अरुणाचल प्रदेश में पीपीए को तोड़कर बीजेपी ने बनाई सरकार

मुख्यमंत्री पेमा खाडू को सिर्फ मुख्यमंत्री की कुर्सी से प्यार है और इसके लिए खांडू कुछ भी कर सकते हैं। बीजेपी को खुश होने की जरूरत नहीं है। बीजेपी खांडू से सतर्क रहे, इसी में बीजेपी की भलाई है।

अरूणाचल प्रदेश में तेजी से घटे अलोकतांत्रिक घटनाक्रम में मुख्यमंत्री पेमा खाडू के नेतृत्व में पीपुल्स पार्टी ऑफ अरूणाचल (पीपीए) के 43 में से 33 विधायकों के बीजेपी में शामिल होने के बाद पार्टी ने शनिवार को अरूणाचल प्रदेश में अपनी सरकार का गठन किया।

खांडू ने विधानसभा अध्यक्ष तेंजिंग नोरबू थोंगदोक के सामने विधायकों की परेड कराई। विधानसभा अध्यक्ष ने विधायकों के बीजेपी में शामिल होने को मंजूरी दे दी। पूरा अलोकतांत्रिक घटनाक्रम गुरुवार को शुरू हुआ, जब पीपीए के अध्यक्ष काहफा बेंगिया ने कथित पार्टी विरोधी गतिविधि के लिए खांडू, उपमुख्यमंत्री चौवना मेन और पांच विधायकों को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया।

अरुणाचल प्रदेश में नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस (एनईडीए) सरकार की गठबंधन सहयोगी पीपीए ने शुक्रवार को टकाम पेरियो को राज्य का नया मुख्यमंत्री चुना था। हालांकि राजनीतिक समीकरण तब बदल गए, जब शुरुआत में पेरियो को समर्थन देने वाले पीपीए के अधिकतर विधायक बाद में खांडू के खेमे में चले गए। पीपीए ने शनिवार को चार और पार्टी विधायकों - होनचुन न्गानदम, बमांग फेलिक्स, पुंजी मारा और पानी टराम को भी निलंबित कर दिया।

खांडू ने विधानसभा परिसर में संवाददाताओं से कहा, अरूणाचल प्रदेश में आखिरकार कमल खिल गया। राज्य में लोग नयी सरकार के नेतत्व में नये साल में विकास की नयी सुबह देखेंगे। भाजपा में विलय के फैसले पर प्रकाश डालते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि परिस्थितियों ने विधायकों को लोगों एवं राज्य के हित में यह फैसला लेने के लिए मजबूर कर दिया।

न तो बीजेपी ने और न तो खांडू ने जनादेश का सम्मान किया और न ही अलायन्स के धर्म का। पिछले साल खांडू ने कांग्रेस छोड़ कर किसी और को मुख्यमंत्री बनाया, फिर कांग्रेस में वापस आकर खुद मुख्यमंत्री बन गए, इससे बाद जिसे मुख्यमंत्री बनाया थे, उसने ख़ुदकुशी कर ली, खांडू ने फिर कांग्रेस छोड़ी और पीपीए नाम की पार्टी बनाकर बीजेपी के नेतृत्ववाली नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस में शामिल हो गए। फिर देखिये, खांडू ने पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण पार्टी से निकाले जाने के बाद मुख्यमंत्री की कुर्सी खतरे में देख पीपीए को छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए।

मतलब साफ है खंडू को सिर्फ मुख्यमंत्री की कुर्सी से प्यार है और इसके लिए खांडू कुछ भी कर सकते हैं। बीजेपी को खुश होने की जरूरत नहीं है। बीजेपी खांडू से सतर्क रहे, इसी में बीजेपी की भलाई है।

अरुणाचल प्रदेश में चुनाव में जनादेश कांग्रेस को मिली थी, ऐसे में खांडू और बीजेपी को सत्ता का लोभ छोड़कर नए चुनाव का सामना करना चाहिए, नहीं तो इसे खांडू और बीजेपी की बेशर्मी मानी जाएगी। बीजेपी चुनाव हराने के बाद भी पिछले दरवाजे से अरुणाचल में सत्ता पर काबिज हो गई। ये तो जनादेश का सरासर अपमान है। सलीके से मोदी सरकार को अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाकर नए चुनाव की घोषणा करनी चाहिए।