बिहार / झारखण्ड

शराब नीति में पलटी मारी व कानून व्यवस्था पर तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार को आड़े हाथों लिया

शराब नीति में पलटी मारी व कानून व्यवस्था पर तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार को आड़े हाथों लिया।

झारखण्ड : पुलिस ने बल प्रयोग कर घाघरा गांव खाली कराया, कई आदिवासी घायल

झारखंड के खूंटी के घाघरा गांव में रैफ के जवान पहुँच चुके हैं, जवानों के गांव में पहुँचते ही पत्थलगड़ी समर्थकों ने हंगामा शुरू कर दिया। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने रबर बुलेट और आंसूगैस के गोले छोड़े। इसके बाद पत्थलगड़ी समर्थक पीछे हटे गए। साथ ही पुलिस ने घाघरा गांव को खाली करा दिया है।

उधर, अगवा तीनों जवान अभी तक पत्थलगड़ी समर्थकों के कब्जे में हैं। अगवा पुलिसकर्मियों में सुबोध कुजूर, विनोद केरकेट्टा और सियोन सुरीन शामिल हैं।

हमलावरों में बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल थीं। सभी लोग तीर व धनुष, टांगी व फरसा और लाठी आदि पारंपरिक हथियारों से लैस थे। बताते चलें कि झारखंड के खूंटी में पत्थलगड़ी समर्थकों ने मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी के सांसद करिया मुंडा के तीन अंगरक्षकों का अपहरण कर लिया था।

इससे पहले, कड़िया मुंडा और उनके पुत्र अभी दिल्ली में हैं, जबकि बहू आवास के अंदर थी। हमलावरों ने कड़िया मुंडा के परिजनों अथवा आसपास के ग्रामीणों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया।

हमले के समय आवास में तैनात अंगरक्षक बैजू उरांव ने आवास का ग्रिल बंद कर लिया था जिसके कारण पत्थलगड़ी समर्थक आवास के अंदर नहीं पहुंच सके।

पत्थलगड़ी समर्थकों का आतंक इतना ज्यादा है कि शाम के पांच बजे तक पुलिस कड़िया मुंडा के आवास पर नहीं पहुंची थी, जबकि खूंटी जिला मुख्यालय से चांडडीह की दूरी मात्र छह किलोमीटर है। शाम पांच बजे के बाद पुलिस बल बड़ी संख्या में चांडडीह के लिए रवाना हुआ। पुलिस बल के साथ खूंटी के उपायुक्त और एस पी भी शामिल थे।

सांसद व पूर्व लोकसभा उपाध्‍यक्ष कड़िया मुंडा की भाभी चीरेश्वरी देवी ने बताया कि हमले के समय तीनों अंगरक्षक सादे पोशाक में घर के बाहर बैठे थे। हमलावर उन्हें घसीटते हुए ले गये। उन्होंने हथियार ले जाते हुए नहीं देखा।

लेकिन कड़िया मुंडा के अंगरक्षक बैजू उरांव ने बताया कि जवानों के कमरे में पांच इंसास राइफलें थीं। इनमें से केवल एक ही राइफल बची हुई है। इसका मतलब है कि चार इंसास राइफल पत्थलगड़ी समर्थक लूटकर ले गये हैं। बैजू उरांव ने हमले के बाद इसकी सूचना पुलिस को दी। वहां से लगभग साढ़े तीन किलोमीटर दूर घाघरा गांव में पत्थलगड़ी के बाद सभा चल रही थी।

गांव में चर्चा थी कि पत्थलगड़ी समर्थकों ने अगवा अंगरक्षकों को घाघरा गांव के सभास्थल के पास ही बैठा कर रखा था।

दरअसल, पुलिस सोमवार की देर रात से ही पत्थलगड़ी समर्थकों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई के मूड में थी। मंगलवार को तड़के तीन बजे पुलिस ने मुरहू प्रखंड स्थित गांव उदीबुरू में युसुफ पूर्ति के घर छापा मारा। युसुफ पूर्ति को छापामारी की भनक लग गई थी और वह वहां से निकल गया।

युसुफ पूर्ति का आरोप है कि पुलिस ने उसके घर में काफी तोड़फोड़ की और महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार किया।

