संयुक्त राष्ट्र के एक अधिकारी ने बताया है कि म्यांमार के राखिने प्रांत में जारी हिंसा के कारण कम से कम 123,000 रोहिंग्या मुसलमान सीमा पार कर बांग्लादेश पहुंच गए हैं।
बांग्लादेश में यू एन एच सी आर के प्रवक्ता जोसेफ सूरजमोनी त्रिपुरा ने समाचार एजेंसी ए एफ ई को बताया कि हाल ही में पहुंचे शरणार्थियों में 30 हजार से ज्यादा पिछले 24 घंटे के दौरान पहुंचे हैं, जो अस्थाई शिविरों में रह रहे हैं।
संयुक्त राष्ट्र के सूत्रों के मुताबिक, 123,000 में से सिर्फ छह हजार शरणार्थी अपने परिवार के सदस्यों के साथ कॉक्स बाजार जिले में शरणार्थी शिविरों में रह रहे हैं।
मंगलवार को रोहिंग्या मुसलमानों का तांता लग गया। म्यांमार ने इस समुदाय को अपने यहां नागरिकता देने से इंकार कर दिया है और बांगलादेश ने इन्हें शरणार्थी का दर्जा दे दिया है।
ए एफ ई के मुताबिक, टेकनाफ इलाके में बंगाल की खाड़ी से होते हुए रोहिंग्या शरणार्थियों की नौका लगातार तट पर पहुंच रही हैं।
बांग्लादेश में करीब तीन से पांच लाख के बीच रोहिंग्या मुसलमान रहते हैं, जिनमें से केवल 32 हजार को ही शरणार्थी का दर्जा प्राप्त है और वे कॉक्स बाजार जिले में रहते हैं।
अराकन रोहिंग्या साल्वेशन आर्मी (ए आर एस ए) के विद्रोहियों ने पिछले दो दिनों में उत्तरी म्यांमार के गांवों के सैकड़ों मकानों को आग के हवाले कर दिया। एक सरकारी समिति ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, विद्रोहियों ने औकप्युमा गांव में सुरक्षा बलों के साथ झड़प होने के बाद 50 घरों को आग के हवाले कर दिया और औंता गांव में भी 120 घर फूंक डाले। दिंगार, सॉकीनामा और होंटारया में विस्फोटक उपकरणों में विस्फोट करके 90 से ज्यादा घरों को आग के हवाले कर दिया गया।
म्यांमार के सुरक्षा बलों ने बताया कि थिनबॉग्वे गांव में आतंकवादियों ने 400 से अधिक घरों को आग के हवाले कर दिया।
विद्रोहियों ने उत्तरी राखिने में 25 अगस्त को 30 पुलिस चौकियों पर हमले किए थे। 31 अगस्त तक 52 से ज्यादा हमले हुए, जिनमें 13 सुरक्षाकर्मी मारे गए। हमलों के दौरान भागने की कोशिश कर रहे सात हिंदू और पांच दैंगनैत जाति के लोगों सहित 14 नागरिक मारे गए।
राखिने राज्य के करीब 38,000 रोहिंग्या मुसलमान बांग्लादेश की सीमा की ओर पलायन कर गए हैं।
म्यांमार की सेना ने कहा कि सुरक्षाबलों ने 11,720 जनजातीय ग्रामीणों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया है और उन्हें मदद मुहैया कराई जा रही है। म्यांमार की सेना ने बताया कि ग्रामीणों का निकालने का अभियान जारी है।
जब बारिश से पूरा मुंबई बेहाल था तो इस मुसीबत की घड़ी में मुंबई के लोगों को मस्जिदों ने सहारा दिया।
जब मुसलमान इस तरह का कोई अच्छा काम करते है तो भारत के न्यूज़ चैनल्स इन कामों को नही दिखाते हैं। बस बगदादी को दिखाते रहते हैं क्योंकि इससे टीआरपी मिलती है। जबकि मुसलमानों द्वारा किये जा रहे अच्छे कामों को दिखाने से न्यूज़ चैनल्स को टीआरपी नहीं मिलती है!
