अर्थव्यवस्था

क्या भारत की मोदी सरकार अर्थव्यवस्था की सुस्ती से ऐसे निपटेगी?

सुस्त अर्थव्यवस्था और अलग अलग सेक्टर में लोगों की नौकरी का जाना पूरे देश में चिंता का विषय बना हुआ है।

इन्हीं चिंताओं के बीच शुक्रवार को भारत की केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सरकार को देश की मौजूदा आर्थिक हालत का पूरा अंदाज़ा है और देश की विकास का एजेंडा सबसे ऊपर है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट के दौरान फॉरेन पोर्टफोलियो इनवेस्टमेंट (FPI) की आय पर आयकर सरचार्ज बढ़ाने का फ़ैसला वापस ले लिया। साथ ही घरेलू निवेशकों के लिए भी आयकर सरचार्ज को बढ़ाने का निर्णय भी रद्द कर दिया।

वित्त मंत्री ने शेयर बाज़ार में लॉन्ग टर्म और शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन पर सरचार्ज को बढ़ाने के सरकार के फ़ैसले की वापसी की भी घोषणा की।

वित्त मंत्री के साथ इस प्रेस वार्ता में केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर, वित्त सचिव राजीव कुमार, राजस्व सचिव अजय भूषण पांडेय, आर्थिक सचिव अतनु चक्रवर्ती, एक्सपेंडिचर सचिव गिरीश चंद्र मुर्मू भी मौजूद थे।

निर्मला सीतारमण की घोषणाएं
- सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के लिए 70 हज़ार करोड़ के बेलआउट पैकज की मंज़ूरी दी गई।
- बैंकों को रेपो रेट की कटौती का फ़ायदा ब्याज में कमी कर ग्राहकों को देना होगा।
- लोन सेटलमेंट की शर्तें आसान हुईं। लोन की अर्ज़ी की ऑनलाइन मॉनिटरिंग होगी। कर्ज़ वापसी के 15 दिनों के भीतर बैंकों को ग्राहकों को दस्तावेज़ देने होंगे।
- टैक्स के लिए किसी को परेशान नहीं किया जाएगा। टैक्स असेसमेंट तीन महीने में पूरा किया जाएगा। आयकर से जुड़े ऑर्डर 1 अक्तूबर से सेंट्रलाइज़्ड सिस्टम के ज़रिए जारी किए जाएंगे।
- जीएसटी रिफंड आसान होगा, सभी जीएसटी रिफंड 30 दिन में किए जाएंगे। एमएसएमई की अर्जी के 60 दिनों के भीतर रिफंड दिया जाएगा।
- इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर के लिए 100 करोड़ रुपये का पैकेज़ दिया जाएगा।  इस सेक्टर के कामकाज पर नज़र रखने के लिए स्पेशल टास्क फोर्स बनाई जाएगी।
- सीएसआर उल्लंघन को क्रिमिनल नहीं सिविल अपराध माना जाएगा।
- स्टार्टअप टैक्स निपटारे से जुड़े मामलों के लिए अलग सेल बनेगा।
- स्टार्टअप पंजीकरण में आयकर की धारा 56 2 (बी) लागू नहीं होगी।  स्टार्टअप्स में एंजेल टैक्स ख़त्म।
- 31 मार्च 2020 तक ख़रीदे गए बीएस-IV वाहन अपने रजिस्ट्रेशन पीरियड तक बने रहेंगे और उनके वन टाइम रजिस्ट्रेशन फ़ीस को जून 2020 तक के लिए बढ़ा दिया गया।
- ऑटोमोबाइल सेक्टर में स्क्रैपेज पॉलिसी (पुरानी गाड़ियां का सरेंडर) लाएगी सरकार। गाड़ियों की ख़रीद बढ़ाने के लिए सरकार कई योजनाओं पर काम कर रही है।
- अमरीका और चीन के बीच ट्रेड वॉर से हालात पर नकारात्मक असर पड़ा है।
- अमरीका और चीन जैसे देशों में मांग में कमी के आसार हैं लेकिन हमारा विकास दर उनकी तुलना में आगे है।
- अमरीका और जर्मनी विपरीत यील्ड कर्व्स का सामना कर रहे हैं, यानी इन देशों में मांग में कमी आई है।
- भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत है। यहां कारोबार करना आसान हुआ। हम लगातार व्यापार को आसान कर रहे हैं। इसके लिए सभी मंत्रालय साथ मिलकर काम कर रहे हैं।
- प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हम वेल्थ क्रिएटर का आदर करते हैं। हमने अलग-अलग सेक्टर के लोगों से मुलाक़ात की। सरकार के एजेंडे में सुधार सबसे ऊपर है।
- मूडीज़ ने भारत के जीडीपी ग्रोथ को घटाकर 6.2 फ़ीसदी कर दी है जो पहले 6.8 फ़ीसदी थी।
- 2019 में वैश्विक विकास 3.2 फ़ीसदी से नीचे रह सकता है।
- पर्यावरण को लेकर मंजूरी में पहले से अब कम समय लगता है। इनकम टैक्स भरना पहले से बहुत आसान हुआ है। हम जीएसटी को और आसान बनाएंगे।
- इज़ ऑफ़ डूइंड बिज़नेस के मामले में यह सरकार पिछली सरकारों की तुलना में बहुत आगे है।
- अगले हफ़्ते होम बायर्स और अन्य मामलों को लेकर भी कुछ घोषणाएं की जाएंगी।

