भारत के राज्य कर्नाटक में कन्नड़ पाठ्यपुस्तक के एक पाठ में विनायक दामोदर सावरकर को शामिल किया गया है, जो सोशल मीडिया पर काफी वायरल है। सोशल मीडिया पर इसका मज़ाक भी उड़ाया जा रहा है।
दरअसल इस पाठ में कहा गया है कि सावरकर अंडमान द्वीप समूह की सेलुलर जेल में बुलबुल के पंख पर बैठकर उड़ते थे।
इस पाठ का नाम कलावनु गेद्दावरु है। इसका मतलब है कि जो धारा के ख़िलाफ़ जीतते हैं। ये पाठ केटी गट्टी द्वारा लिखा गया एक यात्रा वृत्तांत है। लेखक केटी गट्टी ने जेल में उस कोठरी का दौरा किया था जहां सावरकर 1911 से 1921 तक कैद रहे।
ये पाठ कर्नाटक में रोहित चक्रतीर्थ की अध्यक्षता वाली पाठ्यपुस्तक संशोधन कमेटी ने संशोधित पाठ्यक्रम में शामिल किया। पाठ्यक्रम में इस पाठ पर विवाद होने के बाद इसे हटा दिया गया है।
जेल में सावरकर के जीवन की चर्चा करते हुए लेखक ने एक पैराग्राफ में जिक्र किया है कि कैसे पीछे की दीवार में एक छोटा सा छेद था जिससे आकाश भी नहीं देखा जा सकता था। कहीं से बुलबुल पक्षी उड़कर इसी छेद से कोठरी में आ जाते थे और सावरकर उनके पंखों पर बैठकर हर रोज मातृभूमि का भ्रमण करते थे।
लेखक और डेटा वैज्ञानिक अरुण कृष्णन ने कहा, ''मैं मानता हूं कि हमें सावरकर को अपने स्कूल की पाठ्यपुस्तकों में शामिल करने की जरूरत है, लेकिन क्या इसे इस तरीके से किया जाना चाहिए। सावरकर खुद इसे देखकर शर्मिंदा महसूस करते।''
एक अधिकारी की तरफ से ये बताया गया कि लेखक ने इसका इस्तेमाल एक रूपक की तरह किया था।
इसके जवाब में पूर्व कांग्रेस मंत्री प्रियांक खड़गे ने ट्वीट कर कहा कि ऐसा नहीं लगता है कि इसे एक रूपक की तरह कहा गया था।
हालांकि टेक्स्ट बुक सोसायटी के प्रबंध निदेशक मेडगौड़ा ने बीबीसी हिंदी को बताया, ''यह लेखक की कल्पना है। पाठ्यपुस्तक रिविजन कमेटी ने ये फैसला लिया था। अभी तक हमें सरकार की ओर से कोई निर्देश नहीं मिला है। हम लोग इंतज़ार कर रहे हैं।''
बीजेपी का क्या कहना है
इस मामले पर बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव सी टी रवि ने मीडिया से बातचीत में कहा कि, "मातृभूमि के प्रति सावरकर के प्रेम ने उन्हें कैसे लोगों से जोड़ा, ये बताने के लिए लेखक ने कल्पना का सहारा लिया। आपको इसे प्रैक्टिकल होकर देखने की ज़रूरत नहीं है। अगर आप कल्पना करें तो आप दुनिया में कई जगहों पर हो सकते हैं।''
कर्नाटक के प्राइमरी एंड सेकेंडरी शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने इस मामले पर टिप्पणी करने से मना कर दिया।
पहले भी हो चुका है विवाद
कुछ महीने पहले भी पाठ्यपुस्तकों का कंटेंट कर्नाटक में बीजेपी सरकार के लिए शर्मिंदगी का कारण बन गया था। उस समय 12वीं शताब्दी के समाज सुधारक और लिंगायत समुदाय के संस्थापक बसवन्ना के कथनों को गलत तरीके से पेश करने को लेकर शिकायत की गई थी।
भारत में रियल एस्टेट कंपनी सुपरटेक ने दावा किया है कि नोएडा के ट्विन टावर के ध्वस्त होने से कंपनी को करीब 500 करोड़ का नुकसान हुआ है।
कंपनी के चेयरमैन आर के अरोड़ा ने रविवार, 28 अगस्त, 2022 को ख़ुद इसकी जानकारी दी।