भारत का 20 करोड़ मुसलमान आज न तो वोट बैंक हैं। ना ही टीआरपी न्यूज़ चैनल्स की निगाह में।
क्योंकि मुसलमानों से संबंधित कार्यक्रम दिखाने से न्यूज़ चैनल्स को विज्ञापन नहीं मिलते। वजह सबको पता है।
रही वोट बैंक की बात तो बीजेपी और आरएसएस ने कई सालों तक मुसलमानों को वोट बैंक कहकर कोसती रही परिणामस्वरूप मुसलमानों को ऐसा लगने लगा कि वोट बैंक होना गलत बात है।
और कई वजहों से मुसलमानों में इतना बिखराव आया कि आज मुसलमान कोई वोट बैंक नहीं है। इस तरह से मुसलमानों ने लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत को खो दिया। इसका सबसे ज्यादा फायदा हुआ बीजेपी और आरएसएस को।
बीजेपी और आरएसएस जो चाहती थी, मुसलमानों ने बीजेपी और आरएसएस की मुराद को पूरा किया।
आज बाबाओं ने अपने-अपने वोट बैंक बना लिए हैं, लेकिन मुसलमानों ने अपने वोट बैंक को ख़त्म कर दिया।
क्या भारत का मुस्लिम फिर से वोट बैंक बन पायेगा, यह बड़ा सवाल है!
सुप्रीम कोर्ट के द्वारा इंस्टैंट ट्रिपल तलाक़ को असंवैधानिक करार दिए जाने के बाद आज से भारत में मुस्लिम महिलाएं धर्मगुरुओं द्वारा जबरदस्ती थोपी गई इस गैर इस्लामिक कुप्रथा से आज़ाद हो गई। भले ही भारत 70 साल पहले आज़ाद हुआ हो, लेकिन वास्तव में भारतीय मुस्लिम महिलाएं आज के दिन ही आज़ाद हुई हैं। अब भारत की केंद्र सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि कानून बनाकर इस कुप्रथा को हमेशा के लिए दफ़न कर दे ताकि अब भारत की किसी बेटी को 'सायरा बनो' नहीं बनना पड़े।
ऑल इंडिया मुस्लिम वूमेन पर्सनल लॉ बोर्ड और ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड ने तीन तलाक को लेकर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिये गये फैसले को इस्लाम और देश की मुस्लिम महिलाओं की जीत करार देते हुए कहा कि इससे तलाक के नाम पर मुसलमान औरतों के साथ होने वाली नाइंसाफी पर रोक लगने की उम्मीद है।
ऑल इंडिया मुस्लिम वूमेन पर्सनल लॉ बोर्ड की अध्यक्ष शाइस्ता अम्बर ने पी टी आई से बातचीत में कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला मुस्लिम समाज के लिये ऐतिहासिक है। यह देश की मुस्लिम महिलाओं की जीत है, लेकिन उससे भी ज्यादा अहम यह है, कि यह इस्लाम की जीत है। उम्मीद है कि आने वाले वक्त में तीन तलाक को हमेशा के लिये खत्म कर दिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि अब तक तीन तलाक की वजह से मुस्लिम औरतों पर जुल्म होते रहे हैं, जबकि इस्लाम में कहीं भी तीन तलाक की व्यवस्था नहीं है। यह सिर्फ कुछ तथाकथित धर्मगुरुओं की बनायी हुई अन्यायपूर्ण व्यवस्था थी जिसने लाखों औरतों की जिंदगी बरबाद की है। इस फैसले से मुस्लिम औरतों को एक नई उम्मीद मिली है।
शाइस्ता ने कहा, ''सुप्रीम कोर्ट ने शरीयत से छेड़छाड़ किये बगैर छह महीने के अंदर संसद में कानून बनाये जाने की बात कही है। मुझे विश्वास है कि यह कानून बिना किसी दबाव के बनेगा और मुस्लिम महिलाओं को खुशहाली का रास्ता देगा।''
तीन तलाक के मुकदमे में प्रमुख पक्षकार रहे ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना वली रहमानी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर किसी तरह की टिप्पणी से इनकार करते हुए कहा कि बोर्ड मिल बैठकर आगे का कदम तय करेगा।
ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता मौलाना यासूब अब्बास ने उच्चतम न्यायालय के आदेश का स्वागत करते हुए कहा कि अब देश में तीन तलाक के नाम पर मुस्लिम महिलाओं के साथ होने वाले अन्याय को रोका जा सकेगा।
उन्होंने कहा, ''हजरत मुहम्मद साहब के जमाने में भी तीन तलाक की व्यवस्था नहीं थी। हम चाहते हैं कि जिस प्रकार कानून बनाकर सती प्रथा को खत्म किया गया, वैसे ही तीन तलाक के खिलाफ भी सख्त कानून बने। मैं संसद से गुजारिश करता हूं कि वह इंसानियत से जुड़े इस मसले पर नैर्सिगक न्याय के तकाजे के अनुरूप कानून बनाए।''
विपक्ष के बढ़ते दवाब के कारण बिहार की नीतीश सरकार ने भागलपुर सृजन एनजीओ फर्जीवाड़े की सीबीआई जांच की सिफारिश कर दी।
यह फर्जीवाड़ा 700 करोड़ रूपए से ज्यादा का है।
बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री व बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने इस मुद्दे पर बिहार सरकार पर गुरूवार को प्रेस कांफ्रेंस कर जमकर हमला बोला। नीतीश और सुशील मोदी को इसमें लिप्त होने का आरोप लगाया। साथ ही सीबीआई से निष्पक्ष जांच कराने की मांग की।
उनका कहना था कि इसमें बडे बड़े लोग शरीक है जिन्हें हिरासत में लेना एसएसपी के बूते के बाहर है। सवालिया लहजे में तेजस्वी ने पूछा कि अब नीतीश कुमार की भष्ट्राचार पर जीरो टालरेंस वाली आत्मा कहां गई?
एक हद तक यह ठीक भी लग रहा। कल्याण विभाग के डिप्टी कलेक्टर रैंक के अधिकारी अरुण कुमार और नाजीर महेश मंडल को हिरासत में लेकर पूछताछ के दौरान भागलपुर के डीएम पर भी इनमें शरीक होने का आरोप लगाया।
उनका कहना था कि पीएनबी में कल्याण विभाग का खाता बंद कर बैंक आफ बड़ौदा में रूपए जमा कराके सृजन के खाते में ट्रांसफर किया जाए। तभी वहां से बीते साल नवंबर में 6 करोड़ रूपए का चेक काट कर बैक आफ बड़ौदा में रकम भेजी। इन दोनों से तीन रोज तक गहन पूछताछ एसएसपी के आवास पर एसआईटी और आर्थिक अपराध इकाई की टीम ने की थी।
इसके बाद से पुलिस आगे कुछ न कर पाने के हालात में थी। एसएसपी को कई दफा जानकारी लेने के बाबत फोन लगाया तो मोबाइल पर लगाया फोन डायवर्ट कर आवास फोन ड्यूटी पर एसएसपी ने कर दिया।
इससे भी जाहिर हुआ कि उनके पास आगे क्या करे और क्या न करे के हालात हो गए है। तभी वे पत्रकारों से कतराते रहे।
वैसे भी रिजर्व बैंक का नियम है कि यदि 30 करोड़ रूपए से ज्यादा का फर्जीवाड़ा बैंक में होता है तो मामला सीबीआई को सौप देना है। लिहाजा बिहार सरकार ने सीबीआई जांच की सिफारिश कर दी।
यहां बताना जरूरी है कि सृजन के दफ्तर में लगी दर्जनों तस्वीरे बताती है कि रसूखदारों के सृजन महिला विकास सहयोग समिति से गहरे रिश्ते रहे है। इन रिश्तों की वजह से इनके प्यादों की हैसियत रैंक से ज्यादा हुई है।
एक दर्जन डीएम और डीडीसी और दूसरे अफसरों के गिरेबां पर हाथ डालना पुलिस के बूते के बाहर लगती है। इनमें कई अफसरों की पत्नियां भी शामिल है।
सृजन की फरार सचिव प्रिया कुमार और इनके पति अमित कुमार व पूर्व भू- अर्जन अधिकारी राजीव रंजन और दूसरे फरार संलिप्त लोगों को ढूँढना पुलिस के लिए टेडी खीर है।
