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इसराइल पर ईरान के हमले के ख़तरे को लेकर संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका ने क्या कहा?

इसराइल पर ईरान के हमले के ख़तरे को लेकर संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका ने क्या कहा?

बुधवार, 14 अगस्त 2024

संयुक्त राष्ट्र संघ में अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस-ग्रीनफील्ड ने कहा है कि अमेरिका मध्य-पूर्व में तनाव को कम करने की योजना पर काम कर रहा है।

दरअसल, ऐसी आशंकाएं हैं कि ईरान इसराइल पर हमले की योजना बना रहा है। इस वजह से मध्य-पूर्व में तनाव भरे हालात बने हुए हैं।

लिंडा थॉमस-ग्रीनफील्ड ने मंगलवार, 13 अगस्त 2024 को न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को बताया कि अमेरिका भविष्य में किसी भी हमले को रोकना और उससे बचाव करना चाहता है और किसी भी क्षेत्रीय संघर्ष को टालना चाहता है।

संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की ये प्रतिक्रिया ऐसे समय आई है जब अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने मध्य-पूर्व का अपना दौरा फिलहाल टाल दिया है।

जुलाई 2024 को ईरान की राजधानी तेहरान में हमास के शीर्ष राजनीतिक नेता इस्माइल हनिया की एक हमले में मौत हो गई थी।

ईरान ऐसा मानता है कि इस हमले के पीछे इसराइल का हाथ है। हालांकि औपचारिक रूप से इसराइल ने इस पूरे मामले पर अभी तक कुछ भी नहीं कहा है।

लेकिन ईरान ने ये कहा है कि इसराइल को इस हमले के लिए गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। इसी वजह से ऐसी आशंकाएं पैदा हुई हैं कि ईरान इसराइल पर हमला कर सकता है।

ईरान की ओर से हमले के ख़तरे के बीच इसराइली रक्षा मंत्री ने क्या कहा?

बुधवार, 14 अगस्त 2024

इसराइल के रक्षा मंत्री योआव गैलेंट ने बताया है कि इसराइली डिफ़ेंस फ़ोर्स और ख़ुफ़िया एजेंसियां लेबनान और ईरान में हो रही घटनाओं पर बारीक़ी से नज़र रख रही हैं।

इसराइली रक्षा मंत्री योआव गैलेंट के मुताबिक़, ''इसराइली डिफ़ेस फ़ोर्स और ख़ुफ़िया एजेंसियां किसी भी ख़तरे को दूर रखने के लिए दिन-रात चौबीसों घंटे काम कर रही हैं। साथ ही हमारी सेना हमले के अलग-अलग विकल्पों को तैयार रखे है। ताकि हम जब जहां चाहें हमला कर सकें।''

योआव गैलेंट ने कहा कि हमारी सेनाओं का शुक्रिया क्योंकि वे हमारे नागरिकों के लिए रातों को सुरक्षित बना रहे हैं। इस वजह से इसराइल के नागरिक सामान्य जीवन जी पा रहे हैं। तैयार रहें और अपने कमांडर के निर्देशों का पालन करें।

जुलाई 2024 में हमास के शीर्ष नेता इस्माइल हनिया की ईरान की राजधानी तेहरान में हुए एक हमले में मौत हो गई थी।

ईरान का कहना था कि इस हमले में इसराइल का हाथ है। हालांकि इसराइल ने इस पर कोई औपचारिक टिप्पणी नहीं की। लेकिन ईरान के सर्वोच्च नेता आयातुल्लाह अली ख़ामेनेई ने कहा था कि हनिया की मौत का बदला लेना ईरान का सर्वोच्च कर्तव्य है।

इसके बाद से ही ऐसी आशंकाएं हैं कि ईरान इसराइल पर हमला कर सकता है। 

इसराइली मंत्री के अल अक़्सा मस्जिद में प्रवेश करने और प्रार्थना के बाद विवाद

इसराइली मंत्री के अल अक़्सा मस्जिद में प्रवेश करने और प्रार्थना के बाद विवाद

बुधवार, 14 अगस्त 2024

इसराइल के धुर-दक्षिणपंथी और नेशनल सिक्योरिटी मामलों के मंत्री इत्तेमार बेन गिविर ने सैकड़ों यहूदियों के साथ यरूशलम के सबसे पवित्र स्थलों में से एक अल-अक़्सा मस्जिद में प्रवेश किया और प्रार्थना की।

अल-अक़्सा मस्जिद के एक हिस्से को टेंपल माउंट के नाम से जाना जाता है जो कि यहूदियों का सबसे पवित्र स्थल भी है।

इसराइली मंत्री के इस क़दम को फ़लस्तीन, अमेरिका, फ़्रांस और सऊदी अरब समेत कई देशों और संयुक्त राष्ट्र ने भी उकसाने वाला बताया है और इसकी निंदा भी की है।

हालांकि इसराइली प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू के ऑफ़िस ने कहा है कि अल अक़्सा मस्जिद में प्रार्थना की स्थिति पर कोई भी बदलाव नहीं हुआ है। वहां केवल मुस्लिमों को ही प्रार्थना करने की अनुमति है।

इसराइली सरकार ने अल-अक़्सा मस्जिद में किसी भी और धर्म के प्रार्थना करने पर रोक लगाई हुई है।

