कच्छतीवु द्वीप पर पीएम मोदी का बयान: कांग्रेस ने विदेश मंत्री जयशंकर के रुख़ पर उठाए कई सवाल
सोमवार, 1 अप्रैल 2024
कच्छतीवु द्वीप को 1974 में श्रीलंका को सौंपने के भारत सरकार के फ़ैसले पर दाख़िल एक आरटीआई आवेदन का जवाब आने के बाद आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है।
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार, 31 मार्च 2024 को इस द्वीप के श्रीलंका के पास चले जाने के मामले को उठाते हुए तत्कालीन कांग्रेस सरकार को ज़िम्मेदार बताया था।
इसके बाद सोमवार, 1 अप्रैल 2024 को कांग्रेस के दो वरिष्ठ नेताओं जयराम रमेश और पी चिदंबरम ने मोदी सरकार की नीयत पर सवाल उठाए।
इन नेताओं ने मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान 2015 में इस बारे में दाख़िल एक अन्य आरटीआई आवेदन के जवाब का ज़िक्र किया।
जयराम रमेश ने जयशंकर को घेरा
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने 2015 में भारत के विदेश सचिव रहे और अब भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर को घेरा।
जयराम रमेश ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा, "मौजूदा विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर, क्या 27 जनवरी 2015 को विदेश मंत्रालय के जवाब को नकार रहे हैं, जब वही विदेश सचिव थे?"
जयराम रमेश ने बताया, "2015 में कच्छतीवु पर एक आरटीआई सवाल के जवाब में विदेश मंत्रालय ने कहा था कि इस (समझौते) में भारत से संबंधित क्षेत्र का अधिग्रहण करने या उसे छोड़ने का मामला नहीं था, क्योंकि जिस इलाक़े को लेकर सवाल थे, उसका सीमांकन कभी हुआ ही नहीं था। समझौते के तहत, कच्छतीवु द्वीप भारत और श्रीलंका की अंतरराष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा के श्रीलंका के हिस्से में स्थित है। किसी राजनीतिक अभियान में बलि का बकरा खोजना सबसे आसान है। वो कौन होगा?''
चिदंबरम ने भी उठाए सवाल
भारत के पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम ने भी 2015 के उसी आरटीआई रिप्लाई का सहारा लेकर भारत के विदेश मंत्री जयशंकर पर सवाल खड़े किए हैं।
पी चिदंबरम ने अपने ट्वीट में लिखा, "उस रिप्लाई में उन हालात का ज़िक्र करते हुए भारत ने स्वीकार किया कि एक छोटा द्वीप श्रीलंका का है। विदेश मंत्री (जयशंकर) और उनका मंत्रालय अब कलाबाज़ी क्यों कर रहे हैं? लोग कितनी जल्दी रंग बदल लेते हैं। एक सौम्य उदार आईएफएस अधिकारी से एक चतुर विदेश सचिव और फिर आरएसएस-बीजेपी के माउथपीस बनने तक, जयशंकर का जीवन कलाबाज़ी के इतिहास में दर्ज किया जाएगा।''
कच्छतीवु मामले में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने क्या कहा?
सोमवार, 1 अप्रैल 2024
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार, 1 अप्रैल 2024 को कच्छतीवु मामले में कांग्रेस और डीएमके को निशाना बनाया।
एस जयशंकर ने कहा कि दोनों पार्टियां इस मुद्दे पर ऐसे बात कर रही हैं जैसे उनकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं है। उन्होंने कहा कि लोगों को ये जानने का अधिकार है कि कच्छतीवु द्वीप को दूसरे देश को कैसे दे दिया गया।
इस मुद्दे पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में जयशंकर ने कहा, ''ये ऐसा मुद्दा नहीं है, जो आज अचानक उठा है। ये वो मसला है, जो संसद और तमिलनाडु में लगातार उठता रहा है, इस पर बहस हुई। मेरे रिकॉर्ड बताते हैं कि इस मसले पर मैंने 21 बार जवाब दिया है।''
एस जयशंकर ने कहा कि जनता को ये जानने का अधिकार है कि कच्छतीवु द्वीप को श्रीलंका को दे दिया गया और कैसे 1976 में भारतीय मछुआरों का मछली पकड़ने का अधिकार भी उसे दे दिया गया, जबकि संसद में ये गारंटी दी गई थी कि 1974 के समझौते में भारतीय मछुआरों के अधिकार सुरक्षित रखे गए हैं।
एस जयशंकर ने कहा कि भारत को श्रीलंका के अधिकारियों के साथ मिल कर इसका हल निकालना चाहिए।
एस जयशंकर ने कहा, ''पिछले 20 साल में 6184 भारतीय मछुआरों को श्रीलंका ने पकड़ा। भारत की मछली पकड़ने वाली 1175 नावें ज़ब्त कर ली गईं। ये वो बैकग्राउंड है जिसके बारे में हम बताना चाहते हैं।''