सपा संकट: मुलायम-अखिलेश बातचीत असफल, अब नहीं होगा समझौता

समाजवादी पार्टी में जारी संकट अभी खत्म होता नहीं दिख रहा है। आज अखिलेश यादव, मुलायम सिंह यादव से मिले। दोनों के बीच काफी देर तक बातें हुईं, लेकिन सूत्रों के मुताबिक ये बातचीत असफल रही। बताया जा रहा है कि अमर सिंह, चुनाव आयोग के सामने मुलायम सिंह खेमे का पक्ष रखेंगे।

रामगोपाल यादव ने कहा, अब कोई समझौता नहीं होगा। अखिलेश के नेतृत्व में हम चुनाव मैदान में जा रहे हैं। चुनाव चिह्न पर इलेक्शन कमीशन फैसला करेगा। कन्फ्यूजन की कोई स्थिति नहीं है। अखिलेश यादव ही हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। दोनों पक्षों ने चुनाव आयोग के सामने अपनी बात रख दी है। कोई समझौता होने नहीं जा रहा है।

आजम खान लगातार पिता-पुत्र के बीच जारी विवाद को खत्म करने के प्रयासों में जुटे हैं।

चुनाव चिह्न साइकिल पर अपना दावा पेश करने मंगलवार को चुनाव आयोग पहुंचे अखिलेश खेमे ने कहा कि उनके पास 90 फीसदी विधायकों का साथ है। वे सभी अखिलेश यादव का समर्थन कर रहे हैं। ऐसे में उनके नेतृत्व वाले धडे़ को ही सपा माना जाना चाहिए। चुनाव आयोग के अधिकारियों से करीब 20 मिनट की मुलाकात के बाद रामगोपाल यादव ने दिल्ली में इस बात की जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि इस संबंध में चुनाव आयोग को एक ज्ञापन सौंपा है जिसमें कहा गया है कि अखिलेश गुट ही असली समाजवादी पार्टी है और पूरी पार्टी अखिलेश यादव के साथ है इसलिए पार्टी नाम और चुनाव चिह्न 'साइकिल' उन्हें ही आवंटित किया जाना चाहिए। अखिलेश खेमे की ओर से रामगोपाल यादव, नरेश अग्रवाल और किरणमय नंदा चुनाव आयोग गए थे।

ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि अगर साइकिल चुनाव चिह्न पर कोई पेंच फंसता है तो अखिलेश खेमा मोटरसाइकिल को चुनाव चिह्न के तौर पर लेने का विचार कर सकता है। इससे पहले मुलायम ने सोमवार को दिल्ली में अपने घर पर अमर सिंह, शिवपाल यादव के साथ लंबी बैठक की। इसके बाद सभी एक साथ चुनाव आयोग गए। चुनाव आयुक्त से मुलाकात के वक्त इन तीनों के साथ जयाप्रदा भी मौजूद थीं।

चुनाव आयुक्त के साथ करीब चालीस मिनट की मुलाकात के बाद मुलायम और शिवपाल बिना कुछ कहे घर के लिए निकल गए। इससे पहले मुलायम ने 5 जनवरी को बुलाए गए राष्ट्रीय अधिवेशन को रद्द कर दिया। रामगोपाल यादव ने ‘साइकिल’ पर दावा जताने के लिए सोमवार को चुनाव आयोग से मुलाकात का वक्त मांगा था। आयोग ने उन्हें मंगलवार सुबह 11:30 बजे का वक्त दिया था। पहले रामगोपाल ने कहा था कि वे आयोग नहीं जाएंगे। बाद में मुलायम के आयोग जाने के बाद उन्होंने भी चुनाव आयोग जाने का फैसला किया।