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पूर्व पीएम ने कहा, बहुत नीचे गिर गए पीएम मोदी, प्रधानमंत्री पद की गरिमा के योग्य शब्दों का चुनाव भी न कर पाए

आमतौर पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भारत के सबसे शांत प्रधानमंत्रियों में से एक माना जाता है। लेकिन इस बार उन्होंने कर्नाटक के धुआंधार चुनाव प्रचार के बीच कुछ ऐसा कह दिया है, जिसकी चर्चाएं चुनावी शोर से ऊपर उठकर हो रही हैं। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा, ये बेहद दुखद है कि भारत का प्रधानमंत्री इतना नीचे गिर जाए और प्रधानमंत्री पद की गरिमा के योग्य शब्दों का चुनाव भी न कर पाए।'

ये बातें पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सोमवार (7 मई) को कहीं। ये बातें ऐसे समय में कही गई हैं, जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कर्नाटक में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए लगातार चुनावी रैलियों को संबोधित कर रहे हैं।

भारत के पूर्व पी एम मनमोहन सिंह का बयान उस वाकये के बाद आया है, जिसमें कांग्रेस के दिग्गज नेता और कर्नाटक के सी एम पी सी सिद्धारमैया ने पी एम मोदी को चुनावी रैलियों में कहे अपशब्दों पर कानूनी मानहानि का नोटिस भिजवाया है। नोटिस में ये धमकी दी गई है कि अगर पी एम मोदी, भाजपा, राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, येदियुरप्पा और भाजपा नेता लिखित माफी नहीं मांगते हैं तो वह 100 करोड़ रुपये का मानहानि का मुकदमा ठोंक देंगे।

चुनाव प्रचार के दौरान मोदी ने कहा कि पूर्व पी एम मनमोहन सिंह 12 मई के बाद कर्नाटक के विधानसभा चुनावों में प्रचार करने उतरेंगे। पूर्व पी एम मनमोहन सिंह ने कहा, ''कोई भी प्रधानमंत्री अपने विरोधियों के लिए ऐसे शब्दों का इस्तेमाल नहीं करता। जो मोदी दिन-रात करते हैं। ये देश के लिए अच्छा नहीं है।'' ये टिप्पणी पूर्व पी एम मनमोहन सिंह ने उस सवाल का जवाब देते हुए की है, जिसमें उनसे प्रचार के तरीके के बारे में सवाल किया गया था।

पूर्व पी एम सिंह ने कहा, ''मुझे दुख है कि जिस तरह की बातें राज्य की जनता को सहनी पड़ी हैं। ये कर्नाटक के लिए अच्छा नहीं है। ये देश के लिए भी अच्छी बता नहीं है। कोई भी प्रधानमंत्री चुनाव के वक्त ऐसी बातें नहीं कहता है, जिस अंदाज में मोदी जी कहने की कोशिश करते हैं। मुझे उम्मीद है कि वह अब सबक लेंगे और समाज के विकेंद्रीकरण की कोशिश बंद कर देंगे। जो वह दिन-रात कर रहे हैं।''

पी एम मोदी अक्सर देश की खराब ​आर्थिक स्थिति के लिए कांग्रेस की सरकारों को जिम्मेदार ठहराते आए हैं। पूर्व पी एम सिंह ने उनके इस रवैये की भी आलोचना की। उन्होंने कहा, ''जब भी प्रधानमंत्री मोदी से बीते चार सालों से खराब आर्थिक स्थितियों पर सवाल किया जाता है, प्रधानमंत्री मोदी जी हर चीज के लिए कांग्रेस के 70 सालों के शासनकाल पर सवाल खड़ा कर देते हैं।''

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने साल 2018 में कर्नाटक चुनावों के दौरान कई विवादास्पद बयान दिए हैं। लेकिन उनमें से पांच बयान सबसे ज्यादा विवादित रहे हैं।

(1) मैं उन सभी से कहना चाहता हूँ जिन्हें राष्ट्रवाद अच्छा नहीं लगता है। आप मत सीखिए, अगर आपको दूसरों से, अपने राजनीतिक पुरखों से, यहां तक कि महात्मा गांधी की कांग्रेस से भी सीखना अच्छा नहीं लगता है। लेकिन कम से कम मेरे बगलकोट के रहने वाले मुधोल कुत्तों से ही सीख लीजिए। बगलकोट के मुधोल कुत्ते इस वक्त सेना की बटालियन में शामिल होकर देश की सेवा कर रहे हैं।

