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सीबीएसई ने नौवीं से 12वीं कक्षा तक के सिलेबस कम किए

भारत में कोरोना संक्रमण को देखते हुए सीबीएसई ने छात्रों को राहत देते हुए नौवीं से 12वीं कक्षा तक के सिलेबस कम करने का एलान किया है।

सीबीएसई की ओर से जारी प्रेस बयान में कहा गया है कि कोरोना संक्रमण से उपजी स्थितियों को देखते हुए यह फ़ैसला लिया गया है क्योंकि स्कूलों के बंद होने से क्लास रूम क्लासेज नहीं हो पा रही हैं।

इसके चलते बोर्ड ने 2020-21 के सत्र में नौवीं से 12वीं तक के सिलेबस को 30 फीसदी कम करने का फ़ैसला लिया है।

सिलेबस में से जो हिस्से कम किए जाएंगे उनसे इंटर्नल एस्सेमेंट और बोर्ड परीक्षा में सवाल नहीं पूछे जाएंगे।

कोरोना संक्रमण: रूस को पीछे छोड़ते हुए तीसरे नंबर पर पहुंचा भारत

भारतीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, देश में कोविड-19 संक्रमण के कुल 6,97,213 मामले हो गए हैं। इनमें से 2,53,287 मामले सक्रिय हैं। संक्रमण की वजह से अब तक कुल 19,693 लोगों की मौत हुई है।

जॉन्स हॉप्किन्स यूनिवर्सिटी के अनुसार, दुनिया भर में कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से मरने वालों का आंकड़ा 5 लाख 35 हज़ार से भी ज़्यादा हो गया है। वहीं, दुनिया में संक्रमण के कुल 11,51,6,782 मामले हैं।

जॉन्स हॉप्किन्स यूनिवर्सिटी के आंकड़ों के अनुसार, भारत संक्रमण मामलों की कुल संख्या में रूस को पीछे छोड़ते हुए तीसरे नंबर पर पहुंच गया है।

दुनिया के 240 वैज्ञानिकों का दावा है कि कोरोना वायरस संक्रमण हवा के ज़रिए भी फैल सकता है। वैज्ञानिकों ने विश्व स्वास्थ्य संगठन से इसे गंभीरता से लेने को कहा है।

संयुक्त राष्ट्र की पर्यावरण से जुड़ी एक संस्था का कहना है कि अगर इंसानों ने जानवरों को मारना बंद नहीं किया तो उसे कोरोना संक्रमण जैसी और भयानक बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है।

कोरोना महामारी को देखते हुए भारत सरकार ने फ़िल्म शूटिंग की मानक संचालन प्रक्रिया जल्द शुरू करने वाली है जिससे फ़िल्म निर्माण को तेज़ी के साथ फिर से शुरू किया जा सके।

भारत में केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा है, ''महामारी को देखते हुए भारत सरकार फ़िल्म शूटिंग की मानक संचालन प्रक्रिया जल्द जारी करने वाली है जिससे फ़िल्म निर्माण को तेज़ी के साथ फिर से शुरू किया जा सके जो कोविड की वजह से ठहर गया है। सरकार टीवी सीरियल, फ़िल्म मेकिंग, को​-प्रोडक्शन, एनिमेशन, गेमिंग समेत सभी प्रोडक्शन के कामों के लिए इंसेंटिव भी ला रही है। इनकी जल्द घोषणा की जाएगी।''

ओडिशा में कोरोना संक्रमण के कुल मामले दस हज़ार से अधिक हो गये हैं। ओडिशा में अब तक 42 लोगों की कोविड-19 से मौत हुई है।

सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फ़ोर्स (सीएपीएफ़) ने कहा है कि अब तक उनके पाँच हज़ार से ज़्यादा जवान कोरोना संक्रमित हो चुके हैं और कुल 27 सीएपीएफ़ जवानों की कोविड-19 से मौत हुई है।

कर्नाटक सरकार ने कहा है कि अब तक ऐसा कोई संकेत नहीं मिला है जिसके आधार पर कहा जा सके कि प्रदेश में कम्युनिटी ट्रांसमिशन शुरू हो चुका है।

