प्रकाशोत्सव का आयोजन बिहार ने अपने बूते किया: नीतीश

बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि गुरुगोविंद सिंह जी के 350वें प्रकाशोत्सव का आयोजन बिहार ने अपने बूते किया। वर्षों पूर्व जब केंद्र में यूपीए सरकार थी, तब भी हमलोगों ने पत्र लिखा था।

बताया था कि प्रकाशोत्सव के भव्य आयोजन और आधारभूत संचरना समेत अन्य काम के लिए केंद्र सहायता करे। पर मदद नहीं मिली। एनडीए की सरकार केंद्र में आयी, तब भी पत्र लिखा। पर कुछ नहीं आया।

मुख्यमंत्री संवाद कक्ष में सोमवार को लोक संवाद कार्यक्रम के बाद वे पत्रकारों से बात कर रहे थे। नीतीश ने कहा कि जो सबसे बेहतरीन काम हुआ, उनमें पटना सिटी में पुल बनाकर बाईपास से तख्त हरिमंदिर साहिब को जोड़ा गया। यह राज्य सरकार ने किया। गली-गली में सफाई हुई। सड़कों का चौड़ीकरण हुआ। गलियों को ठीक किया गया। बिजली के तारों को बदला गया। एक-एक चीज को हमने खुद जाकर देखा।

मुख्यमंत्री नीतीश ने कहा कि प्रकाशोत्सव में इतने लोगों को बुलाया। देखा कि यह धार्मिक संवेदनशीलता है। हो सकता है हमारे पदाधिकारी कई बातों से अपरिचित हों। इसको देखते हुए सेवानिवृत मुख्य सचिव जीएस कंग और पूर्व आईपीएस बलजीत सिंह को आग्रह कर बुलाया। पर्यटन विभाग की सचिव मूलत: पंजाब की रहने वाली हैं। ऐसे अन्य पदाधिकारियों को ढूंढ़ कर इस कार्य में लगाया गया ताकि सिखों के धार्मिक सहिष्णुता की हर भावना का ध्यान रखा जाए। राज्यपाल के स्तर से भी एक बार बैठक हुई। यही कारण रहा कि यह आयोजन बिना किसी चूक के सफल हुआ। साबित हुआ कि यहां सहिष्णुता का माहौल है। सफल आयोजन के लिए मैं बिहारवासियों को बधाई देता हूं। राज्य सरकार के पदाधिकारियों और गुरुद्वारा प्रबंधन के लोगों को भी बधाई देता हूं। सबका पूरा सहयोग मिला।

मुख्यमंत्री नीतीश ने कहा कि प्रकाशोत्सव के आयोजन के बाद बिहार की छवि में निखार आया है। दुनियाभर से आये श्रद्धालुओं ने बिहार की प्रशंसा की। पर, बिहार की छवि यहीं के कुछ लोग खराब करने में लगे हैं। मैं खामियां ढूंढने वाले लोगों से कहूंगा कि कुछ तो अपने आप को सुधारिये। पता नहीं इन लोगों को अपने राज्य की छवि खराब करने में इतना आनंद क्यों आता है। दरअसल इन्हें लग रहा है कि बिहार में इतना अच्छा आयोजन कैसे हो गया। यहां तक कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने प्रकाशोत्सव के आयोजन की प्रशंसा की।

मुख्यमंत्री नीतीश ने कहा कि प्रकाशोत्सव का इतना अच्छा आयोजन हुआ कि चारों ओर इसकी चर्चा है। पर कुछ लोग लालू प्रसाद जी के नीचे बैठने की बात उछाल रहे हैं। उनलोगों को यह भी पता नहीं कि गांधी मैदान के दरबार हॉल में धार्मिक कार्यक्रम का मूल आयोजनकर्ता कौन था। मूल आयोजनकर्ता गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी थी। सिख समाज में सब लोग जमीन पर ही बैठते हैं। जो लोग मंच पर थे, वे भी कुर्सी पर नहीं बैठे थे। राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के कार्यक्रम में मंच पर कौन बैठेगा, यह दिल्ली से ही तय होता है।