सॉफ्ट लैंडिंग: चांद पर उतरा चीन का चांग ई-5 यान, धरती पर चट्टान लाएगा
चीन ने अपना एक और अंतरिक्ष यान सफलतापूर्वक चांद की सतह पर उतारा है।
रोबोटिक मून मिशन चांग ई-5 ने चांद की सतह पर निर्धारित जगह के क़रीब सॉफ्ट लैंडिंग की है।
माना जा रहा है कि ये अंतरिक्षयान आने वाले कुछ दिनों में चांद की सतह के मिट्टी और पत्थरों के नमूनों को इकट्ठा करेगा और जाँच के लिए उन्हें पृथ्वी पर भेजेगा।
इस मिशन को मॉन्स रूमकेर में उतारा जाना था तो चांद के ज्वालामुखी वाली पहाड़ियों के पास मौजूद एक जगह है।
नमूनों को इकट्ठा करने के लिए भेजे गए चांग ई-5 के लैंडर में कैमरा, रडार, एक ड्रिल और स्पेक्ट्रोमीटर फिट किया गया है।
ये लैंडर क़रीब दो किलो तक के वज़न के पत्थर और मिट्टी इकट्ठा कर सकता है। इकट्ठा नमूनों को ये एक ऑर्बिटिंग मिशन तक पहुंचागा जो इसे आगे पृथ्वी पर भेजेगा।
चांग ई-5 से 44 साल पहले, सोवियत संघ का लूना 24 मिशन चांद की सतह से 200 ग्राम मिट्टी पृथ्वी पर लेकर आया था।
एक सप्ताह पहले इस यान के प्रक्षेपण को चीनी टीवी चैनलों द्वारा लाइव कवर किया गया था लेकिन मिशन की लैंडिग को टीवी चैनल पर नहीं दिखाया गया।
एक बार जब मिशन ने सफलतापूर्वक चांद पर लैंडिंग की उसके बाद ही इस ख़बर को टीवी पर दिखाया गया। साथ ही मिशन ने लैंडिंग के वक्त चांद की सतह की जो तस्वीरें ली थीं उसे भी टीवी पर प्रसारित किया गया।
चीनी स्पेस एजेंसी ने कहा है कि लैंडिंग 01 दिसंबर 2020 को स्थानीय समयानुसार 23:11 बजे हुई।
चीन के मून मिशन की सफलता पर अमेरिकी स्पेस एजेंसी ने चीन को बधाई दी है।
नासा की वरिष्ठ अधिकारी डॉक्टर थॉमस ज़रबुचेन ने कहा है कि उन्हें उम्मीद है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चांद पर शोध करने वालों को भी पृथ्वी पर भेजे जाने वाले नमूनों का विश्लेषण करने का मौक़ा मिलेगा।
उन्होंने कहा, ''हमें उम्मीद है कि चांद की सतह से मिट्टी और पत्थर के नमूने पृथ्वी पर भेजे जाने के बाद सभी को इसके शोध से लाभ होगा। इस बेहद महत्वपूर्ण नमूनों के शोध से अंतरराष्ट्रीय विज्ञान समुदाय को भी फायदा होगा।''
8.2 टन के चांग ई-5 को एक अंतरिक्षयान के ज़रिए 24 नवंबर 2020 को दक्षिणी चीन के वेनचांग स्टेशन से छोड़ा गया था।
कुछ दिन पहले ये मिशन चांद के ऊपर पहुंचा और इसने खुद को चांद की कक्षा में स्थापित किया और चांद के चक्कर लगाने लगा। बाद में ये दो टुकड़ों में बंट गया - पहला सर्विस व्हीकल और रिटर्न मॉड्यूल जो चांद की कक्षा में ही रुके रहे और दूसरा लैंडर जो धीरे-धीरे चांद की सतह की तरफ बढ़ने लगा।
चांग ई-5 मिशन से पहले चीन ने दो और मून मिशन भेजे थे, साल 2013 में चांग ई-3 और 2019 में चांग ई-4 मून मिशन। इन दोनों में एक लैंडर के साथ-साथ एक छोटा मून रोवर शामिल किया गया था।
अब तक मून मिशन के दौरान अमेरिकी अपोलो अंतरिक्षयान से चांद पर गए अंतरिक्षयात्रियों और सोवियत रूस के रोबोटिक लूना कार्यक्रम ने चांद की सतह से क़रीब 400 किलो तक मिट्टी और पत्थर जमा किए हैं, लेकिन अधिकतर वो मिशन थे जिनमें अंतरिक्षयात्री शामिल थे।
चांद से लाए ये सभी नमूने क़रीब तीन अरब साल पुराने हैं।
माना जा रहा है कि मॉन्स रूमकेर से लाए गए नमूनों की उम्र 1.2 से 1.3 अरब साल होगी, यानी वो पहले लाए गए नमूनों की अपेक्षा नए होंगे। जानकारों का मानना है कि इससे चांद के भूवैज्ञानिक इतिहास के बारे में अधिक जानकारी मिल सकेगी।
इन नमूनों की मदद से वैज्ञानिकों को सटीक रूप से 'क्रोनोमीटर' तैयार करने में भी मदद मिलेगी जिससे सौर मंडल के ग्रहों के सतहों की उम्र को जाना जाता है।
ये किसी ग्रह या उपग्रह की सतह पर मौजूद ज्वालामुखी की संख्या पर निर्भर करता है। वैज्ञानिकों के अनुसार जिस ग्रह की सतह पर अधिक ज्वालामुखी होंगे वो अधिक पुरानी होगी यानी उसकी उम्र अधिक होगी। हालांकि इसके लिए अलग-अलग जगहों को देखा जाना ज़रूरी होता है।
अपोलो और लूना मिशन के भेजे गए नमूनों से 'क्रोनोमीटर' तैयार करने में वैज्ञानिकों को काफी मदद मिली थी। अब चांग ई-5 मिशन के भेजे नमूनों से उन्हें इसे और सटीक रूप से विकसित करने में मदद मिलेगी।
चीन से मिल रही ख़बरों के अनुसार चांद की सतह से नमूने इकट्ठा करने का काम कुछ दिनों तक ही किया जाएगा और नमूनों को चांद की कक्षा में पहले से ही मौजूद सर्विस व्हीकल और रिटर्न मॉड्यूल तक पहुंचाया जाएगा।
योजना के अनुसार रिटर्न मॉड्यूल मंगोलिया के भीतरी इलाक़े में सिज़िवांग गे घास के मैदानों में लैंड कर सकता है। इसी के साथ चीन के अंतरिक्षयात्री भी वापस लौट आएंगे।
यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी में ह्यूमन एंड रोबोटिक एक्सप्लोरेशन के विज्ञान समन्वयक डॉक्टर जेम्स कार्पेन्टर का कहना है कि चांग ई-5 बेहद जटिल मिशन है।
वो कहते हैं, ''मुझे लगता है कि वो जो कर रहे हैं वो शानदार काम है। उन्होंने चांग ई के पहले मिशन से लेकर अब तक सुनियोजित तरीके से एक के बाद एक कदम उठाए है और अंतरिक्ष की खोज से जुड़ी अपनी काबिलियत को बढ़ाया है।''