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लाइव : कांग्रेस मुख्यालय में गुलाम नबी आजाद द्वारा एआईसीसी प्रेस वार्ता

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लाइव : कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पंजाब के मोगा में जनसभा को संबोधित किया

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कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश में जनसभा को संबोधित किया

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश में जनसभा को संबोधित किया

राव कमलवीर कांग्रेस में शामिल हुए: गुलाम नबी आजाद और अशोक तंवर ने कांग्रेस मुख्यालय में मीडिया को संबोधित किया

राव कमलवीर कांग्रेस में शामिल हुए: गुलाम नबी आजाद और अशोक तंवर ने कांग्रेस मुख्यालय में मीडिया को संबोधित किया

लाइव: पंजाब में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने नवजीवन समाचार पत्र को पुन: लॉन्च किया

लाइव: पंजाब में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने नवजीवन समाचार पत्र को पुन: लॉन्च किया 

अमृतसर ट्रेन हादसा में रेलवे की गलती नहीं थी, हादसा लोगों की लापरवाही की वजह से हुआ : जांच रिपोर्ट

दशहरा की रात अमृतसर में हुए रेल हादसे में रेलवे को क्लीन चिट मिल गई है। इस हादसे में 61 लोग मारे गए थे। रेलवे सुरक्षा के मुख्य आयुक्त (सीसीआरएस) ने रेलवे को क्लीन चिट दे दी है।

जांच में सीसीआरएस ने कहा है कि हादसा लोगों की लापरवाही की वजह से हुआ। दशहरा का मेला देखने के लिए धोबी घाट के रेलवे ट्रैक पर खड़े लोग लापरवाह थे।

जांच रिपोर्ट में सीसीआरएस ने यह भी सिफारिश की है कि ऐसे आयोजन के पहले जिला प्रशासन व आयोजकों द्वारा मेला, रैली के बारे में पूर्व सूचना रेलवे प्रशासन को देनी चाहिए। ताकि रेलवे उचित सावधानी बरत सके।

बता दें कि अमृतसर में यह बड़ा रेल हादसा 19 अक्टूबर को जोडा रेलवे फाटक के समीप हुआ था। जहां दशहरे की आतिशबाजी देखने के लिए करीब 1,000 लोगों की भीड़ एकत्र हुई थी। लोगों की भीड़ रेल पटरियों पर फैल गई थी। आतिशबाजी की चमक और शोरगुल के बीच लोगों ने जलंधर-अमृतसर डीएमयू ट्रेन को न देखा, न ही सुना। रफ्तार से आ रही ट्रेन की चपेट में आकर 61 लोगों ने जान गंवा दी थी। हादसे में 143 लोग घायल हुए थे।

प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया था कि जालंधर-अमृतसर डीएमयू से कुछ मिनट पहले ही अमृतसर-हावड़ा ट्रेन वहां से होकर गुजरी थी। अगर दोनों ट्रेन एक ही समय में वहां से गुजरी होती तो हादसे में और भी लोग मारे जाते।

अमृतसर ब्लास्ट में 3 की मौत, पंजाब सरकार ने 5 लाख मुआवजे का ऐलान किया

भारत में पंजाब के अमृतसर में रविवार को निरंकारी सत्संग के दौरान बाइक से आए दो आतंकियों ने ग्रेनेड से हमला किया। इसमें तीन लोगों की मौत हो गई, जबकि 10 से ज्यादा लोग घायल हो गए। हमले के समय 200 से ज्यादा लोग प्रार्थना सभा में हिस्सा ले रहे थे। इस घटना को पंजाब में आतंक की वापसी के तौर पर देखा जा रहा है।

खुफिया एजेंसियों और सेना प्रमुख ने पहले ही इस तरह के हमले की आशंका जताई थी। पंजाब पुलिस के महानिदेशक सुरेश अरोड़ा ने इसे आतंकी घटना बताते हुए कहा कि आरोपियों को पकड़ने के लिए तलाशी अभियान चलाया जा रहा है।

अमृतसर ब्लास्ट में 3 लोगों की मौत हो गई है। पंजाब सरकार ने मरने वाले लोगों को 5 लाख रुपये मुआवजा देने का ऐलान किया है।

पंजाब में बीते दो साल में कई आतंकी हमले हुए। जनवरी 2016 में पठानकोट के एयरफोर्स स्टेशन पर सात आतंकियों ने हमला किया था। लगातार 17 घंटे चली मुठभेड़ में 4 आंतकी मारे गए और 6 फौजी शहीद हो गए थे।

जनवरी 2017 में बठिंडा की मौड़ मंजी में एक कार में हुए धमाके के दौरान तीन लोगों की मौत हो गई और 15 व्यक्ति घायल हुए। जहां यह धमाका हुआ, वहां 100 मीटर की दूरी पर कांग्रेस उम्मीदवार हरमिंदर जस्सी की रैली चल रही थी।

