पूर्वोत्तर भारत

लाइव: कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने आइजॉल, मिजोरम में एक सार्वजनिक सभा को संबोधित किया

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5 राज्यों में विधानसभा चुनावों पर रणदीप सिंह सुरजेवाला द्वारा एआईसीसी प्रेस ब्रीफिंग

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त्रिपुरा : पत्रकार की हत्याओं पर बीजेपी के सहयोगी दल के सैकड़ों कार्यकर्ताओं पर केस दर्ज

त्रिपुरा में पिछले साल दो पत्रकारों की हत्या की जांच का जिम्मा संभालने के बाद सीबीआई ने राज्य में सत्ताधारी बीजेपी की गठबंधन सहयोगी इंडीजेनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आई पी एफ टी) के तीन नेताओं सहित पार्टी के 300-500 सदस्यों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। यह जानकारी आज अधिकारियों ने दी।

पिछले साल 21 सितंबर को पश्चिम त्रिपुरा जिले के मंडवई इलाके में स्थानीय टीवी चैनल के पत्रकार शांतनु भौमिक की उस वक्त हत्या कर दी गई थी, जब वह विरोध प्रदर्शन के रूप में किए जा रहे सड़क जाम को कवर करने गए थे।

पिछले साल 20 नवंबर को पश्चिम त्रिपुरा जिले के ही आर के नगर में त्रिपुरा स्टेट राइफल्स की दूसरी बटालियन के मुख्यालय के भीतर एक भाषाई अखबार के अपराध संवाददाता सुदीप दत्ता भौमिक की हत्या कर दी गई थी। सीबीआई ने हत्या के दोनों मामलों के सिलसिले में आई पी एफ टी के नेता बलराम देब बर्मा, धीरेंद्र देब बर्मा और अमित देब बर्मा सहित पार्टी के अज्ञात 300-500 सदस्यों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। अमित पार्टी की मांडवी संभागीय समिति का अध्यक्ष है।

त्रिपुरा उच्च न्यायालय के आदेश पर सुदीप दत्ता भौमिक हत्याकांड में अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत में चल रहे मुकदमे पर रोक लगा दी गई थी। त्रिपुरा पुलिस की विशेष जांच टीम (एस आई टी) ने हत्याकांड की जांच के बाद आरोप पत्र दाखिल किया था। उसने शांतनु भौमिक की हत्या के मामले में भी छानबीन की थी, लेकिन इस मामले में अब तक आरोप पत्र दाखिल नहीं किया गया।

पुलिस जांच से नाखुश शांतनु के पिता साधन भौमिक ने उच्च न्यायालय का रुख कर सीबीआई जांच की मांग की थी। त्रिपुरा की तत्कालीन वाम मोर्चा सरकार ने सीबीआई जांच की मांग का विरोध किया था। त्रिपुरा की मौजूदा भाजपा सरकार ने मई में अदालत को सूचित किया था कि उसने सीबीआई को जांच का जिम्मा सौंप दिया है।

अगर पार्टी मेघालय में सरकार बनाती है तो बीफ बैन नहीं किया जाएगा: बीजेपी

भारतीय जनता पार्टी ने मेघालय के मतदाताओं से वादा किया है कि अगर पार्टी राज्य में सरकार बनाती है तो बीफ बैन नहीं किया जाएगा।

मेघालय बीजेपी ने कांग्रेस के इस दावे को भी गलत करार दिया कि केन्द्र देश भर में जानवरों को काटने पर रोक लगा दी है।

मेघालय में अगले साल विधानसभा के चुनाव होने हैं। मेघायल बीजेपी के उपाध्यक्ष जे ए लिंगदोह ने कहा, ''केन्द्र द्वारा बनाए गये कानून से किसी भी स्तर पर गायों को काटने पर रोक नहीं है।''

लिंगदोह के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार को भारत से बाहर जानवरों के स्मगलिंग पर रोक लगाने के लिए दिशा निर्देश बनाने को कहा है।

उन्होंने कहा कि इस बारे में केन्द्र की ओर से जारी अधिसूचना का मकसद जानवरों के खरीद-बिक्री बाजार को नियंत्रित करना है।

जे ए लिंगदोह के मुताबिक, गायों के काटने पर प्रतिबंध पूर्णरूप से नहीं है।

इंडिया टाइम्स डॉट काम की रिपोर्ट के मुताबिक, लिंगदोह ने कहा, ''कानून ऐसा नहीं कहता है , यदि ऐसा कहता भी है तो इसे हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट द्वारा अवैध करार दे दिया जाएगा।''

