अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध

संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने कहा, हमारी दुनिया संकट में है और दुनिया की व्यवस्था लाचार हो गई है

संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में मंगलवार, 20 सितम्बर, 2022 को संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि हमारी दुनिया संकट में है और दुनिया की व्यवस्था लाचार हो गई है।

सहयोग और संवाद ही आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता है। कोई भी शक्ति या समूह अकेले किसी बड़ी वैश्विक चुनौती का हल नहीं खोज सकती। हमें दुनिया की एकजुटता की ज़रूरत है।

गुटेरेस ने महासभा को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय हमारे युग की नाटकीय चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार या इच्छुक नहीं है।

''यूएन चार्टर और इसके द्वारा प्रस्तुत आदर्श खतरे में हैं। कार्रवाई करना हमारा कर्तव्य है। हमें अंतरराष्ट्रीय कानून और मानवाधिकारों के संरक्षण के संबंध में हर जगह ठोस कार्रवाई करने की ज़रूरत है।''

गुटेरेस ने सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म्स पर नफ़रत और नकारात्मकता फैलाने का भी आरोप लगाया।

दुनियाभर के 193 देशों के नेता न्यूयॉर्क में आयोजित संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में हिस्सा लेने पहुंचे हैं। लेकिन चीन और रूस के राष्ट्रपति इस बार बैठक में हिस्सा नहीं ले रहे हैं।

भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर भी न्यूयॉर्क पहुंच चुके हैं।

महासभा के एजेंडे में इस बार जलवायु संकट से लेकर शिक्षा व्यवस्था में बदलाव जैसे अहम मुद्दे शामिल हैं।

शंघाई सहयोग संगठन में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने क्या कहा?

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) में अपने भाषण में कोरोना महामारी और यूक्रेन संकट की वजह से उपजे आर्थिक और खाद्य आपूर्ति संकट की चर्चा की। उन्होंने इससे निपटने के उपाय भी बताए।

प्रधानमंत्री मोदी इस सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए गुरुवार, 15 सितम्बर, 2022 की रात समरकंद पहुंचे थे। शुक्रवार, 16 सितम्बर, 2022 को वे सम्मेलन में शामिल हुए और अन्य नेताओं के साथ एक तस्वीर ट्वीट की।

आठ नेताओं की इस तस्वीर में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सबसे दाहिनी ओर और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ सबसे बाईं ओर खड़े दिखे।

एससीओ के प्रभावी नेतृत्व के लिए नरेंद्र मोदी ने उज़्बेकिस्तान के राष्ट्रपति शौकत मिर्जियोयेव का शुक्रिया अदा किया।

मोदी ने कहा कि आज पूरा विश्व महामारी के बाद आर्थिक संकट से उबरने की कोशिश कर रहा है।

एससीओ के सदस्य देश वैश्विक जीडीपी में लगभग 30 प्रतिशत का योगदान देते हैं। वहीं, विश्व की 40 प्रतिशत जनसंख्या इन देशों में निवास करती हैं। इसलिए इन संकटों से निपटने में एससीओ देशों की भूमिका अहम है।

मोदी ने कहा कि इस वर्ष भारत की अर्थव्यवस्था में 7.5 प्रतिशत वृद्धि की आशा है, जो विश्व की बड़ी इकोनॉमी में सबसे अधिक होगी।

मोदी ने कहा कि भारत प्रत्येक सेक्टर में इनोवेशन का समर्थन कर रहा है और आज देश में 70 हज़ार से अधिक स्टार्टअप्स हैं, जिनमें से 100 से अधिक यूनिकॉर्न (बिलियन डॉलर की कंपनी) हैं।

उन्होंने कहा कि ये अनुभव कई एससीओ सदस्यों के भी काम आ सकता है। इस उद्देश्य के लिए वे 'स्पेशल वर्किंग ग्रुप ऑन स्टार्टअप्स एंड इनोवेशन' की स्थापना करके एससीओ देशों के साथ अनुभव साझा करने को तैयार हैं।

मोटे अनाज की खेती पर जोर

उन्होंने कहा कि विश्व आज खाद्य सुरक्षा के संकट का सामना कर रहा है। इस समस्या का संभावित समाधान है- मोटे अनाज की खेती और उपभोग को बढ़ावा देना।

यह एक ऐसा सुपरफूड है, जो न सिर्फ़ एससीओ देशों में बल्कि विश्व के कई भागों में हजारों सालों से उगाया जाता है।

उन्होंने कहा कि 2023 को 'यूएन इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलेट्स' के रूप में मनाया जाएगा। इसे बढ़ावा देने के लिए एससीओ के अंतर्गत 'मिलेट्स फूड फेस्टिवल' के आयोजन पर विचार किया जाना चाहिए।

नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज भारत विश्व के 'मेडिकल एंड वेलनेस टूरिज़्म' के लिए सबसे किफ़ायती जगहों में से एक है।

उन्होंने कहा कि एससीओ देशों के बीच ट्रेडिशनल मेडिसिन पर सहयोग बढ़ाना चाहिए और भारत इसके लिए नए 'एससीओ वर्किंग ग्रुप ऑन ट्रेडिशनल मेडिसिन' की पहल करेगा।

मोदी ने और क्या कहा?