मंगलवार को खूंटी प्रखंड के ही घाघरा गांव में पत्थलगड़ी होने वाली थी। इस कार्यक्रम में पत्थलगड़ी समर्थकों के नेता युसुफ पूर्ति और जॉन जुनास तिड़ू को भी भाग लेना था। इस कार्यक्रम को रोकने और दोनों नेताओं को गिरफ्तार करने के लिए बड़ी संख्या में पुलिस घाघरा की तरफ रवाना हुई। बीच रास्ते में कड़िया मुंडा का गांव चांडडीह है। वहीं पुलिस की पत्थलगड़ी समर्थकों से भिड़ंत हो गई। पुलिस ने समर्थकों को वापस लौट जाने के लिए कहा, लेकिन समर्थक अड़ गये तो पुलिस ने पत्थलगड़ी समर्थकों पर लाठी चार्ज कर उन्हें तितर-बितर कर दिया। इसके बाद पुलिस वापस खूंटी लौट आई।

इधर वहां पत्थल गड़ी समर्थक फिर से जुटे। वहां उन्हें पता चला कि लाठी चार्ज करने वाला एक पुलिसकर्मी कड़िया मुंडा के घर आया है। उसे खोजते हुए पत्थलगड़ी समर्थक कड़िया मुंडा के आवास पर पहुंचे। इसके बाद वे लोग वहां तैनात पुलिस के जवानों को घसीटते हुए लेकर चले गये।

पत्थलगड़ी समर्थकों के नेता युसुफ पूर्ति से इस मामले में पूछे जाने पर कहा कि वे जवान सुरक्षित हैं और उन्हें ग्रामसभा ने अपनी कस्टडी में लिया है।

बता दें कि झारखंड के कई आदिवासी इलाकों में इन दिनों पत्थलगड़ी की मुहिम छिड़ी हुई है। यहां ग्रामसभाओं में आदिवासी पत्थलगड़ी के माध्यम से स्वशासन की मांग कर रहे हैं। कई गांवों में आदिवासी, पत्थलगड़ी कर 'अपना शासन, अपनी हुकूमत' की मांग कर रहे हैं। सिर्फ इताना ही नहीं, ग्राम सभाएं अब फरमान तक जारी करने लगी है। इसके अलावा पहले भी कई गांवों में पुलिस वालों को घंटों बंधक बना लिए जाने की कई घटनाएं सामने आई हैं।

आदिवासी समुदाय और गांवों में विधि-विधान और संस्कार के साथ पत्थलगड़ी (बड़ा शिलालेख गाड़ने) की परंपरा पुरानी है। इनमें मौजा, सीमाना, ग्रामसभा और अधिकार की जानकारी रहती है। वंशावली, पुरखे तथा मरनी (मृत व्यक्ति) की याद संजोए रखने के लिए भी पत्थलगड़ी की जाती है। कई जगहों पर अंग्रेजों और दुश्मनों के खिलाफ लड़कर शहीद होने वाले वीर सूपतों के सम्मान में भी पत्थलगड़ी की जाती रही है।

झारखंड: करिया मुंडा के तीन अंगरक्षकों का अपहरण, घाघरा गांव के भीतर पुलिस घुस सकती है

भारत में झारखंड के खूंटी में पत्थलगड़ी समर्थकों ने मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी के सांसद करिया मुंडा के तीन अंगरक्षकों का अपहरण कर लिया था। तीनों अंगरक्षकों को घाघरा गांव ले जाया गया है, जहां उन्हें ग्रामसभा में रखा गया है। अपहरण अन्नीगड़ा गांव स्थित सांसद के घर से किया गया।

इस बीच, घाघरा गांव के बाहर रैफ के जवान पहुँच चुके हैं, थोड़ी देर में गांव के भीतर पुलिस घुस सकती है। वहीं अगवा तीनों अंगरक्षक अभी तक पथलगड़ी समर्थकों के कब्जे में हैं। अगवा पुलिसकर्मियों में सुबोध कुजूर, विनोद केरकेट्टा और सियोन सुरीन शामिल हैं।

हमलावरों में बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल थीं। सभी लोग तीर व धनुष, टांगी व फरसा और लाठी आदि पारंपरिक हथियारों से लैस थे।