अप्रैल 2017 में गुरदासपुर में स्थित एक कबाड़ की दुकान में अचानक बम धमाका होने से दो व्यक्तियों की मौत और 6 लोग जख्मी हो गए थे। यह हादसा उस समय हुआ, जब कबाड़िया किसी चीज को चैक कर रहा था, लेकिन अचानक ब्लास्ट हो गया।

सितंबर 2018 में जालंधर के मक्सूदा थाना के अंदर कुछ शरारती तत्वों ने चार धमाके किए थे, इस दौरान थाने के अंदर और उसके आसपास भगदड़ मच गई। इस हादसे के दौरान एक पुलिस कर्मी घायल हो गया था। पुलिस इस घटना को आंतकवादी हमले के साथ जोड़ रही थी, जिसके कुछ महीने बाद पुलिस ने कश्मीरी छात्रों को हथियार और विस्फोटक सामग्री के साथ गिरफ्तार किया था।

भीमा-कोरेगांव केस: सुप्रीम कोर्ट का पांच मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी पर रोक

भारत में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को महाराष्ट्र पुलिस की ओर से भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में हिरासत में लिए गए सभी पांच मानवाधिकार कार्यकताओं की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी। लेकिन महाराष्ट्र पुलिस को उन्हें अपने घरों में अगली सुनवाई यानी 6 सितंबर तक नजरबंद रखने की अनुमति दे दी। साथ ही भारत की केंद्र और महाराष्ट्र सरकार से मामले में 5 सितंबर तक जवाब देने को कहा।

भारत के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने इस याचिका का उल्लेख कर इस पर बुधवार को ही सुनवाई करने का अनुरोध किया था। इस पर मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस ए एम खानविल्कर और जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने विशेष सुनवाई अदालत का समय पूरा हो जाने पर साढ़े चार बजे के बाद सुनवाई की। दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने आरोपियों को 6 सितंबर तक घर में ही नजरबंद करने का आदेश दिया।

सुनवाई के दौरान पीठ ने टिप्पणी की कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में मतभेद सेफ्टी वाल्व की तरह होते हैं। अगर इन्हें रोका गया तो प्रेशर कुकर फट जाएगा। साथ ही महाराष्ट्र पुलिस की ओर से घटना के नौ महीने बाद गिरफ्तारी पर सवाल किए।

सुनवाई के दौरान आरोपियों की ओर से वरिष्ठ वकीलों ए एम सिंघवी, इंदिरा जयसिंह, राजीव धवन, दुष्यतं दवे, राजू रामचंद्रन, अमरेंद्र शरण और सी यू सिंह ने बहस की। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र पुलिस द्वारा की गई गिरफ्तारी असहमति को कुचलने का प्रयास है। ये लोग आदिवासियों के लिए काम कर रहे हैं। इनमें से एक वकील सुधा भारद्वाज ने अमेरिका की नागरिकता छोड़कर आदिवासियों के लिए काम करने का फैसला किया है। उन्हें भी गिरफ्तार करने पुलिस आ गई। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष दिसंबर में भीमा कोरेगांव में हुई हिंसा में यह लोग मौके पर भी नहीं थे। लेकिन फिर भी उन्हें अभियुक्त बनाया गया है।

महाराष्ट्र सरकार की ओर से ए ए ए जी तुषार मेहता ने बहस की। उन्होंने कहा कि अजनबी लोग आरोपियों के लिए रिट याचिका देकर जमानत की मांग नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि कोई भी आरोपी सुप्रीम कोर्ट में नहीं आया है। वहीं दिल्ली हाईकोर्ट इस मामले को सुन ही रहा है।

आरोपियों की ओर से पेश सिंघवी ने कहा कि याचिका में व्यापक मुद्दा उठाया गया है। यह अनुच्छेद 21 के तहत व्यक्तिगत अधिकारों का मामला है। वहीं इसमें से दो लोग गौतम नवलखा और सुधा भारद्वाज संबंधित हाईकोर्ट गए हैं। लेकिन मुख्य न्यायाधीश ने सख्ती से इस तर्क को ठुकरा दिया।

कार्यकताओं के लिए इतिहासकार रोमिला थापर, प्रभात पटनायक, देवकी जैन, सतीष देशपांडे और माजु दारूवाला ने संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत रिट याचिका दायर की थी।

महाराष्ट्र पुलिस ने मंगलवार को अखिल भारतीय छापों में गौतम नवलखा को दिल्ली से, सुधा भारद्वाज को फरीदबाद से, वरवरा राव को आंध्रप्रदेश से और अरुण फरेरा व वर्नोन गोंजाल्विस को गिरफ्तार कर लिया था। नवलखा और भारद्वाज को हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र पुलिस को ले जाने से रोक दिया था और उन्हें नजरबंद रखने का आदेश दिया था।