भारत एससीओ सदस्य देशों के बीच अधिक सहयोग और आपसी विश्वास का समर्थन करता है।

महामारी और यूक्रेन संकट से ग्लोबल सप्लाई चेन में कई बाधाएं पैदा हुईं, जिसकी वजह से पूरा विश्व ऊर्जा और खाद्य संकट का सामना कर रहा है।

एससीओ को इसके लिए विश्वस्त, लचीला और विविध चेन विकसित करने के प्रयास करने चाहिए। कनेक्टिविटी के साथ यह भी महत्वपूर्ण है कि एक-दूसरे को ट्रांजिट का पूरा अधिकार दें।

उन्होंने कहा कि भारत को एक 'मैन्यूफैक्चरिंग हब' बनाने की दिशा में प्रगति हो रही है।

भारत ने पाकिस्तान को एफ-16 के लिए पैकेज देने के अमेरिकी फ़ैसले पर चिंता जताई

भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान को एफ-16 लड़ाकू विमान के लिए आर्थिक पैकेज देने के अमेरिकी फ़ैसले पर भारत की ओर से चिंता जताई है।

राजनाथ सिंह ने अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन के साथ टेलीफ़ोन पर हुई बातचीत के बाद ट्वीट में लिखा, "मैंने पाकिस्तान के एफ-16 बेड़े के लिए पैकेज दिए जाने के हाल के अमेरिकी फ़ैसले पर भारत की चिंता जताई। भारत-अमेरिका साझेदारी को और मज़बूत बनाने के लिए रक्षा मंत्री ऑस्टिन के साथ बातचीत जारी रखने के लिए तत्पर हैं।''

इससे पहले, मंगलवार, 13 सितंबर, 2022 को अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने बाइडन सरकार के इस फ़ैसले का बचाव करते हुए कहा कि पाकिस्तान आतंकवाद के ख़िलाफ़ जंग में अमेरिका का एक महत्वपूर्ण साझेदार है।

नेड प्राइस ने कहा, "इस सहायता से पाकिस्तान को एफ-16 बेड़े की मरम्मत के लिए मदद मिलेगी, जिससे वह आतंकवाद के ख़तरों से निपट सकेगा।''

बाइडन प्रशासन ने आठ सितंबर, 2022 को पाकिस्तान को एफ-16 विमानों के लिए 45 करोड़ डॉलर की मदद देने की मंज़ूरी दी थी। पिछले चार सालों में वाशिंगटन की ओर से इस्लामाबाद को दी गई यह पहली बड़ी सुरक्षा सहायता है।

अर्मेनिया-अज़रबैजान संघर्ष: भारत ने सीमा पर जारी भीषण संघर्ष को रोकने की अपील की

अर्मेनिया-अज़रबैजान की सीमा पर जारी भीषण संघर्ष के बीच भारतीय विदेश मंत्रालय ने दोनों ही पक्षों से इसे तुरंत रोकने की अपील की है।

भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने आधिकारिक बयान जारी करके कहा, ''हमने 12 से 13 सितंबर के बीच नागरिकों की बस्तियों और बुनियादी ढांचे को निशाना बनाने सहित अर्मेनिया-अजऱबैजान सीमा पर हमलों की रिपोर्ट देखी है। हम आक्रामक पक्ष से इन हमलों को तुरंत रोकने की अपील करते हैं।''

"हमारा मानना ​​है कि द्विपक्षीय विवादों का हल कूटनीति और बातचीत के ज़रिए निकाला जाना चाहिए। किसी भी संघर्ष का कोई सैन्य समाधान नहीं हो सकता। हम दोनों पक्षों को एक स्थायी और शांतिपूर्ण समाधान पर पहुंचने के लिए बातचीत करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।''

मामला क्या है?