इससे पहले, कड़िया मुंडा और उनके पुत्र अभी दिल्ली में हैं, जबकि बहू आवास के अंदर थी। हमलावरों ने कड़िया मुंडा के परिजनों अथवा आसपास के ग्रामीणों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया।

हमले के समय आवास में तैनात अंगरक्षक बैजू उरांव ने आवास का ग्रिल बंद कर लिया था जिसके कारण पत्थलगड़ी समर्थक आवास के अंदर नहीं पहुंच सके।

पत्थलगड़ी समर्थकों का आतंक इतना ज्यादा है कि शाम के पांच बजे तक पुलिस कड़िया मुंडा के आवास पर नहीं पहुंची थी, जबकि खूंटी जिला मुख्यालय से चांडडीह की दूरी मात्र छह किलोमीटर है। शाम पांच बजे के बाद पुलिस बल बड़ी संख्या में चांडडीह के लिए रवाना हुआ। पुलिस बल के साथ खूंटी के उपायुक्त और एस पी भी शामिल थे।

सांसद व पूर्व लोकसभा उपाध्‍यक्ष कड़िया मुंडा की भाभी चीरेश्वरी देवी ने बताया कि हमले के समय तीनों अंगरक्षक सादे पोशाक में घर के बाहर बैठे थे। हमलावर उन्हें घसीटते हुए ले गये। उन्होंने हथियार ले जाते हुए नहीं देखा।

लेकिन कड़िया मुंडा के अंगरक्षक बैजू उरांव ने बताया कि जवानों के कमरे में पांच इंसास राइफलें थीं। इनमें से केवल एक ही राइफल बची हुई है। इसका मतलब है कि चार इंसास राइफल पत्थलगड़ी समर्थक लूटकर ले गये हैं। बैजू उरांव ने हमले के बाद इसकी सूचना पुलिस को दी। वहां से लगभग साढ़े तीन किलोमीटर दूर घाघरा गांव में पत्थलगड़ी के बाद सभा चल रही थी।

गांव में चर्चा थी कि पत्थलगड़ी समर्थकों ने अगवा अंगरक्षकों को घाघरा गांव के सभास्थल के पास ही बैठा कर रखा था।

दरअसल, पुलिस सोमवार की देर रात से ही पत्थलगड़ी समर्थकों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई के मूड में थी। मंगलवार को तड़के तीन बजे पुलिस ने मुरहू प्रखंड स्थित गांव उदीबुरू में युसुफ पूर्ति के घर छापा मारा। युसुफ पूर्ति को छापामारी की भनक लग गई थी और वह वहां से निकल गया।

युसुफ पूर्ति का आरोप है कि पुलिस ने उसके घर में काफी तोड़फोड़ की और महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार किया।

मंगलवार को खूंटी प्रखंड के ही घाघरा गांव में पत्थलगड़ी होने वाली थी। इस कार्यक्रम में पत्थलगड़ी समर्थकों के नेता युसुफ पूर्ति और जॉन जुनास तिड़ू को भी भाग लेना था। इस कार्यक्रम को रोकने और दोनों नेताओं को गिरफ्तार करने के लिए बड़ी संख्या में पुलिस घाघरा की तरफ रवाना हुई। बीच रास्ते में कड़िया मुंडा का गांव चांडडीह है। वहीं पुलिस की पत्थलगड़ी समर्थकों से भिड़ंत हो गई। पुलिस ने समर्थकों को वापस लौट जाने के लिए कहा, लेकिन समर्थक अड़ गये तो पुलिस ने पत्थलगड़ी समर्थकों पर लाठी चार्ज कर उन्हें तितर-बितर कर दिया। इसके बाद पुलिस वापस खूंटी लौट आई।

इधर वहां पत्थलगड़ी समर्थक फिर से जुटे। वहां उन्हें पता चला कि लाठी चार्ज करने वाला एक पुलिसकर्मी कड़िया मुंडा के घर आया है। उसे खोजते हुए पत्थलगड़ी समर्थक कड़िया मुंडा के आवास पर पहुंचे। इसके बाद वे लोग वहां तैनात पुलिस के जवानों को घसीटते हुए लेकर चले गये।

