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भारत-पाकिस्तान संबंध: नरेंद्र मोदी की चिट्ठी के जवाब में आई इमरान ख़ान की चिट्ठी

पाकिस्तान दिवस की मुबारकबाद देते हुए पीएम इमरान ख़ान को लिखी गई पीएम नरेंद्र मोदी की चिट्ठी का जवाबी खत पाकिस्तान से आ गया है।  

पाकिस्तान के पीएम इमरान ख़ान ने इस जवाबी खत में 29 मार्च 2021 को लिखा है, ''पाकिस्तान दिवस की शुभकामनाओं के साथ भेजी गई चिट्ठी के लिए मैं आपको शुक्रिया अदा करता हूं।''

पीएम इमरान ख़ान ने आगे लिखा है, ''पाकिस्तान के लोग अपने संस्थापकों की दूरदर्शिता और बुद्धिमत्ता को श्रद्धांजलि देने के लिए ये दिवस मनाते हैं जिन्होंने एक स्वतंत्र, संप्रभु राज्य की परिकल्पना की थी और जहां लोग आज़ादी से रह सकें और अपनी पूरी क्षमता को हासिल कर सकें।''

पीएम इमरान ख़ान ने लिखा, ''पाकिस्तान के लोग भी भारत समेत अपने सभी पड़ोसी देशों के साथ शांतिपूर्ण और सहयोगपूर्ण रिश्ते चाहते हैं। हम इस बात को लेकर निश्चिंत हैं कि दक्षिण एशिया में स्थाई शांति और स्थिरता भारत और पाकिस्तान के बीच सभी मुद्दों, जिनमें ख़ासतौर पर जम्मू और कश्मीर का विवाद शामिल है, के सुलझ जाने से जुड़ी है।''

इमरान ख़ान ने लिखा, ''एक सकारात्मक और नतीजा देने वाली बातचीत के लिए अनुकूल माहौल बनाना ज़रूरी है। मैं इस मौके पर भारत के लोगों को सीओवीआईडी-19 की महामारी के ख़िलाफ़ लड़ाई में शुभकामनाएं भी देना चाहता हूं।''

इमरान के नाम मोदी की चिट्ठी में क्या लिखा था

इससे पहले भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान को पाकिस्तान दिवस की मुबारकबाद देते हुए लिखा था कि एक पड़ोसी देश के तौर पर भारत, पाकिस्तान के लोगों के साथ ख़ुशगवार रिश्ते चाहता है।

22 मार्च 2021 को लिखी गई इस चिट्ठी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लिखा, ''ऐसा संभव बनाने के लिए आतंकवाद और शत्रुता से मुक्त एवं विश्वास और भरोसे से भरे माहौल की ज़रूरत है।''

वहीं भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ़ अल्वी के नाम लिखे पत्र में पाकिस्तान दिवस की मुबारकबाद पेश की थी।

नरेंद्र मोदी ने इमरान ख़ान को ये ख़त ऐसे वक़्त में लिखा था जब दोनों देशों के बीच लाइन ऑफ़ कंट्रोल पर नए सिरे से संघर्ष-विराम लागू किया गया है।

भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम

फरवरी 2021 में दोनों देशों के मिलिट्री ऑपरेशन के डायरेक्टर जनरल (डीजीएमओ) ने एक साझा बयान जारी करते हुए नियंत्रण रेखा पर अचानक संघर्ष-विराम की घोषणा की थी।

तब से सीमा पर पहले के मुक़ाबले शांति है और दोनों तरफ़ से संघर्ष विराम का पूर्ण पालन किया जा रहा है।

वहीं सिंधु नदी जल वार्ता के लिए पाकिस्तान का आठ सदस्यीय एक दल इंडस वॉटर कमिश्नर सैयद मेहर-ए-आलम के नेतृत्व में भारत में अपने समकक्षों के साथ नई दिल्ली में वार्ता कर रहा है। ये बातचीत दो साल बाद हो रही है।

हाल ही में पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल क़मर जावेद बाजवा ने भी अपने एक बयान में कहा था कि दोनों देशों को पुरानी बातें भुलाकर आगे बढ़ना चाहिए।

शुभकामनाओं का सिलसिला

नरेंद्र मोदी ने अपने ख़त में लिखा था कि पाकिस्तान दिवस के मौके पर वो पाकिस्तान के लोगों को अपनी मुबारकबाद देना चाहते हैं।

मोदी ने इमरान ख़ान को संबोधित करते हुए लिखा कि इस मुश्किल वक़्त में वो उन्हें और पाकिस्तान के लोगों को सीओवीआईडी-19 की चुनौतियों से निबटने के लिए शुभकामनाएं देते हैं।

कुछ दिन पहले इमरान ख़ान जब कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए थे, तब भी भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके लिए शुभकामनाएं भेजी थीं।

भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में हाल के महीनों में अचानक आई गर्माहट के पीछे किसी तीसरे देश के होने के क़यास भी लगाए जा रहे हैं।

सऊदी अरब के उप-विदेश मंत्री आदिल अल जुबैर ने कुछ दिन पहले स्वीकार किया था कि सऊदी अरब भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को कम करने की कोशिशें कर रहा है।

संयुक्त अरब अमीरात का दावा

अरब न्यूज़ को दिए एक इंटरव्यू में आदिल अल जुबैर ने कहा था कि सऊदी अरब पूरे इलाके में अमन चाहता है और इसके लिए कोशिशें कर रहा है।

वहीं मीडिया रिपोर्टों में भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत में संयुक्त अरब अमीरात के मध्यस्थता करने का दावा भी किया गया है।

द हिंदू की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि संयुक्त अरब अमीरात की मध्यस्थता में भारत और पाकिस्तान के बीच पर्दे के पीछे बातचीत हुई है।

हालांकि भारत या पाकिस्तान ने इसकी पुष्टि नहीं की है। विश्लेषक ये भी मान रहे हैं कि हाल की घटनाएं पर्दे के पीछे चल रहीं गतिविधियों का नतीजा हैं।

मोदी के दौरे पर बांग्लादेश में हुई हिंसा पर बांग्लादेश के गृह मंत्री ने क्या कहा?

