धता बताते हुए लगातार चौथी मौद्रिक नीति समीक्षा में प्रमुख ब्याज दर को 6.25 फीसदी पर यथावत रखा है।

पटेल ने चालू वित्त वर्ष की दूसरी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा की घोषणा करते हुए संवाददाताओं से कहा, ''जहां तक वित्त मंत्रालय द्वारा एमपीसी सदस्यों को बैठक के लिए दिए गए आमंत्रण का सवाल है। तो एमपीसी के सभी सदस्यों ने वित्त मंत्रालय के अनुरोध को ठुकरा दिया।''

हालांकि पटेल ने यह नहीं बताया कि वित्त मंत्रालय से यह आमंत्रण कब मिला था। पटेल से यह पूछा गया कि क्या मंत्रालय ने आरबीआई की स्वतंत्रता और स्वायत्तता पर हमला किया था। उन्होंने कहा, समिति ने इस आमंत्रण को स्वीकार नहीं किया। छह सदस्यीय एमपीसी ने पिछले साल अक्टूबर से दरों पर निर्णय लेने का काम शुरू किया है। यह पहली बार है कि सदस्यों के बीच सर्वसम्मति से निर्णय नहीं लिया गया। पांच सदस्यों ने दर यथावत रखने और एक सदस्य ने इसके विरोध में मतदान किया था। एमपीसी के छह सदस्यों में से तीन सरकार द्वारा नामित किए गए हैं, जबकि तीन सदस्य आरबीआई के हैं।

महंगाई की मार: पेट्रोल और डीजल की कीमतों में की गई बढ़ोत्तरी

भारत में महंगाई की मार झेल रही जनता को पेट्रोल और डीजल की कीमतों को लेकर फिर से झटका लगा है।

भारत में बुधवार (31 मई) को पेट्रोल और डीजल की कीमतों को बढ़ाने का फैसला लिया गया।

पेट्रोल की कीमत में 1.23 रुपए प्रति लीटर और डीजल की कीमतों में 0.89 रुपए प्रति लीटर की वृद्धि की गई है।

बढ़ी हुई कीमतें आधी रात के बाद से लागू हो गई।

इससे पहले 16 मई को ईधन की कीमतों की समीक्षा की गई थी। इस समय पेट्रोल और डीजल के दामों में कटौती की गई थी। पेट्रोल की कीमत में प्रति लीटर 2.16 रुपए और डीजल में 2.10 रुपए की कमी की गई थी।

बैंकों का ब्‍याज नहीं चुका रही अनिल अंबानी की कंपनी

उद्योगपति अनिल अंबानी की अगुआई वाली अनिल धीरूभाई अंबानी एंटरप्राइजेज की हालत क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों के अनुमान से कहीं ज्यादा खराब है। रिलायंस कम्युनिकेशन पर 10 से ज्यादा स्थानीय बैंकों का लोन बकाया है।

कई बैंकों ने तो अपनी एसेट बुक में स्पेशल मेंशन अकाउंट (एसएमए) के तौर पर रिलायंस के लोन को दर्ज कर लिया है। एसएमए लोन वो होते हैं जिसमें कर्ज लेने वाले ने ब्याज नहीं चुकाया होता। अगर तय तारीख से 30 दिनों तक इन लोन का भुगतान नहीं किया जाता तो उसे एसएमए 1 और 60 दिनों बाद उसे एसएमए 2 श्रेणी में डाल दिया जाता है।

अगर 90 दिनों के बाद भी बैंक को बकाया वापस नहीं किया जाता तो उसे नॉन परफॉर्मिंग असेट (एनपीए) में डाल दिया जाता है।

बिजनेस अखबार इकनॉमिक टाइम्स ने एक बैंक अधिकारी के हवाले से बताया कि अब तक देश के 10 बैंकों ने लोन को एसएमए 1 और एसएमए 2 में डाल दिया है। एक अन्य ने कहा कि एक हफ्ते बाद कुछ बैंकों को इस लोन को एनपीए में डालना होगा।

केयर और आईसीआरए द्वारा दी गई खराब रेटिंग के बाद आरकॉम के शेयर 20 प्रतिशत तक गिर गए हैं।

हालांकि रेटिंग एजेंसियों को एसएमए लोन की जानकारियाँ नहीं है क्योंकि उसे बैंक आपस में या रिजर्व बैंक से साझा करते हैं।

केयर ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि मुकेश अंबानी की अगुआई वाली रिलायंस जियो के प्रभाव के कारण रिलायंस कम्युनिकेशन में गिरावट आई है।

रिपोर्ट के मुताबिक, आरकॉम के लोन डिफॉल्ट के बारे में कंपनी के प्रवक्ता ने कहा, ''एयरसेल और ब्रुकफील्ड के साथ समझौते के बाद आरकॉम ने बैंकों से कहा कि वह 25,000 करोड़ रुपये का कर्ज 30 सितंबर 2017 तक या उससे पहले चुकाएगी। इसमें सभी शेड्यूल्ड पेमेंट तो आएंगी ही, कंपनी लोन का प्री-पेमेंट भी करेगी।''

