कांग्रेस नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा है कि मौजूदा वित्त मंत्री ने आर्थिक पैकेज का जो ब्यौरा दिया है उसमें लाखों ग़रीबों और भूखे अपने घरों को पैदल लौटते मज़दूरों के लिए कुछ भी नहीं है।
उन्होंने कहा कि सूक्ष्म, लघु और घरेलू उद्योगों के लिए दिए गए पैकेज के अलावा बाक़ी की घोषणाएँ निराशाजनक हैं।
भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से केंद्र सरकार के 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज का ब्यौरा आने के बाद पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम ने सवाल किया, "वित्तमंत्री ने 20 लाख करोड़ के पैकेज में से केवल 3.6 लाख करोड़ रूपए का ब्यौरा दिया है, बाक़ी का 16.4 लाख करोड़ रूपया कहाँ गया?''
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार अपने ही अज्ञान और भय में क़ैद है, उसे अधिक ख़र्च करना होगा, लेकिन वह ऐसा करने को तैयार नहीं है।
चिदंबरम ने कहा, "सरकार को अधिक उधार लेना चाहिए, लेकिन वह ऐसा करने को तैयार नहीं है। सरकार को राज्यों को अधिक उधार लेने और अधिक ख़र्च करने की अनुमति देनी चाहिए, लेकिन वह ऐसा करने के लिए तैयार नहीं है।''
चिदंबरम ने साथ ही कहा कि सरकार का सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों (MSMEs) के लिए कुछ समर्थन उपायों की घोषणा एक ठीक क़दम है लेकिन इसमें भी ख़ामी है।
उन्होंने कहा, "मेरा मानना है कि बड़े MSMEs (लगभग 45 लाख) के पक्ष में उपायों को मोड़ा गया है। मुझे लगता है कि 6.3 करोड़ MSMEs के बड़े समूह को नज़रअंदाज़ कर दिया गया है।''
वहीं कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट कर कहा, ''कल, आज और कल - कल 20,00,000 करोड़ का हेडलाइन पैकेज, आज 3,70,000 करोड़ का मात्र क़र्ज़ पैकेज, पर ''हेडलाइन से हेल्पलाइन पैकेज'' कब? न ग़रीब के हाथ में एक फूटी कौड़ी, न किसान के खाते में एक रूपया, न प्रवासी मज़दूर की घर वापसी या राशन, न दुकानदार/नौकरी पेशा को कुछ मिला।''
आर्थिक पैकेज पर प्रतिक्रिया देते हुए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि इसमें राज्यों के लिए कुछ भी नहीं है।
ममता बनर्जी ने कहा, "लोगों को उम्मीद थी कि राहत मिलेगी ... मगर उन्हें कुछ नहीं मिला। राज्यों के लिए कुछ भी नहीं है। केंद्र ज़बरदस्ती संघीय शासन लाद रहा है, आर्थिक पैकेज से लोगों को गुमराह कर रहा है।''
आम आदमी पार्टी के राज्य सभा सांसद संजय सिंह ने इस पैकेज को करोड़ों को लूट का इंतज़ाम बताया है।
उन्होंने ट्वीट किया, "आज के पैकेज से एक बात तो साफ़ हो गई कि जिन बेईमानों ने देश का लाखों करोड़ रुपये एनपीए के नाम पर पहले से ही लूट रखा है उन्हीं को फिर से सरकार ने लाखों करोड़ लूटने का इंतज़ाम कर दिया है। ग़रीब के हाथ कुछ नहीं लगा उसे भगवान भरोसे छोड़ दिया गया।''
निर्मला सीतारमण ने आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत अभियान के बीस लाख करोड़ रुपए के राहत पैकेज की पहली किस्त की घोषणा की। अगले कुछ दिनों में रोज़ाना राहत पैकेज की घोषणाएं की जाएंगी।
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साफ़ कर दिया कि लॉकडाउन-4 भी होगा लेकिन वो पूरी तरह से नए रंग-रूप में होगा। मोदी ने कहा कि 18 मई से पहले इसकी जानकारी दे दी जाएगी।
उन्होंने कहा कि राज्य के मुख्यमंत्रियों से सलाह-मशविरा के बाद इस पर अंतिम फ़ैसला लिया जाएगा।
मोदी ने क़रीब बीस लाख करोड़ रुपए के आर्थिक पैकेज की घोषणा की।
मोदी ने कहा कि ये पैकेज भारत की जीडीपी का क़रीब-क़रीब दस प्रतिशत है।
उनके अनुसार इन सबके ज़रिए देश के विभिन्न वर्गों को, आर्थिक व्यवस्था की कड़ियों को बीस लाख करोड़ रुपए का सपोर्ट मिलेगा।
कोरोना संकट के बाद भी, दुनिया में जो स्थितियां बन रही हैं, उसे भी हम निरंतर देख रहे हैं। जब इन दोनों कालखंडों को भारत के नज़रिए से देखते हैं तो लगता है कि इक्कीसवीं सदी भारत की हो ये हमारा सपना ही नहीं, ये हम सबकी ज़िम्मेदारी भी है।
मोदी ने कहा कि बीस लाख करोड़ रुपए का ये पैकेज, दो हज़ार बीस में, देश की विकास यात्रा को, ट्वेंटी लैक्स करोड़, 20-20 में, आत्मनिर्भर भारत अभियान को एक नई गति देगा।
आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को सिद्ध करने के लिए इस पैकेज में लैंड, लेबर, लिक्विडिटी और लॉज़ सभी पर बल दिया गया है।
मोदी ने कहा कि ये आर्थिक पैकेज हमारे कुटीर उद्योग, गृह उद्योग, हमारे लघु-मंझोले उद्योग, हमारे एमएसएमई के लिए हैं, जो करोड़ों लोगों की आजीविका का साधन है, जो आत्मनिर्भर भारत के हमारे संकल्प का मज़बूत आधार है।