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बांग्लादेश दौरे के ख़िलाफ़ प्रदर्शनों में हुई हिंसा पर बांग्लादेश के गृह मंत्री असदुज़्ज़मां ख़ान ने नाराज़गी जताई है और कहा है कि ''कुछ समूह धार्मिक उन्माद फैला रहे हैं और सरकारी संपत्ति और लोगों की जान का नुक़सान कर रहे हैं।''

उन्होंने रविवार, 28 मार्च 2021 को कहा कि हिंसा तुरंत रोकी जाए नहीं तो सरकार को कड़े क़दम उठाने होंगे।

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे के ख़िलाफ़ ब्राह्मणबरिया में रविवार, 28 मार्च 2021 को लगातार तीसरे दिन झड़पें हुईं।

हिंसक प्रदर्शनों में अब तक कम से कम 12 लोगों की मौत हुई है।  

बांग्लादेश के गृह मंत्री ने कहा, ''पिछले तीन दिनों से कुछ उपद्रवी लोग और समूह धार्मिक उन्माद के चलते कुछ इलाक़ों में सरकारी संपत्ति को नुक़सान पहुंचा रहे हैं।''

प्रदर्शनों में शामिल लोगों ने कथित तौर पर उपज़िला परिषद, थाना भवन, सरकारी भूमि कार्यालय, पुलिस चौकी, रेलवे स्टेशन, राजनीतिक हस्तियों के घर और प्रेस क्लब को नुक़सान पहुंचाया है।

उन्होंने कहा, ''हम सबंधित लोगों से इस तरह के नुक़सान और किसी भी तरह की अव्यवस्था को रोकने के लिए कह रहे हैं। नहीं तो सरकार लोगों की ज़िंदगियों और संपत्ति को बचाने के लिए कड़े क़दम उठाएगी।''

कट्टरपंथी इस्लामी संगठन 'हिफ़ाज़त-ए-इस्लाम' भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे के ख़िलाफ़ हुए कई प्रदर्शनों के बाद रविवार, 28 मार्च 2021 को हड़ताल पर चला गया।

हड़ताल की वजह से कई जगहों पर नाकेबंदी और झड़पें हुईं, लेकिन सबसे ज़्यादा हिंसा ब्राह्मणबरिया में हुई।

बांग्लादेश के गृह मंत्री ने कहा, ''कुछ स्वार्थी लोग अनाथ बच्चों को सड़कों पर ला रहे हैं, और उन्हें परेशान कर रहे हैं।''

उन्होंने साथ ही कहा कि सोशल मीडिया पर अफ़वाहें और फ़र्ज़ी ख़बरें फैलाकर तनाव का माहौल बनाया जा रहा है।

बांग्लादेश के गृह मंत्री ने कहा, ''हमें लगता है कि ये देश के ख़िलाफ़ जा रहा है। हम आपसे इसे रोकने के लिए कह रहे हैं, नहीं तो हम क़ानून के मुताबिक़ कार्रवाई करेंगे।''

उन्होंने कहा कि सरकार ये सुनिश्चित करने के लिए क़दम उठाएगी कि जो इस सब से प्रभावित हुए हैं उन्हें और परेशानी ना हो।

उन्होंने कहा कि तीन दिन तक क़ानूनी एजेंसियों ने बहुत संयम दिखाया।  

हिफ़ाज़त-ए-इस्लाम ने हिंसा की ज़िम्मेदारी से इनकार किया

कट्टरपंथी इस्लामी संगठन 'हिफ़ाज़त-ए-इस्लाम' ने हाल की हिंसा में उसके समर्थकों पर लगाए गए आरोपों का खंडन किया है।

हिफ़ाज़त-ए-इस्लाम ने एक बयान में कहा कि प्रदर्शनकारियों पर सरकार के लोगों और पुलिस ने हमला किया था।

हिफ़ाज़त-ए-इस्लाम के संयुक्त महासचिव, नसीरुद्दीन मुनीर ने बीबीसी से कहा कि सरकारी इमारतों पर हमले के लिए उनके समर्थकों पर आरोप लगाना सही नहीं है।

उन्होंने कहा, ''बैतूल मुकर्रम में शुक्रवार, 26 मार्च 2021 को हिंसा हुई थी। ख़बर ऑनलाइन फैलने के बाद हमारे मदरसे के कई छात्रों में गुस्सा था।''

उन्होंने कहा, ''जुमे की नमाज़ के एक घंटे बाद छात्रों ने शांतिपूर्ण मार्च शुरू किया। जब पुलिस स्टेशन के नज़दीक से निकले तो, कुछ लड़के, जो मदरसे के छात्र नहीं थे, वो उपद्रवी लोग मार्च में शामिल हो गए। वो पुलिस स्टेशन पर ईंटें फेंक रहे थे। पुलिस की तरफ से गोलियां बरसा दी गईं।''