महाराष्ट्र के सतारा ज़िले की पुलिस ने एक सीसीटीवी फ़ुटेज जारी किया है जिसमें कुछ चोर पीपीई किट पहनकर चोरी करते हुए दिखाई दे रहे हैं। पुलिस के अनुसार, ''चोरों ने सुनार की दुकान का ताला तोड़ा और क़रीब 780 ग्राम सोना लेकर फरार हो गए।''

मेघालय सरकार के अधिकारियों ने बताया है कि इलाज के लिए क़रीब 400 किलोमीटर की यात्रा करके अरुणाचल प्रदेश से मेघालय लाए गए 8 महीने के बच्चे की मौत हो गई है। कोविड टेस्ट पॉज़िटिव पाये जाने के कुछ ही घंटों बाद ही बच्चे की मौत हो गई।

ईरान की मुद्रा में गिरावट: एक डॉलर की क़ीमत 2,15,000 रियाल पहुंची

ईरान की मुद्रा रियाल में भारी गिरावट का सिलसिला जारी है। Bonbast.com के अनुसार सोमवार को एक डॉलर की क़ीमत 2,15,000 रियाल थी। ये रियाल की आधिकारिक दर 42,000 रियाल से क़रीब पांच गुना अधिक है।

समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक पिछले कुछ हफ़्तों से जारी गिरावट के कारण सेंट्रल बैंक को क़दम उठाने पड़े। बैंक ने लाखों डॉलर बाज़ार में डाले ताकि थोड़ी स्थिरता आए। सेंट्रल बैंक के गवर्नर अब्दुलननसीर हेमत्ती ने इस क़दम को बुद्धिमानी और सही दिशा वाला बताया है।

उन्होंने बिना रक़म की जानकारी दिए बताया कि बैंक के पास पर्याप्त विदेशी मुद्रा का भंडार था। अर्थशास्त्रियों के मुताबिक़ कोरोना वायरस से उपजे आर्थिक संकट के दौर में चालू खाता और राजकोषीय घाटे पर हो रहे असर के कारण उन भंडारों का इस्तेमाल ज़रूरी हो गया है।

इस्टिट्यूट ऑफ़ इंटरनेशनल फाइनैंस में मिडिल ईस्ट एंड नॉर्थ अफ्रीका के मुख़्य आर्थिक सलाहकार गैब्रिस इरैडियन के मुताबिक़, ''बाज़ार में निवेश के लिए उनके पास सीमित विदेशी मुद्रा का भंडार है और अमरीका के प्रतिबंधों के अलावा अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से अलग-थलग पड़ने के कारण अब आगे होने वाले किसी तरह की गिरावट को रोक पाना मुमकिन नहीं होगा।''

साल 2015 में ईरान ने अमरीका समेत 6 देशों के साथ एक न्यूक्लियर डील साइन की थी, लेकिन साल 2018 में अमरीका ने डील रद्द कर दी और ईरान पर फिर से प्रतिबंध लगा दिए। इसके कारण ईरान की मुद्रा का मूल्य लगभग 70 प्रतिशत कम हो गया।

सरकार ने आयातकों के वित्तीय बोझ को कम करने के लिए कई एक्सचेंज दर तय करने की कोशिश की। लेकिन फ्री मार्केट में सेंट्रल बैंक के दख़ल के बाद भी रियाल की गिरावट जारी रही।

संयुक्त राष्ट्र वॉचडॉग ने ईरान को कहा है कि वो दो संदिग्ध पुराने परमाणु ठिकानों पर जाने की इज़ाजत दे। इसके अलावा कोरोना माहामारी के कारण व्यापक आर्थिक गिरावट से पैदा हुई नकारात्मकता के कारण हाल की गिरावट दर्ज की गई है। लेकिन ये भी बड़े बदलाव की ओर ले जा सकते हैं।

क्या भारत-चीन वार्ता से बॉर्डर पर शांति स्थापित हो जाएगी?

