अर्थव्यवस्था

सातवें वेतन आयोग: केंद्र सरकार ने एचआरए व अन्‍य भत्‍तों को दी मंजूरी

भारत में केंद्र सरकार ने सातवें वेतन आयोग द्वारा भत्‍तों से जुड़ी सिफारिशों को मंजूरी दे दी है। इससे 47 लाख केन्‍द्रीय कर्मचारियों को फायदा होगा। नए भत्ते और पेंशन 1 जुलाई 2017 से लागू होंगे।

केंद्रीय वित्‍त मंत्री अरुण जेटली ने बुधवार को प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में इसका ऐलान किया। नए भत्ते और पेंशन से सरकार पर लगभग 30 हजार करोड़ का अतिरिक्त खर्च आएगा। तीन देशों की यात्रा से लौटे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कैबिनेट बैठक में यह फैसला लिया।

सरकार ने सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को 34 संशोधनों के साथ मंजूरी दी है। उन्‍होंने कहा, ''जो पे कमीशन के सुझाव थे कर्मचारियों के पक्ष में, उनकों स्‍वीकार करके उनमें सुधार किया गया।''

केंद्र ने नए बेसिक पे का 24 फीसदी, 16 फीसदी और 8 फीसदी बतौर एचआरए देने का फैसला किया है। शहर के आधार पर एचआरए का प्रतिशत तय किया जाएगा। चूंकि न्‍यूनतम वेतन 18,000 रुपए है इसलिए शहर के आधार पर कम से कम 5400, 3600 और 1800 रुपए से कम एचआरए नहीं मिलेगा। इससे करीब 7.5 लाख कर्मचारियों को फायदा होगा।

हालांकि केंद्रीय कर्मचारियों की मांग थी कि 30 फीसदी, 24 फीसदी और 16 फीसदी एचआरए दिया जाए।

इसके अलावा जिन भत्‍तों पर कैबिनेट ने फैसला लिया है, वे इस प्रकार हैं:

सियाचीन अलाउंस
वित्त मंत्रालय के मुताबिक, सेना के जवानों के लिए सियाचीन भत्ता को 14 हजार रुपये प्रति महीना से बढ़ाकर 30 हजार रुपये प्रति महीना कर दिया गया है। जबकि सेना के अफसरों के लिए ये भत्ता 21 हजार रुपये से बढ़ाकर 42 हजार 500 रुपये हर महीना कर दिया गया है।

नर्सों और मंत्रालय के अस्पताल के स्टाफ के लिए
केन्द्र सरकार ने नर्सिंग भत्ता को बढ़ा दिया है, अब नर्सिंग भत्ता 4800 रुपये से बढ़कर 7200 रुपये प्रति महीना हो गया है। ऑपरेशन थियेटर अलाउंस को 360 रुपये प्रति महीना से बढ़ाकर 540 रुपये कर दिया गया है। इसके अलावा पेशेंट केयर भत्ता को 2070-2100 रुपये प्रति महीना से बढ़ाकर 4100-5300 रुपये हर महीना कर दिया गया है।

पेंशन भोगियों के लिए
पेंशन भोगियों के लिए स्थायी मेडिकल अलाउंस को 500 रुपये प्रति महीना से बढ़ाकर 1000 रुपये कर दिया गया है। इसके अलावा पूर्ण अशक्तता पर कॉन्सटेंट अटेंडेंस अलाउंस को 4500 रुपये प्रति महीना से बढ़ाकर 6750 रुपये कर दिया गया है।

खाद्य पदार्थों की कीमतों में गिरावट से महंगाई दर में भारी गिरावट दर्ज की गई

खाद्य पदार्थों की कीमतों में गिरावट से महंगाई दर में मई महीने में भारी गिरावट दर्ज की गई है। खुदरा अथवा उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित महंगाई दर मई में घटकर 2.18 फीसदी रही जो पिछले साल के इसी महीने में 5.76 फीसदी थी।

आधिकारिक आंकड़ों से सोमवार को मिली जानकारी के अनुसार, अप्रैल में महंगाई दर 2.99 फीसदी रही थी। उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचंकाक में (सीएफपीआई) मई में अपस्फीति देखी गई और यह नकारात्मक 1.05 फीसदी रही, जबकि साल 2016 की समान अवधि में यह 7.45 फीसदी पर थी।