दिलचस्प बात कि जिला पार्षद और जनता दल यूनाइटेड युवा के भागलपुर अध्यक्ष शिव मंडल को भी अबतक न दबोचना भी कुछ कहता है। यह कल्याण विभाग का गिरफ्तार नाजिर महेश मंडल का बेटा है। इन्होंने जिला परिषद के अध्यक्ष का चुनाव लड़ा। कहते है करोड़ों रूपए खर्च कर भी ये टुनटुन साह के सामने नहीं टिक पाए। इनकी शानो शौकत की हकीकत उजागर करना भी बाकी है।
यह सब लोगों, राजनैतिक दलों और ईमानदार अधिकारियों को भरोसा है कि सीबीआई जांच से सब साफ़ हो जाएगा। जो डीएम रैंक के आईएएस अधिकारी बैंकों में पेश चेक जिन पर किए दस्तखत को फर्जी बता रहे है। उनका भी खुलासा हो सकेगा। तभी बैंकों की साख पर लगा बट्टा भी साफ़ हो पाएगा।
सभी को सीबीआई जांच से बड़ी उम्मीद है। नोटबंदी के दौरान सृजन के जरिए अपनी काली कमाई किस-किस ने सफेद की। इसका भी खुलासा होने की उम्मीद है।
उद्योगपतियों, कॉरपोरेट्स और बिजनेस घरानों ने बीजेपी को पिछले चार सालों में सबसे ज्यादा चंदा दिया है। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ए डी आर) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कॉरपोरेट्स ने जितना आठ साल में राजनीतिक पार्टियों को चंदा दिया था, उसका करीब तीन गुना केवल पिछले चार साल में दिया है।
कुल चंदा का 89 फीसदी केवल कॉरपोरेट्स ने दिया। बीजेपी को 2987 डोनर्स ने करीब 706 करोड़ रुपए दिए।
ए डी आर की रिपोर्ट के मुताबिक, वित्तीय वर्ष 2012-13 से 2015-16 के बीच भारत की पांच राष्ट्रीय पार्टियों को कुल 956.77 करोड़ रुपये दान दिए गए। इनमें से बीजेपी को अकेले 2987 दाताओं ने कुल 705.81 करोड़ रुपये दान दिए, जबकि कांग्रेस को 167 कॉरपोरेट/बिजनेस घरानों से कुल 198.16 करोड़ रुपये दान प्राप्त हुए।
एनसीपी को 50 दानदाताओं ने कुल 50.73 करोड़, जबकि सीपीएम को 45 दाताओं के जरिए 1.89 और सीपीआई को 17 दाताओं के माध्यम से 0.18 करोड़ रुपये दान में मिले हैं।
बसपा राष्ट्रीय दल है, बावजूद उसके दान का विवरण इस रिपोर्ट में नहीं है क्योंकि बसपा ने यह घोषणा की है कि 20 हजार रुपये से अधिक एक भी दाता ने उसे दान नहीं दिया है।
बीजेपी के दान दाताओं का विश्लेषण करने से पता चलता है कि पिछले दो सालों में 20 हजार रुपये से ज्यादा के स्वैच्छिक दान करने वाले बिजनेस घरानों का आंकड़ा 92 फीसदी है, जबकि कांग्रेस के ज्ञात स्रोत के मुताबिक मात्र 85 फीसदी बिजनेस घराने हैं जिसने 20 हजार से ज्यादा की रकम दान दी है। राष्ट्रीय दलों को सबसे ज्यादा दान 2014-15 में मिला है, जब देश में लोकसभा चुनाव होने थे।
कॉर्पोरेट या व्यापारिक घरानों से सबसे कम योगदान सीपीआई और सीपीएम ने घोषित किया है। राष्ट्रीय दलों के कुल कॉर्पोरेट दान का केवल 4 फीसदी सीपीआई को और 17 फीसदी सीपीएम को मिला है।
साल 2012-13 में दान न देने के बावजूद सत्या इलेक्टरल ट्रस्ट तीन राष्ट्रीय दलों का सबसे बड़ा दान दाता है। 2013- 14 और 2015-16 के बीच इस ट्रस्ट ने 35 दान द्वारा कुल 260.87 करोड़ रुपये दान बीजेपी, कांग्रेस और एनसीपी को दिए हैं। सत्या इलेक्टरल ट्रस्ट से बीजेपी को 193.62 करोड़ रुपये, कांग्रेस को 57.25 करोड़ और एनसीपी को कुल 10 करोड़ रुपये मिले हैं।