भारत और चीन के बीच गलवानी घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद दोनों तरफ से शांति बहाल करने की कोशिशों के बीच भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच रविवार को टेलिफ़ोन पर बातचीत हुई।

भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच हुई बातचीत का ब्यौरा भारत स्थित चीनी दूतावास ने बयान जारी दिया है।

भारत में चीनी राजदूत सुन वायडोंग ने अपने बयान में दोनों विशेष प्रतिनिधियों के आपस में बातचीत का ब्यौरा दिया है। उन्होंने कहा है कि चीनी विदेश मंत्री ने अजीत डोभाल को बताया कि भारत और चीन के आपसी रिश्ते 70 साल पुराने हैं।

चीनी विदेश मंत्री के मुताबिक़ भारत और चीन के बीच वेस्टर्न सेक्टर सीमा के गलवान घाटी में जो कुछ हुआ है, उसमें सही क्या है और ग़लत क्या हुआ है - ये स्पष्ट है।

चीनी विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि चीन अपनी संप्रभुता की रक्षा करने के साथ-साथ इलाके में शांति भी बहाल करना चाहता है।

वांग यी ने अपनी बातचीत में इस बात पर भी ज़ोर दिया कि चीन और भारत दोनों की शीर्ष प्राथमिकता विकास है, ऐसे में दोनों देशों को तनाव कम करने पर ध्यान देना चाहिए।

चीनी राजदूत के मुताबिक़ दोनों प्रतिनिधियों के बीच विस्तार से बातचीत हुई। इस बातचीत में मोटे तौर पर चार बातों पर सहमति बनी है -

- दोनों देश के शीर्ष नेताओं के बीच बनी सहमति को लागू किया जाएगा। दोनों नेताओं के बीच सीमावर्ती इलाकों में शांति के साथ विकास के लिए लंबे समय तक साथ काम करने की सहमति है।

- दोनों देश आपसी समझौते के मुताबिक सीमा पर तनातनी को कम करने के लिए संयुक्त रूप से कोशिश करेंगे।

- विशेष प्रतिनिधियों के बीच होने वाली बातचीत के ज़रिए दोनों पक्ष आपसी संवाद को बेहतर बनाएंगे। भारत चीन के बीच सीमा मामलों में सलाह और संयोजन के लिए वर्किंग मैकेनिज्म की व्यवस्था को नियमित करके उसे बेहतर बनाया जाएगा। इससे दोनों पक्षों के बीच भरोसा मज़बूत होगा।

दोनों पक्ष ने हाल में हुई कमांडर स्तर की बैठक में जिन बातों पर सहमति जताई गई है, उसका स्वागत किया है। पहली जुलाई को कमांडर स्तर की बैठक में दोनों पक्षों ने सीमा पर तनातनी को कम करने पर सहमति जताई थी।

इससे पहले भारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से बयान जारी कर कहा गया था कि भारत और चीन के बीच वेस्टर्न सेक्टर की सीमा पर हाल की गतिविधियों को लेकर डोभाल और वांग यी के बीच स्पष्ट और विस्तार से बात हुई है।

दोनों पक्षों में इस बात पर सहमति जताई गई है कि द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए दोनों देशों को सीमा पर शांति बहाल करनी होगी और मतभेदों को विवाद का रूप लेने से रोकना होगा।

इस दिशा में दोनों पक्ष सीमा पर तनातनी कम करने की प्रक्रिया पर काम कर चुके हैं, यानी अब वैसी स्थिति नहीं है जैसी कि दोनों पक्षों के सैनिकों के आमने सामने आ जाने से उत्पन्न हो गई थी। दोनों पक्षों ने इसे चरणबद्ध तरीके से कदम दर कदम करने पर सहमति जताई है।

बयान में ये भी कहा गया है कि दोनों विशेष प्रतिनिधियों की इस बातचीत में दोनों देशों के सैन्य और राजनयिक अधिकारियों के बीच भी बातचीत जारी रखने पर सहमति जताई गई है।

इसके अलावा डोभाल और वांग यी के बीच आपसी बातचीत को नियमित रखने पर भी सहमति बनी है।

