दार्जिलिंग में जीजेएम का आंदोलन बेकाबू हुआ, प्रशासन ने बुलाई सेना
पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग में गुरुवार (8 जून) को सेना बुलानी पड़ गई। पश्चिम बंगाल के पहाड़ी क्षेत्र में ये हालत तब पैदा हो गई जब गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) के आंदोलनकारियों ने कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया।
इसके अलावा, आंदोलन को रोकने के लिए आंसू गैस के गोलों का इस्तेमाल करने वाले पुलिस कर्मियों पर पथराव भी किया। जीजेएम के आंदोलनकारियों ने पुलिस के खिलाफ बोतलों और पत्थरों से हमला कर दिया। हजारों आंदोलनकारियों की भीड़ को देखते हुए प्रशासन को सेना बुलानी पड़ गई।
यह हिंसा भानु भवन के पास भड़की, जहां जीजेएम के समर्थकों ने गोरखाओं के लिए एक अलग राज्य की मांग के लिए दबाव बनाने हेतु रैली का आयोजन किया था।
खास बात ये है कि जहां ये हिंसा भड़की वहां से मात्र 500 मीटर की दूर पर सीएम ममता बनर्जी अपने दो दर्जन मंत्रियों के साथ कैबिनेट मीटिंग कर रहीं थी। ममता बनर्जी ने 45 साल के बाद दार्जिलिंग में पहली बार कैबिनेट की बैठक की है।
पश्चिम बंगाल में साल 2011 में सत्ता संभालने के बाद पहली बार ममता बनर्जी को किसी घटना को काबू में करने के लिए सशस्त्र सेनाओं को बुलाना पड़ा है। जीजेएम कार्यकर्ताओं ने इस आंदोलन की घोषणा तब की थी जब पिछले सप्ताह सीएम ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल के स्कूलों में दसवीं तक बंगाली भाषा को अनिवार्य रुप से पढ़ाने की घोषणा की थी।
ममता बनर्जी की इस घोषणा का जबर्दस्त विरोध हुआ था। गुरुवार को ममता बनर्जी जैसे ही दार्जिलिंग में कैबिनेट की बैठक खत्म कर बाहर आईं, प्रदर्शनकारियों ने नारेबाजी शुरू कर दी और सीएम का पुतला जलाना चाहा, लेकिन जब पुलिस ने लोगों को रोकना चाहा तो प्रदर्शनकारी उग्र हो गये और पत्थरबाजी करने लगे, पुलिस ने इन लोगों को रोकने के लिए लाठियां चलाई और आंसू गैस के गोले छोड़े।
घटना की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन ने स्थानीय चैनलों का प्रसारण बंद कर दिया है। इधर गोरखा जनमुक्ति मोर्चा ने बंगाली भाषा की पढ़ाई अनिवार्य करने के विरोध में अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा कर दी है। सीएम ममता बनर्जी ने भी हालात को देखते हुए एक मीटिंग बुलाई है।