याचिका पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि भीमा-कोरेगांव मामले में गिरफ्तार सभी पांच मानवाधिकार कार्यकताओं को जेल नहीं भेजा जाए, बल्कि अगली 6 सितंबर तक घर में नजरबंद रखा जाए। इसके साथ ही केंद्र और महाराष्ट्र सरकार से 5 सितंबर तक मामले में अपना पक्ष रखने को कहा। पीठ ने महाराष्ट्र पुलिस से भी घटना के नौ महीने बाद इन लोगों की गिरफ्तारी पर भी सवाल उठाया।

गौरतलब है कि पुणे के नजदीक एलगार परिषद ने 31 दिसंबर 2017 को एक कार्यक्रम आयोजित किया था, जिसकी वजह से भीमा-कोरेगांव में हिंसा हुई। पुलिस ने इस हिंसा में कथित भूमिका के आरोप में ये गिरफ्तारियां की।

हिमाचल प्रदेश : खाई में कार गिरी, 11 लोगों की मौत

भारत में हिमाचल प्रदेश के जिला कुल्लू में रोहतांग पास में हुए एक सड़क हादसे में 11 लोगों की मौत हो गई। जानकारी के अनुसार, रोहतांग के समीप राहनीनाला में एक स्कार्पियो के खाई में गिरने से यह हादसा हुआ।

कुल्लू की पुलिस अधीक्षक शालिनी अग्निहोत्री ने बताया कि मृतकों में पांच महिलाएं, तीन बच्चे और तीन पुरुष शामिल हैं। उन्होंने बताया कि यह दुर्घटना तब हुई, जब कार मनाली से पनगी जा रही थी।

उन्होंने बताया कि गाड़ी संख्या एच पी - 457000  मनाली के पास गुलाबा चेक पोस्ट से गुजरी, लेकिन आगे के लाहौल की ओर कोकरसर नहीं पहुंची।

बताया जा रहा है कि दुर्घटना के बाद कुछ लोगों ने गाड़ी को नीचे गिरा देखा जिसके बाद पुलिस को सूचना दी गई। जानकारी मिलते ही राहत कार्य शुरू कर दिए गए हैं।

दुर्घटना में मारे गए लोगों की अभी पहचान नहीं हो पाई है। खराब मौसम के कारण भी बचाव कार्य में दिक्कत आ रही है।

पुलिस अभी घने कोहरे को हादसे की वजह मान रही है। हालांकि अधिकारियों का कहना है कि जांच के बाद ही सही कारण पता चल पाएगा।

पाकिस्तान आर्मी चीफ को गले लगाना एक भावुक पल था : नवजोत सिद्धू

पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री इमरान खान के शपथग्रहण समारोह कार्यक्रम के दौरान पाकिस्तान के आर्मी चीफ को गले लगाकर बुरी तरह विवादों में फंसे पंजाब के मंत्री और कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने मंगलवार को कहा कि वह एक भावुक पल था।

सिद्धू ने साफ किया कि उनका दौरा कोई राजनीति से प्रेरित नहीं था। गौरतलब है कि इमरान के शपथग्रहण से पहले उस कार्यक्रम के दौरान पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा से वह गले लगते हुए नजर आए थे।

सिद्धू ने कहा, ''पाकिस्तान के आर्मी चीफ ने कहा कि वे करतारपुर साहिब कॉरिडोर को खोलने का प्रयास कर रहे है, जो एक भावुक पल था।''

इससे पहले, रविवार को पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कहा कि वह सिद्धू के इस कदम के पक्ष में नहीं है। उन्होंने यह भी साफ किया कि सिद्धू का इमरान खान के शपथग्रहण समारोह में शामिल होने के फैसले से उनकी सरकार का कोई संबंध नहीं है। इसके साथ ही, उन्होंने कहा कि क्रिकेट से राजनीति में आए सिद्धू ने अपनी क्षमता पर पाकिस्तान गए हैं।

सिद्धू के पाकिस्तान दौरे पर पंजाब के मुख्यमंत्री के बयान के बाद उन्होंने कहा, ''कैप्टन साहब समेत कांग्रेस के कई लोगों ने इस पर बोला। यह लोकतंत्र है और सभी को अपनी राय रखने के अधिकार है।''  

उधर, बीजेपी ने सिद्धू के पाकिस्तान दौरे खासकर पाकिस्तान आर्मी चीफ को गले लगाने को शर्मनाक करार दिया है। इससे पहले, सिद्धू ने पाकिस्तान से आने के बाद रविवार को अपना बचाव करते हुए कहा था कि वे क्या करते जब किसी ने उनसे ऐतिहासिक गुरुद्वारा करतारपुर साहिब के रास्ते को खोलने की बात की।