मोदी ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत की भव्य इमारत पाँच पिलर्स पर खड़ी होंगी।
पहला पिलर, इकोनॉमी: एक ऐसी इकोनॉमी जो इंक्रीमेंटल चेंज नहीं बल्कि क्वांटम जंप लाए।
दूसरा पिलर, इंफ्रास्ट्रक्चर: एक ऐसा इंफ्रास्ट्रक्चर जो आधुनिक भारत की पहचान बनें।
तीसरा पिलर, हमारा सिस्टम: एक ऐसा सिस्टम जो बीती शताब्दी की रीति-नीति नहीं बल्कि इक्कीसवीं सदी के सपनों को साकार करने वाली टेक्नोलॉजी ड्रिवन व्यवस्थाओं पर आधारित हो।
चौथा पिलर, हमारी डेमोग्राफ़ी: दुनिया की सबसे बड़ी डेमोक्रेसी में हमारी वाइब्रेंट डेमोग्राफ़ी हमारी ताक़त है। आत्मनिर्भर भारत के लिए हमारी ऊर्चा का स्रोत है।
पाँचवा पिलर, डिमांड: हमारी अर्थव्यवस्था में डिमांड और सप्लाई चेन का जो चक्र है, जो ताक़त है, उसे पूरी क्षमता से इस्तेमाल किए जाने की ज़रूरत है। देश में डिमांड बढ़ाने के लिए, डिमांड को पूरा करने के लिए हमारी सप्लाई चेन के हर स्टेक होल्डर का सशक्त होना ज़रूरी है। हमारी सप्लाई चेन, हमारी आपूर्ति की उस व्यवस्था को हम मज़बूत करेंगे, जिसमें मेरे देश की मिट्टी की महक हो, हमारे मज़दूरों के पसीने की ख़ुशबू हो।
मोदी ने कहा कि भारत ने आपदा को, अवसर में बदल दिया।
विश्व की आज की स्थिति हमें सिखाती है कि इसका मार्ग एक ही है, आत्मनिर्भर भारत।
हमारे यहां, शास्त्रों में कहा गया है-एसपंथ- यानी यही रास्ता है, आत्मनिर्भर भारत।
साथियों, एक राष्ट्र के रूप में आज हम एक बहुत अहम मोड़ पर खड़े हैं।
इतनी बड़ी आपदा, भारत के लिए एक संकेत लेकर आई है। एक संदेश लेकर आई है, एक अवसर लेकर आई है।
मैं एक उदाहरण के साथ अपनी बात बताने का प्रयास करता हूं, जब कोरोना संकट शुरू हुआ, तब भारत में एक भी पीपीई किट नहीं बनती थी।
एन-95 मास्क का भारत में नाममात्र उत्पादन होता था, आज स्थिति ये है कि भारत में ही हर रोज़ दो लाख पीपीई और दो लाख एन 95 मास्क बनाए जा रहे हैं।
ये हम इसलिए कर पाए क्योंकि भारत ने आपदा को, अवसर में बदल दिया।
आपदा को अवसर में बदलने की भारत की ये दृष्टि आत्मनिर्भर भारत के हमारे संकल्प के लिए उतनी ही प्रभावी सिद्ध होने वाली हैं।
साथियों आज विश्व में आत्म निर्भर शब्द के मायने पूरी तरह बदल गए हैं।
ग्लोबल वर्ल्ड में आत्मनिर्भरता की परिभाषा बदल रही है।
धन केंद्रित वैश्वीकरण बनाम मानव केंद्रित वैश्वीकरण की चर्चा आज ज़ोंरों पर है।
विश्व के सामने भारत का मूलभूत चिंतन आज आशा की किरण नज़र आता है।
भारत की संस्कृति, भारत के संस्कार उस आत्मनिर्भरता की बात करते हैं जिसकी आत्मा वासुदेव कुटुम्बकम है। विश्व एक परिवार।
भारत जब आत्मनिर्भरता की बात करता है, तब आत्मकेंद्रित व्यवस्था की वकालत नहीं करता है।
भारत की आत्मनिर्भरता में संसार के सुख, सहयोग और शांति की चिंता होती है। जो संस्कृति जय जगत में विश्वास रखती हो, जो जीव मात्र का कल्याण चाहती हो, जो पूरे विश्व को परिवार मानती हो, जो अपनी आस्था में पृथ्वी को मां मानती हो, वो संस्कृति, वो भारत भूमि जब आत्मनिर्भर बनती है, तब उससे एक सुखी समृद्ध विश्व की संभावना भी सुनिश्चित होती है।
भारत की प्रगति में तो हमेशा विश्व की प्रगति समाहित रही है।
भारत के लक्ष्यों का प्रभाव, भारत के कार्यों का प्रभाव विश्व कल्याण पर पड़ता ही है।
जब भारत खुले में शौच से मुक्त होता है तो दुनिया की तस्वीर भी बदलती है। टीबी हो, कुपोषण हो, पोलियो हो, भारत के अभियानों का असर दुनिया पर पड़ता ही है। इंटरनेशनल सोलर अलायंस ग्लोबल वार्मिंग के ख़िलाफ़, भारत की दुनिया को सौग़ात है।
निश्चित तौर पर मानव जाति के लिए ये सबकुछ अकल्पनीय है। ये क्राइसिस अभूतपूर्व है। लेकिन थकना, हारना, टूटना, बिखरना मानव को मंज़ूर नहीं है।
सतर्क रहते हुए, ऐसी जंग के सभी नियमों का पालन करते हुए, अब हमें बचना भी है और आगे बढ़ना भी है। आज जब दुनिया संकट में है, तब हमें अपना संकल्प और मज़बूत करना होगा।
साथियों हम पिछली शताब्दी से ही लगातार सुनते आए हैं कि इक्कीसवीं सदी हिंदुस्तान की है।
हमें कोरोना से पहले की दुनिया, वैश्विक व्यवस्थाओं को विस्तार से देखने समझने का मौक़ा मिला है।
पिछले 24 घंटे में भारत में कोविड-19 संक्रमण के 3,390 नए मामले सामने आये हैं, जबकि 1,273 लोगों को पूरी तरह ठीक होने के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है।
ये आंकड़े केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने शुक्रवार शाम को हुई प्रेस वार्ता में दिये हैं।
उन्होंने बताया कि देश में कोरोना का मौजूदा रिकवरी रेट 29.36 प्रतिशत है। इसके अलावा उन्होंने कहा:
- भारत के 42 ज़िलों में पिछले 28 दिनों में कोरोना संक्रमण का कोई मामला दर्ज नहीं किया गया।
