बिहार विधान सभा 2025 के चुनाव में महागठबंधन की करारी हार क्यों हुई?: विश्लेषण
बिहार विधान सभा 2025 के चुनाव में महागठबंधन की करारी हार क्यों हुई?: विश्लेषण
बिहार विधान सभा 2025 के चुनाव में महागठबंधन की करारी हार हुई। वही एनडीए को बिहार विधान सभा 2025 के चुनाव में भारी विजय मिली। जहाँ एनडीए को 202 सीट मिली, वही महागठबंधन को 35 सीट ही मिली। जबकि 6 सीट पर अन्य पाटियों को सफलता मिली।
बिहार विधान सभा 2025 के चुनाव में एनडीए में शामिल भारतीय जनता पार्टी को 89 सीट, जनता दल (यूनाइटेड) को 85 सीट, लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) को 19 सीट, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (सेक्युलर) को 5 सीट और राष्ट्रीय लोक मोर्चा को 4 सीट मिले।
जबकि बिहार विधान सभा 2025 के चुनाव में महागठबंधन में शामिल राष्ट्रीय जनता दल को 25 सीट, इंडियन नेशनल कांग्रेस को 6 सीट, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया (मार्क्सिस्ट-लेनिनिस्ट) (लिबरेशन) को 2 सीट, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया (मार्क्सिस्ट) को 1 सीट और इंडियन इंक्लूसिव पार्टी को 1 सीट मिले।
इसके अलावा बिहार विधान सभा 2025 के चुनाव में आल इंडिया मजलिस-इ-इत्तेहादुल मुस्लिमीन को 5 सीट और बहुजन समाज पार्टी को 1 सीट मिले।
बिहार विधान सभा 2025 के चुनाव में महागठबंधन की करारी हार क्यों हुई?
परवेज़ अनवर, सीनियर पॉलिटिकल एनालिस्ट और आईबीटीएन ग्रुप के न्यूज़ डायरेक्टर और एडिटर-इन-चीफ हैं।
परवेज़ अनवर का कहना है कि महागठबंधन की करारी हार के कई कारण है। पहला, लालू परिवार में आपसी कलह सबसे बड़ा कारण है जिसका बिहार में गलत सन्देश गया। लालू यादव ने अपने बड़े बेटे तेज प्रताप यादव को 6 साल के लिए पार्टी और परिवार से निकाल दिया। इसके परिणामस्वरूप तेज प्रताप यादव ने अपनी नई पार्टी जनशक्ति जनता दल बना कर चुनाव लड़ा। भले ही तेज प्रताप यादव चुनाव हार गए, लेकिन इससे आरजेडी को नुकसान पहुंचा।
दूसरा, असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी आल इंडिया मजलिस-इ-इत्तेहादुल मुस्लिमीन ने महागठबंधन से 6 सीट माँगा था जो महागठबंधन ने नहीं दिया। ओवैसी की पार्टी ने 5 सीट जीता और 1 सीट पर बहुत कम वोट से हार मिली। लेकिन 20 से ज्यादा सीट पर चुनाव लड़कर महागठबंधन को नुकसान पहुँचाया।
तीसरा, मुकेश साहनी को महागठबंधन का उप मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करना, महागठबंधन के लिए आत्मघाती साबित हुआ। इसका काफी विरोध हुआ। सवाल पूछा गया कि जब लगभग 2 फीसदी मल्लाह जाति से सम्बन्ध रखने वाले मुकेश साहनी को बिहार का उप मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किया जा सकता है तो 18 फीसदी आबादी वाले मुसलमान को उप मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित क्यों नहीं किया गया?
मुकेश साहनी की पार्टी को चुनाव में बुरी हार का सामना करना पड़ा। इसका कोई भी उम्मीदवार चुनाव नहीं जीत सका।
चौथा, प्रशांत किशोर पांडे की पार्टी जन सुराज पार्टी को भले ही चुनाव में बुरी हार का सामना करना पड़ा हो, लेकिन इससे महागठबंधन को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा।
पांचवा, चुनाव के ठीक पहले बिहार सरकार ने लगभग 1 करोड़ 35 लाख महिलाओं में से प्रत्येक को 10 हजार रुपये दिए। जिसने एनडीए की भारी जीत को निश्चित कर दिया।