भारत में 70 सालों में नकदी का अभूतपूर्व संकटः नीति आयोग

भारत में नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था पर छाया नकदी का संकट एक अभूतपूर्व सी परिस्थिति है।

राजीव कुमार ने कहा, "पिछले 70 सालों में किसी ने ऐसी परिस्थिति नहीं देखी जहाँ सारा वित्तीय क्षेत्र उथल-पुथल के दौर से गुजर रहा है और निजी क्षेत्र में कोई भी दूसरे पर भरोसा नहीं कर रहा है। कोई भी किसी को कर्ज़ देने को तैयार नहीं है, सब नकद दाबकर बैठे हैं।''

उन्होंने दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि इस जड़ता वाली स्थिति को तोड़ने के लिए अभूतपूर्व क़दम उठाए जाने की आवश्यकता है।

राजीव कुमार ने कहा कि निजी क्षेत्र की आशंकाओं को दूर करने के लिए सरकार को हरसंभव प्रयास करना चाहिए।

उन्होंने कहा, "नोटबंदी, जीएसटी और आईबीसी (दीवालिया क़ानून) के बाद हर चीज़ बदल गई है। पहले 35 फ़ीसदी नक़दी उपलब्ध होती थी, वो अब काफ़ी कम हो गया है। इन सभी कारणों से स्थिति काफ़ी जटिल हो गई है।'' 

लाइव : एमटीएनएल और बीएसएनएल पर कांग्रेस मुख्यालय में पवन खेरा द्वारा एआईसीसी प्रेस वार्ता

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बढ़ते बैंक धोखाधड़ी पर कांग्रेस मुख्यालय में जयवीर शेरगिल द्वारा एआईसीसी प्रेस वार्ता

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लाइव : नई दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय में रणदीप सिंह सुरजेवाला द्वारा एआईसीसी प्रेस वार्ता

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भारत सबसे तेज़ बढ़ती अर्थव्यवस्था नहीं रहा

भारत की अर्थव्यवस्था पिछले पांच सालों में सबसे धीमी रफ़्तार से बढ़ी है। भारत सरकार की ओर से जारी किए गए हालिया आंकड़ों से ये बात साफ़ होती है।

ये रिपोर्ट बताती है कि ये आंकड़े दूसरी बार प्रधानमंत्री बने नरेंद्र मोदी के लिए परेशानी का सबब बन सकता है।

