25 साल बाद फिर सियासी करवट ले रहा अयोध्या प्रकरण

अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस के 25 साल गुजरने के बाद उत्तर प्रदेश में यह मुद्दा एक बार फिर से राजनीतिक करवट ले रहा है।

लखनऊ स्थित विशेष सीबीआई अदालत में बाबरी मामले की रोजाना सुनवाई होने से यह प्रकरण अर्से बाद फिर से मुख्य केन्द्र में आ गया है और भाजपा नेता मौजूदा घटनाक्रम में सम्भावनाएं तलाश रहे हैं। उनका मानना है कि वर्ष 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव में भाजपा को इससे फायदा मिलेगा।

उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और भाजपा प्रान्तीय अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य ने इस मुद्दे पर बातचीत में कहा, ''अयोध्या का प्रकरण अभी अदालत में विचाराधीन है, लेकिन यह राजनीतिक मुद्दा नहीं है। यह विशुद्ध रूप से आस्था और विश्वास का मामला है।''

उत्तर प्रदेश में इस साल मार्च में सम्पन्न हुए विधानसभा चुनाव में 403 में से सहयोगी दलों के साथ कुल 325 सीटें हासिल करने वाली भाजपा का मानना है कि राम मंदिर मुुद्दे को जनता का सहयोग मिलेगा।

भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं राज्यसभा सदस्य प्रभात झा ने कहा, ''हर व्यक्ति चाहता है कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हो और अदालत जब भी (मंदिर से जुड़े) किसी मुद्दे पर निर्णय देती है तो कुछ गर्माहट जरूर पैदा होती है।''

उन्होंने कहा कि हम सभी जानते हैं कि अयोध्या में आखिरकार राम मंदिर जरूर बनेगा। यह करोड़ों भारतवासियों से जुड़ा राष्ट्रीय मुद्दा है।

उत्तर प्रदेश भाजपा प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने कहा कि राम मंदिर मुद्दे का असर आगामी लोकसभा चुनाव पर निश्चित रूप से पड़ेगा।

उन्होंने कहा, ''हमारी पार्टी अयोध्या प्रकरण को अराजनीतिक मुद्दा नहीं मानती। भाजपा एक अकेली ऐसी पार्टी है जिसने इस मुद्दे को उठाया और वह संविधान के दायरे में रहते हुए अयोध्या में भव्य राम मंदिर बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।''

अयोध्या प्रकरणों से जुड़े दो मामलों की सुनवाई कर रही लखनऊ की विशेष सीबीआई अदालत द्वारा गत 30 मई को वरिष्ठ भाजपा नेताओं पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती समेत 12 आरोपियों पर आरोप तय किए जाने के एक दिन बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या के अस्थायी राम मंदिर में पूजा-अर्चना की।

उन्होंने जोर देते हुए कहा कि राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मुद्दे का हल आपसी बातचीत से होना चाहिए।

उप-मुख्यमंत्री मौर्य ने भी कहा कि आपसी सहमति और बातचीत के जरिए मामले का हल निकालना ही सबसे अच्छा रास्ता होगा।