हिफ़ाज़त-ए-इस्लाम के संयुक्त महासचिव, नसीरुद्दीन मुनीर ने बीबीसी से कहा, ''हमारे छात्रों ने पुलिस स्टेशन के अंदर हमला नहीं किया। मैं आपको इसके लिए 100 प्रतिशत आश्वासन दे सकता हूं।''

सरकार ने अतीत में कई बार हिफ़ाज़त-ए-इस्लाम की मांगों को माना है, जिसमें किताबों में बदलाव करना और बांग्लादेश में मूर्तियों को हटाना शामिल है।

नरेंद्र मोदी के दौरे के बाद भी बांग्लादेश में हिंसा जारी

भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे के बाद बांग्लादेश का ब्राह्मणबरिया रविवार, 28 मार्च 2021 को तीसरे दिन भी अशांत रहा।

ब्राह्मणबरिया के स्थानीय अस्पताल के अधिकारियों ने कहा कि रविवार, 28 मार्च 2021 को दो और लोगों की मौत हुई है।

बांग्लादेश में पिछले तीन दिनों से जारी हिंसक विरोध प्रदर्शनों में कम से कम 12 लोग मारे जा चुके हैं।

ब्राह्मणबरिया सदर अस्पताल के डॉक्टर शौकत हुसैन ने बीबीसी को बताया कि हड़ताल के दौरान हुई झड़पों में घायल हुए दो लोगों को अस्पताल लाया गया जिन्होंने दम तोड़ दिया।

डॉक्टर शौकत हुसैन ने इसके अलावा कोई अन्य जानकारी नहीं दी।

'हिफ़ाज़त-ए-इस्लाम'

स्थानीय संवाददाताओं का कहना है कि कट्टरपंथी इस्लामी संगठन 'हिफ़ाज़त-ए-इस्लाम' के समर्थकों और सुरक्षा बलों के बीच झड़पें हुई हैं।

इन झड़पों में कई लोग घायल हुए हैं।

नरेंद्र मोदी की बांग्लादेश यात्रा के ख़िलाफ़ कई विरोध प्रदर्शनों के बाद 'हिफ़ाज़त-ए-इस्लाम' ने रविवार, 28 मार्च 2021 को हड़ताल बुलाई थी।

स्थानीय संवाददाता मसुक हृदय ने बीबीसी को बताया कि हड़ताल के समर्थकों ने विभिन्न सरकारी प्रतिष्ठानों पर हमला बोला, वहां तोड़फोड़ की और उन्हें आग के हवाले कर दिया।

हमलावरों ने कथित तौर पर भूमि कार्यालय, सार्वजनिक पुस्तकालय और ज़िला शिल्पकला अकादमी सहित कई सरकारी और निजी भवनों में आग लगा दी।

यात्री ट्रेन पर हमला

मसुक हृदय ने आगे बताया कि प्रदर्शनकारियों ने एक यात्री ट्रेन पर भी हमला किया, जिसमें कई लोग घायल हो गए।

समाचार एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि 'हिफ़ाज़त-ए-इस्लाम' के सैकड़ों समर्थकों ने रविवार, 28 मार्च 2021 को पूर्वी बांग्लादेश के हिंदू मंदिरों और एक ट्रेन पर हमला किया।

घटना के बाद से ब्राह्मणबारिया के लिए आने-जाने वाली ट्रेनों को निलंबित कर दिया गया है।

बांग्लादेश में सबसे ज़्यादा हिंसा ब्राह्मणबारिया और चटगांव के हाटहज़ारी में हुई है।

शनिवार, 27 मार्च 2021 को ब्राह्मणबारिया में पुलिस और सुरक्षाबलों के साथ संघर्ष में कम से कम पांच प्रदर्शनकारी मारे गए थे।

स्थानीय पत्रकारों ने बताया कि छठे व्यक्ति की मौत रविवार, 28 मार्च 2021 को हुई। हालांकि बीबीसी स्वतंत्र सूत्रों से इन दावों की पुष्टि नहीं कर पाया है।

बांग्लादेश की आज़ादी की 50वीं सालगिरह के मौके पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार, 26 मार्च 2021 को ढाका के दौरे पर पहुंचे थे। वहां कुछ इस्लामी संगठन उनके दौरे का विरोध कर रहे थे।

'बंगाल में बीजेपी जीती तो शेख़ हसीना के लिए चुनौतियाँ बढ़ेंगी'

'ढाका ट्रिब्यून' में नई दिल्ली स्थित इंस्टिट्यूट ऑफ़ सोशल साइंसेज़ के सीनियर फ़ेलो पार्थ एस घोष का नज़रिया लेख छपा है। इस लेख में कहा गया है कि अगर बीजेपी पश्चिम बंगाल में जीत जाती है तो शेख़ हसीना के लिए राजनीतिक चुनौतियां कई गुना बढ़ जाएंगी।

इस लेख में कहा गया है कि नरेंद्र मोदी का 'हिंदुत्व' और शेख़ हसीना की 'धर्मनिरपेक्षता' मौलिक रूप से एक-दूसरे से उलट हैं।

