कांग्रेस-सपा में नहीं हो सका गठबंधन, अलग-अलग चुनाव लड़ेंगे
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में गठबंधन को लेकर समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच बात बनती नजर नहीं आ रही है। बात सीटों के तालेमल पर अटकी है, लेकिन सपा-कांग्रेस की ओर से विरोधाभासी बयान आने के चलते फिलहाल गठबंधन खटाई में पड़ गया है।
कांग्रेस ने जहां पहले और दूसरे चरण के प्रत्याशियों के नामों को हरी झंडी दे दी है। वहीं सपा नेता नरेश अग्रवाल ने कहा है कि कांग्रेस से गठबंधन लगभग टूट गया है।
हालांकि राज बब्बर ने कहा कि कांग्रेस सभी 403 सीटों पर लड़ेगी और गठबंधन पर बातचीत में कोई रुकावट नहीं है।
माना जा रहा है कि मुलायम सिंह इस गठबंधन से खासे नाराज़ थे। सपा के कई उम्मीदवार भी नहीं चाहते थे कि सपा-कांग्रेस से गठबंधन हो। ऐसे में सपा ने पहले तो अपनी सूची जारी की, फिर शुक्रवार से ही इस मुद्दे पर चुप्पी साध ली। दोनों ओर से कोई ठोस बातचीत न होने के कारण गठबंधन पर शनिवार की शाम होते-होते विरास सा लग गया।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर के शुक्रवार को दिल्ली लौटने के बाद संभावना थी कि गुलाम नबी आजा़द शनिवार को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश से बात करने लखनऊ आएंगे। शनिवार को दिनभर जहां कांग्रेस मुख्यालय पर उनका इंतजार होता रहा, वहीं मुख्यमंत्री आवास के बाहर सपाइयों में गठबंधन को लेकर तरह-तरह की चिंताएं जताई जाती रहीं। कांग्रेस भी स्टियरिंग कमेटी में पहले व दूसरे चरण के प्रत्याशियों के नाम तय करने में जुटी रही।
शाम को सपा नेता नरेश अग्रवाल ने दिल्ली में बयान दिया कि कांग्रेस से गठबंधन की बात लगभग खत्म हो गई है। हम उन्हें 99 सीटें दे रहे थे, लेकिन कांग्रेस 115-125 सीटें मांग रही है जो नामुमकिन है।
सपा पिछले चुनाव में जीती सीटों को जहां छोड़ने को तैयार नहीं है, वहीं कांग्रेस रायबरेली और अमेठी की सभी सीटें चाहती है। कांग्रेस ने इस बात को सपा नेतृत्व को बता भी दिया था, लेकिन सपा इस पर कतई तैयार नहीं हुई। सपा की तरफ से कांग्रेस को 79 या अधिकतम 85 सीटें देने की बात कही जा रही है, लेकिन कांग्रेस जीती सीटों पर अपना हक छोड़ने को तैयार नहीं है। इसके चलते गठबंधन की बात रुक गई है।
गठबंधन के सवाल पर सपा प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम ने सिर्फ इतना ही कहा कि इस पर अंतिम फैसला राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव करेंगे। उन्होंने कहा कि सपा चुनाव के लिए पूरी तरह तैयार है और पदाधिकारियों तथा कार्यकर्ताओं को प्रचार में जुटने का निर्देश दिया जा चुका है।
सपा-कांग्रेस गठबंधन पर शनिवार को मंथन का दौर चलता रहा। दिल्ली में कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की बैठक हुई, लेकिन सहमति नहीं बन पाई। बताया जाता है कि कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेताओं की अखिलेश से फोन पर बात भी हुई। सपा कांग्रेस को अधिकतम 85 सीटें देने पर ही राजी है, पर कांग्रेस पिछले चुनाव में जीती सीटें छोड़ने को राजी नहीं हो रही है।
कांग्रेस को सपा जीती सीटें देने को तैयार नहीं थी। कांग्रेस 115 से 125 सीटों से कम पर तैयार नहीं हुई। सपा अधिकतम 99 सीटें ही देने को राजी थी। विरोध से बचने के लिए सपा ने कदम पीछे खींचे।
गठबंधन के विरोध में मुलायम शुरुआती दौर से रहे हैं। शिवपाल ने भी गठबंधन के औचित्य पर सवाल उठाया था। राजा भैया भी कांग्रेस से गठबंधन का विरोध कर चुके हैं।
अखिलेश यादव ने कांग्रेस से गठबंधन की पहल की थी। राम गोपाल भी चाहते थे कि कांग्रेस से गठबंधन हो जाए। किरणमय नंदा भी गठबंधन की वकालत कर चुके हैं।
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव रविवार को पार्टी कार्यालय में विधानसभा चुनाव के लिए घोषणा पत्र जारी करेंगे। अखिलेश के घोषणा पत्र में युवाओं, किसानों, बुजुर्गों, बेसहारा लोगों के साथ उत्तर प्रदेश के विकास का वादा होगा। वह तमिलनाडु की तर्ज पर अम्मा भोजन योजना शुरू करने का भी वादा कर सकते हैं।
अखिलेश पार्टी कार्यालय में 11 बजे घोषणा पत्र जारी करेंगे। बताया जा रहा है कि इसमें आगरा-लखनऊ व पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे की तर्ज पर तीन नए एक्सप्रेस-वे शुरू करने की घोषणा की जा सकती है। सभी गरीबों को समाजवादी पेंशन का लाभ देने, लैपटॉप की तर्ज पर स्मार्ट फोन देने की घोषणा भी की जा सकती है।
इसी तरह किसानों व खेती के लिए महत्वपूर्ण योजनाएं शुरू करने, सरकारी स्कूलों में बच्चों को बेहतर सुविधा देने, प्राइमरी स्कूलों में कुर्सी-मेज देने की घोषणा भी कर सकते हैं। इसके अलावा बेरोजगार युवाओं को रोजगार देने या उन्हें लाभ देने संबंधी योजना की वादा भी घोषणा पत्र में किया जा सकता है।
समाजवादी पार्टी में शनिवार को बसपा के पूर्व सांसद ब्रह्माशंकर राजभर और पूर्व विधायक विजय कुमार राम समेत कांग्रेस के कई नेता शामिल हुए। सपा प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम और कैबिनेट मंत्री राजेंद्र चौधरी की उपस्थिति में ये नेता शामिल हुए।
राजेंद्र चौधरी ने बसपा पर प्रहार करते हुए कहा कि वह राजनीतिक दल नहीं है और न उसका कोई घोषणा पत्र है।
सपा में गाजीपुर के पूर्व विधायक विजय कुमार राम के साथ बसपा के 64 प्रमुख नेता, लोनी बसपा के पूर्व अध्यक्ष डा. मेहताब अली, मो. तनवीर अहमद (तिलोई), पूर्व सांसद सलेमपुर ब्रह्माशंकर राजभर, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता फतेह बहादुर सिंह गिल समेत काफी संख्या में नेता सपा में शामिल हुए।