- 29 ज़िलों में पिछले 21 दिनों में कोरोना का कोई नया मामला सामने नहीं आया है।
- 36 ज़िलों में पिछले 14 दिनों में संक्रमण का कोई नया मामला नहीं देखा गया है।
- 46 ज़िलों में पिछले सात दिनों में कोरोना का कोई नया मामला नहीं आया है।
अब तक देश के 216 ज़िलों में कोविड-19 संक्रमण का एक भी मामला सामने नहीं आया है।
भारत में महाराष्ट्र के औरंगाबाद में मालगाड़ी की चपेट में आने से 16 प्रवासी मज़दूरों की मौत हो गई है।
दक्षिण मध्य रेलवे ने एक बयान जारी कर बताया है कि ये हादसा परभनी-मनमाड़ सेक्शन के बदनापुर और करमाड़ रेलवे स्टेशन के बीच शुक्रवार तड़के हुआ।
बयान के अनुसार मनमाड़ की तरफ जा रही एक मालगाड़ी पटरी पर सो रहे 19 लोगों के एक समूह पर चढ़ गई थी। 14 लोगों की मौक़े पर ही मौत हो गई जबकि गंभीर रूप से घायल होने के कारण 2 लोगों ने बाद में दम तोड़ दिया।
बयान में कहा गया है कि मालगाड़ी से ड्राइवर ने पटरी पर सोते लोगों के देखने के बाद तुरंत हॉर्न बजाया और ट्रेन रोकने की पूरी कोशिश की।
दक्षिण मध्य रेलवे का कहना है कि हादसे के कारणों की स्वतंत्र जांच दक्षिण मध्य रेलवे के रेलवे सेफ्टी कमिश्नर राम कृपाल की अध्यक्षता में की जाएगी।
इससे पहले दक्षिण मध्य रेलवे के चीफ़ पीआरओ ने बीबीसी हिंदी से हादसे की पुष्टि की थी और बताया था कि, "ऐसा लगता है कि मज़दूर पटरी पर सो रहे थे।''
दुर्घटना में घायल हुए एक व्यक्ति का इलाज औरंगाबाद के सिविल अस्पताल में चल रहा है।
औरंगाबाद के एसपी मोक्षदा पाटिल ने बीबीसी मराठी के निरंजन छानवाल को बताया कि सभी मज़दूर औरंगाबाद के पास जालना की एक स्टील फैक्ट्री में काम करते थे।
ये लोग जालना से भुसावल की तरफ़ जा रहे थे। उन्हें बताया गया था कि भुसावल से ट्रेन मिल जाएगी।
परभनी-मनमाड रेल सेक्शन पर बदनापुर और कर्माड रेलवे स्टेशन के बीच ये दुर्घटना हुई।
कर्माड पुलिस स्टेशन के एक अधिकारी ने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा, ''मजदूर मध्य प्रदेश लौट रहे थे। वे रेल पटरी के साथ चल रहे थे और थकान की वजह से पटरी पर सो गए।''
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर हादसे पर दुख जताया है। उन्होंने अपने ट्वीट में कहा, "महाराष्ट्र के औरंगाबाद में हुई रेल दुर्घटना में लोगों की मौत बहुत ही दुखद है। रेल मंत्री पीयूष गोयल से बात हुई है। उनकी नज़र पूरे मामले पर बनी हुई है। सभी संभव मदद मुहैया कराई जाएगी।''
दुर्घटना पर भारतीय रेल मंत्रालय ने एक आधिकारिक बयान जारी कर कहा, "आज सवेरे जब लोको पायलट ने देखा कि कुछ मजदूर पटरी पर सो रहे हैं तो उन्होंने ट्रेन रोकने की कोशिश की। लेकिन आख़िरकार ट्रेन ने उन्हें टक्कर मार दी। इस संबंध में जांच के आदेश दिए गए हैं।''
साउथ-सेंट्रल ज़ोन के रेलवे सेफ़्टी कमिश्नर राम कृपाल इस रेल दुर्घटना की स्वतंत्र जांच करेंगे।
भारत में आंध्र प्रदेश के विशाखापटनम में एलजी पॉलिमर्स प्लांट से गुरुवार को केमिकल गैस लीक होने के कारण कम से कम 13 लोगों की मौत हुई है। मौक़े पर सभी आपातकालीन सेवाएं पहुंच गई हैं और 300 से ज़्यादा लोगों को अस्पताल में भर्ती किया गया है। पुलिस का कहना है कि आसपास के इलाक़ों से सैकड़ों लोगों को सुरक्षित स्थानों पहुंचाया गया है।
जब गुरुवार तड़के प्लांट से स्टाइरीन गैस लीक हुई तब आसपास के गाँव के लोग सो रहे थे। ग्रेटर विशाखापटनम म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन के कमिश्नर श्रीजाना गुमाला ने ट्विटर पर लिखा है, ''सैकड़ों लोगों के भीतर सांस के ज़रिए यह गैस चली गई है। इससे लोग या तो बेहोशी की हालत में हैं या फिर सांस लेने में समस्या हो रही है।''
विशाखापटनम के पुलिस कमिश्नर आर के मीना ने बीबीसी तेलुगू को बताया है कि तीन लोगों की मौत प्लांट के पास हुई और पाँच की मौत किंग जॉर्ज अस्पताल में इलाज के दौरान हुई। अब तक गैस रिसाव शुरू होने की वजह पता नहीं चली है। प्लांट के मैनेजमेंट के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज कर ली गई है।
किंग जॉर्ज अस्पताल के डॉक्टरों का कहना है कि 86 लोगों को वेन्टिलेटर पर रखा गया है।
आंध्र प्रदेश सरकार ने हादसे में मारे गए लोगों के परिवारों को 1 करोड़ रुपये की मदद देने का एलान किया है। साथ ही जिन लोगों को गंभीर हालत में वेन्टिलेटर पर रखा गया है उन्हें दस दस लाख रुपये की मदद देने की घोषणा की है।
हादसे के कारणों की जांच के लिए सरकार ने एक कमिटी का गठन किया है।
इधर आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने मामले का संज्ञान लेते हुए केंद्र सरकार और राज्य सरकार को नोटिस जारी कर सवाल किया है कि रिहाइशी इलाक़े में प्लांट बनाने की इजाज़त कैसे दी गई?