वहीं समाचार एजेंसी एएफ़पी के मुताबिक चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने सोमवार को बीजिंग में पत्रकारों से कहा, ''दोनों पक्षों में सीमा पर तनातनी कम करने को लेकर साकारात्मक प्रगति हुई है।''

लिजियान ने उम्मीद जताई है कि भारतीय पक्ष चीन के साथ मिलकर उन बातों को लागू करने की दिशा में कदम बढ़ाएगा जिन बातों को लेकर आपसी सहमति बन गई है।

भारत-चीन सीमा विवाद पर नज़र रख रहे अधिकारियों ने बीबीसी को बताया है कि सीमा पर तनातनी को कम करने की प्रक्रिया सोमवार सुबह से शुरू हो गई है।

अधिकारियों ने बताया कि यह काम तीन जगहों पर चल रहा है, ये जगहें हैं - गलवान, गोगरा और हॉट स्प्रिंग्स। बीबीसी को जानकारी देने वाले अधिकारी ने स्पष्ट किया कि वे देपसांग या पैंगोंग त्सो झील की बात नहीं कर रहे हैं।

एक अन्य अधिकारी ने बताया, "तंबू और अस्थायी ढांचे दोनों तरफ़ से हटाए जा रहे हैं और सैनिक पीछे हट रहे हैं। लेकिन इसका मतलब वापसी या प्रकरण का अंत नहीं है।''

भारतीय अधिकारियों ने बताया कि इन गतिविधियों की लगातार निगरानी की जा रही है जिसके लिए सैटेलाइट तस्वीरों और ऊँचे प्लेटफॉर्म्स की मदद ली जा रही है।

कई मीडिया रिपोर्टों में बताया गया है कि चीनी सैनिक कितने पीछे हटे हैं, इस सवाल के जवाब में अधिकारी ने कोई दूरी बताने से इनकार किया।

उन्होंने इतना ही कहा, ''यह उस प्रक्रिया की शुरूआत है जो 30 जून को चुसुल में हुई दोनों पक्षों के कमांडरों की बैठक के बाद तय की गई थी।''

हालांकि मीडिया में आ रही रिपोर्ट्स के अनुसार गलवान में जहां पर हिंसा हुई थी चीनी सैनिक वहां से दो किलोमीटर पीछे की ओर जा रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि बीते 15 जून को गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी, जिसमें 20 भारतीय सैनिकों की मौत हो गई थी।

इसके बाद बीते एक जुलाई को दोनों देशों की सेनाओं के बीच कमांडर स्तर की बातचीत हुई और उस बातचीत में भी भारत-चीन एलएसी पर तनातनी को कम करने पर सहमति जताई गई थी।

इसके बाद सप्ताह भर पहले भारत सरकार ने 59 ऐसे मोबाइल ऐप्स बंद करने की घोषणा की जिनमें जाने माने सोशल प्लेटफ़ॉर्म टिकटॉक, वीचैट अली बाबा ग्रुप का यूसी ब्राउज़र भी शामिल थे।

हालांकि भारत के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने चीन का नाम नहीं लिया लेकिन स्पष्ट कहा कि शिकायत मिली थी कि एंड्रॉयड और आईओएस पर ये ऐप्स लोगों के निजी डेटा में भी सेंध लगा रहे थे। इन ऐप्स पर पाबंदी से भारत के मोबाइल और इंटरनेट उपभोक्ता सुरक्षित होंगे। यह भारत की सुरक्षा, अखंडता और संप्रभुता के लिए ज़रूरी है।

अभिषेक मनु सिंघवी ने राफेल सौदे पर सुप्रीम कोर्ट फैसले, 1 9 84 के दंगों और 2002 के गुजरात दंगों पर मीडिया को संबोधित किया

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लाइव: राफेल घोटाले पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा कांग्रेस पार्टी की विशेष ब्रीफिंग

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कपिल सिब्बल ने राफेल फैसले पर संसद भवन में मीडिया को संबोधित किया

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चीन की मछलियों से भारत की मछलियों को खतरा, घड़ियालों के जीवन पर भी संकट