मौसम विज्ञानियों मुताबिक, उत्तर पश्चिम भारत के कुछ इलाके इस बार भी सूखे की तरफ बढ़ रहे हैं। भारतीय मौसम विभाग (आई एम डी) के अनुसार, उत्तर पश्चिमी भारत में पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ और दिल्ली के मैदानी इलाकों के अलावा पूर्वी उत्तर प्रदेश, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, पश्चिमी और पूर्वी राजस्थान भी आते हैं और पहाड़ी इलाके उत्तराखंड, जम्मू और कश्मीर और हिमाचल प्रदेश भी।
मौसम विज्ञानियों का कहना है कि एक जून से 14 अगस्त तक उत्तर पश्चिमी क्षेत्र में सामान्य से चार फीसद बारिश ज्यादा हुई है, लेकिन इस आंकड़े की वजह जून में हुई भरपूर वर्षा है। साथ ही, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे पहाड़ी क्षेत्रों की बरसात का भी योगदान है। अगर, पश्चिमी यूपी, दिल्ली, हरियाणा, चंडीगढ़ और पंजाब की बात की जाए तो यहां बारिश की स्थिति पिछले पांच-छह सालों जैसी ही है।
विज्ञानियों का अनुमान है कि बचे-खुचे बारिश के मौसम में इन मैदानी इलाकों में बहुत ज्यादा बरसात नहीं होगी। जो भी बारिश होनी है, वह मध्य भारत में ही होगी। यह क्षेत्र भी अभी सामान्य से आठ फीसद कम बारिश से जूझ रहा है।
मई महीने में अमेरिकी मौसम कंपनी एक्यूवेदर ने अंदेशा जताया था कि भले ही भारत में इस बार मानसून में सामान्य से ज्यादा बारिश दर्ज हो, लेकिन उत्तर पश्चिम भारत के कुछ इलाकों से लेकर पाकिस्तान तक सूखा फैल सकता है।
इस कंपनी ने दक्षिणी भारतीय प्रायद्वीप में भी सूखे की आशंका जताई थी। कंपनी का मौसम अनुमान अगस्त का आधा पखवाड़ा बीतने तक सही प्रतीत होता दिखाई दे रहा है।
राष्ट्रीय जनता दल अध्यक्ष लालू यादव ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप-मुख्यमंत्री सुशील मोदी पर 300 करोड़ रुपये के घोटाले का मास्टरमाइंड होने का आरोप लगाया है।
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव ने कहा है कि भागलपुर में हाल ही में इस घोटाले का पता चला है और वो सीबीआई के पटना कार्यालय में इसके खिलाफ शिकायत दर्ज कराएंगे।
द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार, लालू यादव ने दावा किया, ''जब नीतीश और सुशील मोदी को अहसास हुआ कि उनका साझा घोटाला सामने आ सकता है तो उन्होंने महागठबंधन तोड़ दिया ताकि एनडीए में शामिल होकर सरकार बना लें और जांच से बच सकें।''
लालू यादव ने दावा किया कि सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड ने गैर-कानूनी तरीके से सरकारी खजाने को चूना लगाया है और इसे संरक्षक नीतीश कुमार और सुशील मोदी हैं।
लालू यादव ने कहा कि सीबीआई में शिकायत दर्ज कराते ही केंद्र सरकार को मामले की जांच करानी चाहिए।
चारा घोटाले में झारखंड की राजधानी रांची में चल रही सुनवाई के लिए पहुंचे लालू यादव ने कहा कि घोटाले की बात सामने आने के बाद सीएम नीतीश कुमार ने तुरंत एक विशेष जांच दल गठित कर दिया ताकि मामले को रफा-दफा जा सके।
लालू यादव ने जोर देकर कहा कि इस मामले की सही से जांच हुई तो कई नेता और अफसर इसकी गिरफ्त में आ जाएंगे। लालू यादव ने आरोप लगाया कि ये घोटाला साल 2013 और 2014 का है, जब नीतीश कुमार सीएम थे और सुशील मोदी डिप्टी-सीएम।