विशाखापटनम पुलिस की असिस्टेंट कमिश्नर स्वरूपा रानी ने घटना के शुरुआती घंटों में समाचार एजेंसी रॉयटर्स से कहा था कि कम से कम नौ लोगों की मौत हुई है और 300 से 400 लोगों को अस्पतालों में भर्ती किया गया है।
स्वरूपा रानी ने कहा था कि आसपास के इलाक़ों से 1500 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन का कहना है कि प्लांट के पास क़रीब तीन किलोमीटर का इलाक़ा जोखिमों से भरा है।
पुलिस ने आसपास के पाँच गाँवों को ख़ाली करा दिया है और उन्हें मेघाद्री गेड्डा और दूसरे सुरक्षित जगहों पर ले जाया गया है। कइयों ने आंखों में जलन और सांस लेने में तकलीफ़ होने की शिकायत की है। ख़ासकर बुज़ुर्गों और छोटे बच्चों को सांस लेने में परेशानी हो रही है।
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस दुर्घटना पर ट्वीट किया है, "एमएचए और एनडीएमए के अधिकारियों से बात हुई है जो इस दुर्घटना पर नज़र बनाए हुए हैं। मैं विशाखापटनम में सभी के सुरक्षित रहने और उनकी बेहतरी की कामना करता हूँ।''
यह केमिकल प्लांट एलजी पॉलिमर्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड का है। 1961 में बना यह प्लांट हिंदुस्तान पॉलिमर्स का था जिसका 1997 में दक्षिण कोरियाई कंपनी एलजी ने अधिग्रहण कर लिया था।
आंध्र प्रदेश के उद्योग मंत्री गौतम रेड्डी ने बीबीसी तेलुगू से बातचीत में कहा है कि यह साढ़े तीन बजे सुबह की घटना है। उन्होंने कहा, "फैक्ट्री लॉकडाउन के बाद खुला था। कामगार फैक्ट्री खोलने की तैयारी कर रहे थे जब यह दुर्घटना हुई। वाक़ई में क्या हुआ था, यह हम समझने की कोशिश में लगे हुए हैं। पहली नज़र में तो यह लग रहा है कि कंपनी के मैनेजमेंट नियमों का पालन नहीं किया है।''
उन्होंने आगे कहा, ''सरकार ने लॉकडाउन के बाद फैक्ट्रियों ख़ासकर हानिकारक उत्पादों वालों को खोलने को लेकर गाइडलाइन्स जारी किए हुए हैं। अगर कंपनी इन गाइडलाइन्स का पालन नहीं करने की दोषी पाई जाती है, तो उसके ख़िलाफ़ सख्त क़दम उठाए जाएंगे।''
उन्होंने कहा, ''अब तक 90-95 प्रतिशत रिसाव को नियंत्रित कर लिया गया है। अगले एक घंटे में इस पर पूरी तरह से काबू पा लिया जाएगा। गैस का रिसाव एक किलोमीटर तक हुआ है। जब यह दुर्घटना हुई थी तब उस वक़्त फैक्ट्री के अंदर कर्मचारी मौजूद थे। उनसे जुड़ी कोई जानकारी अभी हमें नहीं मिली है। हम इन बातों को जानने का प्रयास कर रहे हैं कि जिन लोगों ने सांस के साथ गैस अंदर ले लिया है, उसका लंबे वक़्त के बाद क्या असर पड़ने वाला है?''
भारत के केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने मृतकों के परिवार वालों के प्रति अपनी संवेदना प्रकट की है। उन्होंने कहा, ''मैंने मुख्य सचिव और आंध्र प्रदेश के डीजीपी से वहाँ के हालात के बारे में बात की है। एनडीआरएफ की टीम को हर ज़रूरी राहत पहुँचाने को कहा है। मैं लगातार स्थिति पर नज़र रखे हुए हूँ। सैकड़ों लोग इस अप्रत्याशित और दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना की वजह से प्रभावित हुए हैं।''
आंध्र प्रदेश के उद्योग मंत्री गौतम रेड्डी ने कहा है कि इस घटना के बारे में कोरियाई दूतावास को जानकारी दे दी गई है। उन्होंने कहा, "हम उम्मीद करते हैं कि इस हादसे को लेकर कंपनी वैसे ज़िम्मेदारी दिखाएगी जैसा यूरोपीय संघ के किसी देश या अमरीका में होने पर करती। ज़िम्मेदारी कंपनी की बनती है।''
ज़िलाधिकारी ने बताया है कि यह दुर्घटना तब हुई जब लॉकडाउन के बाद फिर से प्लांट में काम शुरू किया गया। उन्होंने बताया, "गैस के रिसाव को रोकने के शुरुआती प्रयासों में कोई सफलता नहीं मिली है। अभी इसे नियंत्रित करने में दो घंटे और लगेंगे।''
भारतीय नेवी ने पाँच पोर्टेबल मल्टीफीड ऑक्सीजन मेनीफोल्ड सेट्स गैस पीड़ितों के लिए किंग जॉर्ज अस्पताल को दिया है। नवल डॉकयार्ड विशाखापटनम की टेक्निकल टीम किंग जॉर्ज अस्पताल में मदद के लिए मौजूद है ताकि इन सेट्स का जल्द से जल्द इंस्टॉलेशन किया जा सके।
स्टाइरीन गैस क्या है?
