गोरखपुर उपचुनाव: सीएम योगी आदित्यनाथ के बूथ पर सिर्फ 43 वोट मिले

पिछले तीन दशकों से भाजपा के खाते में रही गोरखपुर सीट पर इस बार समाजवादी पार्टी ने जीत का परचम लहराया है। गोरखपुर लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी प्रवीण निषाद ने भाजपा के प्रत्याशी उपेंद्र दत्त शुक्ला को 21,881 वोटों से हरा दिया। प्रवीण निषाद को जहां 4,56,513 वोट मिले, वहीं भाजपा प्रत्याशी 4,34,632 वोट ही हासिल कर सके।

खास बात ये रही कि जिस बूथ पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वोट डाला था, उस बूथ पर पड़े कुल 1775 वोटों में से भाजपा को सिर्फ 43 वोट ही मिल सके। उपचुनाव में सपा को बसपा समेत कई दलों से गठबंधन का जबरदस्त फायदा मिला। मुस्लिम, यादव, दलित और निषादों के वोट पार्टी को अच्छी-खासी तादाद में मिले। वहीं, कांग्रेस अभी भी राज्य में अपने जनाधार के लिए संघर्ष करती दिखी। यही वजह है कि कांग्रेस की प्रत्याशी डॉ. सुरहीता करीम को सिर्फ 18,844 वोट ही मिल सके और उनकी जमानत जब्त हो गई।

चुनावी मतगणना के दौरान थोड़ा विवाद भी हुआ, जब पांच राउंड की मतगणना पूरी होने के बाद सिर्फ एक राउंड का नतीजा घोषित किया गया। सपा प्रत्याशी ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी पर चुनाव में धांधली का भी आरोप लगाया। इसके बाद धरना-प्रदर्शन भी हुआ, हालांकि बाद में स्थिति संभल गई। चुनाव आयोग ने भी निर्वाचन अधिकारी से सवाल-जवाब किए हैं। वहीं, भाजपा की हार के कारणों की बात करें तो भाजपा अति आत्मविश्वास का शिकार हो गई, जिसका उसे खामियाजा भुगतना पड़ा।

उल्लेखनीय है कि शहरी वोटरों को भाजपा समर्थक माना जाता है। लेकिन इन उपचुनावों में शहरों में वोट बेहद कम पड़े। भाजपा नेता सिर्फ कार्यालयों में बैठकर ही चुनाव की समीक्षा करते रहे और वोटरों को बूथ तक लाने में नाकाम रहे। इसी का खामियाजा भाजपा को चुनाव नतीजों में उठाना पड़ा। इसके अलावा भाजपा योगी मैजिक के भरोसे ही बैठी रही, जिससे कार्यकर्ता जमीन पर उतरकर सरकार के कामों को लोगों को समझाने में नाकाम रहे। हालांकि, योगी आदित्यनाथ ने इन चुनावों में 16 कार्यकर्ता सम्मेलन और जनसभाएं की थीं, लेकिन कार्यकर्ताओं में उत्साह की कमी शायद योगी की मेहनत पर भारी पड़ी।