लेख के मुताबिक़, 27 मार्च 2021 से शुरू हुए पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी के स्टार प्रचारक पीएम नरेंद्र मोदी हिंदू-मुस्लिम विभाजन की बात कर रहे हैं, जो पश्चिम बंगाल की राजनीति में पहले कभी नहीं देखा गया।

इसमें लिखा है, ''मोदी के नेतृत्व वाली बीजेपी के 2014 में सत्ता में आने के बाद से हिंदुत्व ने बंगाल की राजनीति में एंट्री ले ली। हाल में बीजेपी ने बंगाल की राजनीति में मज़बूत मौजूदगी दर्ज कराई और 2019 के लोकसभा चुनाव में 42 सीटों में से 18 अपने नाम कर ली।''

इस लेख में कहा गया है कि भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश को पश्चिम बंगाल के आठों चरणों की वोटिंग और फिर दो मई 2021 के नतीजों को लेकर सोचना पड़ेगा।

पार्था एस घोष लेख में याद करते हैं कि विभाजन के बाद जब भारत के अन्य हिस्से हिंदू-मुसलमान दंगों से जूझ रहे थे तब बंगाल शांति का प्रतीक बना हुआ था।

वो लिखते हैं, ''शेख़ हसीना और नरेंद्र मोदी के लिए साफ़ तौर पर अवसर एक से हैं, लेकिन गहराई में जाकर देखें तो गंभीर विरोधाभास उभरते हैं। बांग्लादेश भारत से ख़ुश है क्योंकि उसे आर्थिक फायदा हो रहा है। भारत के साथ उसके निर्यात में 300% बढ़ोतरी दर्ज की गई है। भारत भी ख़ुश है क्योंकि बांग्लादेश उत्तरपूर्व स्थित उग्रवादियों को अपनी ज़मीन इस्तेमाल करने देने से रोक रहा है लेकिन संगम के इन बिंदुओं से परे एक विशाल और ख़तरनाक समुद्र है।''

''अगर बीजेपी पश्चिम बंगाल की सत्ता हासिल कर लेती है तो हसीना के लिए राजनीतिक चुनौतियां कई गुना बढ़ जाएंगी। हसीना-मोदी के संयुक्त बयान की अच्छी-अच्छी बातों का बहुत कम महत्व रह जाएगा।''

''रिश्ते बिगड़ सकते हैं क्योंकि ना तो नरेंद्र मोदी और ना ही अमित शाह दक्षिण एशिया की क्षेत्रीय मानसिकता को समझते हैं। उनके लिए विदेश नीति एक तरह से घरेलू राजनीति ही है। हम सभी जानते हैं कि वो घरेलू राजनीति कैसी है।''

पीएम नरेंद्र मोदी के 'बांग्लादेश की आज़ादी के लिए सत्याग्रह' वाले दावे पर आरटीआई दाख़िल

'ढाका ट्रिब्यून' ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बांग्लादेश की आज़ादी के लिए सत्याग्रह करने के दावे से जुड़ी एक दिलचस्प ख़बर को जगह दी है।

'ढाका ट्रिब्यून' की ख़बर में बताया गया है कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक संयोजक ने आरटीआई दाख़िल कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बांग्लादेश की आज़ादी के समर्थन में गिरफ़्तारी देने और जेल जाने के दावे से जुड़ी जानकारी मांगी है।

ख़बर के मुताबिक़, आईएनसी के सोशल मीडिया विभाग के संयोजक सरल पटेल ने ट्वीट कर बताया है कि उन्होंने शुक्रवार, 26 मार्च 2021 को भारतीय प्रधानमंत्री के कार्यालय में आरटीआई आवेदन दिया है।

सरल पटेल ने ट्वीट में लिखा, ''मैं जानने के लिए उत्सुक हूं कि किस भारतीय क़ानून के तहत उन्हें गिरफ़्तार किया गया था और उन्हें किस जेल में रखा गया था। आप उत्सुक नहीं हैं?''

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार, 26 मार्च 2021 को बांग्लादेश की स्वतंत्रता की 50वीं वर्षगांठ पर आयोजित कार्यक्रम में कहा था कि उन्होंने और उनके कई साथियों ने बांग्लादेश के लोगों की आज़ादी के लिए 'सत्याग्रह' किया था।

बांग्लादेश में पीएम नरेंद्र मोदी के दौरे के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिवसीय बांग्लादेश दौरे पर शुक्रवार, 26 मार्च 2021 को ढाका पहुंचे हैं।

वहीं, उनके इस दौरे के विरोध में बांग्लादेश के चटगांव में विरोध प्रदर्शन हुए जिस दौरान पुलिस के साथ हिंसक झड़प में कम से कम चार लोगों की मौत हुई है।

बीबीसी बांग्ला के अनुसार, एक पुलिसकर्मी ने पुष्टि की है कि चार घायलों को अस्पताल ले जाया गया था जिसके बाद उनकी अस्पताल में मौत हो गई।

ढाका में भी प्रदर्शन हुए

इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी के दौरे के विरोध में शुक्रवार, 26 मार्च 2021 को जुमे की नमाज़ के बाद बांग्लादेश की राजधानी ढाका के बैतुल मुकर्रम इलाक़े में विरोध प्रदर्शन हुए थे।

इस दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हुई जिसमें कई पत्रकार भी घायल हुए।

बांग्लादेश की मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, चटगांव में जुमे की नमाज़ के बाद हथाज़री मदरसे से विरोध मार्च निकला जिसके बाद हिंसक झड़प हुई।