लालू यादव ने आरोप लगाया कि नीतीश कुमार और सुशील मोदी ने भागलपुर के जिलाधिकारी समेत तमाम पदों पर अपने मनचाहे अफसरों को तैनात कर दिया है।
लालू यादव ने आरोप लगाया कि 295 करोड़ रुपये का घोटाला तो बस शुरुआत है, ये मामला एक हजार करोड़ रुपये तक के घोटाले का हो सकता है।
नीतीश कुमार के भ्रष्टाचार के प्रति जीरो-टॉलरेंस के बयान पर कटाक्ष करते हुए लालू यादव ने कहा, ''नीतीश कुमार पहले तुम अपना लालच छोड़ो, फिर मुझे लालच छोड़ने की सीख देना। तुम्हारा चेहरा जनता में एक्सपोज हो चुका है।''
लालू ने कहा कि भागलपुर घोटाला चारा घोटाला से बड़ा है जिसमें उन्हें फंसाया गया है।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के राज में बैंक और एनजीओ के गठजोड़ से हुए घोटाले की रकम का आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है। जांच में पता चला है कि अब घोटाले की रकम बढ़कर 343 करोड़ रुपये हो गई है।
भागलपुर के एनजीओ सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड आरोपों के घेरे में है। इस बीच एनजीओ की सचिव और उनका पति फरार है।
हालांकि, पुलिस ने मामले में सात लोगों को गिरफ्तार किया है। आरोप है कि इंडियन बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा और ट्रेजरी से मिलकर फर्जी निकासी की गई है।
अब सहकारिता बैंक के भी 48 करोड़ रूपए की फर्जी निकासी का मामला सामने आया है। इस बाबत भी शुक्रवार को कोतवाली थाना में एफआईआर दर्ज की गई है। इस लिहाज से कुल मिलाकर 343 करोड़ रुपये का नुकसान बिहार सरकार को हुआ है। इससे पहले 295 करोड़ के घोटाले की बात सामने आई थी।
पटना से आकर भागलपुर में जांच का जिम्मा संभाल रहे आर्थिक अपराध शाखा के आईजी जितेंद्र सिंह गंगवार ने तीन एफआईआर दर्ज करने और 295 करोड़ रुपए की गड़बड़ी की बात कबूली है। गंगवार के मुताबिक, अब तक सात लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
माना जा रहा है कि उनमें भागलपुर के डीएम आदेश तितिरमारे के सहायक प्रेम कुमार भी शामिल हैं।
आईजी ने बताया कि गिरफ्तार लोगों में जिला नजारत, भू-अर्जन विभाग और बैंक के अधिकारी और सृजन एनजीओ के प्रबंधक भी शामिल हैं।
आईजी ने कहा कि नामों का खुलासा जल्द कर दिया जाएगा।
आईजी पांच अफसरों के साथ बुधवार को भागलपुर हवाई जहाज से आए थे। तीन दिनों की गहन तहकीकात और पूछताछ के बाद शुक्रवार को पटना रवाना होने से पहले सर्किट हाउस में पत्रकारों को उन्होंने जांच की जानकारी दी।
आईजी गंगवार ने कहा कि भागलपुर का यह फर्जीवाड़ा सरकारी राशि के गबन का महत्वपूर्ण कांड है और संगठित तरीके से इसे लंबे समय से अंजाम दिया जा रहा था। तभी 2015 से लेकर मार्च 2017 तक हुई महालेखाकार की ऑडिट रिपोर्ट में भी यह उजागर नहीं हो सका। मामले का खुलासा तब हुआ, जब चार अगस्त को डीएम द्वारा जारी चेक बैंक ने बाउंस कर दिया। तब बैंक से लेकर जिला समाहरणालय तक हड़कंप मचा और मामला उजागर हो सका।
जांच में सरकारी विभागों, बैंकों और एनजीओ के बीच सांठगांठ सामने आई है। आर्थिक अपराध शाखा को सृजन एनजीओ के वैसे प्यादों को दबोचने में सफलता मिली है जो साइबर क्राइम का मास्टर है। यही लोग सरकारी बैंक खातों की फर्जी विवरणी और पासबुक अपडेट करते थे। पुलिस ने उसका लैपटॉप, प्रिंटर और दूसरे साक्ष्य जब्त किए हैं।