(2) (राहुल गांधी को बहस की चुनौती देते हुए) केवल 15 मिनट, हाथ में कागज लिए बिना, क्या आप अपनी सरकार की उपलब्धियों के बारे में बात कर सकते हैं। आप किसी भी भाषा में बात कर सकते हैं, जिसमें आप चाहें। अंग्रेजी, हिंदी या फिर अपनी मातृ भाषा (इटालियन) में।

(3) सीधा रुपैया सरकार (कर्नाटक के सी एम सिद्धारमैया के नाम की पैरोडी करते हुए)।

(4) बाप बड़ा न भैया, सब से बड़ा रुपैया। आपके मुख्यमंत्री ने इस कहावत को बदल दिया है। बाप भी बड़ा, भैया भी बड़ा और उससे भी ऊपर रुपैया, सीधा-सीधा रुपैया।

(5) कर्नाटक में उनके मंत्री और नेताओं ने टैंक बनवा रखा है। जो पैसा वो जनता से लूटते हैं, उसे घर ले जाते हैं और टैंक में रखते हैं। ये टैंक दिल्ली से पाइपलाइन से जुड़ा हुआ है। ये पैसा सीधे दिल्ली को जाता है।

फरवरी में 22 फीसदी घट गई नई नौकरियों की संख्‍या: कर्मचारी भविष्य निधि संगठन

भारत में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने पहली बार रोजगार को लेकर आंकड़े जारी किए हैं। इसके तहत फरवरी 2018 में जनवरी 2018 के मुकाबले नए नौकरियों के मौकों में 22 फीसद तक की कमी दर्ज की गई है।

जारी आंकड़ों के अनुसार, जनवरी में रोजगार के 6.04 लाख नए मामले सृजित हुए थे। फरवरी में यह 4.72 लाख ही रहा। दिसंबर के बाद इसमें वृद्धि दर्ज की गई थी। नवंबर के मुकाबले दिसंबर में भी नए रोजगार के मौकों में भी कमी दर्ज की गई थी। ई पी एफ ओ के आंकड़ों के अनुसार, नवंबर में रोजगार के नए अवसरों में सबसे ज्यादा बढ़ोत्तरी हुई थी। अक्टूबर 2017 में 3.93 लाख नए कामगारों को नौकरी मिली थी। नवंबर में यह आंकड़ा 6.47 लाख तक पहुंच गया था। इससे पहले सितंबर में 4.35 लाख लोगों को नए सिरे से मौका मिला था।

ई पी एफ ओ ने उम्र के हिसाब से भी आंकड़े जारी किए हैं, ताकि विभिन्न आयुवर्ग के बारे में सटीक जानकारी मिल सके। आंकड़ों के अनुसार, सितंबर 2017 को छोड़ कर पिछले छह महीनों में हर बार 22 से 25 वर्ष आयुवर्ग के युवाओं ने सबसे ज्यादा नौकरियां हासिल कीं।

बता दें कि रोजगार के कम होते मौकों को लेकर विपक्ष नरेंद्र मोदी की सरकार पर हमलावर रहा है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने बेरोजगारी को प्रमुख चुनावी मुद्दा भी बना दिया है। कर्नाटक विधानसभा चुनावों के दौरान भी कांग्रेस ने युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर सृजित करने का वादा किया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों के दौरान हर साल एक करोड़ नौकरियों के नए मौके सृजित करने की बात कही थी, लेकिन विपक्ष का आरोप है कि मोदी सरकार ने इस वादे पर अमल नहीं किया। रोजगार के नए अवसर सृजित होने के बजाय उसमें और कमी दर्ज की गई है। वर्ष 2016 में नोटबंदी के बाद खासकर टेक्सटाइल और रियल एस्टेट क्षेत्र में रोजगार के अवसरों में भारी गिरावट दर्ज की गई थी।

