अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध

यूक्रेन के विदेश मंत्री ने युद्ध के बीच जर्मनी से पर्याप्त सहयोग न मिलने पर नाराज़गी ज़ाहिर की

यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा ने युद्ध के बीच जर्मनी से पर्याप्त सहयोग न मिलने पर नाराज़गी ज़ाहिर की है।

दिमित्रो कुलेबा ने ट्वीट कर जर्मनी से कई सवाल किए हैं।

अपने ट्वीट में कुलेबा लिखते हैं, ''लोगों को आज़ाद करने और नरसंहार से बचाने के लिए जहां यूक्रेन को अब लियोपार्ड और मार्टर्स (जर्मनी के ख़ास टैंक) की ज़रूरत है, तो जर्मनी से निराशाजनक संकेत मिल रहे हैं। इन हथियारों की आपूर्ति क्यों नहीं की जा सकती, इस पर एक भी तर्कसंगत तर्क नहीं, केवल बेफज़ूल के भय और बहाने। बर्लिन किस बात से डरता है जिससे कीएव को डर नहीं?''

यूक्रेन रूस के ख़िलाफ़ अपने अभियान में तेज़ी लाने के लिए पश्चिमी देशों से हथियारों की डिलीवरी में तेज़ी लाने की अपील कर रहा है।

सोमवार, 12 सितम्बर, 2022 की देर रात एक वीडियो संबोधन में, यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ने कहा कि पश्चिम को हथियार प्रणालियों की डिलीवरी में तेज़ी लानी चाहिए। उन्होंने यूक्रेन के सहयोगियों से ''रूसी आतंकवाद को हराने के लिए अपने सहयोग को और मज़बूत करने'' की अपील की।

यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की का कहना है कि रूसी सेना के ख़िलाफ़ यूक्रेनी सेना की जवाबी कार्रवाई जारी है। यूक्रेनी बलों ने रूस के कब्ज़े वाले दूसरे और ठिकानों को दोबारा ज़ब्त कर लिया है।

राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ने दावा किया कि सितंबर 2022 में पूर्वी और दक्षिणी यूक्रेन में रूसी नियंत्रण से 6,000 वर्ग किमी (2,317 वर्ग मील) से अधिक क्षेत्र वापस ले लिया गया है। हालांकि अंतर्राष्ट्रीय मीडिया ऑउटलेट बीबीसी ने इन आंकड़ों की पुष्टि करने से मना कर दिया है।

यूक्रेन के ख़ारकीएव शहर में बिजली और पानी की सप्लाई बंद

यूक्रेन के ख़ारकीएव शहर के मेयर का कहना है कि महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे पर रूसी हमलों के कारण शहर में बिजली और पानी की आपूर्ति फिर से बंद कर दी गई है।

इससे पहले रविवार, 11 सितम्बर, 2022 को हुई गोलीबारी से एक बिजली संयंत्र को नुकसान पहुंचा था।

जिसके बाद यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ने कहा था कि रूस बिजली कटौती करके यूक्रेन के ''लोगों को रोशनी और गर्मी'' से वंचित रखना चाहता है। रूस ये सबकुछ यूक्रेन के जवाबी हमलों का बदला लेने के लिए कर रहा है।

यूक्रेनी सेना ख़ारकीएव क्षेत्र में अपनी ज़मीन बचाने के लिए रूसी सेना के ख़िलाफ़ लड़ रही है। हाल के दिनों में यूक्रेनी सेना ने रूसी कब़्जे वाले कई इलाकों को फिर से अपने अधिकार में ले लिया है।

ताज़ा मिली जानकारी के अनुसार, यूक्रेन ने दावा किया है कि उसकी सेना ने 20 और गांवों पर वापस अपना कब्ज़ा जमा लिया है।

वहीं रूसी सेना का कहना है कि इज़्यूम और कुपियांस्क शहर उसके निशाने पर हैं। पिछले हफ़्ते तक इन क्षेत्रों पर रूस का कब्ज़ा था।

रूस ने कहा है कि यूक्रेन के ख़िलाफ़ उसका युद्ध तब तक जारी रहेगा जब तक कि वह अपने उद्देश्यों को पूरा नहीं कर लेता।

सऊदी अरब में भारतीय विदेश मंत्री ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के बारे में क्या कहा?

भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सऊदी अरब में कहा है कि भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता मिलनी चाहिए।

भारतीय विदेश मंत्री ने कहा कि बदलती वैश्विक परिस्थिति में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बदलाव होना चाहिए। एस जयशंकर ने कहा कि यह बदलाव अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की प्रासंगिकता के लिए ज़रूरी है।

एस जयशंकर शनिवार, 10 सितम्बर, 2022 को सऊदी अरब के तीन दिवसीय दौरे पर गए थे। भारतीय विदेश मंत्री का यह पहला सऊदी अरब दौरा है।

भारत सालों से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की मांग कर रहा है। जयशंकर ने कहा कि अब समय आ गया है कि भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता मिले। भारतीय विदेश मंत्री ने कहा कि अभी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की जो संरचना है, वह 21वीं सदी की भूराजनैतिक वास्तविकता को नहीं दर्शाता है।

भारतीय विदेश मंत्री ने कहा कि वैश्विक स्तर पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार को लेकर व्यापक सहमति है। एस जयशंकर ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का विस्तार केवल भारत के पक्ष में नहीं है बल्कि उनके लिए भी ठीक है, जो प्रतिनिधित्व से अब तक महरूम हैं।

सऊदी गजट को दिए इंटरव्यू में एस जयशंकर ने कहा, ''भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। दुनिया की पाँचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। तकनीक का हब है। इसके अलावा पारंपरिक रूप में वैश्विक मामलों में भारत सक्रिय रहा है। ये सारी चीज़ें भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्य के लिए योग्य बनाती हैं।''

एस जयशंकर ने रविवार, 11 सितम्बर, 2022 को सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से भी मुलाक़ात की थी। एस जयशंकर ने कहा कि उन्होंने क्राउन प्रिंस को पीएम मोदी का एक लिखा संदेश सौंपा है। एस जयशंकर ने कहा कि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंध को मज़बूत करने के लिए कई स्तरों पर बात हुई है।

वैश्विक अर्थव्यवस्था में सऊदी अरब एक अहम खिलाड़ी है। ऐसा इसलिए नहीं कि सऊदी अरब की वैश्विक अर्थव्यवस्था में प्रभावी आँकड़ा है बल्कि वैश्विक ऊर्जा बाज़ार में भी सऊदी अरब का दबदबा है। जयशंकर ने कहा कि सऊदी अरब भारत का अहम साझेदार है। अप्रैल 2021 से मार्च 2022 में दोनों देशों के बीच 42.86 अरब डॉलर का कारोबार हुआ था।

एस जयशंकर ने कहा, ''दोनों देशों के बीच ऊर्जा अहम क्षेत्र है। इसके अलावा दोनों देश अक्षय ऊर्जा को लेकर भी काम कर रहे हैं। सऊदी अरब के विजन 2030 को लेकर भी दोनों देश आपस में सहयोग कर रहे हैं।''

अमेरिकी बयान के बाद चीन के विदेश मंत्री ने कहा, ताइवान चीन का प्रांत है

चीन ने अमेरिका के उस बयान पर सख़्त आपत्ति की है जिसमें कहा गया था कि वो ताइवान के डिफ़ेंस को ध्यान में रखते हुए हथियारों की सप्लाई कर रहा है।

चीन के विदेश मंत्री ने बुधवार, 7 सितम्बर, 2022 को कहा, ''ताइवान चीन का प्रांत है। डिफ़ेंस से अमेरिका का क्या मतलब?''

वन चाइना पॉलिसी के तहत चीन ताइवान को अपना अभिन्न अंग मानता है और चीन नहीं चाहता कि अंतररारष्ट्रीय स्तर पर कोई देश ताइवान को किसी स्वतंत्र राष्ट्र के रुप में मान्यता दे।

हाल ही में अमेरिकी कांग्रेस की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी ने ताइवान का दौरा किया था जिसपर चीन ने सख़्त आपत्ति दर्ज करते हुए कहा था कि अमेरिका को इसका खमियाजा भुगतना होगा।

अमेरिका के बाद अब बहुत से यूरोपीय देश खुलकर ताइवान के पक्ष में बोलने लगे हैं।

रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद कुछ देशों में ये डर है कि कहीं चीन भी ताइवान के साथ ऐसा कुछ न कर दे।