समाचार एजेंसी पीटीआई को आर के अरोड़ा ने बताया कि ज़मीन खरीदने से लेकर ट्विन टावर के निर्माण, अलग-अलग अप्रूवल के लिए अधिकारियों को किए गए भुगतान से लेकर सालों से बैंकों को दिए जा रहे ब्याज़ की राशि और दोनों टावरों के खरीदारों को दिए गए 12 प्रतिशत ब्याज़ के भुगतान को जोड़ लें तो कंपनी को कुल 500 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।
नोएडा के सेक्टर 93A में बना ट्विन टावर सुपरटेक कंपनी के एमराल्ड प्रोजेक्ट का हिस्सा थी। ट्विन टावर में बने 900 अपार्टमेंट्स की कुल मार्केट वैल्यू क़रीब 700 करोड़ थी।
अरोड़ा ने पीटीआई को बताया कि दोनों ही टावर करीब 8 लाख स्क्वायर फिट की एरिया में बनाई गई थीं।
उन्होंने कहा, ''हमने ये टावर नोएडा विकास प्राधिकरण के अप्रूवल के बाद ही बनवाई थी।''
भारत के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद रविवार, 28 अगस्त, 2022 की दोपहर 2.30 बजे करीब 100 मीटर ऊंचे एपेक्स और सेयेन टावरों को गिरा दिया गया। सुप्रीम कोर्ट ने एमराल्ड कोर्ट परिसर के अंदर इन दो टावरों के निर्माण में मानदंडों का उल्लंघन पाया था। टावरों को ध्वस्त करने में 3700 किलोग्राम से अधिक विस्फोटक का इस्तेमाल किया गया।
बिलकिस बानो गैंगरेप मामले में 134 रिटायर्ड नौकरशाहों ने भारत के मुख्य न्यायाधीश उदय उमेश ललित को सात पन्नों का खुला पत्र लिखा है।
इस पत्र में मुख्य न्यायाधीश से 14 व्यक्तियों की हत्या और बिलकिस बानो गैंगरेप मामले में 11 दोषियों को समय से पहले रिहा करने के आदेश को रद्द करने की अपील की थी। ये मामला गुजरात में 2002 में हुए दंगों के समय का है।
गुजरात सरकार ने बिलकिस बानो मामले में दोषियों को समय से पहले 15 अगस्त, 2022 को रिहाई दे दी थी।
कॉन्सिट्यूशनल कंडक्ट ग्रुप ने चीफ जस्टिस को लिखा कि गुजरात सरकार ने समय से पहले रिहाई का आदेश जारी करने में कई गलतियां की हैं।
पत्र में कहा गया है कि गुजरात सरकार के इस फैसले का प्रभाव न सिर्फ बिलकिस बानो और उसके परिवार बल्कि भारत में सभी महिलाओं की सुरक्षा पर भी पड़ेगा।
कॉन्सिट्यूशनल कंडक्ट ग्रुप ने चीफ जस्टिस से सभी 11 दोषियों को फिर से जेल में भेजने की अपील की है।
रिटायर्ड नौकरशाहों ने कहा कि इस मामले में जांच सीबीआई ने की थी, इसलिए सजा में छूट देने से पहले केंद्र सरकार की मंजूरी नहीं ली गई है।
श्रीलंका में भारतीयों की सुरक्षा के सवाल पर भारत ने कहा है कि वहां मौजूद सभी भारतीयों की सुरक्षा सरकार की प्राथमिकता है। सरकार ने कहा कि वह श्रीलंका के घटनाक्रम पर नज़र रखे हुए है।
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने गुरुवार, 25 अगस्त 2022 को कहा कि भारत के बाहर और श्रीलंका गए सभी भारतीयों की सुरक्षा सबसे ज़रूरी है।
नई दिल्ली में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने श्रीलंका गए सभी भारतीयों को सावधानी बरतने की सलाह दी है।
उन्होंने यह भी सलाह दी है कि भारतीय यात्री वहां मुद्रा कन्वर्जन और ईंधन के हालात जैसी सभी ज़रूरी बातों की पड़ताल कर लें।