पूर्व वित्त सचिव सी एम वासुदेव ने बताया था कि आर्थिक संकेतक और राजकोषीय स्थिति मजबूत जरूर है, लेकिन संगठित विनिर्माण क्षेत्र में बड़े पैमाने पर रोजगार रहित वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा, ''आर्थिक सुधार की दिशा में मोदी सरकार ने कई कदम उठाये हैं। इनमें से जी एस टी, प्राकृतिक संसाधनों की नीलामी में अधिक पारदर्शिता, सब्सिडी वितरण में सुधार, आधार कार्ड का विस्तार, बुनियादी ढांचा क्षेत्र मसलन सड़क, राजमार्ग, रेलवे, बंदरगाह, ऊर्जा क्षेत्र में निवेश, प्रयत्क्ष विदेशी निवेश को प्रोत्साहन और कारोबारी माहौल को बेहतर बनाना प्रमुख है।'' मोदी सरकार ने रोजगार बढ़ाने के लिए स्टार्ट अप इंडिया, स्टैंड अप इंडिया जैसी पहल भी की है। इसके अलावा मुद्रा योजना के तहत लोन देने की सुविधा भी लाई गई है।

यूजीसी ने 24 फर्जी यूनीवर्सिटी की लिस्ट जारी की

भारत के लगभग सभी राज्यों के माध्यमिक शिक्षा बोर्ड 12वीं कक्षा के नतीजे जारी करने वाले हैं। इसी के साथ स्नातक कोर्स में दाखिला लेने के लिए विद्यार्थियों की भीड़ कॉलेजों और यूनी​वर्सिटी की तरफ रुख करने लगेगी। ऐसे में यूनीवर्सिटी ग्रांट कमिशन ने एक महत्वपूर्ण सूचना जारी की है।

यू जी सी ने 24 स्वयंभू और फर्जी यूनीवर्सिटी की लिस्ट जारी की है। ये सभी यूनीवर्सिटी पूरे भारत भर में फैली हुई हैं। ​जिनमें से आठ तो सिर्फ दिल्ली में ही हैं। यू जी सी ने ये लिस्ट बीते सालों में इन फर्जी विश्वविद्यालयों के द्वारा सैकड़ों छात्रों को ठगने की शिकायतों को देखते हुए जारी की है। ताकि विद्यार्थी ऐसी किसी भी फर्जी यूनीवर्सिटी के झांसे में आने से बच सकें।

यू जी सी ने अपनी सूचना में लिखा है कि विद्यार्थियों और जनता को सूचित करते हुए ये बताया जाता है कि वर्तमान में 24 स्वयंभू और गुमनाम संस्थान देश (भारत) के विभिन्न हिस्सों में यू जी सी एक्ट का उल्लंघन करते हुए संचालित हो रहे हैं। इन सभी यूनीवर्सिटी को फर्जी घोषित किया जाता है और इन्हें कोई भी डिग्री जारी करने का अधिकार नहीं दिया गया है।

बता दें कि बीते कई सालों में फर्जी विश्वविद्यालयों के द्वारा ठगी और धोखाधड़ी के कई मामले सामने आए हैं। कई मामलों में तो कॉलेज संचालकों को भी धोखा दिया गया था। इन फर्जी विश्वविद्यालयों पर अब तक सैकड़ों विद्यार्थियों की जिन्दगी तबाह करने का आरोप लग चुका है।

दिल्ली में 8 फर्जी विश्वविद्यालयों का संचालन किया जा रहा है। इनमें, कॉमर्शियल यूनीवर्सिटी, यूनाइटेड नेशन्स यूनीवर्सिटी, वोकेशनल यूनीवर्सिटी, ए डी आर-सेन्ट्रिक जूरीडीशियल यूनीवर्सिटी, इण्डियन इंस्टीट्यूशन आॅफ साइंस एंड इंजीनियरिंग, विश्वकर्मा ओपन यूनीवर्सिटी फॉर सेल्फ इंप्लायमेंट, आध्यात्मिक विश्वविद्यालय और वाराणसेय संस्कृत विश्वविद्यालय शामिल हैं।