बता दें कि केन्द्र सरकार ने गौमांस पर रोक लगाने के लिए बाजार से गौवध के लिए गाय खरीदने पर रोक लगा दी है। इस नये नियम के दायरे में गाय के आलावा गोवंश के दूसरे पशु भी हैं।

लिंगदोह ने इसी साल मई में केन्द्र की मोदी सरकार के इस नियम का विरोध किया था और कहा था कि ''हम पशुओं की खरीद-फरोख्त और उनके वध को लेकर जारी किए गए नए आदेश को स्वीकार नहीं कर सकते। हम अपनी खाने-पीने की आदतों के खिलाफ नहीं जा सकते हैं।''

लिंगदोह के मुताबिक, केन्द्र के इस कानून की गलत व्याख्या की गई है। उन्होंने बताया कि राज्य के जनजातियों की खान-पान की आदतों पर किसी भी हालत में प्रहार नहीं किया जाएगा।

बता दें कि मेघालय की आबादी लगभग 32 लाख है। यहां की जनसंख्या का ज्यादा हिस्सा क्रिश्चयन है। राज्य की दो मुख्य जनजातियां खासी और गारो हैं, जो गोमांस खाती हैं। ये दोनों जनजातियां राज्य की आबादी का तीन चौथाई हिस्सा हैं।

बता दें कि इसी साल एक स्थानीय बीजेपी नेता ने कहा था कि अगर बीजेपी सत्ता में आती है तो पार्टी लोगों को सस्ते बीफ की सप्लाई करेगी। लेकिन केन्द्र द्वारा नया कानून लाने के बाद इस बीजेपी नेता ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया था।

दार्जिलिंग की अशांति से सिक्किम को मिल रहा है फायदा

पर्यटन के लिहाज से सबसे अधिक कमाई वाले इस सीजन में दार्जिलिंग में अशांति का लाभ सिक्किम को मिल रहा है क्योंकि गोरखा जनमुक्ति मोर्चा आंदोलन के कारण पर्यटक दार्जिलिंग के बजाए यहां का रुख कर रहे हैं। सिक्किम पर्यटन सचिव सी जांगपो ने कहा, ''दार्जिलिंग में तनाव के कारण यहां पर्यटन उद्योग में अचानक उछाल आ गया है।''

दार्जिलिंग में गोरखा जनमुक्ति मोर्चा आंदोलन के कारण वहां जाने की योजना बनाने वाले कई घरेलू एवं विदेशी पर्यटकों ने अपनी बुकिंग रद्द करा दी हैं और उन्होंने सिक्किम जाने की योजना बनाई है।

जांगपो ने कहा, ''गंगटोक में पर्यटन संबंधी प्रतिष्ठानों में इस समय बहुत से ग्राहक हैं और आगामी कई दिनों के लिए वहां बुकिंग पूरी हो चुकी हैं।''

सिक्किम पर्यटन सचिव ने कहा कि सिक्किम घूमने आए लगभग सभी पर्यटक या तो यात्रा के अपने दूसरे चरण में दार्जिलिंग जाने वाले थे या यहां आने से पहले वे दार्जिलिंग गए थे। ट्रैवल ऑपरेटरों को इस बात की चिंता है कि इतनी अधिक संख्या में पर्यटकों का प्रबंध करना मुश्किल है और सचिव ने भी इस प्रकार की चिंता व्यक्त की।

जांगपो ने कहा, ''हमने ट्रैवल ऑपरेटरों और होटलों से सेवा मानकों से समझौता किए बिना अधिक से अधिक संख्या में पर्यटकों को सेवाएं देने को कहा है क्योंकि इस संबंध में किसी भी प्रकार के कुप्रबंधन से पर्यटक उद्योग की बदनामी हो सकती है।''

कोलकाता के एक पर्यटक शांतनु बोस ने कहा, ''हम छुट्टियां मनाने दार्जिलिंग गए थे, लेकिन तभी यह सब (आंदोलन) हो गया। हमारे ट्रैवल एजेंट ने सिक्किम में ऑपरेटरों से तत्काल संपर्क किया और हम भाग्यशाली रहे कि हमें बुकिंग मिल गई।'' बोस ने यहां मीडिया को बताया कि कई पर्यटकों को बुकिंग नहीं मिल पाने के कारण दार्जिलिंग से ही लौटना पड़ा।

असम एनकाउंटर को फर्जी बताने वाले सीआरपीएफ आईजी का ट्रांसफर

सेना, सीआरपीएफ, एसएसबी और असम पुलिस पर फर्जी एनकाउंटर का आरोप लगाने वाले सीआरपीएफ आईजी रजनीश राय का तबादला कर दिया गया है। राय ने कहा था कि इस साल मार्च में टीम ने फर्जी एनकाउंटर में दो लोगों की हत्‍या कर दी थी।

