अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध

भारत को संयुक्त राष्ट्र में स्थाई सदस्य बनाने के लिए अमेरिका ने समर्थन दोहराया

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन से उनकी मुलाक़ात बहुत उपयोगी रहीं। भारत और अमेरिका के बीच आर्थिक और जनता के बीच संबंधों पर बातचीत हुई।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि भारत और अमेरिका के बीच दोस्ती वैश्विक भलाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाना जारी रखेगी।

शुक्रवार, 8 सितम्बर, 2023 को राष्ट्रपति बाइडन के दिल्ली पहुंचने के कुछ ही देर बाद दोनों नेताओं में द्विपक्षीय वार्ता हुई।

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के मुलाक़ात के बाद अमेरिका की ओर से साझा बयान जारी किया गया है जिसमें निम्न प्रमुख बातें कही गई हैं -

- भारत को संयुक्त राष्ट्र में स्थाई सदस्य बनाने के लिए अमेरिका ने समर्थन दोहराया।

- इंडो-पैसेफ़िक क्षेत्र को स्वतंत्र रखने के लिए क्वाड की अहमियत पर भारत और अमेरिका में सहमति।

- जो बाइडन ने चंद्रयान 3 और आदित्य एल 1 मिशन के लिए भारत को बधाई दी। जो बाइडन ने इसरो और नासा में सहयोग बढ़ाने पर ज़ोर दिया।

- अमेरिका और भारत के बीच सेमीकंडक्टर सप्लाई चेन पर भी बात हुई। इस क्षेत्र में अमेरिका भारत में कुल 700 मिलियन डॉलर का निवेश करेगा।

- भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक साझेदारी को जारी रखने पर राष्ट्रपति बाइडन और प्रधानमंत्री मोदी ने सहमति जताई।

भारत की समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, अमेरिकी ट्रेज़री सेक्रेटरी जैनेट येलेन, अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन और अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन भी अमेरिका की ओर से इस मीटिंग में मौजूद थे।

भारत के प्रतिनिधिमंडल में विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल थे।

जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान मोदी अगले दो दिनों में विश्व के शीर्ष नेताओं से 15 द्विपक्षीय वार्ताएं करेंगे।

इसराइल और तुर्की के बीच राजनयिक संबंध पूरी तरह बहाल होते दिख रहे

इसराइल और तुर्की के बीच चल रही तनावपूर्ण स्थिति के बाद अब राजनयिक संबंध पूरी तरह बहाल होते दिख रहे हैं।

मंगलवार, 27 दिसम्बर 2022 को तुर्की में इसराइल की राजदूत आइरिट लिलियन ने तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तय्यप अर्दोआन को अपना विश्वास पत्र सौंपा। कई सालों बाद दोनों देशों के बीच राजनयिक रिश्ते फिर से शुरू हुए हैं।

आइरिट लिलियन जनवरी 2021 से तुर्की में उपराजूदत के तौर पर नियुक्त थीं, लेकिन अब विश्वास पत्र देने के बाद उन्हें औपचारिक तौर पर इसराइल के राजदूत का दर्जा दे दिया गया है।

आइरिट लिलियन ने कहा, ''इस मौके ने दिल को उम्मीदों से भर दिया है। हम सभी उम्मीद करते हैं कि इसरायल और तुर्की के बीच राजनीतिक मेल-मिलाप की प्रक्रिया तेज़ होगी और कई क्षेत्रों तक इसका विस्तार होगा।''

दिसंबर 2022 में इसराइल में भी तुर्की के नए राजदूत साकिर ओज़कान ने अपना विश्वास पत्र सौंपा था।

इसराइल में प्रधानमंत्री पद के लिए नामित बिन्यामिन नेतन्याहू और अर्दोआन के बीच एक नवंबर 2022 के चुनाव के बाद बात हुई थी।

इसमें दोनों नेताओं ने पारस्परिक हितों का सम्मान करते हुए साथ मिलकर काम करने पर सहमति जताई थी।

कभी क्षेत्रीय सहयोगी रहे इसराइल और तुर्की के बीच लगभग एक दशक से रिश्तों में तनाव चल रहा था।

गज़ा पट्टी में सहायता के लिए जा रहे एक जहाज़ पर छापेमारी के बाद तुर्की ने साल 2010 में इसराइल के राजदूत को बर्ख़ास्त कर दिया था। इस घटना में 10 तुर्की नागरिक मारे गए थे।

फिर साल 2016 में राजनयिक रिश्ते बहाल हुए। लेकिन, दो साल पहले तुर्की ने अपने राजदूत को इसराइल से वापस बुला लिया था।

ये फ़ैसला गज़ा पट्टी पर इसराइल की ओर से फ़लस्तीनियों के विरोध प्रदर्शन पर की गई फ़ायरिंग के कारण लिया गया था। इसके बाद से दोनों देश एक-दूसरे से संबंध सुधारने की कोशिश कर रहे हैं।

स्टॉलटेनबर्ग ने यूक्रेन में परमाणु हथियारों के इस्तेमाल पर रूस को गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी

नेटो के महासचिव जेन्स स्टॉलटेनबर्ग ने यूक्रेन में परमाणु हथियारों के इस्तेमाल पर रूस को गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी है।

उन्होंने रविवार, 2 अक्टूबर 2022 को कहा, ''परमाणु हथियारों को लेकर हो रही बयानबाजी ख़तरनाक है और यह बड़ी लापरवाही है और किसी भी तरह के परमाणु हथियारों का इस्तेमाल यूक्रेन युद्ध के तरीक़े को बदल सकता है।''

नेटो महासचिव ने कहा, ''परमाणु युद्ध कभी न तो लड़ा जाना चाहिए और न ही जीता जा सकता है। ये संदेश स्पष्ट रूप से नेटो और उसके सहयोगी रूस को देना चाहते हैं।''

स्टॉलटेनबर्ग का ये बयान ऐसे समय पर आया है, जब यूक्रेन में अपनी सेना पर बढ़ते दबाव और कई इलाकों में हार के बाद रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने परमाणु हथियार इस्तेमाल करने के संकेत दिए हैं।

रूस के लोग ही कर रहे अपनी सेना की आलोचना

पश्चिमी देशों के नेता और सरकारें यह मानती हैं कि शुक्रवार, 30 सितम्बर 2022 के बाद से यह ख़तरा और बढ़ा है, जब राष्ट्रपति पुतिन ने यूक्रेन के पूर्वी और दक्षिणी क्षेत्र में चार इलाक़ों को आधिकारिक तौर पर रूस का हिस्सा घोषित कर दिया।

वहीं यूक्रेन का दावा है कि उसकी सेनाओं ने पूर्व में दोनेत्स्क प्रांत के लाइमन इलाके पर फिर से कब्जा कर लिया है। लाइमन को रेलवे हब के रूप में जाना जाता है।

लाइमन में रूसी सेना की हार के कारण रूस के सैन्य नेतृत्व की काफ़ी आलोचना हो रही है। इसके बाद पुतिन के कुछ करीबियों ने यूक्रेन पर और मज़बूत हमला करने की मांग शुरू कर दी है। कुछ कट्टर राष्ट्रवादी कम असर वाले परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की वकालत भी कर रहे हैं।

रूस को चेतावनी

रूसी नेता रमज़ान कादिरोव ने शनिवार, 1 अक्टूबर 2022 को कहा कि युद्ध में रूस की रणनीति में बदलाव की जरूरत है। रूस को ''सीमा वाले इलाकों में मार्शल लॉ लागू करने और यूक्रेन पर कम असर वाले परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की जरूरत है।''

टैक्टिकल परमाणु हथियार कम असरदार होते हैं। ये पारंपरिक परमाणु हथियारों के मुकाबले 10 फीसदी ही असर डालते हैं।

स्टॉलटेनबर्ग ने नेटो देशों के इनफ्रास्ट्रक्टर पर हमले को लेकर भी रूस को चेतावनी दी है। उन्होंने संकेत दिए हैं कि नॉर्ड स्ट्रीम पाइपलाइन लीक भी किसी साजिश के तहत हुआ है।

उन्होंने कहा कि लाइमन में जिस तरह रूस की सेना को पीछे हटना पड़ा वो यूक्रेन के साहस और बहादुरी को दिखाता है। उन्होंने इसके लिए अमेरिका और नेटो के दूसरे देशों की ओर से दिए जा रहे हथियारों को भी वजह माना।

नेटो क्या है?

नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइज़ेशन यानी नेटो दूसरे विश्व युद्ध के बाद 1949 में बना था। इसे बनाने वाले अमेरिका, कनाडा और अन्य पश्चिमी देश थे। इसे इन्होंने सोवियत यूनियन से सुरक्षा के लिए बनाया था। तब दुनिया दो ध्रुवीय थी। एक महाशक्ति अमेरिका था और दूसरी सोवियत यूनियन।

शुरुआत में नेटो के 12 सदस्य देश थे। नेटो ने बनने के बाद घोषणा की थी कि उत्तरी अमेरिका या यूरोप के इन देशों में से किसी एक पर हमला होता है तो उसे संगठन में शामिल सभी देश अपने ऊपर हमला मानेंगे। नेटो में शामिल हर देश एक दूसरे की मदद करेगा।

लेकिन दिसंबर 1991 में सोवियत संघ के पतन के बाद कई चीज़ें बदलीं। नेटो जिस मक़सद से बना था, उसकी एक बड़ी वजह सोवियत यूनियन बिखर चुका था। दुनिया एक ध्रुवीय हो चुकी थी। अमेरिका एकमात्र महाशक्ति बचा था। सोवियत यूनियन के बिखरने के बाद रूस बना और रूस आर्थिक रूप से टूट चुका था।

यूक्रेन के चार इलाकों के रूस में विलय के ऐलान के बाद अमेरिका ने नए प्रतिबंध लगाए

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने यूक्रेन के चार इलाकों के रूस में विलय की घोषणा की कड़ी आलोचना की है। राष्ट्रपति बाइडन ने कहा, ''यूक्रेन के संप्रभु इलाकों को रूस में मिलाने की धोखे भरी कोशिश की अमेरिका निंदा करता है।

रूस अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों का उल्लंघन कर रहा है, संयुक्त राष्ट्र के चार्टर को कुचल रहा है और शांतिपूर्ण देशों का अनादर कर रहा है।''

उन्होंने कहा, ''ऐसे कामों की कोई वैधता नहीं है। अमेरिका हमेशा यूक्रेन की अंतरराष्ट्रीय सीमाओं का सम्मान करता रहेगा। हम इन इलाकों को वापस हासिल करने की यूक्रेन की कोशिशों को अपना समर्थन देते रहेंगे। इसके लिए कूटनीतिक और सैनिक रूप से हम यूक्रेन के हाथ मजबूत करते रहेंगे।''

राष्ट्रपति बाइडन ने कहा कि अमेरिका ने इस हफ़्ते यूक्रेन को अतिरिक्त सुरक्षा मदद के लिए 1.1 अरब डॉलर की मदद का ऐलान किया है।

रूस पर नए प्रतिबंधों की घोषणा करते हुए राष्ट्रपति बाइडन ने कहा, ''यूक्रेन के इलाकों पर कब्ज़े के दावों के जवाब में अमेरिका अपने सहयोगियों के साथ आज नए प्रतिबंधों की घोषणा करता है। ये प्रतिबंध रूस के अंदर और बाहर यूक्रेन की सीमाओं की स्थिति बदलने की अवैध कोशिशों को राजनीतिक और आर्थिक समर्थन देने वाले व्यक्तियों और संगठनों पर लागू होंगे।''

''हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय से रूस को इसके लिए जिम्मेदार ठहराने के लिए एकजुट करने की कोशिश करेंगे। मुझे उम्मीद है कि यूक्रेन की मदद के लिए 12 अरब डॉलर अतिरिक्त देने के प्रस्ताव वाले क़ानून को कांग्रेस से मंज़ूरी मिल जाएगी।''

यूक्रेन के चार इलाके- दोनेत्स्क, लुहांस्क, खेरसन और ज़पोरिज़िया अब रूस का हिस्सा हैं: राष्ट्रपति पुतिन

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन शुक्रवार, 30 सितम्बर 2022 को इस बात का ऐलान कर दिया है कि यूक्रेन के चार इलाके- दोनेत्स्क, लुहांस्क, खेरसन और ज़पोरिज़िया अब रूस का हिस्सा हैं।

उन्होंने कहा, ''यूक्रेन के चार इलाके के लोगों ने अपना फ़ैसला कर लिया है। जनमत संग्रह के नतीजे जगजाहिर हैं। लोगों ने चुनाव कर लिया है। एक मात्र फ़ैसला।''

रूस के नियंत्रण वाले यूक्रेन के इन चार इलाकों में जनमत संग्रह को पश्चिमी देशों और क़ानूनी विशेषज्ञों ने अवैध करार दिया है। पुतिन मॉस्को में क्रेमलिन से बोल रहे थे।

उन्होंने कहा, ''मुझे पूरा भरोसा है कि फेडरल असेंबली रूस के इन चार नए इलाकों को अपना समर्थन देगी क्योंकि ये लाखों लोगों की इच्छा है।''

उन्होंने कहा कि जनमत संग्रह के नतीजे उन लोगों के 'प्राकृतिक अधिकार' को दर्शाते हैं जिन्होंने इसमें अपना वोट दिया है। पुतिन ने अपने संबोधन में इतिहास का भी जिक्र किया।

उन्होंने दावा किया कि रूसी लोगों की कई पीढ़ियों ने इन इलाकों के लिए जंग लड़ी है। उन्होंने इस जंग में मारे गए सैनिकों की याद में एक मिनट के मौन रखने की अपील की। पुतिन ने कहा कि ये सैनिक रूस के हीरो थे।

पुतिन ने कहा कि वे चाहते हैं कि कीएव और पश्चिमी देशों के लोग ये बात सुन लें कि डोनबास क्षेत्र के लोग अब हमेशा के लिए रूस के नागरिक बन जाएंगे।

उन्होंने कहा कि ''रूस अपनी ज़मीन की हर तरह से हिफाजत करेगा ताकि हमारे लोग सुरक्षित तरीके से रह सकें। रूस इन इलाकों के गांवों और शहरों का पुनर्निमाण करेगा और स्वास्थ्य एवं शिक्षा के बुनियादी ढांचे का विकास करेगा।''

भारत और पाकिस्तान, दोनों देश हमारे पार्टनर हैं: अमेरिका

अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने सोमवार, 26 सितम्बर 2022 को कहा कि भारत और पाकिस्तान, दोनों देश उनके पार्टनर हैं और दोनों का अपना-अपना महत्व है।

अमेरिका का ये बयान भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर के दौरे के एक दिन बाद आया है जिसमें उन्होंने पाकिस्तान को एफ-16 लड़ाकू विमानों में सुरक्षा मदद देने के अमेरिकी फ़ैसले पर सवाल उठाए थे।

अमेरिका ने दलील दी थी कि पाकिस्तान को ये मदद आतंकवाद से लड़ाई के लिए दी जा रही है, जिसके जवाब में एस जयशंकर ने कहा था कि सबको पता है कि कहां और किसके ख़िलाफ़ एफ़-16 लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल होता है।

अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा, ''भारत और पाकिस्तान से हमारे संबंध अलग-अलग हैं। हम एक देश के साथ अपने संबंधों को दूसरे से जोड़कर नहीं देखते। दोनों हमारे पार्टनर हैं और उनका अपना महत्व है।''

सितम्बर 2022 की शुरुआत में अमेरिका ने पाकिस्तान को एफ-16 लड़ाकू विमानों के रखरखाव के लिए 45 करोड़ डॉलर की मदद का वादा किया था। ऐसा करके बाइडन प्रशासन ने पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के फैसले को पलट दिया।

ट्रंप प्रशासन ने तालिबान और हक्कानी नेटवर्क की मदद के आरोपों की वजह से पाकिस्तान को किसी भी तरह की सैन्य सहायता देने पर प्रतिबंध लगा दिया था।

प्राइस ने कहा, "हम चाहते हैं कि इन पड़ोसी मुल्कों के संबंध एक-दूसरे से जितना संभव हो सके बेहतर हों।''

उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि अफ़ग़ानिस्तान में हिंसा और अस्थिरता पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के लिए ठीक नहीं है।

नेड प्राइस ने बताया कि अमेरिका ने बाढ़ प्रभावित पाकिस्तान की मदद के लिए लाखों डॉलर दिए हैं।

अगर ज़रूरी हुआ तो रूस के पास परमाणु हथियार इस्तेमाल करने का अधिकार होगा: मेदवेदेव

रूस के पूर्व प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति रह चुके डिमित्री मेदवेदेव ने कहा है कि अगर ज़रूरी हुआ तो रूस के पास परमाणु हथियार इस्तेमाल करने का अधिकार होगा।

मेदवेदेव इस समय रूसी सिक्योरिटी काउंसिल के डिप्टी चेयरमैन हैं।

इससे पहले रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने रूस में आंशिक लामबंदी का एलान किया था। अब ख़बरें है कि रूस में बड़ी संख्या में लोगों को फौज में शामिल करवाया जा रहा।

रूस के तल्ख़ तेवरों के बीच मेदवेदेव का ताज़ा बयान पश्चिम के लिए नया सिरदर्द बन सकता है।

मेदवेदेव ने अपने बयान में कहा, ''अगर हमें सीमाओं से धकेला गया तो हम परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करेंगे। और ये कोई कोरी धमकी नहीं है।''

उन्होंने कहा कि रूस के पास बिना किसी सलाह के अपने ऊपर हुए हमले का माकूल जवाब देने का अधिकार है।

रूस और यूक्रेन के बीच इस 24 फरवरी 2022 से युद्ध छिड़ा हुआ है। अब पूर्वी यूक्रेन के वो इलाक़े जिन पर रूस ने कब्ज़ा कर लिया है वहाँ वो जनमत संग्रह करवा रहा है।

अपने सियासी करियर के शुरू में लिबरल माने जाने वाले मेदवेदेव लगातार आक्रामक होते जा रहे हैं।

मेदवेदेव साल 2008 से 2012 तक रूस के राष्ट्रपति रहे हैं। उसके बाद वे कई वर्षों तक रूस के प्रधानमंत्री भी रहे।

तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन के साथ इसराइली प्रधानमंत्री येर लेपिड की मुलाकात

न्यूयॉर्क में चल रही संयुक्त राष्ट्र की आम सभा में इसराइल के प्रधानमंत्री येर लेपिड की तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन से मुलाकात हुई।

दोनों देशों के द्विपक्षीय रिश्तों के लिहाज़ से इसे महत्वपूर्ण बैठक माना जा रहा है।

साल 2008 के बाद दोनों देशों के शीर्ष नेतृत्व के बीच आमने-सामने की बैठक नहीं हुई थी।

इस बैठक में इसराइल के प्रधानमंत्री येर लेपिड ने अर्दोआन से कहा है कि वह ग़ज़ा पट्टी में हमास द्वारा पकड़े गए दो इसराइली नागरिकों को वापस लाने में मदद करें।

इसके साथ ही लेपिड ने तुर्की के राष्ट्रपति से उन दो सैनिकों के पार्थिव शरीरों को वापस लाने में मदद करने के लिए कहा है जिनके बारे में माना जाता है कि साल 2014 में उनकी मौत हो गई थी।

इसराइली प्रधानमंत्री कार्यालय ने बताया है कि दोनों नेताओं के बीच आर्थिक और ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग पर भी बात हुई।

लेपिड ने साल 2022 की शुरुआत में ख़ुफ़िया जानकारी साझा करने के लिए अर्दोआन का शुक्रिया अदा किया है।

इसराइल और तुर्की के बीच अगस्त 2022 में एक बार फिर कूटनीतिक रिश्ते बहाल हो गए।

दोनों देशों के बीच साल 2010 से रिश्तों में कड़वाहट जारी थी जब गज़ा पट्टी की घेराबंदी तोड़कर राहत सामग्री लेकर आते तुर्की के जहाज पर इसराइली छापे में दस नागरिकों की मौत हुई थी।

चीन अब भी भारत के लिए सरहदों पर एक विकट चुनौती है: भारतीय नौसेना प्रमुख

भारतीय नौसेना के प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने कहा है कि चीन अब भी भारत के लिए सरहदों पर एक विकट चुनौती है।

उन्होंने कहा कि आतंकवाद का बदलता स्वरुप भी देश की सुरक्षा के लिए एक ख़तरा है।

एडमिरल आर हरि कुमार ऑल इंडिया मैनेजमेंट एसोसिएशन के एक समारोह में बोल रहे थे।

उन्होंने कहा कि चीन महज़ ज़मीनी सरहद पर ही नहीं बल्कि समुद्री सीमाओं पर भी अपनी मौजूदगी को मज़बूत कर रहा है।

उन्होंने कहा, ''चीन अब भी विकट चुनौती है। उसने सिर्फ़ हमारी ज़मीनी सरहद ही नहीं बल्कि समुद्री सरहद पर भी अपनी मौजूदगी दर्ज की है। समुद्र में उसने एंटी-पाइरेसी ऑपरेशन को ढाल बनाकर, हिंद महासागर में अपनी नौसैनिक मौजूदगी को मजबूत किया है।''

उन्होने कहा कि एंटी-पाइरेसी ऑपरेशन को ढाल बनाकर चीन साल 2008 से ही हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी मौजूदगी बढ़ा रहा है।

अपने तर्क के पक्ष में एडमिरल हरि कुमार ने कहा, ''किसी भी समय पांच से आठ चीनी नेवी यूनिट्स - जिनमें युद्धपोत और रिसर्च करने वाले जहाज़ शामिल हैं, हिंद महासागर में तैनात रहते हैं। हम उन पर नज़र रखते हैं।''

पुतिन का सैन्य लामबंदी का ऐलान, तीन लाख रिज़र्व सैनिकों को बुलाया

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बुधवार, 21 सितम्बर 2022 को यूक्रेन में युद्ध के लिए आंशिक लामबंदी का ऐलान किया है। इसका अर्थ है कि यूक्रेन युद्ध में रूस और अधिक संसाधन और सैन्य टुकड़ियों को शामिल करेगा।

पुतिन ने टीवी पर प्रसारित हुए देश के नाम संबोधित अपने भाषण में कहा है कि 'यह रूस की क्षेत्रीय अखंडता को बरकरार रखने के लिए ये एक ज़रूरी कदम था।'

उन्होंने कहा कि 'पश्चिमी दुनिया रूस का ख़ात्मा चाहती थी जैसे उसने सोवियत संघ का ख़ात्मा कर दिया।'

पुतिन ने भाषण में क्या कहा –

- पुतिन ने यूक्रेन में जारी सैन्य संघर्ष में अतिरिक्त सैन्य टुकड़ियां भेजने का ऐलान किया है। इसका अर्थ ये है कि रूसी सेना में सेवाएं दे चुके लोगों को वापस बुलाया जाएगा।
- इन सैन्य टुकड़ियों की रवानगी बुधवार, 21 सितम्बर 2022 से शुरू होगी।
- पुतिन ने पश्चिमी देशों पर रूस को परमाणु हमले के नाम पर ब्लैकमेल करने का आरोप लगाया है।
- पुतिन ने कहा है कि पश्चिमी देशों की धमकियों का जवाब देने के लिए उनके पास काफ़ी हथियार हैं।
- उन्होंने कहा है कि डोनबास में 'अपनों' की सुरक्षा के लिए हर संभव साधन जुटाए जाएंगे।
- उन्होंने रूस में हथियारों के उत्पादन को बढ़ाने के लिए फंडिंग का आदेश दिया है।

रूसी संसद दूमा के सदस्य येवगेनी पोपोव ने बीबीसी को बताया है कि 'जैसा मैं समझता हूं, कुछ अनुभवी सैनिकों को तैनात किया जाएगा और जो लोग अभी-अभी सेना से सेवानिवृत्त हुए हैं, उन्हें बुलाया जा सकता है। ये आम लोगों को युद्ध के मैदान में भेजने की बात नहीं है।'

क्या पुतिन की बड़ी लामबंदी से अब पश्चिम के साथ और बिगड़ेंगे रिश्ते?

बीबीसी के रूस संपादक स्टीव रोज़नबर्ग के मुताबिक, आज से पहले तक रूस दावा करता रहा है कि यूक्रेन में उसका सैन्य अभियान योजना के अनुसार ही चल रहा है।

लेकिन अब ऐसा नहीं है।

व्लादिमीर पुतिन रूसी सेना के रिज़र्व सैनिकों को वापस बुलाने का ऐलान करके ये मान चुके हैं कि युद्ध के मैदान पर उन्हें अतिरिक्त सैनिकों की ज़रूरत है।

रूसी राष्ट्रपति को सुनने से ऐसा नहीं लगता कि उन्हें सात महीने पहले यूक्रेन पर हमला करने का ज़रा भी खेद है।

पुतिन ने बताया है कि रूस की दिक्कतों के लिए पश्चिमी देश ज़िम्मेदार हैं। ये कहते हुए उन्होंने पश्चिमी देशों पर आरोप लगाया है कि वे रूस को तोड़ना चाहते हैं।

उन्होंने कहा है, ''अगर रूस की क्षेत्रीय अखंडता को ख़तरा पैदा होता है तो हम उपलब्ध सभी साधनों का इस्तेमाल करेंगे।''

रूस ने यूक्रेन के जिन इलाक़ों पर हाल में कब्ज़ा किया है वहाँ आने वाले दिनों में जनमत संग्रह करवाया जा रहा है।

ये यूक्रेन और पश्चिमी देशों को सीधा संदेश है – हमने जिस ज़मीन पर कब्जा किया है और जिस पर हम दावा करेंगे, उसे वापस लेने की कोशिश न की जाए।

ये स्पष्ट करने के लिए उन्होंने धमकी दे डाली है।

उन्होंने कहा है, ''जो हमें परमाणु हथियारों से धमकाने की कोशिश करते हैं, उन्हें ये पता होना चाहिए कि हवाएं उनकी तरफ़ भी बह सकती हैं।''