पुलिस के साथ इन झड़पों में कई लोग घायल हुए।

चटगांव मेडिकल कॉलेज के एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर बीबीसी बांग्ला सेवा को बताया था कि अस्पताल लाए गए कम से कम चार घायल लोगों की मौत हो गई है।

हिफ़ाज़त-ए-इस्लाम संगठन के नेता मुजिबुर रहमान हामिदी ने पुष्टि की है कि उनके कुछ प्रदर्शनकारियों की मौत हुई है।

उनका दावा है कि पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाईं। हालांकि, इसकी स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं हो पाई है।

पुलिस स्टेशन पर पथराव

पुलिसकर्मियों के हवाले से ढाका के अख़बारों ने रिपोर्ट किया है कि प्रदर्शनों के दौरान कुछ लोगों ने हथाज़री पुलिस थाने पर पथराव किया।

हिंसक प्रदर्शनकारियों को भगाने के लिए पुलिस ने हवा में गोलियां चलाईं जिसमें कई लोग घायल हुए हैं।

बीते कुछ दिनों में कई मुस्लिम नेता और वामपंथी संगठन भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे के विरोध में रैलियां निकाल रहे हैं। उनका दावा है कि 'शेख़ मुजीबुर रहमान ने एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र के लिए संघर्ष किया जबकि मोदी सांप्रदायिक हैं'।

भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार, 26 मार्च 2021 को बांग्लादेशी प्रधानमंत्री शेख़ हसीना के निमंत्रण पर ढाका पहुंचे हैं।

वह यहां पर बांग्लादेश की स्वतंत्रता के 50 वर्ष और संस्थापक शेख़ मुजीबुर रहमान की जन्मशती के मौक़े पर आयोजित कार्यक्रम में शिरकत करने आए हैं।

भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया से चीन की चुनौती पर बात की: अमेरिका

व्हाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने कहा है कि 'क्वॉड देशों की पहली बैठक में राष्ट्रपति जो बाइडन ने भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के नेताओं के साथ चीन द्वारा उत्पन्न की गईं चुनौतियों पर चर्चा की'।

जेक ने प्रेस को बताया कि यह वर्चुअल बैठक चीन पर केंद्रित नहीं थी, लेकिन इसमें पूर्वी और दक्षिणी चीन सागर पर भी चर्चा हुई।

अमेरिका की नज़र में क्वॉड नामक इस समूह को भारत-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य और आर्थिक शक्ति का मुक़ाबला करने के लिए बनाया गया है। इसके साथ-साथ, आपसी सहयोग को बढ़ाना इस समूह का मुख्य मक़सद रहेगा।

बताया गया है कि शुक्रवार, 12 मार्च, 2021 को हुई पहली बैठक में अमेरिका, जापान, भारत और ऑस्ट्रेलिया के नेताओं ने सीओवीआईडी-19 के ख़िलाफ़ मिलकर काम करने की बात कही। साथ ही पर्यावरण और सुरक्षा के मुद्दों को भी बातचीत का हिस्सा बनाया गया।

पहली बैठक के बाद, इन तथाकथित क्वॉड देशों ने एक संयुक्त बयान में कहा, ''हम एक ऐसा क्षेत्र बनाने का प्रयास कर रहे हैं जो स्वतंत्र, खुला, समावेशी, स्वस्थ, लोकतांत्रिक मूल्यों से जुड़ा हो और जो ‘जोर-ज़बरदस्ती’ से प्रभावित ना हो।''

बताया गया है कि चारों देशों में सीओवीआईडी वैक्सीन से संबंधित एक साझेदारी बनाने को लेकर बात हुई है जिसका मक़सद सीओवीआईडी वैक्सीन के वितरण में तेज़ी लाना होगा, ताकि कोरोना महामारी पर जल्द से जल्द काबू पाया जा सके। दावा किया गया है कि इस साझेदारी से भारत-प्रशांत क्षेत्र में स्थित देशों को मदद मिलेगी।

व्हाइट हाउस ने कहा है कि अमेरिका साल 2022 के अंत तक सीओवीआईडी वैक्सीन की कम से कम एक अरब खुराक तैयार करने के लिए भारतीय दवा निर्माता बायोलॉजिकल ई लिमिटेड को आर्थिक सहायता देगा, ताकि उसकी क्षमता को बढ़ाया जा सके।

इसके अलावा, जापान भी भारत को रियायती दर पर ऋण देने के बारे में बात कर रहा है, ताकि भारत ज़्यादा से ज़्यादा टीके बनाकर उनका निर्यात कर सके।

बयान में यह भी कहा गया है कि क्वॉड देशों ने जलवायु से संबंधित मुद्दों से निपटने के लिए एक कार्यदल का गठन किया है, ताकि पेरिस जलवायु समझौते का मज़बूती से पालन किया जा सके। आने वाले समय में यह समूह इन देशों के बीच तकनीक, दूरसंचार और उपकरण आपूर्तिकर्ताओं के विविधीकरण के बारे में भी बयान जारी करेगा।

क्वॉड समूह की बैठक को लेकर चीन ने क्या कहा?