अन्य वो शहर और राज्य जहां ये फर्जी विश्वविद्यालय सक्रिय हैं, उनमें पुड्डूचेरी, अलीगढ़, बिहार, राउरकेला, ओडिशा, कानपुर, प्रतापगढ़, मथुरा, नागपुर, केरल, कर्नाटक, और इलाहाबाद के दो फर्जी विश्वविद्यालय शामिल हैं।

बता दें कि पिछली साल भी, यू जी सी ने फर्जी यूनी​वर्सिटी की लिस्ट जारी की थी। जिनमें मैथिली यूनीवर्सिटी/विश्वविद्यालय, दरभंगा, बिहार; वाराण्सेय संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी, (उत्तर प्रदेश), कॉमर्शियल यूनीवर्सिटी​ लिमिटेड, दरियागंज (नई दिल्ली), यूनाइटेड नेशन्स यूनीवर्सिटी, नई दिल्ली और वोकेशनल यूनीवर्सिटी, दिल्ली के नाम शामिल हैं।

महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों में सबसे ज्यादा सत्ताधारी बीजेपी के सांसद और विधायक शामिल हैं: एडीआर रिपोर्ट

एसोसिएशन फार डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ए डी आर) की रिपोर्ट के मुताबिक, महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों में सबसे ज्यादा सत्ताधारी बीजेपी के सांसद और विधायक शामिल हैं। दूसरे दलों की तुलना में बीजेपी ने ऐसे लोगों को ज्यादा टिकट भी दिए। बसपा अध्यक्ष मायावती और तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी ने भी महिलाओं के खिलाफ उत्पीड़न के आरोपियों को काफी संख्या में टिकट बांटे।

ए डी आर ने कुल 4896 सांसदों और विधायकों में से 4845 लोगों के चुनाव लड़ने के दौरान जमा हलफनामे की जांच की तो चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए। संस्था ने कुल 776 सांसदों में से 768 और 4120 विधायकों में से 4077 के हलफनामों का परीक्षण किया। इसमें भारत के सभी राज्यों के सांसद-विधायक शामिल रहे।

रिपोर्ट के मुताबिक करीब 33 प्रतिशत यानी 1580 सांसद-विधायकों ने अपने खिलाफ केस दर्ज होने की बात कही, जिसमें से 48 ने महिलाओं के खिलाफ अपराध से जुड़े मामले चलने की बात स्वीकार की।

बीजेपी के सबसे ज्यादा 12 सांसद-विधायकों के खिलाफ महिलाओं से जुड़े अपराध के मामले में मुकदमा चल रहा है, दूसरे नंबर पर शिवसेना के सात और फिर तृणमूल कांग्रेस के छह सांसद-विधायक हैं। इसमें कुल 45 सांसद और तीन विधायक हैं। महिलाओं के खिलाफ जुर्म में सबसे ज्यादा 12 सांसद-विधायक महाराष्ट्र के हैं तो दूसरे नंबर पर पश्चिम बंगाल के 11 और आंध्र प्रदेश के पांच सांसद-विधायक हैं। वहीं ओडिशा और आंध्र प्रदेश में पांच-पांच सांसद-विधायक हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक, 327 ऐसे लोगों को टिकट दिए गए, जिनके खिलाफ महिलाओं से जुड़े मामलों की सुनवाई चल रही थी। पिछले पांच वर्षों के बीच भाजपा ने 45 ऐसे लोगों को टिकट दिए। वहीं बसपा ने ऐसे 35 और तृणमूल कांग्रेस ने 24 दागियों को चुनाव मैदान में उतारा। चौंकाने वाली बात है कि दुष्कर्म में फंसे 26 नेताओं को भी विभिन्न पार्टियों ने लोकसभा और विधानसभा के चुनाव में टिकट दिए।

रिपोर्ट: मोदी शासनकाल में नेताओं के नफरत भरे बयानों में 500 फीसदी इजाफा

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चार साल के शासनकाल में आला दर्जे के नेताओं के घृणित और विभाजनकारी बयानों में करीब 500 फीसदी बढ़ोत्तरी हुई है। न्यूज चैनल एन डी टी वी ने अपनी रिपोर्ट के हवाले से कहा है कि सांसद, मंत्री, विधायकों के साथ मुख्यमंत्री पद पर बैठे नेता भी इस दौरान नफरत भरे बयान देने से नहीं चूके।