''हमारे उच्चायुक्त श्रीलंका के स्थानीय प्रशासन के संपर्क में हैं। मुझे नहीं लगता कि श्रीलंका में किसी पर हमला हुआ है। हमने इस बारे में भारतीय नागरिकों को दिशानिर्देश जारी किए हैं।''
पाकिस्तान में असहिष्णुता का हाल चौंकाने वाला
पाकिस्तान में एक सिख महिला के अपहरण की घटना को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने चिंताजनक क़रार देते हुए कहा है कि पाकिस्तान में धार्मिक असहिष्णुता का स्तर चौंकाने वाला है।
उन्होंने कहा कि वे इस घटना को पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदाय के खि़लाफ़ होने वाले धार्मिक उत्पीड़न का एक और उदाहरण मानते हैं।
वहीं पाकिस्तान के साथ बातचीत के बारे में भारत ने अपना पुराना रुख़ दोहराते हुए कहा है कि पाकिस्तान के साथ बात के लिए आतंकवाद रहित वातावरण का होना ज़रूरी है।
पैगंबर मोहम्मद पर विवादास्पद टिप्पणी करके विवादों में आईं बीजेपी की पूर्व नेता नूपुर शर्मा को मारने के लिए रूस में कथित रूप से गिरफ़्तार किए गए आत्मघाती हमलावर के बारे में अरिंदम बागची ने कहा है कि भारत इस मसले को लेकर रूस के संपर्क में है।
हालांकि सुरक्षा मामलों का हवाला देते हुए उन्होंने इस बारे में और ब्योरा देने से इनकार कर दिया है।
भारत में पेगासस जासूसी मामले में बनाई गई तकनीकी जाँच समिति ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी रिपोर्ट पेश कर दी है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि जाँच के लिए उसके पास जमा किए गए किसी भी मोबाइल फ़ोन में जासूसी साॅफ्टवेयर (स्पाइवेयर) के पुख़्ता सबूत नहीं मिले। रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि पाँच फ़ोन्स में मैलवेयर पाए गए हैं।
हालाँकि रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि केंद्र सरकार ने जाँच में पूरा सहयोग नहीं किया।
इसके बाद बीजेपी ने कांग्रेस और उनके नेता राहुल गांधी की आलोचना की। जबकि कांग्रेस ने जाँच समिति से सहयोग न करने को लेकर मोदी सरकार की आलोचना की।
बीजेपी नेता रविशंकर प्रसाद ने नई दिल्ली स्थित बीजेपी मुख्यालय में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में कांग्रेस पर आरोप लगाया कि इस मामले में उसकी ओर से चलाई गई मुहिम झूठी और दुर्भावना से प्रेरित थी।
उन्होंने कहा कि ये अभियान पीएम मोदी को बदनाम करने की कोशिश थी।
रविशंकर प्रसाद ने यह भी आरोप लगाया है कि राहुल गांधी और उनकी पार्टी की समस्या यह है कि उन्हें पीएम मोदी और उनकी सरकार से दुश्मनी है और वे अपनी पार्टी को आगे बढ़ाने के लिए झूठ का सहारा लेते हैं।
रविशंकर प्रसाद के अनुसार, "राहुल गांधी ने कहा था कि पेगासस लोकतंत्र को कुचलने की कोशिश है और यह देश और यहाँ की संस्थाओं पर हमला है।''
दूसरी ओर कांग्रेस ने जाँच समिति से सहयोग न करने को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधा है। कांग्रेस ने ट्वीट करके लिखा है कि पेगासस जासूसी कांड को लेकर मोदी सरकार का रवैया शुरू से ही संदेहास्पद रहा है।
कांग्रेस का कहना है कि जाँच समिति की रिपोर्ट मोदी सरकार की कार्यप्रणाली पर बहुत से सवाल खड़े करती है।
सुप्रीम कोर्ट ने आज क्या कहा ?