चीन ने कहा है कि 'देशों के बीच आदान-प्रदान और परस्पर सहयोग आपसी समझ और विश्वास को बेहतर करने के लिए होना चाहिए, ना कि किसी तीसरे पक्ष और उसके हितों को नुकसान पहुँचाने के लिए'।

शुक्रवार, 12 मार्च, 2021 को भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान के बीच बने 'क्वॉड समूह' की पहले बैठक से कुछ घंटे पहले चीन की ओर से यह बयान आया।

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता चाओ लिजियान ने क्वॉड-बैठक से संबंधित एक प्रश्न के जवाब में कहा, ''हमें उम्मीद है कि ये देश खुलेपन और समावेशी नज़रिये का ध्यान रखेंगे, ताकि सबका भला हो। इसके अलावा ये किसी 'एक्सक्लूसिव ब्लॉक' को बनाने से बचेंगे और उन्हीं कामों को करेंगे जो क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के अनुकूल हैं।''

क्वॉड समूह की पहली बैठक को चीन में बहुत बारीकी से कवर किया गया।  चीन के सरकारी मीडिया ने इस पर कई रिपोर्ट लिखी हैं जिनमें व्यापक रूप से इसे 'अमेरिका के नेतृत्व वाला एक प्रयास बताया गया है, ताकि मिलकर चीन को रोका जा सके'।

वहीं, कुछ चीनी विशेषज्ञों ने इस बैठक पर कम ऊर्जा ख़र्च करने की सलाह दी है और कहा है कि 'क्वॉड की बैठक को ज़्यादा गंभीरता से लेने की ज़रूरत नहीं है'।

पीपल्स लिब्रेशन आर्मी के पूर्व वरिष्ठ कर्नल चाऊ बो, जो चीन में रणनीतिक मामलों के नामी टिप्पणीकार भी हैं, उन्होंने सरकारी प्रसारक 'चाइना ग्लोबल टीवी नेटवर्क' से बातचीत में कहा कि ''चीन को इसे बहुत गंभीरता से नहीं लेना चाहिए।''

उन्होंने कहा, ''मैं आपको एक वाक्य में क्वॉड पर अपनी टिप्पणी दे सकता हूँ। इन चार देशों में से कोई भी अन्य तीन देशों के हितों के लिए अपने स्वयं के हितों (चीन के संबंध में) का बलिदान नहीं करना चाहेगा।''

उन्होंने चारों देशों के चीन के साथ मौजूदा व्यापारिक संबंधों का हवाला देते हुए यह बात कही।

उन्होंने कहा, ''अगर आप क्वॉड में शामिल चारों देशों से पूछते हैं कि 'क्या आप चीन के ख़िलाफ़ हैं' या 'एक चीन-विरोधी क्लब हैं', तो वो साफ़ इनकार करते हैं। ऐसे में मेरा निष्कर्ष यह है कि क्वॉड निश्चित रूप से चीन की वजह से स्थापित किया गया है, पर वो ये कह नहीं सकते कि यह चीन के ख़िलाफ़ है। इसे अगर एक सैन्य गठबंधन के रूप में देखा जाये, तो भारत साफ़तौर पर इससे पूरी तरह इनकार करेगा।''

''क्वॉड अभी विकसित हो रहा है और अपना आकार ले रहा है। मगर फ़िलहाल यह तय नहीं है कि ये सैन्य या आर्थिक, किस रास्ते पर जायेगा।''

बहरहाल, 18 मार्च 2021 को चीन और अमेरिका के बीच एक उच्च-स्तरीय बैठक होने वाली है जिसमें दोनों सरकारों के विदेश मंत्रालयों के प्रतिनिधि आपस में बात करेंगे। चीनी विदेश मंत्रालय ने इसे एक 'उच्च-स्तरीय रणनीतिक वार्ता' कहा है।

चीन ने कहा है कि वो बाइडन प्रशासन के साथ नये सिरे से बातचीत करना चाहता है, लेकिन पिछले चार वर्षों के तनावपूर्ण संबंधों का दोष उसने अमेरिका पर ही डाला है।

वहीं, बाइडन प्रशासन ने अब तक के अपने बयानों में यह संकेत दिये हैं कि वो चीन के संबंध में पिछले प्रशासन की कुछ नीतियों को जारी रख सकता है।

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता चाओ लिजियान के अनुसार, अमेरिका-चीन रिश्तों पर चीन की स्थिति बिल्कुल स्पष्ट है।

उन्होंने कहा, ''हम चाहते हैं कि अमेरिका, चीन के साथ अपने संबंधों को उद्देश्यपूर्ण और तर्कसंगत तरीक़े से देखे। शीत-युद्ध की स्थिति को दरकिनार करे और चीन की संप्रभुता, सुरक्षा और विकास से जुड़े हितों का सम्मान करना सीखे। साथ ही वो चीन के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करना बंद कर दे।''

सोशल मीडिया, ओटीटी, डिजिटल प्लेटफॉर्म के नियमन के लिए क़ानून बनेगा

भारत में केंद्र की मोदी सरकार अगले तीन महीने में सोशल मीडिया और डिजीटल कंटेन्ट को नियमित करने के लिए एक नया क़ानून लाएगी। भारत के क़ानून मंत्री रविशंकर प्रसाद और भारत के संचार मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसकी घोषणा की।

रविशंकर प्रसाद ने कहा, ''सोशल मीडिया भारत में बिजनस कर रहे हैं, उन्होंने अच्छा बिज़नस किया है और भारतीय लोगों को मज़बूत किया है।  लेकिन इसके साथ ही पिछले कई दिनों से सोशल मीडिया के गैर-ज़िम्मेदाराना इस्तेमाल की शिकायतें आ रही हैं।''

मोदी सरकार के मुताबिक़ पिछले कुछ समय से सोशल मीडिया पर हिंसा को बढ़ावा देने, अश्लील सामग्री शेयर करने, दूसरे देश के पोस्ट का इस्तेमाल करने जैसी कई शिकायतें सामने आई हैं, जिससे निपटने के लिए सरकार नई गाइडलाइंस लेकर आई है और तीन महीने में इसे लेकर एक क़ानून बनाया जाएगा।

गाइडलाइंस क्या हैं?