यरूशलम की अल-अक़्सा मस्जिद यरूशलम के पूर्वी भाग में स्थित है। यह जगह मुसलमानों की तीसरी सबसे पवित्र जगह है। वहीं यह यहूदियों के लिए सबसे पवित्र जगह मानी जाती है।

यहूदियों के लिए 'टेंपल माउंट' और मुसलमानों के लिए 'अल-हराम अल शरीफ़' के नाम से मशहूर पवित्र स्थल में 'अल-अक़्सा मस्जिद' और 'डोम ऑफ़ द रॉक' शामिल है।

'डोम ऑफ़ द रॉक' को यहूदी धर्म में सबसे पवित्र स्थल का दर्जा दिया गया है। पैग़ंबर मोहम्मद से जुड़े होने के कारण 'डोम ऑफ़ द रॉक' को मुसलमान भी पवित्र स्थल मानते हैं।

इस धार्मिक स्थल पर ग़ैर-मुसलमानों की प्रार्थना पर पाबंदी लगी हुई है।

इसराइली सेना ने फ़लस्तीनियों से ग़ज़ा शहर खाली करने के लिए कहा

इसराइली सेना ने फ़लस्तीनियों से ग़ज़ा शहर खाली करने के लिए कहा

बुधवार, 10 जुलाई 2024

इसराइली सेना ने उत्तर में तेज सैन्य अभियानों के बीच, ग़ज़ा शहर के सभी निवासियों को दक्षिण से मध्य ग़ज़ा पट्टी तक खाली करने को कहा है।

विमान से गिराए गए पर्चे में सभी निवासियों को सुरक्षित मार्ग से ख़तरनाक युद्ध क्षेत्र को छोड़ने के लिए कहा गया है।

संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि ग़ज़ा में दिए जा रहे निकासी आदेशों को लेकर वह बेहद चिंतित है। युद्ध शुरू होने के बाद यह दूसरी बार है जब ग़ज़ा शहर को पूरी तरह से खाली करने के लिए कहा गया है।

पिछले दो हफ्तों में, इसराइली सेना ने ग़ज़ा शहर के कई ज़िलों में फिर से प्रवेश किया है। सेना का मानना ​​​​है कि हमास और फ़लस्तीनी इस्लामिक जिहाद साल 2024 की शुरुआत से फिर से संगठित हो गए हैं।

इस पर हमास का कहना है, "इसराइल की नई गतिविधि से संभावित युद्धविराम और बंधक रिहाई समझौते पर बुधवार, 10 जुलाई 2024 को क़तर में फिर से शुरू हुई बातचीत के पटरी से उतरने का ख़तरा है।''

अनुमान है कि ग़ज़ा शहर में अभी भी ढाई लाख से अधिक लोग रह रहे हैं और कुछ लोगों को दक्षिण की ओर पलायन करते हुए देखा गया है।

ग़ज़ा में विस्थापितों के कैंप पर इसराइल के हवाई हमले में 29 फ़लस्तीनियों की मौत

ग़ज़ा में विस्थापितों के कैंप पर इसराइल के हवाई हमले में 29 फ़लस्तीनियों की मौत

बुधवार, 10 जुलाई 2024

दक्षिणी ग़ज़ा में एक स्कूल के बाहर विस्थापित लोगों के कैंप पर हुए इसराइली हमले में कम से कम 29 लोगों के मारे जाने की ख़बर है।

हमास संचालित स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि ख़ान यूनिस के पूरब में स्थित अबसाना अल-कबीरा क़स्बे में अल-आवदा स्कूल के गेट पर हवाई हमला हुआ।

इसराइली सेना ने कहा है कि उसने "हमास के मिलिटरी विंग के टेररिस्ट" को निशाना बनाने के लिए "सटीक मार करने वाले हथियारों" का इस्तेमाल किया था।

इसराइली सेना ने दावा किया कि संदिग्धों ने सात अक्टूबर 2023 को इसराइल पर हुए हमले में हिस्सा लिया था। लेकिन इसराइली सेना ने अपने दावे की पुष्टि के लिए कोई सबूत पेश नहीं किया है।

इसराइली सेना ने कहा है कि इस हमले में अल-आवदा स्कूल के पास ही विस्थापित लोगों के कैंप में नागरिकों के हताहत होने की ख़बरों की जांच हो रही है।

एक सप्ताह पहले ही इसराइली सेना ने अबासान अल-कबीरा और ख़ान यूनिस के पूरब के इलाक़ों को खाली करने का आदेश दिया था जिसकी वजह से हज़ारों लोग वहां से जा रहे थे।

बीबीसी ने प्रत्यक्षदर्शियों से बात की जिन्होंने बताया कि इलाके में उस समय 3,000 से अधिक विस्थापित मौजूद थे। उन्होंने हमले की भयावहता के बारे में भी बताया।

हमले में व्यापक तबाही हुई है और मरने वालों में फ़लस्तीन महिलाएं और बच्चे शामिल हैं।

सात अक्टूबर 2023 को इसराइल पर हमला हुआ था जिसमें 1200 लोग मारे गए थे और 251 लोगों को बंधक बनाकर ग़ज़ा ले जाया गया था।

हमास संचालित स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, इसके बाद शुरू हुई इसराइली सैन्य हमले में अब तक 38,240 फ़लस्तीनियों की मौत हो चुकी है।