68वें गणतंत्र दिवस के मौके पर भारत ने दिखाई ताकत

भारत के 68वें गणतंत्र दिवस के मौके पर आज देश की राजधानी दिल्ली में राजपथ पर देश की सैन्य ताकत, प्रौद्योगिकी और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की झलक देखने को मिली।

परेड में कुल 23 झाकियां, सैन्य बलों, अर्द्धसैनिक बलों, एनसीसी, एनएसएस तथा एनएसजी के 15 मार्चिंग दस्ते, संयुक्त अरब अमीरात का एक मार्चिंग दस्ता और उनके बैंडों ने हिस्सा लिया।

स्वदेशी हल्का लड़ाकू विमान तेजस और देश में ही बनी धनुष तोप, कोर ऑफ मिलिट्री पुलिस के 'श्वेत अश्व' द्वारा मोटरसाइकिल पर हैरतंगेज कर देने वाले करतब और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड के कमांडो परेड का मुख्य आकर्षण रहे।

समारोह की शुरुआत इंडिया गेट स्थित अमर जवान ज्योति पर भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पुष्पांजलि अर्पित करने के साथ हुई। रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने भी तीनों सेनाओं के प्रमुखों के साथ शहीदों को अपनी श्रद्धांजलि दी। इसके बाद प्रधानमंत्री ने सलामी मंच पर आकर तीनों सेनाओं के सर्वोच्च कमांडर और राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी की अगवानी की।

उनके सम्मान में 21 तोपों की सलामी के साथ ही सुबह 10 बजे परेड शुरू हुई। राष्ट्रपति के साथ आबूधाबी के युवराज एवं संयुक्त अरब अमीरात की सशस्त्र सेनाओं के डिप्टी सुप्रीम कमांडर मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान भी थे जो इस साल गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि थे।

दिल्ली क्षेत्र के जनरल ऑफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल एम.एम. नरवाने परेड कमांडर तथा दिल्ली क्षेत्र के चीफ ऑफ स्टाफ मेजर जनरल राजेश सहाय परेड के सेकेंड इन कमांड थे। विजय चौक और इंडिया गेट को जोड़ने वाले राजपथ पर लगभग डेढ़ घंटे तक तीनों सेनाओं की ताकत, राष्ट्र की सांस्कृतिक विविधता और ऐतिहासिक धरोहरों का झरोखा देखने को मिला। परेड का समापन आठ किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद लाल किले पर हुआ।

थल सेना के छह मार्चिंग दस्तों तथा छह बैंडों, नौसेना के एक-एक बैंड और मार्चिंग दस्ते तथा एक झाँकी और वायु सेना के मार्चिंग दस्ते, बैंड तथा वाहनों की एक टुकड़ी ने परेड में हिस्सा लिया। इसके अलावा बीएसएफ, सीआरपीएफ, सीआईएसएफ तथा दिल्ली पुलिस के एक-एक बैंड और मार्चिंग दस्ते, तटरक्षक बल का एक मार्चिंग दस्ता तथा एनसीसी के बालकों और बालिकाओं का एक-एक मार्चिंग दस्ता भी परेड में शामिल हुआ।

मार्चिंग दस्तों से पहले स्वदेशी हल्का लड़ाकू विमान तेजस और देश में ही बनी धनुष तोप ने राजपथ के दोनों ओर मौजूद दर्शकों और अतिथियों की तालियां बटोरी।

धनुष को पहली बार सार्वजनिक तौर पर प्रदर्शित किया गया है। इसे भारतीय सेना के लिए काफी अहम माना जा रहा है क्योंकि बोफोर्स तोप के बाद सेना को मिलने वाली यह पहली बड़ी तोप है।

इतना ही नहीं, टी-90 टैंक, आकाश और ब्रह्मोस मिसाइल, सीबीआरएन यानी कैमिकल, बायोलॉजिकल, रेडियोलॉजिकल और न्यूक्लिअर रेडिएशन डिटेक्शन मशीन भी राजपथ पर नज़र आये।

वायु सेना की स्वदेशी ताकत का प्रतीक लड़ाकू विमान तेजस भी पहली बार गणतंत्र दिवस परेड का हिस्सा बना। लगभग दो दशक के अंतराल के बाद यह दूसरा मौका है जब कोई स्वदेशी लड़ाकू विमान राजपथ पर वायु सेना की स्वदेशी ताकत राजपथ पर दिखी। है। इससे पहले 1980 के दशक में स्वदेशी लड़ाकू विमान मारुत ने गणतंत्र दिवस परेड के मौके पर फ्लाई पास्ट में अपने जौहर दिखाये थे।

हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड द्वारा बनाया गया तेजस ऑटो पायलट सुविधा के साथ घातक मिसाइलों, बमों और अन्य हथियारों से लैस अत्याधुनिक विमान है। फ्लाई पास्ट के लिए तीन तेजस विमानों ने बीकानेर के निकट नाल हवाई पट्टी से उड़ान भरी थी।

वायु सेना की मारक क्षमता की रीढ़ माने जाने वाले सुखोई, जगुआर और मिग लड़ाकू विमानों ने भी फ्लाई पास्ट में अपने जौहर दिखाकर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर लिया। लड़ाकू हेलिकॉप्टर रुद्र तथा उन्नत हल्के हेलिकॉप्टर ध्रुव के अलावा भारी-भरकम मालवाहक विमान हरक्यूलिस और ग्लोबमास्टर भी फ्लाई पास्ट का हिस्सा रहे। वायु सेना के दस्ते में इस बार चार अधिकारी और 144 आसमानी योद्धा शामिल थे। दस्ते का नेतृत्व स्क्वॉड्रन लीडर अटल सिंह शेखो ने किया। वायु सेना की झांकी का थीम इस बार महिला पायलटों को लड़ाकू भूमिका में शामिल करने और वायु सेना के प्रौद्योगिकी केंद्रित नेटवर्क पर आधारित था।