चुनाव आयोग ने बजट पर विपक्ष के विरोध पर मोदी सरकार से जवाब माँगा

भारत के 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले आम बजट पेश करने की कवायद पर विपक्ष के ऐतराज के बाद चुनाव आयोग ने इस बारे में मोदी सरकार से जवाब मांगा है। चुनाव आयोग ने कैबिनेट सचिव को चिट्ठी लिखकर इस मुद्दे पर उनका जवाब 10 जनवरी तक माँगा है।

उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा, पंजाब और मणिपुर में 4 फरवरी से चुनाव शुरू हो रहे हैं और मोदी सरकार बजट 1 फरवरी को पेश करने की तयारी में है।

चुनावी घोषणा होने के एक दिन बाद ही आम बजट को लेकर विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग में अपना विरोध दर्ज कराया है। विपक्षी दलों का आरोप है कि इससे केंद्र सरकार को फायदा हो सकता है। गुरुवार को कई विपक्षी दलों के नेता इस मामले की शिकायत लेकर चुनाव आयोग पहुंचे थे।

कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने मांग की थी कि निष्पक्ष चुनाव के लिए बजट को 8 मार्च के बाद पेश किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि 31 मार्च तक कभी भी बजट पेश किया जा सकता है।

कांग्रेस नेता ने कहा कि इस मामले में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को भी चिट्ठी लिखी गई है। उन्होंने कहा कि बीजेपी ने 2012 में यह मुद्दा उठाया था कि चुनावों के दौरान आम बजट पेश नहीं किया जाना चाहिए। हमारा कहना है कि यह सत्तापक्ष द्वारा एक तय प्रथा है।

वहीं वित्त राज्य मंत्री संतोष गंगवार ने कहा कि बजट 1 फरवरी को ही पेश होगा। चुनाव आयोग जो भी निर्देश देगा, उसका पालन होगा।

सुप्रीम कोर्ट ने पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव से पहले आम बजट पेश पेश नहीं किए जाने संबंधी याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार किया है। शीर्ष अदालत ने शुक्रवार को कहा कि समय आने पर विचार किया जाएगा। कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर एक फरवरी को पेश किए जाने वाले बजट पर रोक लगाने की मांग की थी।

उनका कहना था कि चार फरवरी से आठ मार्च तक यूपी, पंजाब, उत्तराखंड, मणिपुर और गोवा में विधानसभा चुनाव होने हैं। इससे पहले केंद्र सरकार बजट में लोकलुभावन घोषणाएं कर मतदाताओं को लुभाने का प्रयास कर सकती है।

अपील पर सुनवाई के दौरान भारत के मुख्य न्यायाधीश जगदीश सिंह खेहर ने कहा, ''इस मामले में तत्काल सुनवाई करने की जरूरत नहीं है। हम उचित समय आने पर कानून के मुताबिक विचार करेंगे, लेकिन अभी नहीं।''