नोटबंदी और कड़े वीजा नियमों की वजह से आईआईटी और आईआईएम में नौकरियां घटी

नोटबंदी की वजह से मांग में कमी आई है जिसका असर कंपनियों पर हुआ है। साथ ही अमेरिका और ब्रिटेन की सरकार द्वारा संरक्षणवाद को बढ़ावा देने से भारतीय आईटी कंपनियां डरी हुई हैं जिससे नई नौकरियों नहीं मिल रहीं।

भारत के सभी आईआईटी संस्थानों में कैंपस प्लेसमेंट की देखरेख करने वाले पैनल आईआईटी प्लेसमेंट कमिटी के संयोजक कौसतुभा मोहंती ने कहा, कैंपस प्लेसमेंट में शामिल होने वाली कंपनियों की संख्या में इजाफा तो हुआ है, लेकिन छात्रों को मिलने वाले नौकरियों की संख्या में गिरावट आई है। हालांकि इसका सही आंकड़ा प्लेसमेंट की प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही मिलेगा।

एचआर आउटसोर्सिंग एंड टेक्नोलॉजी फर्म पीपलस्ट्रॉन्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, 2020 तक छात्रों को कैंपस प्लेसमेंट से नौकरी मिलने की दर में 20-25 फीसदी की गिरावट आ सकती है।

पीपलस्ट्रॉन्ग के सीईओ पंकज बंसल ने कहा, अगले एक साल में कैंपस प्लेसमेंट में कमी आएगी। वैश्विक अर्थव्यवस्था में गिरावट से आईटी कंपनियां नई नौकरियों में कटौती करेंगी।

आईआईएम, तिरूचिरापल्ली के अभिषेक तोतावर ने कहा, पिछले साल की तुलना में इस साल प्लेसमेंट में कमी आई है।

भारत के प्रमुख इंजीनियरिंग और बिजनेस कॉलेजों के प्लेसमेंट में कमी आई। पीपलस्ट्रॉन्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, 2020 तक प्लेसमेंट में 20 से 25 फीसदी की गिरावट आई है।

पीपलस्ट्रॉन्ग के पंकज बंसल ने कहा, नोटबंदी के बाद नई कंपनियां भी प्रभाव में आई हैं और रोजगार की संभावना घट गई है। कॉलेज प्लेसमेंट में गिरावट के दौर में इंस्टीट्यूट को चाहिए कि वह प्रोग्राम में बदलाव और कौशल विकास पर ध्यान दें।

पीपलस्ट्रॉन्ग के सर्वे में सामने आया कि 40 फीसदी कंपनियां लगभग एक साल के अनुभव वाले लोगों को ही नौकरी देना चाहती हैं।

मैनेजमेंट डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट गुड़गांव में प्रोफेसर कनवाल कपिल ने कहा, टीसीएस और इंफोसिस इससे पहले स्नातकों को कंसल्टिंग की नौकरी दे रही थीं, लेकिन इस साल वह भी कैंपस में नहीं आईं।

एफएमसीजी कंपनियों पर नोटबंदी के असर से इस क्षेत्र में नई नौकरियां नहीं मिल रही हैं।