स्टाइरीन मूल रूप में पॉलिस्टाइरीन प्लास्टिक और रेज़िन बनाने में इस्तेमाल होती है। यह रंगहीन या हल्का पीला ज्वलनशील लिक्विड होता है। इसकी गंध मीठी होती है। इसे स्टाइरोल और विनाइल बेंजीन भी कहा जाता है। बेंजीन और एथिलीन के ज़रिए इसका औद्योगिक मात्रा में यानी बड़े पैमाने पर उत्पादन किया जाता है। स्टाइरीन का इस्तेमाल प्लास्टिक और रबड़ बनाने में होता है। इन प्लास्टिक या रबड़ का इस्तेमाल खाने-पीने की चीज़ें रखने वाले कंटेनरों, पैकेजिंग, सिंथेटिक मार्बल, फ्लोरिंग, डिस्पोज़ेबल टेबलवेयर और मोल्डेड फ़र्नीचर बनाने में होता है।
स्टाइरीन के संपर्क में आने पर इंसानों पर क्या असर पड़ता है?
स्टाइरीन की भाप अगर हवा में मिल जाए तो यह नाक और गले में जलन पैदा करती है। इससे खांसी और गले में तकलीफ़ होती है और साथ ही फेफड़ों में पानी भरने लगता है। अगर स्टाइरीन ज़्यादा मात्रा में सांस के ज़रिए शरीर में पहुंचती है तो यह स्टाइरीन बीमारी पैदा कर सकती है। इसमें सिरदर्द, जी मिचलाना, थकान, सिर चकराना, कनफ़्यूजन और पेट की गड़बड़ी होने जैसी दिक्क़तें होने लगती हैं। इन्हें सेंट्रल नर्वस सिस्टम डिप्रेशन कहा जाता है। कुछ मामलों में स्टाइरीन के संपर्क में आने से दिल की धड़कन असामान्य होने और कोमा जैसी स्थितियां तक बन सकती हैं।
स्टाइरीन त्वचा के ज़रिए भी शरीर में दाखिल हो सकती है। अगर त्वचा के ज़रिए शरीर में इसकी बड़ी मात्रा पहुंच जाए तो सांस लेने के ज़रिए पैदा होने वाले सेंट्रल नर्वस सिस्टम डिप्रेशन जैसे हालात पैदा हो सकते हैं। अगर स्टाइरीन पेट में पहुंच जाए तो भी इसी तरह के असर दिखाई देते हैं। स्टाइरीन की फ़ुहार के संपर्क में आने से त्वचा में हल्की जलन और आंखों में मामूली से लेकर गंभीर जलन तक हो सकती है।
महामारी विज्ञान में कई अध्ययनों से यह पता चला है कि स्टाइरीन के संपर्क में आने से ल्यूकेमिया और लिंफ़ोमा का भी जोखिम बढ़ सकता है। हालांकि, इस चीज़ को अभी पुख्ता तौर पर साबित नहीं किया जा सका है।
दिल्ली में स्थित एम्स के निदेशक डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने कहा है कि "स्टाइरीन गैस की चपेट में आए लोगों के स्वास्थ्य पर लंबे समय तक इसका असर नहीं रहेगा। न ही इस गैस के कारण होने वाली बीमारियों को घातक माना जाता है।''
लेकिन सबसे बड़ा सवाल कि क्या आम लोग भी इसके संपर्क में आ सकते हैं? जब तक आप इसके उत्पादन वाली जगहों पर काम नहीं करते हैं तो आपके बड़े पैमाने में इसके संपर्क में आने के आसार कम होते हैं। आम लोगों के बेहद कम मात्रा में स्टाइरीन के संपर्क में आने की संभावना बची-खुची प्लास्टिक या पर्यावरण में प्राकृतिक रूप से इसके पैदा होने से हो सकती है। हालांकि, इतनी कम मात्रा का स्वास्थ्य पर कोई असर होने की आशंका नहीं है।
स्टाइरीन गैस कितना खतरनाक है?
स्टाइरीन एक तरह का हाइड्रोकार्बन है। इसका प्लास्टिक, पेंट और टायर आदि बनाने में इस्तेमाल होता है। स्टाइरीन को सूँधने या निगलने पर सेंट्रल नर्वस सिस्टम पर असर होता है। स्टाइरीन के संपर्क में आने वालों को साँस लेने में दिक्कत, सिर दर्द, कमजोरी की शिकायत और फेफड़ों पर बुरा असर पड़ता है? विशेषज्ञों के मुताबिक ये कैंसर की वजह बन सकती है।
इंडियन नेशनल कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने मंगलवार को नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी से बातचीत की।
इस बातचीत में दोनों के बीच कोरोना संकट के दौरान अर्थव्यवस्था की चुनौतियों पर चर्चा हुई।
इससे पहले राहुल गांधी ने रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन से बात की थी। राहुल गांधी की बातचीत में बनर्जी का सबसे ज़्यादा ज़ोर इस बात पर रहा कि सरकार लोगों के हाथ में पैसा दे।
बनर्जी का मानना है कि लोगों की ख़रीद क्षमता बनी रहनी चाहिए और उनका यह भरोसा भी बना रहना चाहिए कि जब लॉकडाउन खुलेगा तो उनके हाथ में ख़र्च करने के लिए पैसा होगा। इसलिए केंद्र सरकार को चाहिए कि वो ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को पैसा दे।
राहुल गांधी के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में बनर्जी ने कहा कि भारत को अमरीका की तरह बड़ा प्रोत्साहन पैकेज देना होगा ताकि लोगों के हाथ में पैसे आएं और बाज़ार में मांग बढ़ सके।
बनर्जी ने मोदी सरकार के कुछ क़दमों की सराहना भी की।
अभिजीत बनर्जी का कहना था कि सरकार ने कर्ज़ के भुगतान पर तीन महीने की रोक लगाकर अच्छा काम किया है, लेकिन साथ ही ये भी कहा कि बेहतर होता कि सरकार इस भुगतान को पूरी तरह माफ़ करने और खु़द करने का एलान करती।
इसी दौरान राहुल गांधी ने पूछा कि क्या न्याय की तर्ज़ पर लोगों को रकम दी जा सकती है?