पत्थलगड़ी समर्थकों के नेता युसुफ पूर्ति से इस मामले में पूछे जाने पर कहा कि वे जवान सुरक्षित हैं और उन्हें ग्रामसभा ने अपनी कस्टडी में लिया है।

बता दें कि झारखंड के कई आदिवासी इलाकों में इन दिनों पत्थलगड़ी की मुहिम छिड़ी हुई है। यहां ग्रामसभाओं में आदिवासी पत्थलगड़ी के माध्यम से स्वशासन की मांग कर रहे हैं। कई गांवों में आदिवासी, पत्थलगड़ी कर 'अपना शासन, अपनी हुकूमत' की मांग कर रहे हैं। सिर्फ इताना ही नहीं, ग्राम सभाएं अब फरमान तक जारी करने लगी है। इसके अलावा पहले भी कई गांवों में पुलिस वालों को घंटों बंधक बना लिए जाने की कई घटनाएं सामने आई हैं।

आदिवासी समुदाय और गांवों में विधि-विधान और संस्कार के साथ पत्थलगड़ी (बड़ा शिलालेख गाड़ने) की परंपरा पुरानी है। इनमें मौजा, सीमाना, ग्रामसभा और अधिकार की जानकारी रहती है। वंशावली, पुरखे तथा मरनी (मृत व्यक्ति) की याद संजोए रखने के लिए भी पत्थलगड़ी की जाती है। कई जगहों पर अंग्रेजों और दुश्मनों के खिलाफ लड़कर शहीद होने वाले वीर सूपतों के सम्मान में भी पत्थलगड़ी की जाती रही है।

बिहार बोर्ड परीक्षा की कॉपियां कबाड़ी को बेची गई

स्ट्रांग रूम से गायब नवादा जिले की मैट्रिक की 42400 कॉपियों को आदेशपाल ने एक कबाड़ी को बेचा था। इसका खुलासा एस आई टी की जाँच के बाद शनिवार को किया गया। टीम ने शहर के हजियापुर के कबाड़ व्यापारी और एक ऑटो चालक को गिरफ्तार किया है।

कबाड़ व्यापारी पप्पू गुप्ता और ऑटो चालक संजय कुमार से पूछताछ के बाद टीम ने कबाड़ व्यापारी की दुकान से एक उत्तरपुस्तिका और पांच खाली बैग बरामद किए। अब एस आई टी सीवान और गोपालगंज के कबाड़ खरीदने वाले 300 लोगों को चिह्नित कर गायब कॉपियां बरामद करने के लिए छापेमारी और पूछताछ कर रही है।

टीम को आशंका है कि कबाड़ से कॉपी खरीदने के बाद उसे दूसरे जिले या फिर बिहार से बाहर बड़े कारोबारियों के हाथों बेच दिया गया हो।

एस पी राशिद जमां ने बताया कि आदेशपाल छठू सिंह ने स्कूल के स्ट्रांग रूम से कॉपियां निकालकर बेची थीं। इसका खुलासा सीसीटीवी फुटेज के आधार पर हुआ।

नवादा जिले की मैट्रिक की कॉपियों को मूल्यांकन के लिए एस एस बालिका प्लस टू स्कूल भेजा गया था। कॉपियों की जांच के बाद परीक्षार्थियों के प्राप्तांक की शीट बोर्ड को भेज दी गई। जब बिहार बोर्ड ने टॉपरों के वेरीफिकेशन के क्रम में कुछ छात्रों की कॉपियों की मांग की तो सोशल साइंस और विज्ञान की चार कॉपियां नहीं मिलीं। बाद में जांच में 215 बैग से 42400 से अधिक कॉपियां गायब पाई गईं। इस मामले में प्राचार्य ने आदेशपाल और अन्य के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी।

लालू यादव को कोर्ट से बड़ी राहत मिली, 3 जुलाई तक जमानत अवधि बढ़ी

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद और जगन्नाथ मिश्र की औपबंधिक जमानत की अवधि तीन जुलाई तक बढ़ा दी गई है। जमानत की अवधि बढ़ाते हुए कोर्ट ने 29 जून तक मेडिकल रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। दोनों बीमार हैं और दोनों का ईलाज चल रहा है। शुक्रवार को दोनों की ओर से जमानत की अवधि बढ़ाने का आग्रह किया गया था।

राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद की औपबंधिक जमानत की अवधि 29 जून को समाप्त हो रही थी। उनकी तरफ से अवधि बढ़ाने का आग्रह करते हुए कहा गया है कि उनका प्लेटलेट कम हो गया है। शुगर बढ़ा हुआ है। ब्लड प्रेशर भी है। मुंबई के एक निजी अस्पताल में ईलाज चल रहा है।

डॉक्टरों के अनुसार, अभी स्थिति ठीक नहीं है और लंबे इलाज की जरूरत है। इस कारण उनकी जमानत की अवधि बढ़ाई जाए। इस आग्रह को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डी एन पटेल की अदालत ने स्वीकार करते हुए तीन जुलाई तक अवधि बढ़ा दी और 29 जून को सुनवाई निर्धारित की।

बिहार गैंगरेप: तेजस्वी ने कहा, नीतीश ने बीजेपी से मिल कानून-व्यवस्था को कब्र में दफनाया

बिहार के गया में 20 लुटेरों ने एक डॉक्टर के परिवार को रास्ते में रोककर उनकी पत्नी और बेटी के साथ गैंगरेप किया। लालू के बेटे तेजस्वी यादव ने घटना के बाद राज्य की कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े करते हुए कई ट्वीट किए।

एक ट्वीट में तेजस्वी ने लिखा कि नीतीश जी ने भाजपाइयों से मिल कानून-व्यवस्था को कब्र में दफना दिया है।

तेजस्वी ने एक अन्य ट्वीट में लिखा, मुजफ़्फ़रपुर में सत्ता संरक्षण में 44 लड़कियों से बलात्कार किया गया। एक ऐसा मामला मोतिहारी में सामने आया है। भाजपा समर्थित मीडिया ने सुशासनी करतूतों से ज़ुबान पर ताला जड़ लिया है, क्योंकि अब बिहार में उनका भरण-पोषण करने वाली नीतीश के नेतृत्व में बलात्कारी जनता पार्टी की सरकार है।

बिहार के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा है कि अगर आपके साथ कोई छेड़खानी करता है तो थाने बाद में जाइए, पहले फोन कॉल राजभवन में कर दीजिए।

तेजस्वी ने एक अन्य ट्वीट में लिखा, अति-शर्मनाक ! राज्यपाल महोदय जानते हैं कि नीतीश राज में क़ानून व्यवस्था की शर्मनाक स्थिति है। सीएम के अधीन गृह विभाग भ्रष्टाचार की दलदल में डूबा हुआ है।

अब आप समझ लीजिये बिहार में क्या हालात होंगे जब राज्यपाल महोदय को हस्तक्षेप कर ख़ुद महिला उत्पीड़न पर संज्ञान लेना पड़ रहा है।

खबर के मुताबिक, पुलिस को दिए बयान में डॉक्टर ने बताया कि वे अपनी पत्नी और बेटी के साथ गया के गुरारू बाज़ार से लौट रहे थे, जब सोनडीहा के पास एक सुनसान जगह पर उन्हें एक हथियारबंद समूह ने घेर लिया। ये करीब 20 लोग थे। इन्होंने डॉक्टर की पत्नी और 12 साल की बेटी के साथ बदतमीजी की, तब उन्होंने इसका विरोध किया, जिसके बाद उन्हें पेड़ से बांधकर उनकी पत्नी और बेटी के साथ बलात्कार किया।

बिहार में डॉक्टर को पेड़ से बांध पत्नी और बेटी के साथ गैंगरेप, 20 गिरफ्तार

बिहार के गया जिले से शर्मनाक घटना सामने आई है। गया जिले के कोच थाना अंतर्गत सोनडीहा गांव के समीप देर रात लुटेरों ने गुरारू में प्राइवेट क्लीनिक चलाने वाले एक डॉक्टर को पेड़ से बांधकर उसकी पत्नी और बेटी के साथ कथित रूप से गैंगरेप किया। पटना क्षेत्र के आईजीपी नैय्यर हसनैन खान ने इस मामले को लेकर कोच थाना अध्यक्ष राजीव कुमार सिंह को तत्काल प्रभाव से निलंबित किए जाने के साथ ही उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू करने का आदेश दिया है।