अर्मेनिया और अज़रबैज़ान के बीच एक बार फिर से भीषण संघर्ष शुरू हो गया है। अर्मेनिया के प्रधानमंत्री निकोल पेशिनियान का कहना है कि बीते दो दिनों में अज़रबैज़ान के साथ लड़ाई में 49 सैनिकों की मौत हो गई है।

अर्मेनिया के रक्षा मंत्रालय ने अज़रबैज़ान पर सेना के ठिकानों और रिहाइशी इलाकों को निशाना बनाने का आरोप लगाया है। अर्मेनिया के रक्षा मंत्रालय का कहना है कि अज़रबैज़ान के सैनिक अर्मेनिया में घुसने की कोशिश कर रहे हैं।

वहीं अज़रबैज़ान ने इन दावों का खंडन किया है। अज़रबैज़ान का कहना है कि उसकी कार्रवाई अर्मेनिया की विध्वंसकारी गतिविधियों के जबाव में है।

कब-कब झड़पें हुई?

साल 2020 में भी दोनों ही पक्षों के बीच हुए खूनी संघर्ष में हज़ारों लोगों की जान गई थी लेकिन,अंतरराष्ट्रीय प्रयासों के चलतें ये झड़पें गंभीर रूप नहीं ले सकीं।

स्थानीय स्तर पर इलाक़े की सीमा पर दोनों पक्षों के बीच लगातार झड़पें होती रही हैं। अप्रैल 2016 में हुई झड़प सबसे गंभीर थी। इसमें दोनों तरफ़ के कई सैनिक मारे गए थे।

यूक्रेन के विदेश मंत्री ने युद्ध के बीच जर्मनी से पर्याप्त सहयोग न मिलने पर नाराज़गी ज़ाहिर की

यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा ने युद्ध के बीच जर्मनी से पर्याप्त सहयोग न मिलने पर नाराज़गी ज़ाहिर की है।

दिमित्रो कुलेबा ने ट्वीट कर जर्मनी से कई सवाल किए हैं।

अपने ट्वीट में कुलेबा लिखते हैं, ''लोगों को आज़ाद करने और नरसंहार से बचाने के लिए जहां यूक्रेन को अब लियोपार्ड और मार्टर्स (जर्मनी के ख़ास टैंक) की ज़रूरत है, तो जर्मनी से निराशाजनक संकेत मिल रहे हैं। इन हथियारों की आपूर्ति क्यों नहीं की जा सकती, इस पर एक भी तर्कसंगत तर्क नहीं, केवल बेफज़ूल के भय और बहाने। बर्लिन किस बात से डरता है जिससे कीएव को डर नहीं?''

यूक्रेन रूस के ख़िलाफ़ अपने अभियान में तेज़ी लाने के लिए पश्चिमी देशों से हथियारों की डिलीवरी में तेज़ी लाने की अपील कर रहा है।

सोमवार, 12 सितम्बर, 2022 की देर रात एक वीडियो संबोधन में, यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ने कहा कि पश्चिम को हथियार प्रणालियों की डिलीवरी में तेज़ी लानी चाहिए। उन्होंने यूक्रेन के सहयोगियों से ''रूसी आतंकवाद को हराने के लिए अपने सहयोग को और मज़बूत करने'' की अपील की।

यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की का कहना है कि रूसी सेना के ख़िलाफ़ यूक्रेनी सेना की जवाबी कार्रवाई जारी है। यूक्रेनी बलों ने रूस के कब्ज़े वाले दूसरे और ठिकानों को दोबारा ज़ब्त कर लिया है।

राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ने दावा किया कि सितंबर 2022 में पूर्वी और दक्षिणी यूक्रेन में रूसी नियंत्रण से 6,000 वर्ग किमी (2,317 वर्ग मील) से अधिक क्षेत्र वापस ले लिया गया है। हालांकि अंतर्राष्ट्रीय मीडिया ऑउटलेट बीबीसी ने इन आंकड़ों की पुष्टि करने से मना कर दिया है।

यूक्रेन के ख़ारकीएव शहर में बिजली और पानी की सप्लाई बंद

यूक्रेन के ख़ारकीएव शहर के मेयर का कहना है कि महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे पर रूसी हमलों के कारण शहर में बिजली और पानी की आपूर्ति फिर से बंद कर दी गई है।

इससे पहले रविवार, 11 सितम्बर, 2022 को हुई गोलीबारी से एक बिजली संयंत्र को नुकसान पहुंचा था।

जिसके बाद यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ने कहा था कि रूस बिजली कटौती करके यूक्रेन के ''लोगों को रोशनी और गर्मी'' से वंचित रखना चाहता है। रूस ये सबकुछ यूक्रेन के जवाबी हमलों का बदला लेने के लिए कर रहा है।