बनर्जी ने कहा कि क्यों नहीं, अगर निम्न वर्ग की 60 फ़ीसदी आबादी के हाथों में कुछ पैसा देते हैं तो इसमें कुछ भी ग़लत नहीं है।
पिछले लोकसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में न्याय का वादा किया था।
इसके तहत देश के करीब 5 करोड़ परिवारों को सालाना 72 हज़ार रुपये देने का वादा किया गया था।
सोशल मीडिया पर किसने क्या लिखा?
राहुल और अभिजीत बनर्जी की इस बातचीत की चर्चा सोशल मीडिया पर भी है।
वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने ट्वीट किया, "पहले रघुराम राजन और अब अभिजीत बनर्जी। अब जब राहुल गांधी ही इंटरव्यू लेने वाले बन गए हैं तो हमें दूसरे करियर की ओर रुख़ करना चाहिए। न्यूज़ एंकर्स से अलग राहुल गांधी इंटरव्यू देने वाले को बिना दख़ल दिए सुनते हैं।''
सान्या राठौर ने लिखा, "मैंने ये चर्चा सुनी और निजी तौर पर मेरा मानना है कि इसमें डॉक्टर मनमोहन सिंह को भी शामिल किया जाना चाहिए था। वो हमें हमारी अर्थव्यवस्था के बारे में सटीक जानकारी दे सकते थे।''
ख़ुद को कांग्रेस समर्थक बताने वाली नेहा चौहान लिखती हैं, ''यहां ग़ौर करने लायक बात ये है कि राहुल गांधी का सारा ध्यान ग़रीबों पर है और अभिजीत बनर्जी हमें ग़रीबी की नई परिभाषा समझाने में मदद कर रहे हैं। इस महामारी की वजह से कितने ही लोग ग़रीबी की ओर ढकेल दिए गए।''
ट्विटर पर काफ़ी सारे लोगों ने ये भी लिखा, ''राहुल गांधी अर्थशास्त्री रघुराम राजन और अभिजीत बनर्जी से संवाद करते हैं। पीएम नरेंद्र मोदी अक्षय कुमार और सलमान से संवाद करते हैं।''
आजकल वैकल्पिक राजनीति की बहुत चर्चा है। राजनीति में जनसरोकार, समन्वय और शुचिता को प्राथमिकता देने पर बहस चल रही है। भारत का एक बड़ा वर्ग जाति, बिरादरी और धर्म के इर्द गिर्द चक्कर लगा रही भारतीय राजनीति से ऊब गया है और नए अन्दाज़ में सियासत के मानी मतलब लगा रहा है।
ऐसे लोगों का मानना है कि बिहार राजनीति की प्रयोगशाला रहा है तो क्या बेहतर होता कि मुद्दों पर आधारित वैकल्पिक राजनीति की शुरुआत आगामी बिहार विधान सभा चुनाव से किया जाए।
इस मत के समर्थन में जे पी, लोहिया के नाम की रट लगाने वाले और जार्ज फर्नांडिस, चन्द्रशेखर, मधुलिमय, राजनारायण, किशन पटनायक, कर्पूरी ठाकुर सरीखे समाजवादी योद्धाओं के शिष्य राष्ट्रीय रजधानी दिल्ली और पटना समेत कई स्थानों पर सक्रिय हैं।
पत्रकार, लेखक, प्रोफेसर और लाल फीताशाही से मुक्त होकर कुछ प्रशासनिक अधिकारी भी इस मुहिम में चिंतन करते पाये जा रहे हैं और सबकी पीडा एक ही है कि कैसे राजनीति में शुचिता आये ताकि भारतीय राजनीति को नया आयाम मिल सके।
इस संदर्भ में कई प्रकार की कोशिशें हो रही है। कोई छोटे-छोटे दलों का गठबंधन बनाकर आगामी बिहार विधान सभा चुनाव में सत्ता और विपक्ष दोनों से बेहतर विकल्प देने की बात कह रहा है तो दूसरा, बुद्धिजीवी वर्ग एक नए दल का गठन कर जनसरोकार के मुद्दे पर सरकार की विफलताओं को गिनाकर एक नया विकल्प देने की तैयारी कर रहा है। लेकिन एक सोच ऐसी भी है जिसका दावा है कि कुछ प्रसिद्ध नेताओं का समूह मिलकर अपने में से एक प्रसिद्ध नाम तय कर उसकी अगुवाई में चुनाव में जाए और एक नया विकल्प पेश करें।
इसी कड़ी में नेताओं के अलावा इसी मत के ज़मीनी कार्यकर्ताओं का मत उक्त सभी की राय से बिल्कुल भिन्न है। जो ये मानते है कि समाज के सभी वर्गों को उचित भागीदारी और अवसर देकर जनता की मूल समस्याओं के समाधान के लिए ठोस योजना बनाकर जनमानस का समर्थन प्राप्त किया सकता है लेकिन शर्त ये है कि सब लोगों की सत्ता और शासन में भागीदारी सुनिश्चित हो।
ऐसे लोग ये मानते हैं कि समाज के अगड़े, पिछडे, अनुसूचित जाति एवं जनजाति और अल्पसंख्यक को संगठन, सत्ता और शासन में भगीदार बनाकर ही कोई बड़ी लाईन बनाई जा सकती है जिसमें कोई किसी के साथ नाइंसाफी नही कर सके। साथ ही किसी वर्ग विशेष का सत्ता पर वर्चस्व स्थापित न हो सके।
अब सवाल ये उठता है कि क्या उक्त सभी बिन्दु से साफ सुथरी राजनीति की शुरुआत हो सकेगी जो जन मानस की भलाई के लिए ठोस साबित हो सके?