रिपोर्ट में नेताओं के घृणित बयानों की तुलना के लिए यू पी ए-2 के साल 2009 से 2014 तक और एन डी ए के साल 2014 से अबतक के कार्यकाल की तुलना की गई है। रिपोर्ट में निर्वाचित प्रतिनिधियों पर ध्यान केंद्रित किया गया है। इसमें सांसद, विधायकों, मुख्यमंत्रियों के अलावा उन नेताओं के बयानों को भी शामिल किया गया है जो या तो पार्टी के प्रमुख हैं या जो राज्यों के राज्यपाल हैं। पब्लिक रिकॉर्ड्स और इंटरनेट के जरिए इकट्ठा कर बनाई गई इस रिपोर्ट में करीब 1300 आर्टिकल और अन्य सूत्रों से मिली सामग्रियों को शामिल किया गया है।

अध्ययन में अप्रैल के अंत तक आला नेताओं के करीब एक हजार ट्वीट्स को भी शामिल किया गया है। इसमें यह भी जानने की कोशिश की है कि किन मामले में नफरत भरे बयान देने वाले नेताओं के खिलाफ सख्त कदम उठाए गए हैं।

डेटा के मुताबिक, मई, 2014 से अबतक 44 राजनेताओं द्वारा 124 बार नफरत भरे बयान दिए गए। यू पी ए-2 में इस तरह 21 मामले सामने आए। इस तरह पिछली सरकार के मुकाबले मोदी सरकार में 490 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, 44 नेताओं द्वारा दिए नफरत भरे बयानों में 77 फीसदी यानी 34 भाजपा से ताल्लुक रखते हैं, जबकि 23 फीसदी यानी 10 नेता कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और लालू यादव की राष्ट्रीय जनता दल से ताल्लुक रखते हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक, यू पी ए-2 के शासनकाल में जिन 21 नेताओं ने नफरत भरे बयान दिए, उनमें कांग्रेस के कुल तीन यानी 14 फीसदी नेता शामिल थे। इस दौरान भाजपा से संबंध रखने वाले सात नेताओं ने नफरत भरे बयान दिए। इसके अलावा जिन 11 नेताओं ने भड़काऊ बयान दिए, वो समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल-मुस्लिमीन और शिवसेना से ताल्लुक रखते हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक, मोदी सरकार में जिन 44 नेताओं ने नफरत भरे बयान दिए, उनमें सिर्फ पांच मामले में नेताओं को फटकाई लगाई गई या चेतावनी दी गई या इन नेताओं ने सार्वजिनक रूप से माफी मांगी। इसके अलावा अन्य मामलों में कोई जानकारी नहीं मिली। चौंकाने वाली बात यह है कि नफरत भरे बयान देने वाले 44 नेताओं में महज 11 के खिलाफ केस दर्ज किया गया। ये जानकारी एन डी टी वी ने अपने निजी सूत्रों से दी है।

बिहार: चंपारण में स्‍वच्‍छता का पाठ पढ़ाने वाले ही खुले में कर रहे थे शौच

बिहार का ऐतिहासिक चंपारण जिला इन दिनों भयंकर गंदगी की समस्या से जूझ रहा है। खास बात है कि यह समस्या, स्वच्छता का पाठ पढ़ाने वाले लोगों की ही खड़ी की हुई है।

दरअसल बीते 10 अप्रैल को चंपारण में 'सत्याग्रह से स्वच्छाग्रह' कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। इस कार्यक्रम में भारत के पीएम नरेंद्र मोदी ने भी शिरकत की थी।

अब खबर है कि कार्यक्रम के लिए चंपारण में आए हजारों स्वच्छाग्राहियों ने खुले में शौच किया, जिससे शहर में काफी गंदगी फैल गई है। म्यूनिसिपैलिटी के बनाए गए टेम्परेरी (वैकल्पिक) टॉयलेट नाकाफी साबित हुए, जिससे बड़ी संख्या में लोगों को खुले में शौच करना पड़ा।

अब नगर पालिका के सामने इस वेस्ट को डंप करने की परेशानी खड़ी हो गई है। वहीं शहर के लोग वेस्ट से आ रही बदबू से परेशान हैं और अपनी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं।