राय को तत्‍काल प्रभाव से उत्‍तर-पूर्व से बाहर का रास्‍ता दिखा दिया गया है। उन्‍हें आंध्र प्रदेश के चित्‍तूर में कांउटर इनसर्जेंसी एंड एंटी टेररिज्‍म (CIAT) स्‍कूल ज्‍वाइन करने को कहा गया था।

राय सीआरपीएफ के उत्‍तर-पूर्व आईजी के पद पर तैनात थे। राय का ट्रांसफर ऐसे वक्‍त में किया गया है जब गृह मंत्रालय ने उनके आरोपों की जांच करने का फैसला किया है।

राय का दावा है कि 10 मार्च, 2017 को चिरंग जिले में सेना, असम पुलिस, सीआरपीएफ और सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) द्वारा किया गया एनकाउंटर फर्जी था। राय ने दिल्ली स्थित मुख्यालय को यह जानकारी अपनी रिपोर्ट में दी है।

उनके मुताबिक, एनकाउंटर करने के लिए दो लोगों को मारकर उनके शवों पर हथियार प्लांट किए गए थे जिससे कि यह लगे कि कथित आतंकियों ने सुरक्षाबलों पर हमला किया था। एनकाउंटर में मारे गए दो लोगों के नाम लूकस नार्जेरी और डेविड इस्लेरी था।

मामले में सिर्फ राय के ट्रांसफर पर ही नहीं, उसकी प्रक्रिया पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। सोमवार को सीआरपीएफ हेडक्‍वार्टर्स ने गुवाहाटी में अपनी डी आई जी को पत्र भेजकर बताया कि आईपीएस अधिकारी डी प्रकाश, जिन्‍होंने डेप्‍युटेशन के पहले दिन ही फोर्स ज्‍वाइन की, मंगलवार को राजधानी पहुंचेंगे और उनके ठहरने और गाड़ी का इंतजाम किया जाए। प्रकाश के गुवाहाटी पहुंचने के बाद, राय को ट्रांसफर ऑर्डर्स मिले, जिसपर 12 जून, 2017 (सोमवार) की तारीख थी।

इस आदेश में कहा गया कि प्रकाश को असल में आईजी (संचार एवं सूचना क्रांति) नियुक्‍त किया गया था, लेकिन वे राय के पद का अतिरिक्‍त चार्ज भी संभालेंगे। प्रकाश के गुवाहाटी जाने और राय के ट्रांसफर के आदेश एक ही तारीख को जारी किए गए।

राय के अनुसार, दोनों का एनकाउंटर करने के लिए उन्हें डी-कलिंग नाम के एक गांव के घर से उठाया गया था उन्हें फर्जी एनकाउंटर में सिमलागुरी गांव में मार दिया गया था। लूकस और डेविड, दोनों को नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (एनडीएफबी (एस)) नाम के संगठन का आतंकी होने का दावा किया गया था।

वहीं राय का यह दावा भी है इस मामले से जुड़े चश्मदीद उसके हिरासत में सुरक्षित हैं। उनके मुताबिक, इन चश्मदीदों ने ही शवों की पहचान की थी।

मेघालय में वध के लिए पशु बिक्री पर रोक के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव पारित

वध के लिए पशुओं की खरीद-बिक्री पर रोक के केन्द्र के फैसले के खिलाफ मेघालय की कांग्रेस सरकार ने बड़ा कदम उठाया है और केन्द्र के इस फैसले के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव पारित किया है। सोमवार (12 जून) को मेघालय विधानसभा की विशेष सत्र में ये प्रस्ताव पास किया गया।

बता दें कि इसी साल 28 मई को केन्द्र सरकार ने एक नोटिफिकेशन जारी कर वध के लिए पशु मंडियों में जानवरों की खरीद-बिक्री पर रोक लगा दी है। केन्द्र के इस फैसले को बीफ बैन से जोड़कर देखा जा रहा है और इस फैसले का मेघालय समते कई राज्यों में जबर्दस्त विरोध हो रहा है। केन्द्र के इस फैसले के खिलाफ मेघालय बीजेपी के कई नेताओं ने इस्तीफा भी दे दिया है।

बता दें कि सोमवार को इस मुद्दे पर बहस के दौरान विधायकों ने केन्द्र के इस फैसले के खिलाफ कड़ी आपत्ति जताई और केन्द्र के इस फैसले को पूर्वोत्तर के लोगों की भावनाओं पर कुठाराघात बताया।