पेगासस जासूसी मामले में जाँच समिति की रिपोर्ट गुरुवार, 25 अगस्त 2022 को सुप्रीम कोर्ट में खोली गई। इस रिपोर्ट को देखने के बाद अदालत ने बताया है कि पेगासस जासूसी मामले की जाँच के दौरान ज़्यादातर मोबाइल फोन में किसी भी जासूसी सॉफ़्टवेयर (स्पाइवेयर) की मौजूदगी के कोई प्रमाण नहीं मिले।
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस आरवी रवींद्रन के नेतृत्व वाली समिति की इस रिपोर्ट के आधार पर अदालत ने कहा कि जाँच के लिए जो 29 मोबाइल फोन जमा किए गए, उसमें से किसी भी फ़ोन में पेगासस स्पाइवेयर नहीं मिले। हालाँकि अदालत ने यह ज़रूर बताया कि 5 फोनों में पेगासस से अलग कोई और मैलवेयर पाया गया है।
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने जाँच समिति की सिफ़ारिश का ज़िक्र करते हुए कहा है कि निगरानी के लिए बनाए गए क़ानूनों में संशोधन होना चाहिए। जांच समिति ने देश की साइबर सुरक्षा को मज़बूत बनाने की भी जरूरत बताई है और देश में साइबर हमलों की जाँच के लिए एक विशेष जाँच एजेंसी बनाने की भी सिफ़ारिश की है।
समिति ने अपनी रिपोर्ट में केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए कहा है कि मोबाइल फ़ोनों में मालवेयर या स्पाइवेयर की जाँच के दौरान उसने समिति के साथ पूरा सहयोग नहीं किया।
भारत में पंजाब विधानसभा चुनाव के दौरान राज्य के दौरे पर गए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में हुई चूक के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फ़िरोज़पुर एसएसपी को ज़िम्मेदार ठहराया है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि फ़िरोज़पुर एसएसपी अपनी ड्यूटी निभाने में असफल रहे और इसकी वजह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का काफ़िला सड़क पर खड़ा रहा।
भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन्ना ने गुरुवार, 25 अगस्त 2022 को अपने आदेश में कहा, ''फ़िरोज़पुर एसएसपी रूट पर सुरक्षा व्यवस्था पुख़्ता नहीं कर सके। एसएसपी अपनी ड्यूटी नहीं निभा पाए। पीएम के पहुँचने से पहले पर्याप्त समय था। एसएसपी आदेश मिलने के बाद रूट पर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी नहीं कर पाए।''
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "सभी गवाहों और तथ्यों और मामले की परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, पुलिस को उचित प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए और उन्हें इन मामलों को लेकर संवेदनशील बनाना चाहिए।''
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ''हम भारत सरकार को ये आदेश भेजेंगे और सुरक्षा के साथ ही इसे अन्य पहलुओं से जुड़े मामलों पर सरकार को ही फ़ैसला लेने दिया जाए।"
सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व जस्टिस इंदु मल्होत्रा की सौंपी रिपोर्ट को देखते हुए ये टिप्पणी दी है।
पूर्व जस्टिस इंदु मल्होत्रा की अगुआई वाली पाँच सदस्यीय समिति ने सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्ट दायर की थी। इस रिपोर्ट में पंजाब के कुछ अफसर और पुलिस अधिकारियों की ओर इशारा किया गया था।
पाँच जनवरी, 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काफ़िले को पंजाब के फ़िरोज़पुर रोड के फ़्लाइओवर पर काफ़ी देर खड़ा रहना पड़ा था। ये इलाक़ा पाकिस्तान से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर है।
भारत में बिलकिस बानो गैंगरेप मामले में 11 दोषियों की रिहाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार और केंद्र को नोटिस जारी किया है। 15 अगस्त, 2022 को गुजरात सरकार ने माफ़ी योजना के तहत इन 11 दोषियों को रिहा कर दिया था।