क्या ऐसी किसी पहल से जातिवाद, परिवारवाद और उन्माद की बीमारी से निजात पाया जा सकता है?
युवा वर्ग जो नेताओं के दिशाहीन बयानों से और सत्ता पक्ष और विपक्ष के वार-पलटवार से तंग आ चुका है। क्या युवा वर्ग ऐसी किसी वैचारिक राजनीति के नाम पर गोलबन्द हो रहे नेताओं पर विश्वास कर पायेगा? या फिर युवा शक्ति ही नई मशाल लेकर राजनीति को बदलने पर विचार करेगी!
संपादन: परवेज़ अनवर
न्यूज़ डायरेक्टर और एडिटर- इन-चीफ, आई बी टी एन मीडिया नेटवर्क ग्रुप, नई दिल्ली
लेखक: सादात अनवर
चन्द्रशेखर स्कूल आफ पॉलिटिक्स, नई दिल्ली
भारत में जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा ज़िले के हंदवाड़ा में हुए चरमपंथियों के साथ मुठभेड़ में सेना के दो अधिकारियों समेत आर्मी और जम्मू-कश्मीर पुलिस के पाँच जवान मारे गए हैं।
मारे गए सुरक्षाबलों में आर्मी के एक कर्नल और एक मेजर हैं। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक सब इंस्पेक्टर और दो आर्मी के जवान हैं। इस मुठभेड़ में दो चरमपंथी भी मारे गए हैं। मुठभेड़ शनिवार शाम में 3:30 बजे शुरू हुई थी। मारे गए लोगों में 21 राष्ट्रीय राइफल के कमांडिंग आर्मी ऑफिसर कर्नल आशुतोष शर्मा, मेजर अनुज, एक लांस नायक और एक राइलफल मैन के साथ जम्मू-कश्मीर पुलिस के सब इंस्पेक्टर शकील क़ाज़ी शामिल हैं।
कर्नल शर्मा को दो वीरता के सम्मान मिले थे। अतीत में उन्होंने कई सफल ऑपरेशन को अंजाम दिया था।
बीबीसी के सहयोगी पत्रकार माजिद जहाँगीर ने सुरक्षा बल के जनसंपर्क अधिकारी के हवाले से बताया है कि चरमपंथी हंदवाड़ा के चांगिमुल में एक मकान के लोगों को अपने कब्जे में रखे हुए थे और उस मकान का इस्तेमाल छिपने में कर रहे थे। जम्मू-कश्मीर पुलिस और आर्मी की संयुक्त कार्रवाई के तहत इस मकान पर छापा मारा गया था।
आर्मी के बयान में कहा गया है कि उन्हें ख़ुफ़िया एजेंसी से इस बारे में सूचना मिली थी। बयान के मुताबिक मकान पर छापा मारने वाले दस्ते में आर्मी और जम्मू-कश्मीर पुलिस के पांच जवान शामिल थे।
भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ट्वीट कर श्रद्धांजलि दी है। राजनाथ सिंह ने ट्वीट कर कहा, ''सैन्य कार्रवाई में शामिल जिन सैनिकों और सुरक्षाकर्मियों की जान गई है उन्हें श्रद्धांजलि। जिन परिवारों ने अपने लोगों को खोया है उनके साथ मेरी संवेदना है। इन बहादुर शहीदों के परिवारों के साथ भारत कंधे से कंधे मिलाकर खड़ा है।''
राजनाथ सिंह ने अगले ट्वीट में कहा है, ''हंदवाड़ा में सैनिकों और सुरक्षाकर्मियों की मौत बहुत ही दुखद है। इन्होंने आतंकवाद के ख़िलाफ़ लड़ाई में अनुकरणीय बहादुरी दिखाई है। वतन की रक्षा में इन्होंने जान तक की बाजी लगा दी। हम इनकी बहादुरी और शहादत को कभी नहीं भूलेंगे।''
कब्जे में लिए गए लोगों को छुड़ाने के लिए सुरक्षा बल के ये जवान उस इलाक़े में आए। सुरक्षा बलों ने ऑपरेशन के दौरान फंसे हुए लोगों को तो छुड़ा लिया लेकिन चरमपंथियों की ओर से हुए भारी गोलीबारी में सुरक्षा बलों को जान भी गंवानी पड़ी।
महाराष्ट्र ने तीस अप्रैल तक लॉकडाउन को बढ़ा दिया है। जबकि पश्चिम बंगाल ने भी तीस अप्रैल तक लॉकडाउन को बढ़ाया।
ममता ने तीस अप्रैल तक बढ़ाया लॉकडाउन, मीडिया से कहा सूत्रों के हवाले से ख़बर न चलाएं।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हवाले से कहा है कि कोरोना के चलते जारी देशव्यापी लॉकडाउन को और दो सप्ताह यानी 30 अप्रैल तक बढ़ाया जाएगा। पश्चिम बंगाल सरकार ने स्कूलों को भी दस जून तक बंद कर दिया है।
शनिवार को प्रधानमंत्री मोदी के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के बाद ममता बनर्जी ने शाम को राज्य सचिवालय में अपनी प्रेस कांफ्रेंस में यह बात कही। उन्होंने बताया कि पश्चिम बंगाल में बीते चौबीस घंटे के दौरान छह नए मामले सामने आने के साथ कोरोना के मरीजों की तादाद बढ़ कर 95 हो गई है।
ममता ने बताया, “मैंने प्रधानमंत्री मोदी से बातचीत के दौरान विभिन्न कंपनियों की ओर से सीएसआर के तहत पीएम केयर्स में धन देने और राज्यों को इससे वंचित करने पर आपत्ति जताई। अगर केंद्र को पैसे दिए जा सकते हैं तो राज्यों के साथ भेदभाव क्यों?''