गाइडलाइंस के बारे में बताते हुए रविशंकर प्रसाद ने कहा, ''सोशल मीडिया को 2 श्रेणियों में बांटा गया है, एक इंटरमीडयरी और दूसरा सिग्निफिकेंट सोशल मीडिया इंटरमीडरी। हम जल्दी इसके लिए यूज़र संख्या का नोटिफिकेशन जारी करेंगे।''

''यूज़र्स की गरिमा को लेकर अगर कोई शिकायत की जाती है, ख़ासकर महिलाओं की गरिमा को लेकर तो शिकायत करने के 24 घंटे के अंदर उस कंटेन्ट को हटाना होगा।''

उन्होंने कहा कि सिग्निफिकेंट सोशल मीडिया के क़ानून को तीन महीने में लागू किया जाएगा।

इसके अलावा सोशल मीडिया कंपनियों को एक शिकायत निवारण व्यवस्था बनानी होगी और शिकायतों का निपटारा करने वाले ऑफ़िसर का नाम भी सार्वजनिक करना होगा। ये अधिकारी 24 घंटे में शिकायत का पंजीकरण करेगा और 15 दिनों में उसका निपटारा करेगा।

उन्होंने कहा कि सिग्निफिकेंट सोशल मीडिया को चीफ़ कंप्लाएंस ऑफिसर, नोडल कंटेन्ट पर्सन और एक रेज़ीडेट ग्रीवांस ऑफ़िसर नियुक्त करना होगा और ये सब भारत में ही होंगे। इसके अलावा शिकायतों के निपटारे से जुड़ी रिपोर्ट भी उन्हें हर महीने जारी करनी होगी।

अकाउंड वेरिफ़िकेशन होगा ज़रूरी

मोदी सरकार ने कहा, इसके अलावा ये सुनिश्चित करने के लिए कि सोशल मीडिया पर फर्जी अकाउंट न बनाए जाए, कंपनियों से अपेक्षा होगी कि वो वेरिफिकेशन प्रक्रिया को अनिवार्य बनाएं।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कोई पोस्ट किसने किया है, कोर्ट के आदेश या सरकार के पूछने पर ये जानकारी कंपनी को देनी होगी।

रविशंकर प्रसाद ने कहा, ''किसी कोर्ट या सरकार के पूछने पर उन्हें बताना पड़ेगा कि कोई पोस्ट किसने शुरू किया। अगर भारत के बाहर से हुआ तो भारत में किसने शुरू किया। यह भारत की संप्रभुता, राष्ट्रीय सुरक्षा, विदेशी राज्यों के साथ संबंध, बलात्कार आदि के संबंध में होना चाहिए।''

हालांकि सोशल मीडिया कंपनियां अक्सर ये दलील देती आई हैं कि इस तरह की जानकारियां देने के लिए उन्हें एंड टू एंड एन्क्रिपशन को तोड़ना पड़ेगा और यूज़र का डेटा सेव करना पड़ेगा जो उनकी निजता का हनन होगा। एंड टू एंड एन्क्रिपशन का मतलब है कि दो लोगों के बीच हो रही बातचीत को कोई तीसरा (कंपनी भी) सुन या पढ़ नहीं सकता।

ये जानकारियां कंपनी कैसे मुहैय्या करा सकती है, इससे जुड़े एक सवाल के जवाब में रविशंकर प्रसाद ने कहा, ''हम एन्क्रिपशन तोड़ने के लिए नहीं कह रहे, हम बस ये पूछ रहे हैं कि इसे शुरू किसने किया।''

उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की कुछ गाइडलाइंस का हवाला देते हुए कहा कि अश्लील सामग्री, बलात्कार, सामूहिक बलात्कार से जुड़े वीडियो को फैलने से रोकने के लिए ये क़दम बेहद ज़रूरी हैं। इसके अलावा उन्होंने कहा कि देश के बाहर से भी सोशल मीडिया पोस्ट्स करने की कई ख़बरें सामने आई हैं।

रविशंकर प्रसाद ने कहा कि इन सभी नियमों का मकसद लोगों के हाथ में अधिक शक्ति देना है। इस पर विस्तार से बात करते हुए उन्होंने कहा कि, ''अगर कोई सिग्निफिकेंट पोस्ट हटाई जाती है, तो कंपनी को इसकी वजह देनी होगी।''

उन्होंने कहा कि इन सभी चीज़ों को लेकर प्लैटफ़ॉर्म्स से कहेंगे कि एक मैकेनिज़म बनाया जाए।

रविशंकर प्रसाद अलग-अलग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर यूज़र्स का डेटा भी दिया। उनके मुताबिक़ भारत में व्हाट्सएप के 53 करोड़, यूट्यूब के 44.8 करोड़, फेसबुक के 41 करोड़, इस्टाग्राम के 21 करोड़, ट्विटर के 1.75 करोड़ यूज़र्स हैं।