इसमें कमी आने का मुख्य कारण दालों, अनाजों और खराब होने वाली वस्तुओं की कीमतों में गिरावट है। मई में सब्जियों की कीमतों में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 13.44 फीसदी की गिरावट आई, दालों की कीमत में 19.44 फीसदी की तेज गिरावट आई। समीक्षाधीन माह में खाद्य पदार्थ और बेवरेज की कीमतों में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 0.22 फीसदी की गिरावट आई।

गैर खाद्य पदार्थ श्रेणी में 'ईधन और बिजली' के क्षेत्र में सबसे ज्यादा 5.46 फीसदी की मुद्रास्फीति दर रही। ग्रामीण सीपीआई की दर मई में बढ़कर 2.30 फीसदी रही, जबकि शहरी क्षेत्रों में खुदरा महंगाई दर 2.13 फीसदी रही। साल 2012 के बाद से मुद्रास्फीति की दर में यह सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई है।

इस संबंध में पिछले हफ्ते भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने वित्त वर्ष 2017-18 की अपनी दूसरी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में प्रमुख ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं किया और इसे 6.25 फीसदी पर बरकरार रखा था।

अब महंगाई दर के नये आंकड़े आने के बाद रिजर्व बैंक पर ब्याज दर घटाने का दबाव बढ़ सकता है। अगर रिजर्व बैंक ब्याज दर घटाता है तो बैंकों को आरबीआई से अधिक नगदी मिल सकेगी और इस वजह से कस्टमर्स को भी सस्ते लोन मिल सकेंगे।

अगर किसानों का कर्ज माफ किया तो बढ़ेगी महंगाई: आरबीआई

राज्य सरकारों द्वारा किसानों के कर्ज माफ करने पर चिंता जताते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बुधवार को कहा कि ऐसे कदम से वित्तीय घाटा और महंगाई में वृद्धि का खतरा बढ़ जाएगा।

आरबीआई के गवर्नर उर्जित पटेल ने रेपो रेट को यथावत रखने की जानकारी देते हुए संवाददाताओं से कहा, मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के प्रस्ताव में कहा गया है कि अगर बड़े पैमाने पर किसानों के ऋण माफ किए गए तो इससे वित्तीय घाटा बढ़ने का खतरा है।

उन्होंने कहा कि जब तक राज्यों के बजट में वित्तीय घाटा सहने की क्षमता नहीं आ जाती, तब तक किसानों के ऋण माफ करने से बचना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह पिछले 2-3 साल में हुए वित्तीय लाभ को घटा सकता है।

उन्होंने यह भी कहा कि वित्तीय घाटा बढ़ने से जल्द ही महंगाई भी बढ़ने लगेगी। पटेल ने कहा कि पहले भी देखा गया है कि किसानों के ऋण माफ करने से महंगाई बढ़ी है।

उन्होंने कहा, ''इसलिए हमें बेहद सावधानी से कदम रखने चाहिए, इससे पहले कि स्थिति नियंत्रण से बाहर हो जाए।''

उत्तर प्रदेश के बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी राज्य के इतिहास में सबसे बड़े कृषि ऋण माफी की घोषणा की है।

वहीं दूसरी ओर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति ने नीतिगत समीक्षा से पहले वित्त मंत्रालय के चर्चा के आग्रह को खारिज कर दिया। आरबीआई के गर्वनर उर्जित पटेल ने बुधवार को यह खुलासा किया। आरबीआई ने सरकार की उम्मीद को धता बताते हुए लगातार चौथी मौद्रिक नीति समीक्षा में प्रमुख ब्याज दर को 6.25 फीसदी पर यथावत रखा है।

पटेल ने चालू वित्त वर्ष की दूसरी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा की घोषणा करते हुए संवाददाताओं से कहा, ''जहां तक वित्त मंत्रालय द्वारा एमपीसी सदस्यों को बैठक के लिए दिए गए आमंत्रण का सवाल है। तो एमपीसी के सभी सदस्यों ने वित्त मंत्रालय के अनुरोध को ठुकरा दिया।''

