कोर्ट ने कहा, मेजर गोगोई मामले की जांच बेहद लापरवाह तरीके से की गई है
श्रीनगर की एक अदालत ने भारतीय सेना के अधिकारी मेजर लीतुल गोगोई के एक नाबालिग कश्मीरी लड़की के साथ होटल में जबरन घुसने का प्रयास करने के मामले में पुलिस को और जांच करने का शनिवार को निर्देश दिया। श्रीनगर की मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने यह भी कहा कि मामले में जांच असली तथ्यों का पता लगाए बिना बेहद लापरवाह तरीके से की गई है। अदालत ने पुलिस को 18 सितंबर तक रिपोर्ट सौंपने को कहा है।
सीजेएम ने अपने आदेश में कहा, आवेदन के सार और संबंधित थाने द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए मेरी राय है कि मामले में और जांच की जरूरत है।
इंटरनेशनल फोरम फॉर जस्टिस एंड ह्यूमन राइट्स (आई एफ जे एच आर) के अध्यक्ष मोहम्मद अहसन उन्टू द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सीजेएम ने यह आदेश दिए। आदेश में कहा गया है कि जांच एजेंसी ने सैन्यकर्मी समीर माल्ला की भूमिका का पता नहीं लगाया कि वह उस लड़की के साथ होटल क्यों गए थे?
जांच के दौरान एक्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज कराए गए बयान के अनुसार मेजर गोगोई ने अपना नाम उबैद उस्मानी के तौर पर अपलोड किया और उसके जरिये फर्जी फेसबुक एकाउंट खोला। उसकी भी सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के प्रावधानों के तहत विस्तृत जांच किए जाने की आवश्यकता है।
मोहम्मद अहसन उन्टू ने मेजर गोगोई को पुलिस के द्वारा 23 मई, 2018 को हिरासत में लेने के बाद सीजेएम के समक्ष एक आवेदन दिया था।
बता दें कि मेजर गोगोई को 17 साल की एक नाबालिग कश्मीरी लड़की के साथ होटल में जबरन घुसने का प्रयास करने के दौरान झगड़ा होने के बाद हिरासत में लिया गया था। मेजर गोगोई पिछले साल मानवीय ढाल वाले विवाद के चर्चा के केंद्र में रहे थे। उन्हें हाल में कोर्ट ऑफ इंक्वायरी में एक स्थानीय लड़की के साथ दोस्ती करने के लिए दोषी ठहराया गया। इसके साथ ही उनके संभावित कोर्ट मार्शल का रास्ता साफ हो गया।