जवान सीधे मुझसे शिकायत कर सकते हैं: आर्मी चीफ बिपिन रावत
बीते दिनों भारत की सुरक्षा में लगे अगल-अलग सुरक्षा एजेंसियों में तैनात जवानों ने अपनी शिकायतों को लेकर सोशल मीडिया पर कई विडियो अपलोड किए गए थे जिसको संज्ञान में लेते हुए भारत के थल सेना अध्यक्ष ने प्रेस वार्ता कर जवानों से यह कहा कि अगर किसी बात को लेकर कोई शिकायत या सुझाव है तो जवान सीधे मुझसे शिकायत कर सकते हैं।
थल सेना अध्यक्ष बिपिन रावत ने कहा कि सेना के सभी कमांड और मुख्यालयों में कंप्लेंट बॉक्स रखे है जिसे भी कोई शिकायत हो, वह उसके माध्यम से प्रत्यक्ष रूप से मुझसे शिकायत कर सकता है। इस बॉक्स में डाले गये सभी शिकायती पत्र सीधे मेरे द्वारा खोले जाएगा।
इसकी क्या गारंटी है कि बॉक्स में डाले गये सभी शिकायती पत्र थल सेना अध्यक्ष द्वारा ही खोले जाएँ?
भारतीय सेना में लांस नायक यज्ञ प्रताप सिंह का वीडियो सामने आया है। टीवी चैनल्स पर दिखाए जा रहे एक वीडियो में लांस नायक यज्ञ प्रताप ने अपने बड़े अफसरों पर खुद को प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है। यज्ञ ने अफसरों के व्यवहार पर कड़ी टिपण्णी करने हुए सवाल किया है कि जवानों से कपड़े धुलवाना और बूट पॉलिश करवाने को कैसे सही कहा जा सकता है?
गौरतलब है कि यज्ञ प्रताप सिंह देहरादून में तैनात है और उसने पिछले साल 15 जून को राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को अधिकारियों द्वारा जवानों के शोषण को लेकर एक चिट्ठी लिखी थी।
बाद में जब यह बात सेना के अधिकारियों को पता चली तो उसको काफी डांटा-फटकारा गया। अब उसे लग रहा है कि इसी मामले पर उसका कोर्ट मार्शल भी हो सकता है।
लांस नायक यज्ञ प्रताप ने बताया कि मैं सेना में 15 साल से नौकरी कर रहा हूं। लेकिन अधिकारियों द्वारा जवानों का शोषण किस तरह किया जाता है, मैंने देखा है। लेकिन कभी हिम्मत नहीं जुटा पाया क्योंकि सारी शक्ति अधिकारियों के हाथ में होती है। अगर मैं कुछ करता हूं तो मेरे ऊपर ही अधिकारी कार्रवाई कर सकते हैं।
यज्ञ प्रताप के मुताबिक, सेना में कई जगहों पर एक सैनिक से कपड़े धुलवाना, बूट पॉलिश करवाना, कुत्ते घुमवाना जैसे काम करवाना गलत है।
यज्ञ प्रताप ने कहा कि सेना में अधिकारी द्वारा जवानों के शोषण किया जाता है, जैसे घर का काम, अधिकारियों के जूते पॉलिस करना, मेम साहब के साथ किचन का काम करना, अधिकारियों के बच्चे को स्कूल छोड़कर आना जैसे कई काम जवानों को करने पड़ते हैं जो एक जवान को कभी अच्छे नहीं लगते हैं, लेकिन मजबूरी में करने पड़ते हैं। इसकी शिकायत को लेकर पीएम, राष्ट्रपति और मानव आयोग को भी खत लिखा, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।