हालांकि पटेल ने यह नहीं बताया कि वित्त मंत्रालय से यह आमंत्रण कब मिला था। पटेल से यह पूछा गया कि क्या मंत्रालय ने आरबीआई की स्वतंत्रता और स्वायत्तता पर हमला किया था। उन्होंने कहा, समिति ने इस आमंत्रण को स्वीकार नहीं किया। छह सदस्यीय एमपीसी ने पिछले साल अक्टूबर से दरों पर निर्णय लेने का काम शुरू किया है। यह पहली बार है कि सदस्यों के बीच सर्वसम्मति से निर्णय नहीं लिया गया। पांच सदस्यों ने दर यथावत रखने और एक सदस्य ने इसके विरोध में मतदान किया था। एमपीसी के छह सदस्यों में से तीन सरकार द्वारा नामित किए गए हैं, जबकि तीन सदस्य आरबीआई के हैं।

महंगाई की मार: पेट्रोल और डीजल की कीमतों में की गई बढ़ोत्तरी

भारत में महंगाई की मार झेल रही जनता को पेट्रोल और डीजल की कीमतों को लेकर फिर से झटका लगा है।

भारत में बुधवार (31 मई) को पेट्रोल और डीजल की कीमतों को बढ़ाने का फैसला लिया गया।

पेट्रोल की कीमत में 1.23 रुपए प्रति लीटर और डीजल की कीमतों में 0.89 रुपए प्रति लीटर की वृद्धि की गई है।

बढ़ी हुई कीमतें आधी रात के बाद से लागू हो गई।

इससे पहले 16 मई को ईधन की कीमतों की समीक्षा की गई थी। इस समय पेट्रोल और डीजल के दामों में कटौती की गई थी। पेट्रोल की कीमत में प्रति लीटर 2.16 रुपए और डीजल में 2.10 रुपए की कमी की गई थी।

बैंकों का ब्‍याज नहीं चुका रही अनिल अंबानी की कंपनी

उद्योगपति अनिल अंबानी की अगुआई वाली अनिल धीरूभाई अंबानी एंटरप्राइजेज की हालत क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों के अनुमान से कहीं ज्यादा खराब है। रिलायंस कम्युनिकेशन पर 10 से ज्यादा स्थानीय बैंकों का लोन बकाया है।

कई बैंकों ने तो अपनी एसेट बुक में स्पेशल मेंशन अकाउंट (एसएमए) के तौर पर रिलायंस के लोन को दर्ज कर लिया है। एसएमए लोन वो होते हैं जिसमें कर्ज लेने वाले ने ब्याज नहीं चुकाया होता। अगर तय तारीख से 30 दिनों तक इन लोन का भुगतान नहीं किया जाता तो उसे एसएमए 1 और 60 दिनों बाद उसे एसएमए 2 श्रेणी में डाल दिया जाता है।

अगर 90 दिनों के बाद भी बैंक को बकाया वापस नहीं किया जाता तो उसे नॉन परफॉर्मिंग असेट (एनपीए) में डाल दिया जाता है।

बिजनेस अखबार इकनॉमिक टाइम्स ने एक बैंक अधिकारी के हवाले से बताया कि अब तक देश के 10 बैंकों ने लोन को एसएमए 1 और एसएमए 2 में डाल दिया है। एक अन्य ने कहा कि एक हफ्ते बाद कुछ बैंकों को इस लोन को एनपीए में डालना होगा।

केयर और आईसीआरए द्वारा दी गई खराब रेटिंग के बाद आरकॉम के शेयर 20 प्रतिशत तक गिर गए हैं।

हालांकि रेटिंग एजेंसियों को एसएमए लोन की जानकारियाँ नहीं है क्योंकि उसे बैंक आपस में या रिजर्व बैंक से साझा करते हैं।

केयर ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि मुकेश अंबानी की अगुआई वाली रिलायंस जियो के प्रभाव के कारण रिलायंस कम्युनिकेशन में गिरावट आई है।

रिपोर्ट के मुताबिक, आरकॉम के लोन डिफॉल्ट के बारे में कंपनी के प्रवक्ता ने कहा, ''एयरसेल और ब्रुकफील्ड के साथ समझौते के बाद आरकॉम ने बैंकों से कहा कि वह 25,000 करोड़ रुपये का कर्ज 30 सितंबर 2017 तक या उससे पहले चुकाएगी। इसमें सभी शेड्यूल्ड पेमेंट तो आएंगी ही, कंपनी लोन का प्री-पेमेंट भी करेगी।''