आरकॉम को जनवरी-मार्च तिमाही में 966 करोड़ का नुकसान झेलना पड़ा था जो उसका लगातार दूसरा तिमाही नुकसान था। वित्त वर्ष 2017 भी आरकॉम के लिए नुकसान का पहला साल रहा।

मार्च 31 आरकॉम पर 42000 करोड़ का बकाया था जिसे वह एयरसेल और ब्रूकफील्ड के साथ डील करने के बाद घटाना चाहती है। इन कंपनियों को आरकॉम 11 हजार करोड़ रुपये में अपनी टावर यूनिट रिलायंस इन्फ्राटेल का 51 प्रतिशत हिस्सा बेच रही है। कड़ी स्पर्धा के अलावा लागत में बढ़ोत्तरी के कारण चौथी तिमाही की कमाई भी प्रभावित हुई है।

जीएसटी: सेवाओं की दरें तय

गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) की दरों को भारत के वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा तय कर दिया गया है। शुक्रवार (19 मई) को ऐलान किया गया कि हेल्थकेयर व शिक्षा को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा जाएगा।

वहीं बाकी सेवाओं के लिए 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत की दर तय की गई हैं।

ट्रांसपोर्ट की सेवा पर पांच प्रतिशत टैक्स तय किया गया है।

रेस्टोरेंट जिनका टर्नओवर पचास लाख रुपए या फिर उससे नीचे हैं उनको भी पांच प्रतिशत टैक्स स्लेब में रखा गया है।

वहीं नॉन ए सी रेस्टोरेंट को 12 प्रतिशत की स्लैब में रखा गया है।

अरुण जेटली ने बताया कि जिस ए सी रेस्टोरेंट ने दारू का लाइसेंस ले रखा होगा उसको 18 प्रतिशत की स्लैब में रखा जाएगा। वहीं पांच सितारा होटल 28 प्रतिशत वाली स्लैब में आएंगे। जिन होटलों का किराया एक हजार रुपए तक है वह 12 प्रतिशत वाली स्लैब में आएंगे।

जेटली ने कहा कि दूरसंचार, वित्तीय सेवाओं पर 18 प्रतिशत की दर से जीएसटी लगेगा जबकि सिनेमा हॉल, जुआ घरों और घुड़ दौड़ पर 28 प्रतिशत की दर से जीएसटी लगाया जायेगा।

राजस्व सचिव हसमुख अधिया ने हवाई यात्रा का जिक्र करते हुए बताया कि एकोनामी क्लास में हवाई यात्रा पर 5 प्रतिशत और बिजनेस क्लास पर 12 प्रतिशत जीएसटी लगेगा।

वहीं ओला और उबर जैसी ऐप के जरिये कैब सेवायें उपलब्ध कराने वाली कंपनियों पर पांच प्रतिशत दर से जीएसटी लगेगा।

जीएसटी को एक जुलाई से लागू कर दिया जाएगा। इसको आजादी के बाद का सबसे बड़ा कर सुधार कहा जा रहा है। अबतक लगने वाले सभी टैक्स जैसे एक्साइज ड्यूटी, वैट, सर्विस टैक्स, एंट्री, लग्जरी और इंटरटेनमेंट लेवी सब इसमें होंगे।

व‍िदेशी न‍िवेश पर फैसला लेने वाले बोर्ड को भंग करने का प्रस्‍ताव

कांग्रेस नेता और भारत के पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम के चैन्नई स्थित घर पर छापेमारी के एक दिन बाद ही फॉरेन इनवेस्टमेंट पर्सनल बोर्ड (एफआईपीबी) को भंग करने का प्रस्ताव मोदी की कैबिनेट में पहुंच गया है। यह छापेमारी इसलिए की गई थी कि क्या उनके वित्त मंत्री रहते हुए विदेशी निवेश प्रस्ताव को अवैध रूप से मंजूरी दी गई?

एफआईपीबी का गठन दो दशक पहले किया गया था। इसमें अलग-अलग मंत्रालयों के पांच ब्यूरोक्रेट्स होते हैं। यह भारत में 600 करोड़ रुपये तक के विदेशी निवेश को मंजूरी दे सकते हैं। इससे बड़े निवेश का फैसला कैबिनेट कमिटी करती है।

फरवरी में आम बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि भारत में बिजनेस करने को सरल बनाना है। इसमें प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए सुधार करने में एफआईपीबी को खत्म करना शामिल है। यह वित्त मंत्रालय का ही एक हिस्सा है।

वित्त मंत्री ने कहा था कि अगले कुछ महीनों में विदेशी निवेश के आवेदन के लिए रोडमैप की घोषणा की जाएगी। कैबिनेट की मंजूरी के एक महीने के अंदर ही एफआईपीबी के भंग होने की संभावना है।