गैंगरेप के दोषियों की रिहाई को लेकर गुजरात सरकार को आलोचना का सामना करना पड़ रहा है।
इस मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "सवाल ये है कि गुजरात सरकार के अंतर्गत क्या इन दोषियों को माफ़ी दी जा सकती है या नहीं। हमें ये भी देखना है कि क्या इन्हें माफ़ी देते समय सोच-विचार किया गया या नहीं।''
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में 11 दोषियों को भी पार्टी बनाने का निर्देश दिया।
इस मामले में नोटिस जारी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इसकी सुनवाई दो सप्ताह बाद करने का फ़ैसला किया।
भारत के मुख्य न्यायाधीश एन वी रमन्ना की खंडपीठ ने कहा, ''हम गुजरात सरकार और केंद्र को नोटिस जारी कर रहे हैं। हम उनसे जवाब मांग रहे हैं। दो सप्ताह बाद इस पर सुनवाई होगी।
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए वकील कपिल सिब्बल ने अदालत से मांग की कि दोषियों की रिहाई तुरंत रद्द होनी चाहिए और गुजरात सरकार के फ़ैसले को खारिज कर देना चाहिए।
उन्होंने कहा कि गुजरात दंगों के दौरान बड़ी संख्या में लोग मारे गए थे और मुसलमानों का पलायन भी हुआ था। कपिल सिब्बल ने कहा कि एक गर्भवती महिला के गैंगरेप के दोषियों को माफ़ी नहीं मिलनी चाहिए थी।
विपक्ष की कई पार्टियों ने इस मामले में गुजरात सरकार की आलोचना की है। सुप्रीम कोर्ट में इन 11 दोषियों की रिहाई के ख़िलाफ़ कई लोगों ने याचिका दाखिल की थी। इनमें वामपंथी नेता सुभासिनी अली और टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा भी शामिल हैं।
तीन मार्च 2002 को गुजरात दंगों के दौरान बिलकिस बानो के साथ बलात्कार किया गया था और उनके परिवार के 14 सदस्यों को मार दिया गया था। मृतकों में बिलकिस बानो की तीन साल की बेटी भी शामिल थी।
इस मामले की जाँच सीबीआई ने की थी जिसके बाद 2008 में बॉम्बे सत्र अदालत ने 11 लोगों को उम्र क़ैद की सज़ा सुनाई थी। 15 अगस्त, 2022 को गोधरा जेल में सज़ा काट रहे इन 11 क़ैदियों को गुजरात सरकार की सज़ा माफ़ी की नीति के तहत रिहा कर दिया गया था।
दोषियों के रिहा होने पर क्या कहा था बिलकिस के पति ने
बिलकिस बानो के पति याकूब रसूल ने 11 दोषियों का रिहाई के बाद इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा था, ''हमें जिस हालत में छोड़ा गया है, उसमें कुछ भी महसूस करने की शक्ति नहीं बची है।''
याकूब रसूल ने कहा था, ''जिस लड़ाई को हम वर्षों से लड़ रहे थे, वह एक क्षण में बिखर गई। अदालत की ओर से दी गई उम्र क़ैद की सज़ा को मनमानी तरीक़े से कम कर दिया गया। मैंने सज़ा कम करने की इस प्रक्रिया के बारे में आज तक सुना भी नहीं था।''
याकूब रसूल गुजरात में दाहोद के देवगढ़ बारिया में रहते हैं।
रसूल कहते हैं, ''2002 में जो कुछ हुआ वह भयावह था. बिलकिस के साथ जो बर्बरता हुई वह अकल्पनीय थी। उसने अपनी बेटी की हत्या अपनी आँखों के सामने देखी। एक माँ, एक महिला और एक इंसान के रूप में उसने सारी बर्बरता झेली। इससे बुरा और क्या हो सकता है?''
उन्होंने कहा था, ''अब हम यही चाहते हैं कि हमें अकेला छोड़ दीजिए। हमें अपनी सुरक्षा को लेकर डर है लेकिन अब कुछ करने की हिम्मत और वक़्त नहीं है।''
भारत के राज्य बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में महागठबंधन की सरकार ने विधानसभा में हुए शक्ति परीक्षण में बहुमत हासिल कर लिया है।
इस दौरान नीतीश कुमार ने बीजेपी और केंद्र सरकार पर कई आरोप लगाए। नीतीश कुमार ने बीजेपी पर हिंदू-मुसलमान करने का आरोप लगाया और कहा कि 2024 में एकजुट विपक्ष टक्कर देगा।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विधानसभा में अपनी नई सरकार के विश्वास मत पर अपना पक्ष रखते हुए कहा कि अगर सभी धर्म और जाति के लोग एक साथ आएँगे और 2024 में एकजुट विपक्ष टक्कर देगा।