पिछले वित्तीय वर्ष अप्रैल 2018 से मार्च 2019 तक आर्थिक वृद्धि दर 6.8% रही। वहीं जनवरी से मार्च तक की तिमाही में ये दर 5.8% तक ही रही। ये दर पिछले दो साल में पहली बार चीन की वृद्धि की दर से भी पीछे रह गई है।

इसका मतलब है कि भारत अब सबसे तेज़ी से आगे बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था नहीं रह गया है। भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के लिए ये एक बड़ी चुनौती साबित होगी। निर्मला सीतारमण मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में कॉमर्स और रक्षा जैसे मंत्रालय संभाल चुकी हैं।

मोदी सरकार के सामने मौजूदा चुनौती ये है कि वो अर्थव्यवस्था के प्रति लोगों का यकीन वापस ला सके। मोदी सरकार को अपनी शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म पॉलिसी के बीच सामंजस्य बैठाना होगा।

सरकार की सबसे पहली चुनौती रोज़गार होगी।

मोदी सरकार को उसके पहले कार्यकाल में सबसे ज्यादा रोज़गार के मुद्दे पर घेरा गया। सरकार की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2017-18 के बीच बेरोज़गारी 45 साल में सबसे ज़्यादा 7. 2 प्रतिशत  रही।
जानकार मानते हैं कि सरकार को अभी भवन निर्माण और कपड़ा इंडस्ट्री जैसे लेबर-सेक्टर पर फ़ोकस करने की ज़रूरत है, ताकि तत्काल प्रभाव से रोजगार पैदा किया जा सके। इसके अलावा सरकार को हेल्थ केयर जैसी इंडस्ट्री पर भी काम करना चाहिए ताकि लंबी अवधि वाली नौकरियां भी पैदा की जा सकें।

घटता निर्यात भी रोजगार के रास्ते में एक बड़ी रुकावट पैदा करता है।

अमेरिका ने 5 जून 2019 से भारत का स्पेशल ट्रेड स्टेटस ख़त्म कर दिया है। भारत कुल निर्यात का 16 प्रतिशत अमेरिका को निर्यात करता है। ऐसे में भारत की अर्थव्यवस्था पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। इससे बेरोज़गारी बढ़ेगी।

अमेरिका ने ईरान पर 1 मई 2019 से प्रतिबन्ध लगा दिया है। भारत अब ईरान से पेट्रोलियम आयात नहीं कर सकता। भारत सबसे ज्यादा पेट्रोलियम ईरान से आयात करता था जिसका भुगतान भारत अपनी करेंसी रूपया में करता था। ईरान पर प्रतिबन्ध लगने से भारत बहुत बड़ी मुसीबत में फंस गया है। भारत को अब पेट्रोलियम के लिए डॉलर में भुगतान करना होगा। ऐसे ही डॉलर के मुकाबले रूपया 69.58 के स्तर पर है। रूपया और नीचे गिरेगा। इससे महँगाई बढ़ेगी।

नई जीडीपी दर से साफ है कि भारत की अर्थव्यवस्था तेज़ी से नीचे की ओर गिर रही है।

चीन के अलग भारत की आर्थिक वृद्धि का सबसे बड़ा कारक यहां की घरेलू खपत है। पिछले 15 सालों से घरेलू खपत ही अर्थव्यवस्था को बढ़ाने में सबसे अहम भूमिका निभाता रहा है। लेकिन हालिया डेटा से साफ़ है कि उपभोक्ताओं की खरीदने की क्षमता में कमी आई है।

कारों-एसयूवी की बिक्री पिछले सात सालों के सबसे निचले पायदान पर पहुंच गई है। ट्रैक्टर, मोटरसाइकिल, स्कूटर की बिक्री में भी कमी हुई है। बैंक से कर्ज़ लेने की मांग भी तेज़ी से बढ़ी है। हालिया तिमाहियों में हिंदुस्तान यूनिलीवर की आय वृद्धि में भी कमी आई है। इन तथ्यों को देखते हुए ये समझा जा सकता है कि उपभोक्ता की खरीदने की क्षमता में कमी आई है।