आरकॉम को जनवरी-मार्च तिमाही में 966 करोड़ का नुकसान झेलना पड़ा था जो उसका लगातार दूसरा तिमाही नुकसान था। वित्त वर्ष 2017 भी आरकॉम के लिए नुकसान का पहला साल रहा।

मार्च 31 आरकॉम पर 42000 करोड़ का बकाया था जिसे वह एयरसेल और ब्रूकफील्ड के साथ डील करने के बाद घटाना चाहती है। इन कंपनियों को आरकॉम 11 हजार करोड़ रुपये में अपनी टावर यूनिट रिलायंस इन्फ्राटेल का 51 प्रतिशत हिस्सा बेच रही है। कड़ी स्पर्धा के अलावा लागत में बढ़ोत्तरी के कारण चौथी तिमाही की कमाई भी प्रभावित हुई है।

जीएसटी: सेवाओं की दरें तय

गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) की दरों को भारत के वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा तय कर दिया गया है। शुक्रवार (19 मई) को ऐलान किया गया कि हेल्थकेयर व शिक्षा को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा जाएगा।

वहीं बाकी सेवाओं के लिए 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत की दर तय की गई हैं।

ट्रांसपोर्ट की सेवा पर पांच प्रतिशत टैक्स तय किया गया है।

रेस्टोरेंट जिनका टर्नओवर पचास लाख रुपए या फिर उससे नीचे हैं उनको भी पांच प्रतिशत टैक्स स्लेब में रखा गया है।

वहीं नॉन ए सी रेस्टोरेंट को 12 प्रतिशत की स्लैब में रखा गया है।

अरुण जेटली ने बताया कि जिस ए सी रेस्टोरेंट ने दारू का लाइसेंस ले रखा होगा उसको 18 प्रतिशत की स्लैब में रखा जाएगा। वहीं पांच सितारा होटल 28 प्रतिशत वाली स्लैब में आएंगे। जिन होटलों का किराया एक हजार रुपए तक है वह 12 प्रतिशत वाली स्लैब में आएंगे।

जेटली ने कहा कि दूरसंचार, वित्तीय सेवाओं पर 18 प्रतिशत की दर से जीएसटी लगेगा जबकि सिनेमा हॉल, जुआ घरों और घुड़ दौड़ पर 28 प्रतिशत की दर से जीएसटी लगाया जायेगा।

राजस्व सचिव हसमुख अधिया ने हवाई यात्रा का जिक्र करते हुए बताया कि एकोनामी क्लास में हवाई यात्रा पर 5 प्रतिशत और बिजनेस क्लास पर 12 प्रतिशत जीएसटी लगेगा।

वहीं ओला और उबर जैसी ऐप के जरिये कैब सेवायें उपलब्ध कराने वाली कंपनियों पर पांच प्रतिशत दर से जीएसटी लगेगा।

जीएसटी को एक जुलाई से लागू कर दिया जाएगा। इसको आजादी के बाद का सबसे बड़ा कर सुधार कहा जा रहा है। अबतक लगने वाले सभी टैक्स जैसे एक्साइज ड्यूटी, वैट, सर्विस टैक्स, एंट्री, लग्जरी और इंटरटेनमेंट लेवी सब इसमें होंगे।

व‍िदेशी न‍िवेश पर फैसला लेने वाले बोर्ड को भंग करने का प्रस्‍ताव

कांग्रेस नेता और भारत के पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम के चैन्नई स्थित घर पर छापेमारी के एक दिन बाद ही फॉरेन इनवेस्टमेंट पर्सनल बोर्ड (एफआईपीबी) को भंग करने का प्रस्ताव मोदी की कैबिनेट में पहुंच गया है। यह छापेमारी इसलिए की गई थी कि क्या उनके वित्त मंत्री रहते हुए विदेशी निवेश प्रस्ताव को अवैध रूप से मंजूरी दी गई?