भारत में गंगा और यमुना नदियों पर चीन-अफ्रीका की मछलियों का कब्जा होता जा रहा है। कभी तालाबों में पालने के लिए लाई गई विदेशी मछलियों की संख्या इन नदियों में इस कदर बढ़ती जा रही है कि स्थानीय प्रजाति की मछलियों को अस्तित्व के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।

पश्चिम बंगाल के बैरकपुर स्थित सेंट्रल इनलैंड फिशरीज रिसर्च इंस्टीट्यूट के हालिया अध्ययनों से पता चलता है कि विदेशी प्रजाति की अधिकता से नदी की जैव विविधता खतरे में पड़ गई है। भारत की सबसे प्रमुख नदियों गंगा-यमुना में स्थानीय प्रजाति की मछलियों का जीवन संकट में पड़ गया है।

हाल के दिनों में इन नदियों के पानी में विदेशी प्रजाति की मछलियों की तादाद में भारी इजाफा हुआ है। दरअसल, भारत के अलग-अलग हिस्सों में ज्यादा मांस वाली मछलियों की विदेशी प्रजातियों के बीज तालाबों में डाले गए थे, लेकिन बाढ़ और बरसात की वजह से कई मछलियां नदियों के पानी में चली गईं। एक बार नदी के पानी में आने के बाद उनकी संख्या में तेजी से बढ़ोत्तरी हुई है।

बांबे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी के संरक्षण शिक्षण संस्थान में मस्त्य विशेषज्ञ इश्तियाक अहमद ने कहा कि अफ्रीकन कैट फिश जैसी मछली पहले बांग्लादेश में पाली गई थी। लेकिन, धीरे-धीरे गंगा सागर से होते हुए यह पटना, इलाहाबाद, कानपुर और हरिद्वार तक के पानी में पहुंच गई है। इलाहाबाद में यमुना के संगम के साथ ही यमुना के पानी में भी इनकी पहुंच हो गई।

विशेषज्ञों का कहना है कि मूलत: बैंकाक से आई तिलपिया मछली की रीढ़ की हड्डी काफी मजबूत होती है। इसे खाने वाले जीवों के जीवन पर भी संकट आ जाता है। माना जाता है कि चंबल नदी में स्थित घड़ियाल सेंचुरी में तिलपिया मछली खाकर कई घड़ियालों की मौत हो चुकी है।

नदी के पारिस्थितिक तंत्र में स्थानीय प्रजाति की मछलियों की महत्वपूर्व भूमिका होती है। ये नदी की सफाई का काम करती हैं। जबकि, विदेशी प्रजातियां स्थानीय मछलियों की संख्या को समाप्त कर रही हैं। इससे नदी की सेहत भी खतरे में पड़ती है।

पूर्व एडीजी इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च और सेंट्रल इनलैंड फिशरीज इंस्टिट्यूट के सलाहकार डॉ. वी आर चित्रांशी ने कहा, ''स्थानीय प्रजाति की मछलियां भारत की नदियों की सेहत का ज्यादा अच्छी तरह से ख्याल रखती रही हैं। विदेशी मछलियों की बहुतायत से इनका अस्तित्व संकट में पड़ता जा रहा है जो चिंता का विषय है।''

राफेल घोटाले की सच्चाई देश के सामने लाने के लिए हम जेपीसी जांच की मांग करते हैं : राहुल गाँधी

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मुक्त कारावास खोलने की व्यावहारिकता पर विचार हो: सुप्रीम कोर्ट

भारत में सुप्रीम कोर्ट ने गृह मंत्रालय से राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के जेल महानिदेशकों या महानिरीक्षकों की बैठक बुलाकर देशभर में मुक्त कारावास खोलने की व्यावहारिकता पर विचार करने को कहा है।

मुक्त कारावास या अर्धमुक्त कारावास में कैदियों को आजीविका के लिये जेल परिसर के बाहर जाकर शाम को वापस लौट आने की अनुमति होती है।

उच्चतम न्यायालय ने मुक्त जेलों के संचालन के बारे में राज्यों से राय लेने को कहा है। राज्यों से चार हफ्ते के भीतर जवाब देने को कहा गया है।