यूक्रेनी सेना ख़ारकीएव क्षेत्र में अपनी ज़मीन बचाने के लिए रूसी सेना के ख़िलाफ़ लड़ रही है। हाल के दिनों में यूक्रेनी सेना ने रूसी कब़्जे वाले कई इलाकों को फिर से अपने अधिकार में ले लिया है।

ताज़ा मिली जानकारी के अनुसार, यूक्रेन ने दावा किया है कि उसकी सेना ने 20 और गांवों पर वापस अपना कब्ज़ा जमा लिया है।

वहीं रूसी सेना का कहना है कि इज़्यूम और कुपियांस्क शहर उसके निशाने पर हैं। पिछले हफ़्ते तक इन क्षेत्रों पर रूस का कब्ज़ा था।

रूस ने कहा है कि यूक्रेन के ख़िलाफ़ उसका युद्ध तब तक जारी रहेगा जब तक कि वह अपने उद्देश्यों को पूरा नहीं कर लेता।

सऊदी अरब में भारतीय विदेश मंत्री ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के बारे में क्या कहा?

भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सऊदी अरब में कहा है कि भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता मिलनी चाहिए।

भारतीय विदेश मंत्री ने कहा कि बदलती वैश्विक परिस्थिति में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बदलाव होना चाहिए। एस जयशंकर ने कहा कि यह बदलाव अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की प्रासंगिकता के लिए ज़रूरी है।

एस जयशंकर शनिवार, 10 सितम्बर, 2022 को सऊदी अरब के तीन दिवसीय दौरे पर गए थे। भारतीय विदेश मंत्री का यह पहला सऊदी अरब दौरा है।

भारत सालों से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की मांग कर रहा है। जयशंकर ने कहा कि अब समय आ गया है कि भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता मिले। भारतीय विदेश मंत्री ने कहा कि अभी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की जो संरचना है, वह 21वीं सदी की भूराजनैतिक वास्तविकता को नहीं दर्शाता है।

भारतीय विदेश मंत्री ने कहा कि वैश्विक स्तर पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार को लेकर व्यापक सहमति है। एस जयशंकर ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का विस्तार केवल भारत के पक्ष में नहीं है बल्कि उनके लिए भी ठीक है, जो प्रतिनिधित्व से अब तक महरूम हैं।

सऊदी गजट को दिए इंटरव्यू में एस जयशंकर ने कहा, ''भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। दुनिया की पाँचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। तकनीक का हब है। इसके अलावा पारंपरिक रूप में वैश्विक मामलों में भारत सक्रिय रहा है। ये सारी चीज़ें भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्य के लिए योग्य बनाती हैं।''

एस जयशंकर ने रविवार, 11 सितम्बर, 2022 को सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से भी मुलाक़ात की थी। एस जयशंकर ने कहा कि उन्होंने क्राउन प्रिंस को पीएम मोदी का एक लिखा संदेश सौंपा है। एस जयशंकर ने कहा कि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंध को मज़बूत करने के लिए कई स्तरों पर बात हुई है।

वैश्विक अर्थव्यवस्था में सऊदी अरब एक अहम खिलाड़ी है। ऐसा इसलिए नहीं कि सऊदी अरब की वैश्विक अर्थव्यवस्था में प्रभावी आँकड़ा है बल्कि वैश्विक ऊर्जा बाज़ार में भी सऊदी अरब का दबदबा है। जयशंकर ने कहा कि सऊदी अरब भारत का अहम साझेदार है। अप्रैल 2021 से मार्च 2022 में दोनों देशों के बीच 42.86 अरब डॉलर का कारोबार हुआ था।

एस जयशंकर ने कहा, ''दोनों देशों के बीच ऊर्जा अहम क्षेत्र है। इसके अलावा दोनों देश अक्षय ऊर्जा को लेकर भी काम कर रहे हैं। सऊदी अरब के विजन 2030 को लेकर भी दोनों देश आपस में सहयोग कर रहे हैं।''

अमेरिकी बयान के बाद चीन के विदेश मंत्री ने कहा, ताइवान चीन का प्रांत है

चीन ने अमेरिका के उस बयान पर सख़्त आपत्ति की है जिसमें कहा गया था कि वो ताइवान के डिफ़ेंस को ध्यान में रखते हुए हथियारों की सप्लाई कर रहा है।

चीन के विदेश मंत्री ने बुधवार, 7 सितम्बर, 2022 को कहा, ''ताइवान चीन का प्रांत है। डिफ़ेंस से अमेरिका का क्या मतलब?''