खान ने बताया कि शक के आधार पर सोनडीहा गांव से 20 युवकों को हिरासत में लिया गया था जिनमें से दो की पहचान पीड़िता ने कर ली है। दोनों युवकों से पूछताछ कर घटना में शामिल उनके दूसरे साथियों की पहचान कर उन सभी की गिरफ्तारी सुनिश्चित करने का आदेश गया की पुलिस को दिया गया है।

आंती थाना क्षेत्र निवासी डॉक्टर अपनी पत्नी और बेटी के साथ बाइक पर जा रहे थे। कोच थाना के सोनडीहा गांव के पास पहले से राहगीरों के साथ लूटपाट कर रहे लुटेरों ने हथियार के बल पर चिकित्सक और उनके परिजनों को अपने कब्जे में ले लिया।उन्होंने तीनों को सड़क से थोड़ी दूर ले जाकर डॉक्टर को पेड़ से बांध दिया और फिर सभी अपराधियों ने उनकी पत्नी और बेटी कथित रूप से रेप किया।

उपचुनाव के नतीजों पर जेडीयू ने कहा, हार के लिए पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतें जिम्मेदार

भारत के 3 राज्यों की 4 लोकसभा सीटों और 9 राज्यों की 10 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे आ गए हैं। बिहार की जोकीहाट विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में जनता दल यूनाइटेड को करारी हार का सामना करना पड़ा है।

जनता दल यूनाइटेड ने इस हार के लिए पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों को जिम्मेदार बताया है। इसके साथ ही जनता दल यूनाइटेड ने एनडीए को लेकर भी बड़ा बयान दिया है। जनता दल यूनाइटेड के महासचिव के सी त्यागी ने नतीजों के बाद कहा कि पूरे देश में पेट्रोल-डीज़ल की बढ़ती कीमतों के खिलाफ गुस्सा है। इसी गुस्से का असर उपचुनाव में भी पड़ा है। हम अपील करते हैं कि पेट्रोल-डीजल की दामों में कटौती होनी चाहिए।

बता दें जोकीहाट विधानसभा सीट पर राजद के उम्मीदवार शाहनवाज आलम ने 41,224 वोटों से जीत दर्ज की। राजद की जीत के बाद तेजस्वी यादव ने भी नीतीश कुमार पर जमकर हमला बोला है।

के सी त्यागी ने कहा कि उपचुनाव के नतीजे एनडीए के लिए चिंता का विषय हैं। एनडीए में अभी सहयोगी अलग-थलग महसूस कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में दो बड़े दल एक साथ आ गए हैं, इसलिए वहां के नतीजे खतरे की घंटी बन सकते हैं।

एनडीए के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि आज चंद्रबाबू नायडू ने एनडीए का साथ छोड़ दिया है, शिवसेवा बीजेपी के खिलाफ ही लड़ रही है। वहीं अकाली दल खुश नहीं है, इंडियन नेशनल लोक दल साथ छोड़ चुकी है, महबूबा मुफ्ती ने भी नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने कहा कि 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले एनडीए को दुरुस्त करने की जरूरत है।

जोकीहाट सीट के बारे में उन्होंने कहा कि ये राजद की जीत नहीं है, ये सीट पहले से ही तसलीमुद्दीन के पास थी। अब उनके बेटे ने पार्टी बदल ली है, इसी वजह से जीत हुई है।

नीतीश कुमार बीजेपी से असहमत, विशेष राज्य का मुद्दा उठाया

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और केंद्र की मोदी सरकार के बीच दूरियां लगातार बढ़ती जा रही है। खबर है कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिलने से नीतीश कुमार नाराज हैं।

हाल ही में उन्होने नोटबंदी के विरोध में बयान दिया था अब खबर आ रही है कि 'एक देश, एक चुनाव' के आइडिया पर भी असहमत हैं। उन्होंने केंद्र सरकार के चार साल पूरे होने पर नाराजगी भरा ट्वीट भी किया है।

