जम्मू & कश्मीर

कोर्ट ने कहा, मेजर गोगोई मामले की जांच बेहद लापरवाह तरीके से की गई है

श्रीनगर की एक अदालत ने भारतीय सेना के अधिकारी मेजर लीतुल गोगोई के एक नाबालिग कश्मीरी लड़की के साथ होटल में जबरन घुसने का प्रयास करने के मामले में पुलिस को और जांच करने का शनिवार को निर्देश दिया। श्रीनगर की मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने यह भी कहा कि मामले में जांच असली तथ्यों का पता लगाए बिना बेहद लापरवाह तरीके से की गई है। अदालत ने पुलिस को 18 सितंबर तक रिपोर्ट सौंपने को कहा है।

सीजेएम ने अपने आदेश में कहा, आवेदन के सार और संबंधित थाने द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए मेरी राय है कि मामले में और जांच की जरूरत है।

इंटरनेशनल फोरम फॉर जस्टिस एंड ह्यूमन राइट्स (आई एफ जे एच आर) के अध्यक्ष मोहम्मद अहसन उन्टू द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सीजेएम ने यह आदेश दिए। आदेश में कहा गया है कि जांच एजेंसी ने सैन्यकर्मी समीर माल्ला की भूमिका का पता नहीं लगाया कि वह उस लड़की के साथ होटल क्यों गए थे?

जांच के दौरान एक्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज कराए गए बयान के अनुसार मेजर गोगोई ने अपना नाम उबैद उस्मानी के तौर पर अपलोड किया और उसके जरिये फर्जी फेसबुक एकाउंट खोला। उसकी भी सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के प्रावधानों के तहत विस्तृत जांच किए जाने की आवश्यकता है।

मोहम्मद अहसन उन्टू ने मेजर गोगोई को पुलिस के द्वारा 23 मई, 2018 को हिरासत में लेने के बाद सीजेएम के समक्ष एक आवेदन दिया था।

बता दें कि मेजर गोगोई को 17 साल की एक नाबालिग कश्मीरी लड़की के साथ होटल में जबरन घुसने का प्रयास करने के दौरान झगड़ा होने के बाद हिरासत में लिया गया था। मेजर गोगोई पिछले साल मानवीय ढाल वाले विवाद के चर्चा के केंद्र में रहे थे। उन्हें हाल में कोर्ट ऑफ इंक्वायरी में एक स्थानीय लड़की के साथ दोस्ती करने के लिए दोषी ठहराया गया। इसके साथ ही उनके संभावित कोर्ट मार्शल का रास्ता साफ हो गया।

जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 35 ए हटाने की अफवाह के बाद घाटी में अशांति

कश्मीर में सोमवार को अनुच्छेद 35 ए खत्म किए जाने की अफवाहों के बाद अधिकारियों ने श्रीनगर और घाटी के अन्य इलाकों को बंद कर दिया।

जम्मू-कश्मीर पुलिस ने श्रीनगर में जारी एक बयान में कहा, ''कई जगह यह अफवाह फैल गई कि अनुच्छेद 35 ए खत्म कर दिया गया है। जो पूरी तरह से गलत है। अभी इस बारे में कोर्ट ने कोई फैसला नहीं लिया है। लोगों से यह अपील की जाती है कि वह ऐसी अफवाहों पर ध्यान न दें और शांति बनाए रखें।''

एहतियात के तौर पर दुकानें, सार्वनिजक परिवहन और अन्य प्रतिष्ठानों को बंद कर दिया गया। अनंतनाग और कुछ अन्य जगहों पर सुरक्षाबलों के साथ पत्थरबाजों की झड़प की खबरें भी सामने आई। राज्य विधानसभा को जम्मू-कश्मीर के लोगों को स्थाई निवासी बताने और उनके विशेषाधिकार को परिभाषित करने वाले अनुच्छेद 35 ए पर शुक्रवार को सुप्रीम में सुनवाई की तारीख सूचीबद्ध है।

अधिकारी ने बताया, ''जम्मू-कश्मीर की ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर और दक्षिण कश्मीर में अनंतनाग जिले में कई स्थानों पर स्वत: स्फूर्त बंद देखा जा रहा है। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 35 ए को हटाने को लेकर लाउडस्पीकरों पर घोषणाएं की गयी और लोगों से बंद करने और विरोध में बाहर आने की अपील की गयी।''