वन चाइना पॉलिसी के तहत चीन ताइवान को अपना अभिन्न अंग मानता है और चीन नहीं चाहता कि अंतररारष्ट्रीय स्तर पर कोई देश ताइवान को किसी स्वतंत्र राष्ट्र के रुप में मान्यता दे।

हाल ही में अमेरिकी कांग्रेस की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी ने ताइवान का दौरा किया था जिसपर चीन ने सख़्त आपत्ति दर्ज करते हुए कहा था कि अमेरिका को इसका खमियाजा भुगतना होगा।

अमेरिका के बाद अब बहुत से यूरोपीय देश खुलकर ताइवान के पक्ष में बोलने लगे हैं।

रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद कुछ देशों में ये डर है कि कहीं चीन भी ताइवान के साथ ऐसा कुछ न कर दे।

पुतिन ने कहा, रूस को अलग-थलग करना असंभव है

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन में युद्ध के कारण पश्चिमी देशों की पाबंदियों की आलोचना की है। उन्होंने इन पाबंदियों को ऐसा बुखार कहा है, जिससे पूरी दुनिया के सामने ख़तरा पैदा कर दिया है। व्लादिवोस्तोक में आर्थिक फ़ोरम की एक बैठक के दौरान अपने भाषण में पुतिन ने इसे रूस पर पश्चिमी देशों का आर्थिक हमला कहा है।

उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि पाबंदियों के कारण यूरोपीय लोगों के जीवन की गुणवत्ता का बलिदान किया जा रहा है, जबकि अधिक ग़रीब देश के सामने खाद्यान्न संकट पैदा हो गया है।

यूक्रेन के अनाज का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यूरोप ग़रीब देशों को इस बहाने धोखा दे रहा है। यूक्रेन युद्ध के कारण कई महीनों तक वहाँ के बंदरगाह को रूसी सैनिकों ने बंद कर रखा था।

पुतिन का कहना है कि अगस्त, 2022 में निर्यात शुरू होने के बाद से ये कहना ग़लत है कि अनाज के सिर्फ़ दो जहाज़ ही अफ़्रीका गए हैं। रूस ने 24 फ़रवरी, 2022 को यूक्रेन पर हमला किया था। फ़िलहाल उसका यूक्रेन के कई इलाक़ों पर नियंत्रण भी है।

छह महीने बाद यूक्रेन की राजधानी कीएव के आसपास के इलाक़ों और यूक्रेन के उत्तरी हिस्से से रूसी सेना को पीछे हटना पड़ा है, जबकि रूसी सैनिकों को दक्षिणी और पूर्वी हिस्से से यूक्रेन की जवाबी कार्रवाई का भी सामना करना पड़ रहा है।

यूक्रेन पर हमले के कारण रूस पर पश्चिमी देशों ने कई तरह की पाबंदियाँ लगाई हैं। जवाब में रूस से यूरोप को गैस की सप्लाई पर भी असर पड़ा है। रूस के राष्ट्रपति पुतिन का कहना है कि रूस को अलग-थलग करना असंभव है।

पुतिन ने यूरोपीय देशों के रूस की गैस पर क़ीमतों की सीमा तय करने के प्रस्ताव की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा किया गया, तो रूस इन देशों को तेल और गैस की सप्लाई रोक देगा।

भारत ने बांग्लादेश के साथ कुशियारा नदी से जल बंटवारे पर समझौता किया

बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख़ हसीना भारत के दौरे पर आईं हुई हैं। दिल्ली के हैदराबाद हाउस में बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख़ हसीना के साथ भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐलान किया कि दोनों देशों के बीच कुशियारा नदी के जल के बंटवारे पर एक समझौता हुआ है।

पीएम मोदी ने इसका ऐलान करते हुए कहा, ''आज हमने कुशियारा नदी से जल बंटवारे पर एक महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इससे भारत में दक्षिणी असम और बांग्लादेश में सिलहट क्षेत्र को लाभ होगा।''

हालांकि दोनों देशों के बीच तीस्ता नदी के जल को बांटने पर लेकर कोई बयान नहीं आया है। पश्चिम बंगाल सरकार की आपत्तियों के कारण तीस्ता नदी पर दोनों देशों के बीच कोई अंतिम समझौते नहीं हो पा रहा है।

हैदराबाद हाउस में पीएम मोदी ने कहा, ''ऐसी 54 नदियाँ हैं जो भारत-बांग्लादेश सीमा से गुज़रती हैं, और सदियों से दोनों देशों के लोगों की आजीविका से जुड़ी रही हैं।''

इसके अलावा प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि दोनों देशों के बीच आतंकवाद और कट्टरवाद के खिलाफ सहयोग पर भी चर्चा हुई है।