हालांकि, पुलिस अधिकारी का कहना है कि कोर बैंकिंग के युग में बैंक से गलत विवरणी तैयार नहीं हो सकता।
शुक्रवार (11 अगस्त) की सुबह डीएम के सहायक प्रेम कुमार के सरकारी आवास पर पुलिस ने छापा मारकर उसे हिरासत में लिया। उसके आवास से कुछ जरूरी कागजात भी बरामद किए गए हैं। दोपहर में पुलिस टीम सृजन संस्था की सचिव प्रिया कुमार और उनके पति अमित कुमार को गिरफ्तार करने उसके तिलकामांझी आवास पर गई, लेकिन तब तक दोनों भाग चुके थे।
हालांकि, जब पत्रकारों ने आईजी से जांच का दायरा बढ़ने और घोटाले के आरोपियों को राजनैतिक संरक्षण मिलने से जुड़े सवाल पूछे तो उन्होंने चुप्पी साध ली। सिर्फ इतना कहा कि अभी जांच जारी है।
आर्थिक अपराध के एएसपी सुशील कुमार और रशीद जमा के नेतृत्व में जांच दल फिलहाल भागलपुर में ही कैंप करेगा। जांच में सहयोग के लिए बैंक लेन-देन, साइबर एक्सपर्ट के साथ पटना से वित्त विभाग की टीम भी पहुंच चुकी है। डीडीसी के जरिए घोटाले में संलिप्त बैंकों को पत्र भेजने की तैयारी चल रही है ताकि गबन राशि की जब्ती हो सके। दोनों बैंकों (इंडियन बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा) के डीजीएम रैंक के अफसर भी भागलपुर में कैंप कर रहे हैं और अधिकारियों की टीम लगाकर बैंक में आंतरिक जांच करवा रहे हैं।
एसएसपी मनोज कुमार ने बताया कि चेक पर दस्तखत की फोरेंसिक जांच भी कराई जाएगी। जांच टीम सृजन एनजीओ से नकद निकासी और ट्रांसफर के जरिए रकम का फायदा लेने वालों की पहचान की कोशिश भी कर रही है।
आईजी गंगवार ने बताया कि भागलपुर के अलावा दूसरे जिलों में भी सृजन संस्था के तार जुड़े हैं। सहरसा में भी बैंक खातों के लेन-देन, जमीन में निवेश और साइबर अपराध की बात सामने आई है। वहां भी जांच कराई जा रही है। इस बीच राज्य के मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह ने बिहार के सभी जिलों के डीएम को संदेश भेज सरकारी राशि की खैरियत की रिपोर्ट मांगी है।
आठ अगस्त 2017 को भारत के केंद्रीय गृह राज्य मंत्री हंसराज गंगाराम अहीर द्वारा लोक सभा में दी गई जानकारी के अनुसार, साल 2016 में पूरे भारत में महिलाओं द्वारा स्टॉकिंग (पीछा और छेड़खानी करने) के 7132 मामले दर्ज कराए गए थे।
डाटा वेबसाइट इंडिया स्पेंड ने अहीर के दिए आंकड़ों के आधार पर रिपोर्ट दी है कि साल 2014 की तुलना में साल 2016 में पूरे भारत में छेड़खानी की घटनाएं 54 प्रतिशत ज्यादा हुई। हालांकि जहां ऐसी घटनाओं की संख्या तीन साल में बढ़ी है, वहीं दूसरी तरफ इनके लिए सजा पाने की दर पहले से कम हुई है।
पांच अगस्त की रात हरियाणा बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला के बेटे विकास बराला और उसके एक दोस्त ने 29 वर्षीया वर्णिका कुंडु की कार का करीब सात किलोमीटर तक पीछा किया। वरिष्ठ आईएएस अधिकारी की बेटी वर्णिका के अनुसार, विकास और उसके दोस्त ने उसे अगवा करने की कोशिश की।
वर्णिका ने अपनी आपबीती एक फेसबुक पोस्ट लिखकर सार्वजनिक की जो देखते ही देखते वायरल हो गई। इस मामले के सामने आने के बाद मीडिया और सोशल मीडिया की तरह संसद में इस पर सवाल उठे।