अधिकारी ने बताया, ''अनुच्छेद 35 ए को समाप्त करने संबंधी अफवाहों के तेज़ी से फैलने और सोशल मीडिया पर इसके प्रसार के बाद आज सुबह खुली दुकानें और अन्य व्यवसायिक प्रतिष्ठान बंद कर दिये गये। उन्होंने बताया कि अफवाहों के बाद अनंतनाग और यहां सफाकादल इलाके में सुरक्षाबलों और पत्थरबाजों के बीच संघर्ष देखने को मिला।

अधिकारी ने बताया कि सुरक्षा बल स्थिति को नियंत्रित करने में लगे हुए हैं। एक बयान में पुलिस ने लोगों से शांति बनाए रखने और अफवाहों पर ध्यान नहीं देने की अपील की है।

पुलिस ने बयान में कहा गया है, ''मीडिया के कुछ वर्गों में अनुच्छेद 35ए के संबंध में खबरें प्रसारित हुई हैं। निराधार होने के कारण खबरों का खंडन किया जाता है। लोगों से शांति बनाए रखने और अफवाहों पर ध्यान नहीं देने की अपील की जाती है। मामले पर मुख्य सुनवाई 31 अगस्त को होनी है।''

वर्ष 1954 में राष्ट्रपति के एक आदेश से अनुच्छेद 35 ए संविधान में शामिल किया गया था।

मेजर गोगोई कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी में दोषी, सेना ने कार्रवाई के आदेश दिए

जम्मू-कश्मीर में श्रीनगर के एक होटल में मई 2018 में एक नाबालिग कश्मीरी लड़की के साथ देखे जाने के बाद पुलिस द्वारा हिरासत में लिए गए मेजर लीतुल गोगोई को कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी में एक स्थानीय निवासी से दोस्ती करने और एक अभियान वाले क्षेत्र में अपने कार्य स्थल से दूर रहने का दोषी पाया गया है।

समाचार एजेंसी भाषा ने भारतीय सेना के सूत्रों के हवाले से बताया कि गोगोई के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करने के आदेश जारी कर दिए गए हैं। सूत्रों ने बताया कि अदालत ने उन्हें निर्देशों के विपरीत एक नाबालिग कश्मीरी लड़की से मेलजोल रखने और एक अभियान वाले इलाके में अपने कार्य स्थल से दूर रहने का जिम्मेदार ठहराया।

पुलिस ने 23 मई को एक विवाद के बाद गोगोई को हिरासत में लिया था। वह एक नाबालिग कश्मीरी लड़की के साथ श्रीनगर के एक होटल में घुसने की कोशिश कर रहे थे। इसके कुछ दिन बाद भारतीय सेना ने इस घटना की कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी के आदेश दिए। भारत के सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने पहलगाम में कहा था कि अगर गोगोई को किसी भी अपराध में दोषी पाया जाता है तो कठोर सजा दी जाएगी।

इस्तीफे के बाद महबूबा ने कहा, घाटी में शांति के लिए पाकिस्तान से भी बातचीत होनी चाहिए

जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल एन एन वोहरा को इस्तीफा सौंपने के बाद महबूबा मुफ्ती ने संवाददाताओं से बात की। उन्होंने कहा कि जनता को मुसीबत से निकालने के लिए बीजेपी से हाथ मिलाया था। जनता से संवाद बनाने के लिए सरकार का गठन किया गया था। महबूबा ने कहा कि घाटी में शांति के लिए पाकिस्तान से भी बातचीत होनी चाहिए।

मुख्यमंत्री के तौर पर इस्तीफा सौंपने के बाद महबूबा ने कहा कि उन्होंने राज्यपाल को बता दिया है कि हम कोई और गठबंधन नहीं करेंगे। उन्होंने कहा, हमने हमेशा कहा है कि जम्मू-कश्मीर में बल प्रयोग की सुरक्षा नीति काम नहीं करेगी, सुलह-समझौता महत्वपूर्ण है। हम कश्मीर में संवाद और सुलह-समझौता के लिए प्रयासरत रहेंगे तथा भाजपा के साथ गठबंधन सत्ता के लिए नहीं था।

जम्मू-कश्मीर में एक बार फिर से राजनीतिक अस्थिरता पैदा हो गई है। बीजेपी की ओर से गठबंधन सरकार से समर्थन वापसी के बाद महबूबा मुफ्ती ने मुख्यमंत्री पद से अपना इस्तीफा राज्यपाल को भेज दिया। इसके साथ ही, महबूबा ने आज शाम को पीडीपी की बैठक बुलाई है।

उधर, कांग्रेस नेता गुलाम नबी आज़ाद ने कहा कि राज्य में जो हुआ अच्छ हुआ। कांग्रेस किसी भी सूरत में पीडीपी के साथ सरकार नहीं बनाएगी। तो वहीं नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्लाह ने कहा कि वो किसी भी गठबंधन का समर्थन नहीं करेंगे और राज्यपाल शासन का समर्थन करते हैं। उमर अब्दुल्लाह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में जल्द से जल्द चुनाव हो।

जम्मू-कश्मीर : महबूबा मुफ्ती ने सीएम पद से इस्तीफा दिया

जम्मू-कश्मीर में एक बार फिर से राजनीतिक अस्थिरता पैदा हो गई है। बीजेपी ने गठबंधन सरकार से समर्थन वापस ले लिया है। इसके बाद महबूबा मुफ्ती ने मुख्यमंत्री पद से अपना इस्तीफा राज्यपाल को भेज दिया। इसके साथ ही, महबूबा ने शाम 4 बजे पीडीपी की बैठक बुलाई है।

उधर, कांग्रेस नेता गुलाम नबी आज़ाद ने कहा कि राज्य में जो हुआ अच्छा हुआ। कांग्रेस किसी भी सूरत में पीडीपी के साथ सरकार नहीं बनाएगी।

इससे पहले भारतीय जनता पार्टी ने जम्मू-कश्मीर की पीडीपी-बीजेपी गठबंधन सरकार से अपना समर्थन वापसी का ऐलान किया। मंगलवार को बीजेपी प्रवक्ता राम माधव ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में गठबंधन की सरकार और आगे चलाना संभव नहीं था। उन्होंने कहा कि ऐसा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के साथ सलाह मशविरा के बाद किया गया है। बीजेपी ने समर्थन वापसी की चिट्ठी राज्यपाल को भेज दी है।

राम माधव ने कहा कि सबकी सहमति से इस गठबंधन को खत्म करने का फैसला किया गया। राम माधव ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में शांति के लिए पीडीपी के साथ गठबंधन किया गया था। जम्मू-कश्मीर में विकास के लिए केन्द्र सरकार ने भरपूर मदद की।

उन्होंने कहा कि गठबंधन का नेतृत्व पीडीपी के पास था। पीडीपी ने अड़चन डालने का काम किया। दायित्व निभाने में महबूबा पूरी तरह से नाकाम रही। जम्मू और लद्दाख के विकास की अनदेखी की गई। ऐसे में बीजेपी के मंत्री ठीक से काम नहीं कर सके। राम माधव ने कहा कि महबूबा सरकार राज्य को नहीं संभाल पा रही थी।

जम्मू-कश्मीर बीजेपी के प्रभारी राम माधव ने कहा कि बीजेपी ने यहां पर राज्यपाल शासन की मांग की है। उन्होंने कहा कि अब राज्यपाल शासन से ही प्रदेश में हालत सुधरने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि सरकार से समर्थन वापसी के बावजूद जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन जारी रहेगा।

गौरतलब है कि बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर के सभी बीजेपी मंत्रियों और प्रदेशाध्यक्ष को नई दिल्ली बुलाया था। ऐसा माना जा रहा था कि पीडीपी-बीजेपी गठबंधन पर अमित शाह कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं।

2014 के जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में 87 सीटों में से पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी को 28, बीजेपी को 25 और नेशनल कॉन्फ्रेंस को 15 सीट मिली थी। जबकि कांग्रेस को 12 और अन्य को 9 सीटें मिली थी।

पीडीपी सरकार से बीजेपी के समर्थन वापसी पर शिवसेना ने अपनी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए इसे स्वाभाविक बताया है। शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत ने कहा कि यह गठबंधन राष्ट्रविरोधी और अप्राकृतिक था। हमारे पार्टी प्रमुख ने कहा था कि यह गठबंधन आगे नहीं चलेगा। अगर वे इस गठबंधन को आगे चालू रखते तो उन्हें 2019 के चुनाव में जवाब देना पड़ता।

जम्मू-कश्मीर में बीजेपी ने समर्थन वापस लिया, महबूबा सरकार अल्पमत में

जम्मू-कश्मीर की पीडीपी-बीजेपी गठबंधन सरकार से भारतीय जनता पार्टी ने अपना समर्थन वापसी का ऐलान किया है। मंगलवार को बीजेपी प्रवक्ता राम माधव ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में गठबंधन की सरकार और आगे चलाना संभव नहीं था। उन्होंने कहा कि ऐसा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के साथ सलाह मशविरा के बाद किया गया है।

बीजेपी ने समर्थन वापसी की चिट्ठी राज्यपाल को भेज दी है। इसके साथ ही, बीजेपी के मंत्रियों ने भी अपना इस्तीफा भेज दिया है। जिसके बाद राज्य में पीडीपी-बीजेपी गठबंधन सरकार का गिरना अब तय है। ऐसा माना जा रहा है कि शाम तक महबूबा मुफ्ती मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे देंगी।

राम माधव ने कहा कि सबकी सहमति से इस गठबंधन को खत्म करने का फैसला किया गया। राम माधव ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में शांति के लिए पीडीपी के साथ गठबंधन किया गया था। जम्मू-कश्मीर में विकास के लिए केन्द्र सरकार ने भरपूर मदद की।

उन्होंने कहा कि गठबंधन का नेतृत्व पीडीपी के पास था। पीडीपी ने अड़चन डालने का काम किया। दायित्व निभाने में महबूबा पूरी तरह से नाकाम रही। जम्मू और लद्दाख के विकास की अनदेखी की गई। ऐसे में बीजेपी के मंत्री ठीक से काम नहीं कर सके।

जम्मू-कश्मीर बीजेपी के प्रभारी राम माधव ने कहा कि बीजेपी ने यहां पर राष्ट्रपति शासन की मांग की है। उन्होंने कहा कि अब राष्ट्रपति शासन से ही प्रदेश में हालत सुधरने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि सरकार से समर्थन वापसी के बावजूद जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन जारी रहेगा।

गौरतलब है कि बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर के सभी बीजेपी मंत्रियों और प्रदेशाध्यक्ष को नई दिल्ली बुलाया था। ऐसा माना जा रहा था कि पीडीपी-बीजेपी गठबंधन पर अमित शाह कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं।

2014 के जम्मू-कश्मीर विधानसभा में 87 सीटों में से पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी को 28, बीजेपी को 25 और नेशनल कॉन्फ्रेंस को 15 सीट मिली थी। जबकि कांग्रेस को 12 और अन्य को 9 सीटें मिली थी।

जम्मू-कश्मीर में राइजिंग कश्मीर के संपादक शुजात बुखारी की अंत्येष्टि

अंग्रेजी अखबार 'राइजिंग कश्मीर' के प्रधान संपादक शुजात बुखारी को उनके पैतृक गांव में आज सुपुर्दे खाक किया गया और उनके जनाजे में हजारों लोगों ने हिस्सा लिया। अखबार के कार्यालय के बाहर अज्ञात बंदूकधारियों ने कल उनकी गोली मारकर हत्या कर दी थी।

भारी बारिश के बावजूद बारामूला जिले के इस गांव में हजारों लोग नम आंखों से बुखारी के जनाजे के साथ-साथ चल रहे थे। बुखारी के जनाजे में शामिल होने उनके पैतृक गांव आनेवालों में विपक्ष के नेता उमर अब्दुल्ला और पीडीपी तथा भाजपा के मंत्री भी शामिल थे। जनाजे में शिरकत कर रहे लोगों ने बताया कि गांव में इससे पहले कभी किसी ने ऐसा जनाजा नहीं देखा जिसमें इतनी तादाद में लोग शामिल हुए हों।

बड़ी संख्या में यहां लोगों के पहुंचने से यातायात जाम हो गया था। बुखारी और उनके दो अंगरक्षकों की कल शाम इफ्तार से थोड़ा पहले श्रीनगर के लाल चौक के निकट प्रेस एनक्लेव में राइजिंग कश्मीर के कार्यालय के बाहर अज्ञात बंदूकधारियों ने गोली मार कर हत्या कर दी थी। बुखारी घाटी में शांति के लिए आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे। वह पाकिस्तान के साथ ट्रैक-2 प्रक्रिया का हिस्सा भी थे।

जम्मू-कश्मीर सेक्स स्कैंडल: 5 व्यक्तियों को 10 वर्ष की सज़ा सुनाई गई

भारत में सीबीआई की एक अदालत ने 2006 के जम्मू-कश्मीर सेक्स स्कैंडल मामले में सीमा सुरक्षा बल (बी एस एफ) के एक पूर्व डी आई जी सहित पांच व्यक्तियों को आज 10 वर्ष की सजा सुनायी। सजा विशेष सीबीआई न्यायाधीश गगनगीत कौर ने सुनायी।

जिन व्यक्तियों को सजा सुनायी गई है। उनमें बी एस एफ के पूर्व उप महानिरीक्षक (डी आई जी) के सी पाधी, जम्मू-कश्मीर के पूर्व उपाधीक्षक मोहम्मद अशरफ मीर, मकसूद अहमद, शबीर अहमद लांगू और शबीर अहमद लावाय शामिल हैं।

अदालत ने इसके साथ ही के सी पाधी और मोहम्मद अशरफ मीर पर एक - एक लाख रूपये का जुर्माना भी लगाया। जुर्माने का भुगतान नहीं करने पर उन्हें एक वर्ष अतिरिक्त सश्रम कारावास भुगतना होगा। अदालत ने इसके साथ ही मकसूद अहमद, शबीर अहमद लांगू और शबीर अहमद लावाय पर पचास - पचास हजार रूपये का जुर्माना भी लगाया और यदि वे इसका भुगतान नहीं करते हैं तो उन्हें छह महीने अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। अदालत ने पांचों को 30 मई को मामले में दोषी करार दिया था।

अदालत ने दो दोषियों को बरी कर दिया था जिनमें जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन महाधिवक्ता शामिल थे। जम्मू-कश्मीर का सेक्स स्कैंडल 2006 में तब मीडिया में सुर्खियां बना था, जब जम्मू-कश्मीर पुलिस ने दो सीडी बरामद की थी जिसमें कश्मीरी नाबालिग लड़कियों का यौन उत्पीड़न करते दिखाया गया था। इन पांच व्यक्तियों को दंड संहिता की धारा 376 के तहत दोषी ठहराया गया।

मुख्य आरोपी सबीना और उसके पति अब्दुल हामिद बुल्ला जो कथित रूप से एक वेश्यालय चलाते थे, उनकी सुनवाई के दौरान मृत्यु हो गई। जांच के दौरान जम्मू-कश्मीर पुलिस ने सेक्स स्कैंडल में कथित संलिप्तता के लिए 56 संदिग्धों की एक सूची तैयार की जिसमें कुछ हाई-प्रोफाइल लोग भी शामिल थे। मामला 2006 में तब सीबीआई को सौंप दिया गया था, जब इसमें कुछ मंत्रियों के भी नाम आये थे।

सुप्रीम कोर्ट ने उसी वर्ष बाद में इस मामले को चंडीगढ़ स्थानांतरित कर दिया था। जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने 2009 में तब अपना इस्तीफा सौंप दिया था, जब एक विपक्षी नेता ने उन्हें इस मामले से जोड़ा था। जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल ने यद्यपि उनका इस्तीफा कबूल नहीं किया था।

भारतीय सेना ने मेजर लीतुल गोगोई के खिलाफ कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी के आदेश दिए

भारतीय सेना ने मेजर नितिन लीतुल गोगोई के खिलाफ कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी के आदेश दिए हैं। जांच पूरी होने के बाद आगे की कार्रवाई की जायेगी। इससे पहले भारत के सेना प्रमुख बिपिन रावत ने आज कहा कि यदि मेजर लीतुल गोगोई किसी अपराध के दोषी पाये जाते हैं तो उन्हें कड़ी सजा दी जाएगी। एक पुलिस अधिकारी के अनुसार, 23 मई को श्रीनगर में जब मेजर गोगोई 16 साल की एक नाबालिग कश्मीरी लड़की के साथ होटल में घुसने की कोशिश कर रहे थे, तब होटल में कहासुनी होने पर उन्हें पुलिस ने कुछ समय के लिए हिरासत में लिया था।

आर्मी चीफ रावत ने आर्मी गुडविल स्कूल जाते समय पहलगाम में संवाददाताओं से कहा, ''यदि भारतीय सेना का कोई भी अधिकारी किसी भी अपराध का दोषी पाया जाता है तो हम कड़ी से कड़ी कार्रवाई करेंगे।'' उन्होंने कहा, ''यदि मेजर गोगोई ने कुछ गलत किया है तो मैं आपको आश्वासन देता हूँ कि उन्हें जल्द से जल्द सजा दी जाएगी। यह सजा एक मिसाल कायम करेगी।''

जम्मू-कश्मीर पुलिस ने गोगोई से जुड़ी इस घटना की जांच शुरु कर दी है। पिछले साल कश्मीर में अपने वाहन के बोनट पर एक कश्मीरी युवक को बांधने के कारण मेजर गोगोई के फैसले पर विवाद खड़ा हो गया था। बाद में मेजर गोगोई को क्लीनचिट दे दिया गया था और सरकार ने गोगोई को पुरस्कार भी दिया था।

कठुआ गैंगरेप: मंत्री और बीजेपी विधायक ने आरोपियों के समर्थन में निकाली गई रैली में जाने की बात कबूल की

कठुआ सामूहिक दुष्‍कर्म और हत्‍याकांड को लेकर जम्‍मू और कश्‍मीर की राजनीति गरमा गई है। आरोपियों के समर्थन में हिंदू एकता मंच की ओर से निकाली गई रैली में राज्‍य के मंत्री और बीजेपी के विधायक लाल सिंह ने भी शिरकत की थी।

सोशल मीडिया में वीडियो पहले ही वायरल हो चुका था। लेकिन भाजपा नेता ने अब जाकर सभा में शामिल होने की बात खुद कबूल की है।

उन्‍होंने आठ साल की बच्‍ची के साथ सामूहिक दुष्‍कर्म और हत्‍या के आरोपियों का बचाव करने के आरोपों से इनकार किया है। लाल सिंह ने कहा, ''हमने कभी किसी का समर्थन नहीं किया। बच्‍ची के साथ ज्‍यादती हुई है और ऐसा करने वालों को दंड जरूर मिलना चाहिए। वहां (सभा में) हमारी ड्यूटी लगी थी और मैं गंगाजी (जम्‍मू-कश्‍मीर में मंत्री और भाजपा विधायक प्रकाश चंद्र गंगा) के साथ गया था। लेकिन, हमारी ड्यूटी पीड़ि‍ता के खिलाफ के लिए नहीं लगाई गई थी। सभा में लोगों ने मामले की सी बी आई से जांच कराने की मांग रखी थी। मैंने उनकी मांग मैडम (मुख्‍यमंत्री महबूबा मुफ्ती) के समक्ष रखी थी, लेकिन उन्‍होंने इनकार कर दिया। बस मामला यहीं खतम हो गया। आगे जो भी कर रही हैं, वही कर रही हैं। हम तो कुछ कर नहीं रहे हैं।''

बता दें कि भाजपा कोटे के दो मंत्रियों के हिंदू एकता मंच की रैली में जाने से पी डी पी के लिए असहज स्थिति पैदा हो गई है।

कठुआ में इस साल जनवरी में एक आठ साल की बच्‍ची के साथ कई दिनों तक सामूहिक दुष्‍कर्म किया गया था और बाद में उसकी निर्मम हत्‍या कर दी थी। जम्‍मू-कश्‍मीर पुलिस की अपराध शाखा ने इस मामले में कुछ दिनों पहले ही आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। इसमें बच्‍ची के साथ की गई निर्ममता की बात सामने आई थी, जिसके बाद भारत भर में आरोपियों के खिलाफ सख्‍त से सख्‍त कार्रवाई की मांग ने जोर पकड़ लिया। वकीलों ने चार्जशीट दाखिल करने जा रही पुलिस के लिए अड़चनें भी खड़ी की थीं।

वहीं, जम्‍मू में हिंदूवादी संगठन आरोपियों के समर्थन में प्रदर्शन कर रहे हैं। विरोध-प्रदर्शन करने वाले धड़े ने मामले की सी बी आई से जांच कराने की मांग की है। ये लोग जम्‍मू-कश्‍मीर पुलिस पर पक्षपाती रवैया अपनाने का आरोप लगा रहे हैं।