ओटीटी और डिजिटल प्लेटफॉर्म के लिए भी नियम

मोदी सरकार ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म को रेगुलेट करने के लिए भी कानून लेकर आएगी।

भारत के केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा, ''ओटीटी प्लेटफॉर्म के लिए तीन स्तर का तंत्र होगा। OTT प्लेटफॉर्म और डिजिटल मीडिया को अपने बारे में जानकारी देनी होगी, और उन्हें एक शिकायत निवारण तंत्र बनाना होगा।''

जावड़ेकर के मुताबिक़ सरकार ने पहले ओटीटी कंपनियों से मुलाकात की थी और एक सेल्फ़ रेगुलेशन बनाने के लिए कहा था लेकिन वो ऐसा नहीं कर पाए।

नए नियम के आने पर ओटीटी और डिजिटल न्यूज़ प्लेटफ़ॉर्म को अपनी डिटेल बतानी पड़ेंगी जैसे कि वो कहां से काम करते हैं। इसके अलावा शिकायतों के निवारण के लिए एक पोर्टल बनाना होगा।  

जावड़ेकर ने कहा कि टीवी और प्रिंट की तरह डिजिटल के लिए भी एक नियामक संस्था बनाई जाएगी, जिसका अध्यक्ष कोई रिटायर्ट जज या प्रख्यात व्यक्ति हो सकता है।

उन्होंने कहा, ''जैसे ग़लती करने पर टीवी पर माफ़ी मांगी जाती है, वैसा ही डिजीटल के लिए भी करना होगा।''

इसके अलावा कंटेंट पर उम्र के मुताबिक़ क्लासिफ़िकेशन करना होगा और पेरेंटल लॉक की सुविधा देनी होगी।

उन्होंने कहा कि जहां तुरंत एक्शन की ज़रूरत हो, ऐसे मामलों के लिए सरकारी स्तर पर एक निगरानी तंत्र बनाया जाएगा।

हाथरस गैंग रेप: सीबीआई ने दलित लड़की के गैंग रेप और हत्या की बात मानी, चार्जशीट दायर

भारत के प्रान्त उत्तर प्रदेश के हाथरस में दलित लड़की के साथ हुए गैंग रेप और हत्या मामले में सीबीआई ने 18 दिसंबर 2020 को आरोपपत्र दायर कर दिया है।

19 साल की दलित लड़की के साथ हुए अपराध के लिए सीबीआई के अधिकारियों ने चारों अभियुक्तों संदीप, लवकुश, रवि और रामू पर गैंगरेप और हत्या की धाराएं भी लगाई हैं।

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार अभियुक्तों के वकील ने बताया कि हाथरस की स्थानीय अदालत ने मामले का संज्ञान लिया है।

सीबीआई इलाहाबाद हाईकोर्ट की निगरानी में मामले की जाँच कर रही थी और सीबीआई के अधिकारियों ने पूरे मामले में अभियुक्त संदीप, लवकुश, रवि और रामू की भूमिका की जाँच की।

चारों अभियुक्त फ़िलहाल न्यायिक हिरासत में हैं। सीबीआई के अधिकारियों ने बताया कि चारों का गुजरात के गांधीनगर स्थित फ़ॉरेंसिक साइंस लैबोरेटरी में अलग-अलग टेस्ट भी कराया गया था।

इसके अलावा सीबीआई की जाँच टीम ने जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों से भी बात की थी। ये वही अस्पताल है जहाँ मृतका का इलाज हुआ था।

हाथरस गैंग रेप मामला न सिर्फ़ अपराधियों की बर्बरता की वजह से चर्चा में आया था बल्कि इसमें उत्तर प्रदेश की पुलिस पर मृतका के परिजनों की अनुमति के बिना और उनकी ग़ैरहाज़िरी में लड़की का अंतिम संस्कार करने पर भी विवाद हुआ था।

इस मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस के अलावा उत्तर प्रदेश की योगी सरकार की भी ख़ूब आलोचना हुई थी।

बाद में उत्तर प्रदेश सरकार ने अदालत से कहा था कि इलाके में न्याय-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ने के डर से आनन-फानन में लड़की का अंतिम संस्कार करा दिया गया।

19 साल की लड़की दलित परिवार से थी जबकि चारों अभियुक्त ऊंची जाति से सम्बन्ध रखते हैं।

इस पूरे मामले में उत्तर प्रदेश में व्याप्त जाति-व्यवस्था की उलझनें भी सामने आई थीं जब कुछ गाँवों में अभियुक्तों के पक्ष में महापंचायत बुलाई गई।

इतना ही नहीं, लड़की के गैंग रेप होने को लेकर भी सवाल उठाए गए। इसके अलावा, उत्तर प्रदेश सरकार ने कुछ वक़्त के लिए पीड़िता के गाँव में मीडिया के प्रवेश पर पाबंदी लगा दी गई थी।

इस मामले में उत्तर प्रदेश सरकार ने पीड़िता के परिजनों का नार्को टेस्ट कराने की बात कही थी जिसे लेकर भी काफ़ी विवाद हुआ था क्योंकि आम तौर पर नार्को टेस्ट अभियुक्त पक्ष का होता है।

उत्तर प्रदेश सरकार और प्रशासन पर लचर रवैये के आरोपों के बाद आख़िकार एक विशेष जाँच समिति (एसआईटी) का गठन किया गया था। हालाँकि जाँच का ज़िम्मा बाद में सीबीआई को सौंप दिया गया।