पुतिन ने कहा, रूस को अलग-थलग करना असंभव है

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन में युद्ध के कारण पश्चिमी देशों की पाबंदियों की आलोचना की है। उन्होंने इन पाबंदियों को ऐसा बुखार कहा है, जिससे पूरी दुनिया के सामने ख़तरा पैदा कर दिया है। व्लादिवोस्तोक में आर्थिक फ़ोरम की एक बैठक के दौरान अपने भाषण में पुतिन ने इसे रूस पर पश्चिमी देशों का आर्थिक हमला कहा है।

उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि पाबंदियों के कारण यूरोपीय लोगों के जीवन की गुणवत्ता का बलिदान किया जा रहा है, जबकि अधिक ग़रीब देश के सामने खाद्यान्न संकट पैदा हो गया है।

यूक्रेन के अनाज का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यूरोप ग़रीब देशों को इस बहाने धोखा दे रहा है। यूक्रेन युद्ध के कारण कई महीनों तक वहाँ के बंदरगाह को रूसी सैनिकों ने बंद कर रखा था।

पुतिन का कहना है कि अगस्त, 2022 में निर्यात शुरू होने के बाद से ये कहना ग़लत है कि अनाज के सिर्फ़ दो जहाज़ ही अफ़्रीका गए हैं। रूस ने 24 फ़रवरी, 2022 को यूक्रेन पर हमला किया था। फ़िलहाल उसका यूक्रेन के कई इलाक़ों पर नियंत्रण भी है।

छह महीने बाद यूक्रेन की राजधानी कीएव के आसपास के इलाक़ों और यूक्रेन के उत्तरी हिस्से से रूसी सेना को पीछे हटना पड़ा है, जबकि रूसी सैनिकों को दक्षिणी और पूर्वी हिस्से से यूक्रेन की जवाबी कार्रवाई का भी सामना करना पड़ रहा है।

यूक्रेन पर हमले के कारण रूस पर पश्चिमी देशों ने कई तरह की पाबंदियाँ लगाई हैं। जवाब में रूस से यूरोप को गैस की सप्लाई पर भी असर पड़ा है। रूस के राष्ट्रपति पुतिन का कहना है कि रूस को अलग-थलग करना असंभव है।

पुतिन ने यूरोपीय देशों के रूस की गैस पर क़ीमतों की सीमा तय करने के प्रस्ताव की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा किया गया, तो रूस इन देशों को तेल और गैस की सप्लाई रोक देगा।

भारत ने बांग्लादेश के साथ कुशियारा नदी से जल बंटवारे पर समझौता किया

बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख़ हसीना भारत के दौरे पर आईं हुई हैं। दिल्ली के हैदराबाद हाउस में बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख़ हसीना के साथ भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐलान किया कि दोनों देशों के बीच कुशियारा नदी के जल के बंटवारे पर एक समझौता हुआ है।

पीएम मोदी ने इसका ऐलान करते हुए कहा, ''आज हमने कुशियारा नदी से जल बंटवारे पर एक महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इससे भारत में दक्षिणी असम और बांग्लादेश में सिलहट क्षेत्र को लाभ होगा।''

हालांकि दोनों देशों के बीच तीस्ता नदी के जल को बांटने पर लेकर कोई बयान नहीं आया है। पश्चिम बंगाल सरकार की आपत्तियों के कारण तीस्ता नदी पर दोनों देशों के बीच कोई अंतिम समझौते नहीं हो पा रहा है।

हैदराबाद हाउस में पीएम मोदी ने कहा, ''ऐसी 54 नदियाँ हैं जो भारत-बांग्लादेश सीमा से गुज़रती हैं, और सदियों से दोनों देशों के लोगों की आजीविका से जुड़ी रही हैं।''

इसके अलावा प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि दोनों देशों के बीच आतंकवाद और कट्टरवाद के खिलाफ सहयोग पर भी चर्चा हुई है।

पुतिन का ऐलान : यूक्रेन छोड़कर रूस आने वाले लोगों को हर महीने पेंशन मिलेगी

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन छोड़कर आने वाले लोगों को वित्तीय लाभ देने के लिए एक योजना शुरू की है।

इस योजना के मुताबिक 18 फरवरी, 2022 के बाद से जिन लोगों को यूक्रेन छोड़ने के लिए मजबूर किया गया, उन्हें 10 हजार रूबल यानी 170 डॉलर प्रति महीना पेंशन दी जाएगी।