बीजेपी ने अपने घोषणापत्र में वादा किया कि वह मध्यम आय वाले परिवारों के हाथों में अधिक नकदी और अधिक क्रय शक्ति सुनिश्चित करने के लिए आय करों में कटौती करेगी।

एक ब्रोकरेज कंपनी के वाइस प्रेसिटेंड गौरांग शेट्टी का मानना है कि सरकार को अपने अगले बजट (जुलाई) में पर्सनल और कॉरपोरेट टैक्स में भी कटौती करनी चाहिए।

वो कहते हैं कि ये कदम अर्थव्यवस्था के लिए एक उत्तेजक की तरह काम करेगा।

लेकिन भारत के 3.4% बजट घाटे यानी सरकारी व्यय और राजस्व के बीच का अंतर मोदी सरकार को ऐसा करने से रोक सकता है।

जानकारों का मानना है कि बढ़ता वित्तीय घाटा शॉर्ट और लॉन्ग टर्म वृद्धि को रोक सकता है।

भारत में बढ़ता कृषि संकट नरेंद्र मोदी के लिए उनके पहले कार्यकाल की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक रहा।  देश भर के किसान दिल्ली-मुंबई सहित भारत के कई हिस्सों में सड़कों पर अपनी फ़सल के उचित दाम की मांग के साथ उतरे।

बीजेपी ने अपनी पहली सरकार में चुनिंदा किसानों को 6000 रुपये सालाना देने का फ़ैसला किया था, हालांकि मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल की पहली मंत्रिमंडल की बैठक में सभी किसानों के लिए ये स्कीम लागू कर दी है।

यह योजना कुछ वक्त के लिए राहत देगी, लेकिन लंबे वक्त में ये काम नहीं आएगी। कृषि क्षेत्र की संरचना को सुधारने की ज़रूरत है।

वर्तमान समय में किसान अपनी फ़सल राज्य सरकार की एजेंसियों को बेचते हैं। जबकि किसानों को सीधे बाज़ार में मोलभाव करने की सहूलियत देनी चाहिए।

बीजेपी के चुनावी वादों में से एक था कि वह रेलवे, सड़क और इंफ्रास्ट्रक्चर पर 1.44 ट्रिलियन डॉलर खर्च करेंगे। लेकिन इतनी बड़ी रकम कहां से आएगी? जानकार मानते हैं कि मोदी इसके लिए निजीकरण की राह अपना सकते हैं।

मोदी ने अपने पहले कार्यकाल में सरकारी उद्यमों को बेचने के अपने वादों पर धीमी गति से काम किया है। एयर इंडिया लंबे वक्त से कर्ज़ में डूबी है। सरकार ने इसके शेयर बेचने की प्रक्रिया शुरू की, लेकिन कोई ख़रीददार नहीं मिला और एयर इंडिया नहीं बिक सकी।

पिछले कुछ सालों से निजी निवेश पिछड़ रहा है और पिछले एक दशक में भारत की प्रभावशाली आर्थिक वृद्धि काफी हद तक सरकारी खर्चों पर ही चल रही है।

अपनी पहली सरकार में नरेंद्र मोदी ने लाइसेंसी राज में कुछ कमी की जिसकी मदद से भारत विश्व बैंक की व्यापार करने की सहूलियत वाली सूची में 77वें पायदान पर पहुंच सका, जो साल 2014 में 134वें स्थान पर था।

लाइव : कांग्रेस मुख्यालय में जयवीर शेरगिल द्वारा एआईसीसी प्रेस वार्ता

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लाइव : कांग्रेस मुख्यालय में नवजोत सिंह सिद्धू द्वारा एआईसीसी प्रेस वार्ता

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लाइव : मोदी द्वारा मित्र उद्योगपतियों के कर्ज माफ़ी पर कांग्रेस मुख्यालय में अभिषेक मनु सिंघवी और शक्तिसिंह गोहिल द्वारा एआईसीसी प्रेस वार्ता

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राफेल डील स्कैम पर कांग्रेस मुख्यालय में पवन खेड़ा द्वारा एआईसीसी प्रेस वार्ता

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