अनुच्छेद 370 के रद्द किए जाने की आलोचना करना कोई अपराध नहीं है: सुप्रीम कोर्ट

अनुच्छेद 370 के रद्द किए जाने की आलोचना करना कोई अपराध नहीं है: सुप्रीम कोर्ट

शुक्रवार, 8 मार्च 2024

भारत के सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक अहम फ़ैसले में गुरुवार, 7 मार्च 2024 को कहा कि अनुच्छेद 370 के रद्द किए जाने की आलोचना करना कोई अपराध नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट ने भारत के राज्य महाराष्ट्र के एक प्रोफेसर जावेद अहमद हजाम पर दर्ज मुक़दमे को रद्द करते हुए यह बात कही।

सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि पुलिस को भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों और संविधान द्वारा दी गई अभिव्यक्ति की आज़ादी को लेकर संवेदनशील होना चाहिए।

मामला क्या है?

प्रोफेसर जावेद अहमद हजाम ने अपने व्हाट्सएप स्टेटस में अनुच्छेद 370 को रद्द करने की आलोचना करते हुए 5 अगस्त, 2019 को जम्मू और कश्मीर के लिए 'काला दिन' बताया था।

प्रोफेसर जावेद अहमद हजाम ने अपने व्हाट्सएप स्टेटस पर '5 अगस्त- ब्लैक डे जम्मू-कश्मीर' और '14 अगस्त- स्वतंत्रता दिवस पाकिस्तान' लिखा था।

प्रोफेसर जावेद अहमद हजाम की इस टिप्पणी पर पुलिस ने प्रोफेसर जावेद अहमद हजाम के ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज किया था। महाराष्ट्र पुलिस ने प्रोफेसर जावेद अहमद हजाम पर भारतीय दंड संहिता की धारा 153-ए लगाई थी।

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि सरकार के खिलाफ हर आलोचना या विरोध को अगर धारा 153-ए के तहत अपराध मान लिया जाएगा, तो देश (भारत) में लोकतंत्र नहीं बचेगा।

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि 5 अगस्त, 2019 को 'काला दिवस' बताना विरोध और पीड़ा की अभिव्यक्ति है।

इससे पहले बॉम्बे हाईकोर्ट ने प्रोफेसर जावेद अहमद हजाम के खिलाफ एफआईआर को रद्द करने से इनकार कर दिया था और कहा था कि प्रोफेसर जावेद अहमद हजाम की ​टिप्पणी समाज के विभिन्न समूहों के बीच वैमनस्य और दुर्भावना को बढ़ावा दे सकती है।

भारत के केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 5 अगस्त, 2019 को संसद में अनुच्छेद 370 को रद्द करने का ऐलान किया था।

भारत सरकार के इस फ़ैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती भी दी गई थी।

अब से लगभग तीन महीने पहले 11 दिसंबर, 2023 को सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से सरकार के पक्ष में फ़ैसला सुनाया कि अनुच्छेद 370 को हटाया जाना ठीक था।