खबरों के मुताबिक, प्रासंगिक मंत्रालयों और नियामकों को निवेश के प्रस्तावों को मंजूरी देने के लिए अधिकृत किया जाएगा। स्वीकृति मांगने वाली कंपनियों को एक नई वेबसाइट के जरिए ऑनलाइन आवेदन करने के लिए कहा जा सकता है जो संबंधित मंत्रालयों को सीधे आवेदन पहुंचा देगी। 2015 की शुरूआत में एफआईपीबी ने अपने फैसलों में तेजी लाने के लिए एक महीने में दो बार मीटिंग करना शुरू कर दिया था।

रक्षा और खनन जैसे कुछ क्षेत्रों को छोड़कर सरकारी अप्रूवल की जरूरत नहीं है। यह 49 फीसदी तक की इक्विटी विदेशी खरीदार को दे सकते हैं। भारत में 90 फीसदी से ज्यादा एफडीआई (विदेशी प्रत्यक्ष निवेश) का प्रवाह इस स्वचालित मार्ग से होता है। वित्त वर्ष 2016 के पहले 6 महीने में ही लगभग 1,45,000 करोड़ रुपये का विदेश प्रत्यक्ष निवेश आ गया था। वित्त मंत्रालय के मुताबिक वित्त वर्ष 2015 के पहले 6 महीने की तुलना में यह 36 फीसदी ज्यादा था।

पीटर मुखर्जी के आईएनएक्स मीडिया को मंजूरी देने के मामले में पूर्व वित्त मंत्री पी. चिंदबरम के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के बाद सीबीआई ने चिंदबरम व उनके बेटे कार्ति चिंदबरम के घर पर छापेमारी की एफआईआर में इंद्राणी मुखर्जी, पीटर मुखर्जी और कार्ति चिदंबरम का भी नाम शामिल था।

विप्रो के दफ़्तर पर जैविक हमला करने की धमकी

बेंगलुरु स्थित सूचना प्रोद्यौगिकी की मेगा कंपनी विप्रो को एक धमकी भरा मेल मिला है। इस मेल के जरिये कंपनी को 25 मई तक 500 करोड़ रुपये इंटरनेट के जरिये जमा कराने को कहा गया है। ऐसा ना करने की स्थिति में मेल भेजने वाले ने कंपनी के दफ़्तर पर ड्रोन के जरिये जहरीले रसायन से जैविक हमला करने की धमकी दी है।

अज्ञात शख्स से मिले इस मेल में पेमेंट करने के लिए एक लिंक भी दिया गया है और कहा गया है कि वे अपनी धमकी को सच साबित करने का एक नमूना भी देंगे और आने वाले दिनों में जहरीले रसायन का 2 ग्राम सैंपल भी विप्रो के किसी एक दफ़्तर में भेजेंगे।

खबरों के अनुसार, ई मेल भेजने वाले गुमनाम शख्स ने मेल में लिखा है कि अगर कंपनी पैसा नहीं देती है तो कंपनी पर हमले के लिए एक प्राकृतिक जहर रिसिन (Ricin) का इस्तेमाल किया जाएगा।

मेल भेजने वाले का कहना है कि वो कंपनी के कैफेटेरिया में, या फिर ड्रोन के जरिये इस केमिकल को विप्रो परिसर में डाल देगा। उसने ये भी धमकी दी है कि वो इस केमिकल को टॉयलेट सीट पर भी डाल सकता है। इस शख्स ने बिटक्वाइंस के जरिये पेमेंट भेजने की मांग की है। बिटक्वाइंस इंटरनेट के जरिये वित्तीय लेन-देन के लिए इस्तेमाल की जाने वाली करेंसी है।

कंपनी ने इस मामले में पुलिस में शिकायत दर्ज करवा दी है। विप्रो के सुरक्षा अधिकारियों ने बताया कि इस मेल के मिलने के बाद दफ़्तर परिसर में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। इस धमकी का कंपनी के रोजाना ऑपरेशन पर कोई असर नहीं पड़ा है।

बेंगलुरु पुलिस ने शिकायत मिलने के बाद जांच शुरू कर दी है।  बेंगलुरु पुलिस की साइबर विंग इस केस की जांच कर रही है और मेल कहां से लिखा गया है और किस आईपी एड्रेस के जरिये भेजा गया है इसकी जांच कर रही है।

पुलिस का कहना है कि ये फर्जी मेल भी हो सकता है। बेंगलुरु के एडिशनल कमिश्नर एस रवि ने बताया कि वे अपने सभी साधनों के जरिये ये जानने की कोशिश करेंगे कि ये धमकी वास्तविक है या झूठ। साल 2013 में भी विप्रो ऑफिस को उड़ाने की धमकी मिली थी जो बाद में फर्जी साबित हुई थी।