मेघालय में आदिवासियों के बीच बीफ भोजन का मुख्य हिस्सा रहा है। लेकिन केन्द्र की इस अधिसूचना को लेकर पूर्वोत्तर के लोग खासे नाराज हैं। केन्द्र के इस फैसले के खिलाफ मेघालय के बीजेपी नेताओं ने भी पार्टी आलाकमान के खिलाफ बगावत का बिगूल फूंक दिया और बीजेपी से इस्तीफा दे दिया। बीजेपी से इस्तीफा देने वालों में बाचू मराक और बर्नाड मराक ने कहा कि केन्द्र सरकार आदिवासी अस्मिता के साथ खिलवाड़ कर रही है।

केन्द्र की बीजेपी सरकार को इस मसले पर पूर्वोत्तर के साथ-साथ दक्षिण भारत में भी विरोध झेलना पड़ रहा है। इस अधिसूचना को मद्रास हाईकोर्ट में चुनौती भी दी गई थी, इसके बाद  कोर्ट के मदुरै बेंच ने केन्द्र की अधिसूचना पर हफ़्ते के लिए रोक लगा दी है।

इधर केन्द्र सरकार का कहना है कि उसकी मंशा लोगों की खान-पान की आदतों पर लगाम लगाना नहीं है बल्कि गायों और दूसरे जानवरों की तस्करी रोकना है, साथ ही गोवध के नाम पर जानवरों के साथ होने वाले अत्याचार को भी बंद करना है। केन्द्र की इस अधिसूचना के तहत अब लाइसेंसी बूचडखानों को वध के लिए जानवरों को सीधे किसानों से ही खरीदना पड़ेगा। पशु मालिक भी मार्केट में वध के लिए अपने जानवरों को नहीं बेच पाएंगे।

मेघालय: पशु बैन पर नये कानून से नाराज 5 हजार कार्यकर्ताओं ने बीजेपी छोड़ी

भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों में जड़ें जमाने की कोशिश कर रही बीजेपी को तगड़ा झटका लगा है। उत्तर-पूर्व के मेघालय में 5 हजार बीजेपी कार्यकर्ताओं ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है।

बीजेपी के ये कार्यकर्ता वध के लिए जानवरों की खरीद पर रोक लगाये जाने से बेहद नाराज थे। इन कार्यकर्ताओं का कहना था कि वे अपनी संस्कृति और स्थानीय लोगों की भावनाओं से किसी किस्म की छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं।

मेघालय में बीजेपी के दो वरिष्ठ नेता बाचू मराक और बर्नाड मराक ने भी इसी मुद्दे पर बीजेपी से इस्तीफा दे दिया था।

टूरा जिले के बीजेपी यूथ विंग के अध्यक्ष विल्वर ग्रेहम डैंगो ने कहा कि ये एनडीए सरकार की उन कोशिशों का विरोध है जिनके तहत ये सरकार आदिवासी और दूसरे कई समूहों को दबाने की कोशिश कर रही है जो गोमांस खाते हैं।

विल्वर ग्रेहम डैंगो भी केन्द्र के फैसले के विरोध में पार्टी छोड़ चुके हैं। उन्होंने कहा कि पांच बीजेपी मंडलों का विलय कर दिया गया है और 5 हजार से ज्यादा पार्टी कार्यकर्ताओं ने इस्तीफा दे दिया है।

डैंगो कहते हैं कि हम अपने ही लोगों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ नहीं कर सकते हैं, ये लोग हम पर विश्वास करते हैं।

डैंगो के मुताबिक, बीजेपी धर्म और राजनीति का घालमेल कर रही है, लेकिन हम ऐसा होते हुए नहीं देख सकते हैं।

पिछली 28 मई को केन्द्र की बीजेपी सरकार ने वध के लिए पशु मंडियों से जानवरों की खरीद और बिक्री पर रोक लगा दी है। इस बावत केन्द्र ने अधिसूचना जारी की है, हालांकि मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै बेंच ने केन्द्र के इस फैसले पर रोक लगा दी थी। लेकिन केन्द्र अपने रुख पर कायम है और इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे रही है। केन्द्र के इस फैसले का उत्तर-पूर्व, तमिलनाडू, केरल, पश्चिम बंगाल में विरोध हो रहा है।

मेघालय के बीजेपी नेताओं ने कहा कि कोई भी पार्टी या शख्स जो हमारे लोगों की भावनाओं को चोट पहुंचाएगा, वो हमारे खिलाफ है, हमलोग अपने आदिवासी जमीन और हितों की रक्षा करेंगे।

अभी कई दूसरे पार्टी नेताओं ने भी बीजेपी की इस नीति का विरोध किया है और इस कानून को निरस्त ना किये जाने की स्थिति में पार्टी छोड़ने की धमकी दी है।