दिल्ली हाईकोर्ट ने आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को बड़ी राहत देते हुए उनकी सदस्यता बहाल कर दी है। इसके साथ ही राष्ट्रपति के फैसले को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने चुनाव आयोग को मामले में फिर से सुनवाई करने को कहा है।
बता दें कि लाभ का पद मामले में आम आदमी पार्टी विधायकों ने दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। हाई कोर्ट ने चुनाव आयोग को इस मामले में फैसला आने तक उपचुनाव नहीं कराने का आदेश दिया था।
19 जनवरी 2017 को चुनाव आयोग द्वारा की गई सिफारिश पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 22 जनवरी को आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों की सदस्यता समाप्त कर दी थी। केजरीवाल सरकार ने इन विधायकों को संसदीय सचिवों के पद पर नियुक्ति की थी जिसे चुनाव आयोग ने लाभ का पद मानते हुए उनकी सदस्यता रद्द करने की सिफारिश की थी।
हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए आम आदमी पार्टी विधायकों ने आरोप लगाया था कि आयोग ने आरोपी विधायकों को अपना पक्ष रखने का अवसर नहीं दिया और एकपक्षीय सुनवाई करते हुए सदस्यता रद्द करने की सिफारिश राष्ट्रपति को भेज दी।
अब हाईकोर्ट ने मामले की फिर से सुनवाई करने का आदेश चुनाव आयोग को दिया है। हाईकोर्ट के फैसले के बाद आम आदमी पार्टी विधायक सौरव भारद्वाज ने बताया कि कोर्ट ने आयोग को फिर से लाभ का पद मामले की सुनवाई करने और आरोपी विधायकों की बात सुनने का आदेश दिया है।
इधर, दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने इस फैसले के बाद बधाई दी है और ट्वीट कर लिखा है, ''सत्य की जीत हुई। दिल्ली के लोगों द्वारा चुने हुए प्रतिनिधियों को ग़लत तरीक़े से बर्खास्त किया गया था। दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली के लोगों को न्याय दिया। दिल्ली के लोगों की बड़ी जीत। दिल्ली के लोगों को बधाई।''
हाईकोर्ट के फैसले से जिन विधायकों को राहत मिली है। उनमें अलका लांबा, आदर्श शास्त्री, संजीव झा, राजेश गुप्ता, कैलाश गहलोत, विजेंदर गर्ग, प्रवीण कुमार, शरद कुमार, मदन लाल खुफिया, शिव चरण गोयल, सरिता सिंह, नरेश यादव, राजेश ऋषि, अनिल कुमार, सोम दत्त, अवतार सिंह, सुखवीर सिंह डाला, मनोज कुमार, नितिन त्यागी और जरनैल सिंह (तिलक नगर) शामिल हैं।