डिसेबल लोगों को भी इस पेंशन का हिस्सा बनाया गया है। इसके अलावा गर्भवती महिलाओं को एकमुश्त मदद की जाएगी।

योजना के मुताबिक इसका लाभ यूक्रेन, डोनेत्स्क और लोहांस्क के लोगों को दिया जाएगा। डोनेत्स्क और लोहांस्क को रूस ने फरवरी 2022 में स्वतंत्र राज्य के रूप में मान्यता दी थी।

रूस के इस कदम की यूक्रेन और पश्चिमी देशों ने निंदा करते हुए इसे अवैध बताया है।

18 फरवरी, 2022 को राष्ट्रपति पुतिन ने डोनेत्स्क और लोहांस्क से रूस में आने वाले लोगों को 10 हजार रूबल देने के आदेश दिए थे।

रूस ने यूक्रेन का हवाला देकर परमाणु संधि समझौता नहीं होने दिया

परमाणु निरस्त्रीकरण पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन किसी भी समझौते पर नहीं पहुंच पाया है। रूस ने सम्मेलन के ड्राफ्ट डॉक्यूमेंट पर सवाल उठाते हुए संयुक्त घोषणा को अपनाने से रोक दिया है।

हर पांच साल बाद परमाणु अप्रसार संधि की समीक्षा की जाती है। इसका मकसद परमाणु हथियारों के प्रसार को रोकना है। इस संधि पर 191 देशों ने हस्ताक्षर किए हुए हैं।

परमाणु अप्रसार संधि के तहत इसमें शामिल देशों को अपना परमाणु भंडार कम करने और दूसरे परमाणु हथियार को खरीदने से रोकती है।

रूस ने यूक्रेन के न्यूक्लियर प्लांट, खासकर जपोरिजिया के आसपास सैन्य गतिविधियों पर गंभीर चिंता का हवाला देते हुए ड्राफ्ट डॉक्यूमेंट पर आपत्ति जताई है।

साल 2015 में भी समीक्षा बैठक हुई थी। इसमें भाग लेने वाले भी किसी समझौते पर नहीं पहुंच पाए थे।

परमाणु निरस्त्रीकरण पर संयुक्त राष्ट्र कॉन्फ्रेंस 2015 के बाद साल 2020 में होनी थी, लेकिन कोरोना के चलते इसे 2022 में किया गया।

न्यूयॉर्क में चार हफ्ते चली सम्मेलन में सहमति नहीं बन पाई। ऑस्ट्रेलियाई विदेश मंत्री पेनी वोंग ने समझौता ना होने पर दुख जाहिर किया है।

यूक्रेन के जपोरिजिया न्यूक्लियर प्लांट पर युद्ध शुरू होने के कुछ दिन बाद ही रूस ने कब्जा कर लिया था। सम्मेलन में शामिल सभी देशों की सहमति के बाद ही ड्राफ्ट डॉक्यूमेंट को फाइनल किया जाता है और दस्तावेज का रूप दिया जाता है।

सम्मेलन में सभी देशों के अनुमोदन की आवश्यकता थी। नीदरलैंड और चीन सहित कई देशों ने इस बात पर निराशा व्यक्त की कि कोई सहमति नहीं बन पाई है।

सऊदी अरब पाकिस्तान में एक अरब डॉलर का निवेश करेगा

आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान की मदद के लिए सऊदी अरब ने एकबार फिर हाथ बढ़ाया है। सऊदी अरब पाकिस्तान में एक अरब डॉलर का निवेश करेगा।

सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय की ओर से ट्वीट करके इस बात की जानकारी दी गई है।

सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय की ओर से जारी विज्ञप्ति के मुताबिक़, ''सऊदी अरब के किंग सलमान ने पाकिस्तान में एक अरब डॉलर के निवेश के लिए निर्देश दिए हैं। उन्होंने पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति को सहारा देने के लिए और वहां के लोगों के लिए यह मदद देने का निर्देश दिया है।''

विज्ञप्ति के मुताबिक़, इस बात की जानकारी सऊदी अरब के विदेश मंत्री ने गुरुवार, 25 अगस्त, 2022 को पाकिस्तान के विदेश मंत्री के साथ फ़ोन पर हुई बातचीत के दौरान दी।

सऊदी अरब के विदेश मंत्री प्रिंस फ़ैसल बिन फ़रहान ने गुरुवार, 25 अगस्त, 2022 को पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो से फ़ोन पर बातचीत की।

इस बातचीत के दौरान उन्होंने पाकिस्तान के विदेश मंत्री को किंग सलमान के निर्देश की जानकारी दी। साथ ही दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देने पर भी चर्चा की। दोनों नेताओं के बीच साझा लाभ के क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर भी चर्चा हुई।

पहले भी मदद कर चुका है सऊदी अरब

पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच पाकिस्तान की स्थापना के समय से ही मज़बूत संबंध हैं। 1970 के दशक के बाद से ये संबंध और भी मज़बूत हुए हैं।

पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था जब-जब संकट में आती है, सऊदी अरब उसकी मदद के लिए आगे आता है।

पाकिस्तान में इमरान ख़ान की सरकार गिरने के बाद प्रधानमंत्री बने शहबाज़ शरीफ़ ने अपना पहला विदेशी दौरा सऊदी अरब का ही किया था। इस दौरे के दौरान प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने सऊदी से आठ अरब डॉलर का राहत पैकेज लेने में कामयाबी हासिल की थी।

सऊदी अरब ने पिछले क़र्ज़ समझौते के तहत दिसंबर 2021 में भी पाकिस्तान स्टेट बैंक में तीन अरब डॉलर जमा कराए थे।

इसके अलावा साल 2021 में जब पाकिस्तान मुश्किल आर्थिक संकट में फंसा था, डॉलर के मुक़ाबले उसका रुपया टूट रहा था और विदेशी मुद्रा भंडार ख़त्म हो रहा था तब भी सऊदी अरब ने ही आगे बढ़कर उसकी मदद की थी।

अक्टूबर, 2021 में सऊदी अरब ने पाकिस्तान को 4.2 अरब डॉलर की आर्थिक मदद दी थी। पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान ख़ान के सऊदी दौरे के दौरान इस मदद की घोषणा की गई थी। ये मदद सस्ते क़र्ज़ और उधार तेल के रूप में थी।

ज़वाहिरी की मौत पर तालिबान ने कहा, अभी तक शव नहीं मिला है

तालिबान ने कहा है कि उसे अभी तक अल क़ायदा के पूर्व प्रमुख अल ज़वाहिरी का शव नहीं मिला है। हालाँकि उनकी पड़ताल जारी है।

तालिबान के प्रवक्ता ज़बीहुल्लाह मुजाहिद ने गुरुवार, 25 अगस्त, 2022 को कहा कि तालिबान को अभी तक अल ज़वाहिरी का शव नहीं मिला है।

उन्होंने पत्रकारों से कहा, ''इस मामले में जाँच चल रही है और अभी भी पूरी नहीं हुई है। इस बारे में जो भी जानकारी है वो जाँच पूरी होने के बाद ही सामने आ पाएगी।''

तालिबान के आधिकारिक प्रवक्ता ने कहा, ''जहाँ हमला हुआ था, वहाँ सब कुछ बर्बाद हो चुका था, कोई शव भी नहीं मिला था।''

अमेरिकी ने किया था दावा

अमेरिका ने 31 जुलाई, 2022 को अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल में एक ड्रोन हमले में अल-ज़वाहिरी को मारने का दावा किया था।

अमेरिका की सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी ने आतंकवाद विरोधी ऑपरेशन चलाया था। ज़वाहिरी के मारे जाने की पुष्टि ख़ुद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने की थी।

बाइडन ने कहा था, "ज़वाहिरी के हाथ अमेरिकी नागरिकों की हत्या से रंगे थे। अब लोगों को इंसाफ़ मिल गया है और यह आतंकवादी नेता अब जीवित नहीं है।''

अधिकारियों का कहना है कि ज़वाहिरी एक सुरक्षित घर की बालकनी में थे तभी ड्रोन के ज़रिए दो मिसाइल दागी गई।

तालिबान के अधिकारियों ने अमेरिका के दावे के बाद कहा था कि ड्रोन हमला तो हुआ था लेकिन जिस समय हमला हुआ घर ख़ाली था। तालिबान अधिकारियों ने कहा था कि ड्रोन हमला एक ख़ाली घर पर हुआ।

तालिबान के एक नेता ने न्यूज़ एजेंसी रॉयटर्स से कहा था कि वे हमले के समय ज़वाहिरी की मौजूदगी के अमेरिकी दावे की पुष्टि नहीं करते हैं।