ऐसे ही एक सवाल के जवाब में केंद्रीय मंत्री अहीर ने बताया कि पिछले तीन साल में चंडीगढ़ में स्टॉकिंग के कुल 38 मामले दर्ज कराए गए जिनमें 41 लोगों की गिरफ्तारी हुई।
पिछले तीन साल में भारत में स्टॉकिंग के कुल 18,097 मामले दर्ज हुए जिनमें 20,753 लोगों की गिरफ्तारी हुई।
हालांकि ऐसे मामलों में सजा पाने की दर काफी कम रही। ऐसे मामलों में सजा पाने वालों की दर साल 2014 में 34.8 प्रतिशत, साल 2015 में 26.4 प्रतिशत और साल 2016 में 24.7 प्रतिशत रही। साल 2014 में 4699 मामले दर्ज हुए जिनमें 5439 लोग गिरफ्तार हुए, लेकिन सजा केवल 134 को हुई। साल 2015 में 6266 मामले दर्ज हुए और 6694 लोग गिरफ्तार हुए, सजा 340 को हुई। साल 2016 में 7132 मामले दर्ज हुए और 8620 लोग गिरफ्तार हुए और सजा 379 को हुई।
पिछले तीन सालों में सर्वाधिक मामले महाराष्ट्र (3783) में दर्ज हुए। महाराष्ट्र के बाद दिल्ली (2500) और तेलंगाना (2288) रहे।
महाराष्ट्र शिक्षा बोर्ड ने इतिहास के पाठ्यक्रम में से मुगल साम्राज्य से जुड़े अध्यायों को हटाना शुरू कर दिया है। इस साल के लिए बोर्ड द्वारा संशोधित किताबों में स्कूल के 7वीं से 9वीं कक्षा तक के छात्रों के इतिहास के पाठ्यक्रम में मराठा साम्राज्य पर जोर दिया गया है, जबकि मुगल साम्राज्य पाठ्यक्रम से नदारद है।
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, 7वीं कक्षा की किताब में से उन अध्यायों को हटाया गया है जिनमें मुगल और रजिया सुल्तान और मोहम्मद बिन तुगलक जैसे मुस्लिम शासकों का जिक्र है। नए पाठ्यक्रम में ताज महल, कुतुब मिनार और लाल किला जैसे स्मारकों का भी कोई जिक्र नहीं है। वहीं 9वीं कक्षा की किताब में बोफोर्स घोटाला और 1975-1977 में लगी इमरजेंसी का भी जिक्र है।
खबर के मुताबिक, 7वीं कक्षा की किताब में अकबर के जानकारी दी गई है, ''अकबर मुगल वंश का सबसे शक्तिशाली राजा था। जब उसने भारत को एक केंद्रीय सत्ता के अधीन लाने की कोशिश की तो उसे कड़े विरोध का सामना करना पड़ा। महाराणा प्रताप, चांद बीबी और रानी दुर्गावती ने उनके खिलाफ संघर्ष किया। उनका संघर्ष उल्लेखनीय है।''
अकबर के शासनकाल को तीन लाइनों में सिमटने की कोशिश की गई है। इसके अलावा किताब में रुपया को लेकर भी कोई जिक्र नहीं है जिसे अफगान आक्रांताओं ने जारी किया था जो अब तक प्रचलन में है।
वहीं बीते साल की पुस्तक की बात करें तो उसमें अकबर को एक उदार और सहिष्णु शासक बताया गया था।
इसके अलावा मौजूदा पुस्तक में से दिल्ली में शासन करने वाली पहली महिला रजिया सुल्तान, मुहम्मद बिन तुगलक के दिल्ली से दौलताबाद (मौजूदा मराठावाड़ा) में राजधानी शिफ्ट करने और देश में पहली विमुद्रीकरण पहल को हटा दिया गया है। मुहम्मद बिन तुगलक ने रातों-रात सोने और चांदी के सिक्कों की जगह पर तांबे और पीतल के सिक्कों का चलन शुरू किया था।
ऐसे ही शेर शाह सूरी से जुड़ी जानकारी भी हटा दी गई है। शेर शाह सूरी ने ही हुमायूं को भारत से भागने को मजबूर किया था।
वहीं मध्यकालीन भारतीय इतिहास के खंड में शिवाजी के इतिहास पर ज्यादा जोर दिया गया है। पुरानी किताब में उनके अध्याय का नाम जहां 'पीपल्स किंग' था, वहीं उसे अब बदलकर 'एन आइडियल रूलर' किया गया है।