खबर है कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग के लिए जनता दल यूनाइटेड आंदोलन की रूपरेखा तैयार कर रही है। इस मुद्दे पर राम विलास पासवान और उपेंद्र कुशवाहा नीतीश के साथ हैं। नीतीश कुमार चाहते हैं कि मोदी सरकार डबल इंजन के वादे को निभाए। विशेष राज्य का दर्जा एक बड़ा मुद्दा है। नीतीश अब इस पर जोर दे रहे हैं। हर मंच से नीतीश और उनकी पार्टी के नेता इस मुद्दे को उठा रहे हैं।

बैंकों के रवैये पर नीतीश शुरू से उंगली उठाते आए हैं। बिहार में क्रेडिट-डिपोजिट अनुपात महज 38 फीसदी है।

नीतीश बार-बार नाराजगी जताते आए हैं कि बैंक बिहार में लोन क्यों नहीं देना चाहते। उन्होंने यहां तक आरोप लगाया है कि बिहार के लोगों के जमा पैसे का इस्तेमाल दूसरे राज्यों में लोन देने के लिए हो रहा है।

बिहार के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष का जदयू से इस्तीफा : कहा, जदयू में भगदड़ की स्थिति पैदा हो गई है

बिहार की सियासी गरियारे से बड़ी खबर है। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और जदयू के बड़े नेता उदय नारायण चौधरी ने जदयू को अलविदा कह दिया है। पटना में बुधवार को साफ-साफ कह दिया कि आज से उनका जदयू से कोई वास्ता नहीं। इस दौरान उदय नारायण ने जदयू पर आरोप लगाया कि अब पार्टी में दलितों के साथ सही व्यवहार नहीं किया जा रहा है। यही वजह है कि उदय नारायण चौधरी ने इस्तीफा दे दिया है।

उन्होंने कहा कि बिहार सरकार धनकुबेरों को आगे बढ़ाने का काम कर रही है। दलितों के साथ अत्याचार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मैंने 20 साल तक पार्टी को सींचने का काम किया। लेकिन मेरे साथ ऐसा व्यवहार हुआ। इसके साथ ही, उन्होंने कहा कि मैं अब जदयू में नहीं हूँ। लेकिन आगे का रास्ता क्या होगा, वक्त बताएगा। उन्होंने कहा कि जदयू में भगदड़ की स्थिति पैदा हो गई है। कई लोग मेरे संपर्क में हैं।

इसके साथ ही, उन्होंने राजद में जाने के सवाल पर कहा कि अब मैं जदयू और बीजेपी के कब्जे से बाहर हूँ। रास्ता खुला है। मैं उन सबके साथ हूँ जो इनके खिलाफ हैं।

जाहिर है कि उदय नारायण चौधरी के इस बयान ने राजनैतिक गलियारे की गर्मी बढ़ा दी है। कयास लगाए जा रहे हैं कि अब जल्द ही वो लालू प्रसाद की पार्टी राजद में शामिल होंगे।

आपको बता दें कि उदय नारायण चौधरी लंबे समय से जदयू में रहते हुए पार्टी के कामों का विरोध कर रहे थे।  कई बार उन्होंने पार्टी के खिलाफ बोलने का काम किया। इतना ही नहीं, कई बार लालू प्रसाद के सपोर्ट में देखने को मिले। नरेंद्र मोदी तक को कोसते रहे। अब उन्होंने इन सब के बीच जदयू से अपना रिश्ता तोड़ लिया है।

गौरतलब है कि उदय नारायण चौधरी के पार्टी छोड़ने पर फिलहाल जदयू की ओर से कोई बयान नहीं आया है, लेकिन जिस तरह से उनका विरोध देखने को मिल रहा है। माना जा रहा है कि जदयू उनके पार्टी छोड़ने को काफी गंभीरता से लेने वाला है। इससे पहले हम के मुखिया जीतनराम मांझी भी एनडीए का साथ छोड़ महागठबंधन में सामिल हुए थे। अब उदय नारायण चौधरी के इस बड़े फैसले ने राजनैतिक गलियारे में हलचल बढ़ा दी है।

आईबीटीएन मीडिया नेटवर्क के लिए दिनेश गुप्ता की रिपोर्ट।