मुख्यमंत्री ममता ने बताया कि उन्होंने अंतरराष्ट्रीय सीमाओं पर निगरानी और बढ़ाने की मांग की है। अगर सीमा पार से आने वाले लोगों की वजह से बंगाल प्रभावित होता है तो इसका असर पूर्वोत्तर और दूसरे पड़ोसी राज्यों पर पड़ना तय है।
ममता ने प्रधानमंत्री से कहा, “लॉकडाउन के दौरान मानवीय पहलुओं का भी ध्यान रखा जाना चाहिए। लॉकडाउन बढ़ाने के साथ जीवन और आजीविका में संतुलन क़ायम रखना और ज़रूरी वस्तुओं की सप्लाई बरक़रार रखना ज़रूरी है।''
उन्होंने बताया कि केंद्र ने घने बाज़ारों में भीड़ कम करने का सुझाव दिया है। सरकार ऐसा करने पर विचार कर रही है ताकि भीड़ पर अंकुश लगाया जा सके।
मुख्यमंत्री ने मीडिया से सूत्रों के हवाले से कोरोना के बारे में ख़बरें दिखाने-छापने से बचने को कहा। उन्होंने कहा कि इससे बेवजह आतंक फैलता है।
ममता ने बताया, “मैंने प्रधानमंत्री से लंबी दूरी की ट्रेनों और अंतरराष्ट्रीय विमान सेवाओं को फिलहाल बंद रखने के अलावा असंगठित क्षेत्र, लघु और मझौले उद्योगों, पर्यटन और कृषि क्षेत्र के लिए विशेष वित्तीय पैकेज की मांग की है। इसके साथ ही जहां-तहां फंसे प्रवासी मजदूरों का भी ध्यान रखने की अपील की है।''
ममता ने प्रधानमंत्री से सौ दिनों के रोजगार योजना के तहत काम करने वाले मज़दूरों को दो महीने के वेतन का भुगतान करने की भी मांग की है।
राज्य सरकार ने रबी की फसलों की कटाई के लिए कृषि क्षेत्र को छूट देने का एलान किया है। इसके अलावा आटा और तेल मिलों, बोतलबंद पेय जल, मत्स्य पालन केंद्रों और बेकरी को भी छूट देने का एलान किया है।
लेकिन उन सबको सुरक्षा नियमों का पालन करना होगा। मुख्यमंत्री ने बताया कि सरकार राज्य के विभिन्न इलाकों में ड्रोन के जरिए भीड़-भाड़ पर निगाह रखेगी और लॉकडाउन को सख्ती से लागू कराया जाएगा।
महाराष्ट्र ने तीस अप्रैल तक बढ़ाया लॉकडाउन
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने मीडिया से बातचीत में बताया है कि उन्होंने अपने राज्य में तीस अप्रैल तक लॉकडाउन को बढ़ा दिया है।
ठाकरे ने बताया कि उन्होंने और कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने प्रधानमंत्री मोदी को लॉकडाउन आगे बढ़ाने का सुझाव दिया है।
भारत में जारी 21 दिनों के लॉकडाउन को आगे बढ़ाने के निर्णय की घोषणा अभी केंद्र सरकार ने नहीं की है।
इसी बीच दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने संकेत दिए हैं कि लॉकडाउन आगे बढ़ाया जाएगा।
एक ट्वीट में उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री ने लॉकडाउन को आगे बढ़ाने का सही निर्णय लिया है।''
केजरीवाल ने अपने ट्वीट में कहा, ''पीएम ने लॉकडाउन का विस्तार करने का सही फैसला लिया है। आज, भारत की स्थिति कई विकसित देशों की तुलना में बेहतर है क्योंकि शुरू में ही हमने लॉकडाउन की शुरुआत की थी। अगर इसे अभी रोक दिया जाता है, तो सभी लाभ खो जाएंगे। समेकित करने के लिए, इसका विस्तार करना होगा।''
आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ लॉकडाउन पर चर्चा करने के लिए वीडियो कांफ्रेंसिंग की है। कई प्रदेशों ने लॉकडाउन आगे बढ़ाने की राय दी है।
दो सप्ताह तक बढ़ सकता है लॉक डाउन
कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने प्रधानमंत्री मोदी से बातचीत के बाद मीडिया से बताया है कि केंद्र सरकार 15 दिनों तक लॉकडाउन बढ़ाने का फ़ैसला कर सकती है। येदियुरप्पा के मुताबिक भारत सरकार इन 15 दिनों के लिए गाइंडलाइंस की घोषणा अगले एक दो दिन में करेगी।
समाचार एजेंसी एएनआई ने ट्वीट किया, पीएम ने बताया कि हमें लॉकडाउन पर समझौता नहीं करना चाहिए और अगले 15 दिनों के लिए इसे बढ़ाने के सुझाव मिल रहे हैं। पीएम ने कहा कि अगले 1-2 दिनों में भारत सरकार अगले 15 दिनों के लिए दिशानिर्देशों की घोषणा करेगी: मुख्यमंत्रियों के साथ पीएम मोदी के वीडियो कॉन्फ्रेंस पर कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा।