अर्थव्यवस्था

बचत खातों के लिए फॉर्म 60 अनिवार्य होगा

भारत में कालेधन पर नकेल कसने के लिए केंद्र की मोदी सरकार ने शनिवार को एक नया नियम लागू किया है। इससे बैंक और डाकघरों में कई साल से चल रहे फर्जी बचत खातों में जमा गैरकानूनी आय पकड़ में आएगी।

नए नियम के तहत सरकार ने सभी बचत खाते के लिए पैन नंबर विस्तार देना जरूरी कर दिया है, जिन वास्तविक खाताधारकों ने यह सूचना अब तक बैंक को नहीं दी है, उनके लिए सरकार ने 55 दिन का वक्त दिया है।

वित्त मंत्रालय द्वारा जारी नियम में बचत खाताधारकों को पैन नंबर विस्तार या फार्म-60 28 फरवरी तक अनिवार्य तौर पर जमा कराने को कहा गया है। दरअसल, 9 नवंबर से लेकर 30 दिसंबर के बीच जिन खातों में ढाई लाख रुपये से अधिक रकम जमा हुई है। उसका ब्योरा बैंकों और डाकघरों को आयकर विभाग को 15 जनवरी तक सौंपना होगा। इस नियम के लागू होने के बाद उन खातों के ग्राहकों को जानो (केवाईसी) की पड़ताल की जाएगी।

मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना में बैंकों और डाकघरों से चालू खाते के बारे में भी रिपोर्ट तलब की है। इसमें कहा गया है कि 1 अप्रैल 2016 से लेकर 9 नवंबर के बीच ऐसे खातों की जानकारी दें, जिनमें नोटबंदी के दौरान 12.50 लाख रुपये और एक या उससे ज्यादा बचत खातों में कुल ढाई लाख रुपये से ज्यादा रकम जमा कराई गई।

अधिसूचना के मुताबिक, पचास हजार रुपये से ज्यादा के नकद लेनदेन पर बैंकों, डाकघरों, रेस्टोरेंट और होटलों को रिकार्ड रखने के साथ पैन नंबर या फार्म 60 लेना जरूरी होगा। यह प्रक्रिया अनिवार्य होगी, जिसके बिना लेनदेन नहीं किया जाएगा।

मंत्रालय का मानना है कि इस फैसले से नोटबंदी के बाद फर्जी बैंक खातों में जमा गैरकानूनी आय पकड़ में आ जाएगी, इसलिए यह नियम लाया गया है। चालू खातों में आम तौर पर पैनकार्ड विस्तार और केवाईसी की प्रक्रिया पूरी है, लेकिन बड़ी तादाद में बचत खाते हैं, जो कई साल से चल रहे हैं, लेकिन खाताधारकों की ओर से पैनकार्ड संबंधी विस्तार से जुड़ा फार्म-60 नहीं भरा गया है। 28 फरवरी के बाद सरकार ऐसे बैंक खातों के खिलाफ कड़ा कदम उठा सकती है।

वित्त मंत्रालय ने बैंकों तथा डाकघरों से यह पूरी जानकारी 15 जनवरी तक तलब की है। इसके अलावा चालू खाते पर भी रिपोर्ट इसी तारीख तक मांगी गई है। इसमें को-ऑपरेटिव बैंकों में जमा कराई गई राशि भी शामिल है। मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि अगर एक ही व्यक्ति ने विभिन्न खातों में पैसे जमा कराए हैं, और उसका कुल योग निर्धारित सीमा यानी बचत खातों में ढाई लाख से ज्यादा है, तो उसकी भी रिपोर्ट आयकर विभाग को सौंपी जाए।

सरकार ने ऐसे खातों का चालू वित्त वर्ष का नोटबंदी से पहले का रिकॉर्ड भी मांगा है। बैंकों से इन खातों के बारे में चार जानकारी मांगी गई है। इनमें खाते में जमा कराई गई कुल राशि, निकाली गई कुल राशि और नोटबंदी के बाद जमा कराई गई राशि का विवरण। सरकार ने इसके लिए आयकर कानून, 1962 की संबंधित धाराओं में जरूरी संशोधनों के लिए शुक्रवार को अधिसूचना जारी की थी।

जीडीपी वृद्धि दर 2016-17 में घटकर 7.1% रहने का अनुमान

भारत की जीडीपी वृद्धि दर मौजूदा वित्त वर्ष में 7.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है। यह 2015-16 में 7.6 प्रतिशत थी। आर्थिक वृद्धि दर में कमी का कारण विनिमार्ण, खनन तथा निमार्ण क्षेत्रों में नरमी है।

मोदी सरकार के इस आंकड़े में नोटबंदी के बाद के उतार-चढ़ाव वाले आंकड़े को शामिल नहीं किया गया है। केंद्रीय सांख्यिकी कायार्लय (सीएसओ) के आंकड़े जारी करते हुए मुख्य साख्यिकीविद टीसीए अनंत ने कहा कि नवंबर के आंकड़े उपलब्ध थे और उसका विश्लेषण किया गया, लेकिन यह पाया गया कि नोटबंदी की नीति के कारण इन आंकड़ों में उतार-चढ़ाव काफी अधिक है। ऐसे में नवंबर के आंकड़ें को अनुमान में शामिल नहीं करने का फैसला किया गया।

इसलिए 2016-17 की राष्ट्रीय आय के पहले अग्रिम अनुमान में नोटबंदी का प्रभाव प्रतिबिंबित नहीं होता और यह केवल सात महीनों या अक्तूबर तक के क्षेत्रवार आंकड़ों पर आधारित है। सरकार ने नौ नवंबर से 500 और 1,000 रपये नोटों पर पाबंदी लगा दी थी।

वास्तविक जीडीपी या सकल घरेलू उत्पाद स्थिर मूल्य (2011-12) पर 2016-17 में 121.55 लाख करोड़ रपये रहने का अनुमान है। वहीं 2015-16 के लिये 31 मई 2016 को जारी जीडीपी के अस्थायी अनुमान के तहत यह 113.50 लाख करोड़ रपये था। सीएसओ ने कहा, वित्त वर्ष 2016-17 में जीडीपी में वृद्धि 7.1 प्रतिशत अनुमानित है जो 2015-16 में 7.6 प्रतिशत थी।

राष्ट्रीय आय पर सीएसओ का अनुमान रिजर्व बैंक के अनुमान के समरूप है। रिजर्व बैंक ने भी जीडीपी वृद्धि के अनुमान को कम कर 7.1 प्रतिशत कर दिया है।

सीएसओ ने कहा, मूल कीमत (उत्पाद के हाथ लगने वाली वाली कीमत) पर वास्तविक जीवीए की अनुमानित वृद्धि दर 2016-17 में 7.0 प्रतिशत रहने का अनुमान है। यह 2015-16 में 7.2 प्रतिशत थी। स्थिर मूल्य पर सकल मूल्य वर्द्धन (जीवीए) 2016-17 में 111.53 लाख करोड़ रुपये अनुमानित है जो 2015-16 में 104.27 लाख करोड़ रपये था। कृषि, वानिकी और मत्स्यपालन की वृद्धि दर 2016-17 में 4.1 प्रतिशत रहने की संभावना है जो पहले 1.2 प्रतिशत थी।

दूसरी तरफ खनन एवं उत्खनन क्षेत्र में आलोच्य वित्त वर्ष में 1.8 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान है, जबकि 2015-16 में इसमें 7.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। विनिमार्ण क्षेत्र में वृद्धि दर 2016-17 में 7.4 प्रतिशत तथा निमार्ण क्षेत्र में 2.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है।

पिछले वित्त वर्ष में जहां विनिमार्ण क्षेत्र में 9.3 प्रतिशत की वद्धि हुई थी, वहीं निमार्ण क्षेत्र में 3.9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी थी। आंकड़ों के अनुसार, प्रति व्यक्ति शुद्ध राष्ट्रीय आय (चालू मूल्य) 2016-17 में 10.4 प्रतिशत से बढ़कर 1,03,007 रुपये रहने की संभावना है जो 2015-16 में 7.4 प्रतिशत वृद्धि के साथ 93,293 रपये थी।

आरबीआई का नोटबंदी के फैसले का कारण बताने से इनकार

भारत के रिजर्व बैंक ने यह बताने से इनकार कर दिया है कि आखिर क्यों मोदी सरकार ने अचानक 500 और 1000 के नोट बंद करने का फैसला लिया। केंद्रीय बैंक का मानना है कि घोषणा के कारणों को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता। साथ ही इन नोटों की भरपाई करने में लगने वाले समय के बारे में जानकारी देने से मना कर दिया गया है।

एक आरटीआई के जवाब में बैंक ने कहा, ''सवाल किसी घटना की भविष्य की तारीख पूछने की प्रकृति का है जो आरटीआई कानून की धारा दो (एफ) के अनुसार सूचना के रूप में परिभाषित नहीं है।'' रिजर्व बैंक ने सूचना के अधिकार (आरटीआई) कानून की धारा आठ (1) (ए) का हवाला देते हुए देश में हुई नोटबंदी का कारण बताने से भी इंकार कर दिया। यह धारा कहती है कि ऐसी सूचना जिसका खुलासा देश की संप्रभुता और एकता, सुरक्षा, राज्य के रणनीतिक, वैज्ञानिक या आर्थिक हितों, किसी दूसरे राष्ट्र के साथ संबंध पर पूर्वाग्रहपूर्ण प्रभाव डाले या अपराध के लिए उकसाए, उसे सार्वजनिक नहीं किया जा सकता। हाल में बैंक ने आठ नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नोटबंदी की घोषणा के मुद्दे पर फैसले के लिए हुई बैठक का ब्यौरा देने से इंकार किया था।

पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त शैलेश गांधी ने इस पर सवाल उठाते हुए कहा कि जनहित का उपबंध वहां लागू होगा, जहां छूट वाला उपबंध आवेदक द्वारा मांगी गई सूचना पर लागू होता हो। मगर इस मामले में मांगी गई सूचना किसी छूट उपबंध में नहीं आती। उन्होंने कहा कि कानून बहुत स्पष्ट है कि जब कोई लोक प्राधिकार सूचना देने से इंकार करता है तो उसे स्पष्ट कारण बताने चाहिए कि इस मामले में छूट उपबंध कैसे लागू होता है।

हाल में मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नोटबंदी संबंधी घोषणा से महज दो घंटे पहले ही रिजर्व बैंक ने बोर्ड ऑफ डायरेक्टर की बैठक बुलाकर नोटबंदी की सिफारिश की थी। इस बैठक में 10 अहम सदस्यों में से 8 ही मौजूद थे।

विराल वी आचार्य रिजर्व बैंक के नए डिप्टी गवर्नर बने

भारत सरकार ने न्यूयार्क यूनिवर्सिटी के अर्थशास्त्र के प्रोफेसर विराल वी  आचार्य को रिजर्व बैंक का नया डिप्टी गवर्नर नियुक्त किया है। केन्द्रीय मंत्रिमंडल नियुक्ति समिति ने तीन साल के लिए उनकी नियुक्ति को मंजूरी दे दी।

आचार्य ऐसे समय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर नियुक्त किये गये हैं जब नोटबंदी के बाद नियमों में बार-बार बदलाव को लेकर केन्द्रीय बैंक की आलोचना की जा रही है। न्यूयार्क यूनिवर्सिटी के वित्त विभाग में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर वी वी आचार्य वित्तीय क्षेत्र में प्रणालीगत जोखिम क्षेत्र में विश्लेषण और शोध के लिये जाने जाते हैं।

आईआईटी मुंबई के छात्र रहे आचार्य ने 1995 में कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग में स्नातक और न्यूयार्क विश्वविद्यालय से 2001 में वित्त में पीएचडी की है। वर्ष 2001 से 2008 तक आचार्य लंदन बिजनेस स्कूल में रहे।

500-1000 के 10 से ज्यादा नोट रखने पर जुर्माना और जेल

500 और 1,000 रुपये के पुराने नोट रखने वालों पर अब जुर्माना लगेगा। उन्हें जेल की सजा भी हो सकती है। केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को इस तरह के प्रावधान वाले अध्यादेश को मंजूरी दी है।

भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में बुधवार को विशिष्ट बैंक नोट दयित्व समाप्ति अध्यादेश को मंजूरी दी गई जिसमें 500, 1,000 रुपये के पुराने बंद नोट 31 मार्च के बाद भी एक सीमा से अधिक रखने को कानून के तहत जुर्म माना जायेगा जिस पर 10,000 रुपये अथवा रखी गई राशि के पांच गुणा का जुर्माना इनमें जो भी अधिक होगा लगाया जायेगा।

एक जनवरी से 31 मार्च के बीच पुराने नोटों को जमा कराते समय गलत सूचना देने पर 5,000 रुपये अथवा जमा राशि के पांच गुणा तक जुर्माना लगाया जायेगा। आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी है। अध्यादेश के जरिये भारतीय रिजर्व बैंक कानून में संशोधन किया जाएगा। इस संशोधन के जरिये 500 और 1000 के नोटों को समाप्त करने की घोषणा को विधायी समर्थन दिया जायेगा।

सरकार की आठ नवंबर की घोषणा के बाद 500, 1,000 रुपये के पुराने नोट कानूनी रूप से मान्य नहीं रह गये थे, लेकिन भविष्य में इनको लेकर किसी तरह का कोई विवाद खड़ा नहीं हो इसलिये मात्र अधिसूचना जारी करने को काफी नहीं माना गया और केन्द्रीय बैंक को इनके दायित्व से मुक्त करने के लिये कानूनी संशोधन के लिये अध्यादेश को मंजूरी दी गई।

पेटीएम को लगा लाखों का चूना

डिजिटल लेन-देन की सुविधा देने वाली कंपनी पेटीएम को ग्राहकों ने 6.15 लाख का चूना लगाया है। पेटीएम ने दावा किया है कि 48 ग्राहकों ने उसके साथ 6.15 लाख रुपये की धोखाधड़ी की है।

पेटीएम की इस शिकायत पर सीबीआई ने एफआईआर दर्ज कर ली है। सीबीआई इस तरह के मामलों में बिल्कुल दखल नहीं देती है, बशर्ते केंद्र सरकार ऐसे मामलों को उसके पास भेज दे या फिर सुप्रीम कोर्ट अथवा कोई हाईकोर्ट ऐसा निर्देश जारी करे।

सीबीआई ने दिल्ली के कालकाजी, गोविंदपुरी और साकेत निवासी 15 लोगों के अलावा पेटीएम की पैरंट कंपनी वन97 कम्यूनिकेशंज के अनाम अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है।

पेटीएम के लीगल मैनेजर एम. शिवकुमार ने शिकायत की है। शिकायत में कहा गया है कि किसी ग्राहक को मिले किसी सामान में कुछ गड़बड़ी होती है तो कंपनी उसे पे करने के साथ-साथ वह सामान वापस भी मंगवाती है जिसे मर्चेंट के पास भेज दिया जाता है। यह पूरी प्रक्रिया कस्टमर केयर एग्जिक्युटिव्स की टीम की ओर से पूरी की जाती है जिसे ऐसी शिकायतें सुलझाने के लिए विशेष आईडीज और पासवर्ड्स दिए जाते हैं। यही टीम ग्राहकों की शिकायतों पर सामान वापसी की व्यवस्था करती है।

शिकायत में कहा गया है, 'कंपनी ने ऐसे 48 मामले पकड़े, जिनमें ग्राहकों को उनके ऑर्डर्स सफलतापूर्वक मिल जाने के बावजूद रीफंड कर दिया गया। हालांकि होना यह चाहिए था कि जब ग्राहकों को सफलतापूर्वक और संतोषजनक तौर पर डिलिवरी मिल जाए तो उन्हें रीफंड नहीं मिले। लेकिन इन सभी 48 मामलों में ऐसा नहीं हुआ और इन सभी को 6.15 लाख रुपये का रीफंड दे दिया गया।'