बता दें कि 1917 के सत्याग्रह आंदोलन के लिए प्रसिद्ध बिहार के चंपारण में बीते दिनों बड़े स्तर पर 'सत्याग्रह से स्वच्छाग्रह' नामक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम के लिए करीब 26 राज्यों से हजारों लोग चंपारण पहुंचे। इन लोगों के लिए चंपारण में टेंट और टेंपरेरी टॉयलेट बनाकर रहने की व्यवस्था की गई। कार्यक्रम के लिए ये स्वच्छाग्राही 3 दिनों तक चंपारण में रहे। इन स्वच्छाग्राहियों के खाने-पीने की व्यवस्था भी इन टेंटों में ही की गई थी।

खबर है कि टेंपरेरी टॉयलेट की कम संख्या और साफ-सफाई की उचित व्यवस्था नहीं होने के कारण बड़ी संख्या में लोगों ने खुले में शौच किया।

प्लानिंग के अभाव में अब चंपारण की नगरपालिका के सामने इस वेस्ट को डंप करने की चुनौती खड़ी हो गई है।

खबरें आ रही हैं कि इस वेस्ट को धनौती नदी में डाला जा रहा है, जिससे आसपास के लोगों का बदबू के कारण जीना मुहाल हो गया है।

हालांकि नगरपालिका इस बात से इंकार कर रही है, लेकिन सेप्टिक टैंक व्हीकल के ड्राइवरों ने कबूल किया है कि वेस्ट को नदी में ही फेंका जा रहा है।

चंपारण के लोगों के एक ग्रुप ने जिला अदालत में इसके खिलाफ एक याचिका दाखिल की है। जिस पर अदालत ने नगरपालिका से जवाब मांगा है।

अरुण शौरी के दावे से रहस्‍य गहराया: पीएम नरेंद्र मोदी की मन की बात पर किसने किताब लिखा?

भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 'मन की बात' कार्यक्रम से जुड़े एक किताब पर पूर्व बीजेपी नेता अरुण शौरी ने एक विवादास्पद दावा किया है।

दरअसल पिछले साल 25 मई को राष्ट्रपति भवन में दो किताबें लॉन्च की गईं थी। भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की मौजूदगी में हुए इस कार्यक्रम में 'मन की बात: ए सोशल रिव्यूलेशन ऑन रेडियो' और 'मार्चिंग विद ए बिलियन: एनालइजिंग नरेंद्र मोदीज गवमेंट इन मिड टर्म' नाम की दो किताबें लॉन्च की गई थी। पहले किताब के लेखक राजेश जैन को बताया गया, जबकि दूसरे किताब के लेखक पत्रकार उदय माहुरकर हैं।

एन डी टी वी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अरुण शौरी ने कहा है कि राजेश जैन का 'मन की बात: ए सोशल रिव्यूलेशन ऑन रेडियो' नाम की किताब से कोई लेना-देना नहीं है।

भारत के पूर्व केन्द्रीय मंत्री अरुण शौरी ने एन डी टी वी से कहा, ''वह (राजेश जैन) मेरे मित्र हैं, उन्होंने मुझे कहा कि उन्हें इस बुक रिलीज कार्यक्रम में झूठमूठ ही लाया गया और एक भाषण पढ़ने को दिया गया। राजेश जैन ने भी अरुण शौरी के दावों का समर्थन किया है।

मुंबई से राजेश जैन ने एन डी टी वी को कहा, ''मैं 'मन की बात: ए सोशल रिव्यूलेशन ऑन रेडियो' पुस्तक का लेखक नहीं हूं, लेकिन खुद को इस किताब का लेखक देखकर मैं हैरान रह गया।'' उन्होंने कहा कि वह ब्लूक्राफ्ट डिजिटल फाउंडेशन के साथ काम करते थे। यह संस्था पीएम मोदी के 'मन की बात' को आयोजित करवाती थी। हालांकि राजेश जैन का कहना है कि उनका किताब के साथ कोई लेना-देना नहीं है।

राजेश जैन ने आगे कहा, ''पी एम ओ द्वारा मुझे कार्यक्रम में बुलाया गया था, वहां देखा कि कार्ड पर मेरा नाम बतौर लेखक छापा गया है, मैंने कार्यक्रम में स्पष्ट कर दिया कि मैं लेखक नहीं हूं। इसके बावजूद पी आई बी की वेबसाइट और पीएम मोदी की वेबसाइट में अभी भी उनका नाम बतौर लेखक दिखाया जा रहा है।''

राजेश जैन ने कहा कि उन्हें नहीं पता, इस किताब को किसने लिखा है और उन्हें लेखक क्यों बताया गया?