नीतीश कुमार ने बताया कि देश भर के नेताओं ने उन्हें फ़ोन किया और इस फ़ैसले पर बधाई दी। नीतीश कुमार ने उन नेताओं से 2024 के चुनाव में एक साथ लड़ने का आग्रह किया।
वे बोले, ''हमें देश भर की पार्टियों के लोगों ने फ़ोन कर कहा कि आपने सही निर्णय लिया है। हमने कहा कि सब मिल कर लड़ेंगे तो 2024 भी जीतेंगे।''
सीएम बनने के लिए दबाव दिया गया : नीतीश कुमार
इस दौरान नीतीश कुमार ने बीजेपी पर कई आरोप लगाए और बार-बार बोलते रहे कि ''जो भी कह रहा हूँ दिल्ली से बोल रहा हूँ।''
नीतीश बोले, ''मेरी इच्छा कुछ भी बनने की नहीं है। विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने जद (यू) को ख़त्म करने की साज़िश रची।''
नीतीश कुमार ने इस दौरान बताया कि 2020 में उन पर मुख्यमंत्री बनने के लिए दबाव दिया गया था।
उन्होंने कहा, ''2020 में हमने कहा था कि ज़्यादा सीट आप जीते हैं तो आपका मुख्यमंत्री बनना चाहिए। लेकिन मुझ पर दवाब दिया गया कि आप ही संभालिए। अब हमारी पार्टी के लोगों ने तय किया तो हम जहाँ पहले थे वहाँ चले गए। अब हमारा संकल्प है कि हम मिलकर बिहार का विकास करेंगे।''
वे बोले, ''सिर्फ़ 2020 के विधानसभा चुनाव की बात मत करें, अतीत के चुनावों को याद करें जब जद (यू) ने भाजपा से अधिक सीटें जीती थीं। पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय दर्जा देने का मेरा अनुरोध स्वीकार नहीं किया गया। 2017 में जब मैंने पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय दर्जा देने की मांग की तो किसी ने इस पर ध्यान नहीं दिया। अब आप (केंद्र सरकार) अपने काम का बखान करने के लिए ऐसा ही करेंगे। सोशल मीडिया और प्रेस पर उनका नियंत्रण है। सब सिर्फ़ केंद्र के काम की चर्चा कर रहे हैं।''
नीतीश ने बताया, 2013 में क्यों अलग हुए?
नीतीश ने कहा, ''2017 में केंद्र ने 600 करोड़ दे कर कहा कि मान लीजिए हर घर नल, केंद्र की योजना है लेकिन हमने नहीं माना। हर घर नल 2015 में शुरू हुआ, तब आरजेडी सहयोगी थी। बिहार में सड़क बनाने का काम केंद्र सरकार ने नहीं, राज्य सरकार ने किया।''
नीतीश कुमार ने इस दौरान यह भी बताया कि 2013 में वो एनडीए से अलग क्यों हुए थे। उन्होंने कहा, "अटल जी, आडवाणी जी, मुरली मनोहर जी सभी आप की पार्टी के ही नेता थे। ये सभी मेरी बात सुनते थे। 2013 में अटल जी की तबीयत ठीक नहीं थी। तब बाकी जो नेता हैं उनकी बात होनी चाहिए। अटल जी बीमार हो गए तो आगे आडवाणी जी को पावर मिलना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। बीजेपी ने सभी पुराने नेता को साइड कर दिया। इसकी वजह से अलग हुए थे। 2005 के नतीजों को भी याद किया जाए।''
इस दौरान नीतीश ने वर्तमान केंद्र सरकार पर एक के बाद एक कई हमले किए। उन्होंने कहा कि, ''खाली दिल्ली का प्रचार होते रहता है, हमलोग क्या कर रहे थे, हम कुछ नहीं बनना चाहते हैं, सिर्फ काम करना चाहते हैं। हम पूछते हैं कि पटना यूनिवर्सिटी को सेंट्रल यूनिवर्सिटी का दर्जा क्यों नहीं दिया, इसकी हम बार-बार मांग कर रहे थे।''
26 अगस्त, 2022 को विधानसभा अध्यक्ष चुने जाएंगे
इस चर्चा के दौरान भाजपा के कुछ विधायकों ने विधानसभा से वॉकआउट किया।
इस पर नीतीश कुमार ने कहा, ''आप (भाजपा विधायक) सब भाग रहे हैं? अगर आप मेरे ख़िलाफ़ बातें करेंगे तो ही आपको अपनी पार्टी में पद मिलेगा। आप सभी को अपने वरिष्ठ आकाओं से आदेश मिला होगा।''
हालांकि तेजस्वी यादव और नीतीश कुमार के भाषणों के बाद सदन में विश्वासमत ध्वनिमत से पारित हो गया।
विपक्ष के सदस्यों के वॉकआउट करने के बाद प्रस्ताव के पक्ष में 160, विपक्ष में शून्य मत आया।
