कर्नाटक: टीपू सुल्तान के एक हजार से ज्यादा रॉकेट मिले
भारत में कर्नाटक के शिवमोगा में खुदाई के दौरान कुएं से 18वीं शताब्दी के शासक टीपू सुल्तान के एक हजार से अधिक रॉकेट मिले हैं। कर्नाटक के सहायक पुरातत्व निदेशक आर. शेजेश्वर नायक ने शनिवार को बताया कि इन रॉकेट को देखकर लगता है कि टीपू ने इन्हें जंग में इस्तेमाल करने के लिए छुपाया था।
शेजेश्वर नायक ने बताया कि कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु से 385 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में स्थित शिवमोगा में ये रॉकेट मिले।
उन्होंने बताया कि खुदाई के दौरान मिट्टी की गंध गन पाउडर की तरह लग रही थी। इसमें जब और खुदाई की गई, वहां एक ढेर में रॉकेट और गोले बरामद हुए। इन रॉकेट में पोटेशियम नाइट्रेट, चारकोल और मैग्नीशियम पाउडर भरा हुआ था। रॉकेट तोपखाने का उपयोग करने में अग्रणी टीपू सुल्तान रॉकेट की तैनाती ब्रिटिश सेनाओं को अपने क्षेत्र में आगे बढ़ने से रोकने के लिए करते थे।
बरामद हुए टीपू सुल्तान के रॉकेट शिवमोगा में सार्वजनिक प्रदर्शनी के लिए रखे जाएंगे। पुरातात्विक अभिलेखों के अनुसार, शिवमोगा का किला क्षेत्र टीपू सुल्तान के साम्राज्य और युद्ध में इस्तेमाल होने वाले रॉकेट का हिस्सा था।
ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ लगातार जीत हासिल करने के बाद साल 1799 में चौथे एंग्लो-मैसूर युद्ध में लड़ते हुए टीपू सुल्तान शहीद हो गए। उन्हें नेपोलियन वार में इस्तेमाल होने वाले कॉंग्रेव रॉकेट (ब्रिटिश सैन्य हथियार), जो मैसूरियन रॉकेट पर आधारित था, को विकसित करने का श्रेय दिया जाता है।
कॉंग्रेव रॉकेट (Congreve Rocket), 1804 में विलियम कॉंग्रेव द्वारा डिज़ाइन और विकसित एक ब्रिटिश सैन्य हथियार था, जो सीधे मैसूरियन रॉकेट पर आधारित था जो मैसूर के शासक टीपू सुल्तान ने विकसित किया था।
RELATED NEWS