पी आई बी के वेबसाइठ पर इस किताब से जुड़े तीन प्रेस रिलीज मौजूद हैं। 25 मई 2017 की पहली प्रेस रिलीज में कहा गया है कि यह किताब राजेश जैन की है। अगले दिन जारी की गई प्रेस रिलीज में भी लिखा गया है कि यह किताब राजेश जैन द्वारा लिखी गई है। इसी दिन शाम को जारी एक प्रेस रिलीज में कहा गया है कि यह किताब राजेश जैन ने कंपाइल की है। इस मसले पर पी आई बी के प्रवक्ता फ्रैंक नोरोन्हा ने कहा कि पी आई बी प्रेस रिलीज के मुताबिक, यह किताब राजेश जैन ने कंपाइल की है। लेकिन जब उन्हें बताया गया कि राजेश जैन ने इससे इनकार कर दिया है तो उन्होंने इसपर कोई जवाब नहीं दिया।

कोबरापोस्ट ऑपरेशन 136: पार्ट -1: साधना प्राइम न्यूज़

साधना प्राइम न्यूज़

आलोक भट्ट, Director; अशोक पाण्डेय, ब्युरो हैड; खालिद, मार्केटिंग हैड लखनऊ

पुष्प शर्मा उत्तर प्रदेश के रीजनल न्यूज चैनल साधना प्राइम न्यूज़ के दफ्तर पहुंचे, जहां इनकी  मुलाक़ात साधना प्राइम न्यूज़ के Director आलोक कुमार भट्ट से हुई। बातचीत में आलोक ने बीजेपी और आरएसएस से अपने संबंधो के बारे में बताया और कहा, ''हम लोग तो exclusive  भी करते है और हमारे अपने जो resources हैं उसमें कुछ लोग संघ के या सरकार के वो exclusively हमें देते है चीजों को।'' हिंदुत्व के एजेंडा से उन्हें कोई दिक्कत तो नहीं है इस सवाल पर आलोक ने कहा, ''नहीं नहीं हम लोग तो out of way जाकर काम करते है।'' बातचीत के दौरान आलोक ने ये भी कहा, ''आप अपनी requirement बता दीजिए, हम ना करें तो बताइये। हम तो मैंने बताया न मैं करता रहता हूँ, मैं करता रहूँगा।''

अगली मीटिंग में भी आलोक भट्ट ने एजेंडा को लेकर शर्मा को आश्वस्त किया और कहा, ''और जो है हम से जितना aggressively कराना है वो बताए क्योंकि हम तो उसी के लिए है ही मतलब हम खुले तौर पर चलने वाले आदमी हैं।'' लोकसभा चुनाव से दो महीने पहले पोलेराइस की बात पर भट्ट ने कहा, ''नहीं हम तो शुरुआत में भी तेज़ इंजेक्शन लगाने को तैयार हैं, हमें कोई दिक्कत नहीं भाई।'' अब बात पेमेंट की आती है। पेमेंट का आधा हिस्सा यानि एक करोड़ रुपया कैश में शर्मा की बताई जगह से लेने को भी भट्ट तैयार हो गए और बोले, ''हाँ वो कोई नहीं, बक्शी का तालाब यहाँ से दस किलोमीटर है तो हमारे लिए दिक्कत नहीं है।''