इस दौरान कार्यकारी सदन अध्यक्ष ने बताया कि राज्यपाल की ओर से निर्देश आया है कि 26 अगस्त 2022 को विधानसभा अध्यक्ष का चयन किया जाएगा जिसके लिए नामांकन की तारीख़ 25 अगस्त, 2022 रखी गई है।
भारत के राज्य गुजरात के बिलकिस बानो सामूहिक बलात्कार के दोषियों की रिहाई के आदेश के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट सुनवाई के लिए तैयार हो गया है।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की नेता सुहासिनी अली, पत्रकार रेवती लॉल और प्रोफ़ेसर रूप रेखा वर्मा ने रिहाई के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।
बाद में तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने दोषियों की रिहाई के ख़िलाफ़ जनहित याचिका दायर की है।
15 अगस्त, 2022 को जेल की सज़ा काट रहे सभी 11 दोषियों को गुजरात सरकार ने माफ़ी योजना के तहत रिहा किया था।
ये 11 दोषी साल 2002 के गुजरात दंगों के दौरान बिलकिस बानो के सामूहिक बलात्कार और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के मामले में उम्र-कैद की सज़ा काट रहे थे और गोधरा जेल में बंद थे।
वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने अदालत में कहा कि एक गर्भवती महिला से सामूहिक बलात्कार के मामले में दोषियों को रिहाई नहीं मिलनी चाहिए। इस पर भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन्ना की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि वो इस मामले में सुनवाई के लिए तैयार है।
दोषियों की रिहाई के बाद ऐसी तस्वीरें और वीडियो भी सामने आए जिसमें इन सबका मिठाई खिलाकर और माला पहनाकर स्वागत किए जाते देखा गया था।
लाइव लॉ की ख़बर के अनुसार याचिका में कहा गया है कि दोषियों के स्वागत से इस मामले में 'राजनीतिक एंगल' साफ़ दिखता है।
इस्लाम के पैग़बर मोहम्मद पर विवादित बयान देने के मामले में कोर्ट ने बीजेपी विधायक टी राजा को ज़मानत दे दी है। लाइव लॉ के मुताबिक हैदराबाद पुलिस ने कोर्ट में रिमांड ऑर्डर पेश किया था जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया।
उनके विवादित बयान के विरोध में हैदराबाद में सोमवार, 22 अगस्त, 2022 की देर रात प्रदर्शन हुए। प्रदर्शनकारियों ने टी राजा सिंह की जल्द से जल्द गिरफ़्तारी की मांग की थी। जिसके बाद तेलंगाना पुलिस ने बीजेपी विधायक टी राजा को मंगलवार, 23 अगस्त, 2022 की सुबह गिरफ्तार किया। टी राजा हैदराबाद की गोशामहल सीट से विधायक हैं।
टी राजा सिंह ने एक वीडियो जारी कर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। बीजेपी विधायक के बयान के विरोध में हैदराबाद में सोमवार, 22 अगस्त, 2022 की देर रात प्रदर्शन हुए।
प्रदर्शनकारियों ने टी राजा सिंह की जल्द से जल्द गिरफ़्तारी की मांग की थी। सोमवार, 22 अगस्त, 2022 की देर रात पुलिस कमिश्नर सीवी आनंद के दफ़्तर और शहर के अन्य हिस्सों में विरोध प्रदर्शन और नारेबाज़ी हुई।
इसके बाद टी राजा के ख़िलाफ़ आईपीसी की धारा 295(ए), 153 (ए) सहित अन्य धाराओं में मामला दर्ज किया गया था।
टी राजा सिंह ने हास्य कलाकार मुन्नवर फ़ारूकी को लेकर एक वीडियो जारी किया था। उन्होंने हैदराबाद में होने वाले फ़ारूकी के शो को रोकने की धमकी भी दी थी। इस वीडियो में ख़ुद राजा सिंह ने मुन्नवर फ़ारूकी और उनकी माँ के ख़िलाफ़ टिप्पणी की थी। साथ ही पैग़बंर मोहम्मद को लेकर भी आपत्तिजनक बयान दिया था।
ये विवाद ऐसे समय में सामने आया है जब कुछ समय पहले ही बीजेपी की पूर्व नेता नूपुर शर्मा ने एक टीवी डिबेट के दौरान पैग़ंबर मोहम्मद पर विवादित बयान दिया था।
उस समय कई इस्लामिक देशों ने आधिकारिक तौर पर भारत के सामने आपत्ति दर्ज कराई थी। बीजेपी ने बयान के लिए नूपुर शर्मा को बीजेपी से निलंबित कर दिया था। नूपुर शर्मा के ख़िलाफ़ देशभर में कुल 10 एफ़आईआर दर्ज कराई गई थीं।