कोबरापोस्ट ऑपरेशन 136: पार्ट -1 : एचएनएन 24 x 7

एचएनएन 24x7

अमित शर्मा, मालिक एवं सीईओ
 
अमित शर्मा ने उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से टेलिकास्ट होने वाले रीजनल न्यूज चैनल एचएनएन 24x7 के ऑफिस में चैनल के मालिक और सीईओ अमित शर्मा से मुलाक़ात की। अमित ने कहा कि चैनल पर वो हिंदुत्व के एजेंडा के साथ डिजिटल प्लेटफार्म पर बीजेपी और संघ के फ़ायर ब्रांड नेताओं जैसे उमा भारती, विनय कटियार, मोहन भागवत, राजू भईया, अशोक सोनी, आनंदी भाई और असित सोनी का भी प्रचार करेंगे और इसमें रेकॉर्ड्स के अंदर संघ का नाम कही नहीं होगा।

फ़ेसबुक पर तीन लाख और ट्वीटर पर आठ हज़ार फालोअर्स का दावा करने वाले अमित शर्मा ने 2019 में बीजेपी को बढ़त दिलाने की बात करते हुए कहा, ''हम तो कहेंगे नहीं संघ नहीं करवा रहा, हम तो कह रहे है being a channel मैं पाँच गाड़िया चैनल की चलवाऊंगा, मैं वही तो कह रहा हूँ पाँच गाड़िया चैनल की बनवाऊंगा, आपकी तो niche branding होगी।''

अमित ने आगे कहा कि इससे उत्तराखंड के लोगों के साथ साथ बाहर से उत्तराखंड आ रहे सैलानीयों में भी एजेंडा का प्रचार प्रसार होगा। पुष्प की एचएनएन के मालिक और सीईओ अमित शर्मा से फोन पर भी बातचीत हुई जिसमें पुष्प अमित से चैनल पर पैनल डिस्कशन के दौरान मुस्लिम वक्ताओं का शोषण करने, केंद्र में बीजेपी मंत्री मेनका गांधी, मनोज सिन्हा के अलावा गठबंधन पार्टी के नेता ओमप्रकाश राजभर, अनुप्रिया पटेल और उपेंद्र कुशवाह के खिलाफ़ ख़बर चलाने के लिए बोलते है। इस बात पर अमित शर्मा कहते है, ''मैं आपकी बात बिलकुल समझ गया आचार्य जी। मैं उस पर वर्किंग तैयार करवा लूँगा।''

पुष्प बातचीत में आगे अमित से किसानों के आंदोलन को माओवादियों से जोड़ने, सोहरबुद्दीन और जस्टिस लोया जैसे मामलों पर अगर कुछ भी चीज़ खिलाफ जाती है तो judicial verdict के ऊपर सवाल उठाने, कोबरा पोस्ट, वायर जैसी न्यूज़ वैबसाइट के खिलाफ ख़बर करने, आधार कार्ड के पक्ष में स्टोरी करने के साथ प्रशांत भूषण, दुष्यंत दवे, कामिनी जयसवाल और इन्दिरा जयसिंह जैसे सिविल सोसाइटी के लोगों का खबरों के जरिए character assassination करने को बोलते हैं। इस पर एचएनएन के अमित अपनी सहमति देते हुए कहते है, ''आप बताते जाइएगा आचार्य जी।''

कोबरापोस्ट ऑपरेशन 136: पार्ट -1 : समाचार प्लस

समाचार प्लस

मुकेश बगियाल, मैनेजर सेल्स; अमित त्यागी, सीनियर सेल्स हैड

''खबर वही, जो हमने कही'' की टैग लाइन के साथ साल 2012 में लॉन्च हुए समाचार प्लस चैनल ने कुछ ही समय में यूपी और उत्तराखंड में पकड़ बना ली थी। साल 2016 में उत्तराखंड विधानसभा चुनाव से पहले उत्तराखंड के तब के मुख्यमंत्री हरीश रावत के स्टिंग ऑपरेशन चलाने की वजह से भी चैनल और इसके मालिक उमेश कुमार सुर्खियों में रहे। पुष्प ने समाचार प्लस के मैनेजर सेल्स मुकेश बगियाल से मिलकर उन्हें 2019 में बीजेपी को फ़ायदा पहुंचाने के लिए हिंदुत्व का एजेंडा और aggressive campaign की बात कही, जिस पर मुकेश ने कहा, ''इसमें सर हमारा मीडिया पूरा सपोर्ट करेगा, आपको जब भी जरूरत होगी।''