एफआईपीबी का गठन दो दशक पहले किया गया था। इसमें अलग-अलग मंत्रालयों के पांच ब्यूरोक्रेट्स होते हैं। यह भारत में 600 करोड़ रुपये तक के विदेशी निवेश को मंजूरी दे सकते हैं। इससे बड़े निवेश का फैसला कैबिनेट कमिटी करती है।

फरवरी में आम बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि भारत में बिजनेस करने को सरल बनाना है। इसमें प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए सुधार करने में एफआईपीबी को खत्म करना शामिल है। यह वित्त मंत्रालय का ही एक हिस्सा है।

वित्त मंत्री ने कहा था कि अगले कुछ महीनों में विदेशी निवेश के आवेदन के लिए रोडमैप की घोषणा की जाएगी। कैबिनेट की मंजूरी के एक महीने के अंदर ही एफआईपीबी के भंग होने की संभावना है।

खबरों के मुताबिक, प्रासंगिक मंत्रालयों और नियामकों को निवेश के प्रस्तावों को मंजूरी देने के लिए अधिकृत किया जाएगा। स्वीकृति मांगने वाली कंपनियों को एक नई वेबसाइट के जरिए ऑनलाइन आवेदन करने के लिए कहा जा सकता है जो संबंधित मंत्रालयों को सीधे आवेदन पहुंचा देगी। 2015 की शुरूआत में एफआईपीबी ने अपने फैसलों में तेजी लाने के लिए एक महीने में दो बार मीटिंग करना शुरू कर दिया था।

रक्षा और खनन जैसे कुछ क्षेत्रों को छोड़कर सरकारी अप्रूवल की जरूरत नहीं है। यह 49 फीसदी तक की इक्विटी विदेशी खरीदार को दे सकते हैं। भारत में 90 फीसदी से ज्यादा एफडीआई (विदेशी प्रत्यक्ष निवेश) का प्रवाह इस स्वचालित मार्ग से होता है। वित्त वर्ष 2016 के पहले 6 महीने में ही लगभग 1,45,000 करोड़ रुपये का विदेश प्रत्यक्ष निवेश आ गया था। वित्त मंत्रालय के मुताबिक वित्त वर्ष 2015 के पहले 6 महीने की तुलना में यह 36 फीसदी ज्यादा था।

पीटर मुखर्जी के आईएनएक्स मीडिया को मंजूरी देने के मामले में पूर्व वित्त मंत्री पी. चिंदबरम के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के बाद सीबीआई ने चिंदबरम व उनके बेटे कार्ति चिंदबरम के घर पर छापेमारी की एफआईआर में इंद्राणी मुखर्जी, पीटर मुखर्जी और कार्ति चिदंबरम का भी नाम शामिल था।

विप्रो के दफ़्तर पर जैविक हमला करने की धमकी

बेंगलुरु स्थित सूचना प्रोद्यौगिकी की मेगा कंपनी विप्रो को एक धमकी भरा मेल मिला है। इस मेल के जरिये कंपनी को 25 मई तक 500 करोड़ रुपये इंटरनेट के जरिये जमा कराने को कहा गया है। ऐसा ना करने की स्थिति में मेल भेजने वाले ने कंपनी के दफ़्तर पर ड्रोन के जरिये जहरीले रसायन से जैविक हमला करने की धमकी दी है।

अज्ञात शख्स से मिले इस मेल में पेमेंट करने के लिए एक लिंक भी दिया गया है और कहा गया है कि वे अपनी धमकी को सच साबित करने का एक नमूना भी देंगे और आने वाले दिनों में जहरीले रसायन का 2 ग्राम सैंपल भी विप्रो के किसी एक दफ़्तर में भेजेंगे।

खबरों के अनुसार, ई मेल भेजने वाले गुमनाम शख्स ने मेल में लिखा है कि अगर कंपनी पैसा नहीं देती है तो कंपनी पर हमले के लिए एक प्राकृतिक जहर रिसिन (Ricin) का इस्तेमाल किया जाएगा।

मेल भेजने वाले का कहना है कि वो कंपनी के कैफेटेरिया में, या फिर ड्रोन के जरिये इस केमिकल को विप्रो परिसर में डाल देगा। उसने ये भी धमकी दी है कि वो इस केमिकल को टॉयलेट सीट पर भी डाल सकता है। इस शख्स ने बिटक्वाइंस के जरिये पेमेंट भेजने की मांग की है। बिटक्वाइंस इंटरनेट के जरिये वित्तीय लेन-देन के लिए इस्तेमाल की जाने वाली करेंसी है।

कंपनी ने इस मामले में पुलिस में शिकायत दर्ज करवा दी है। विप्रो के सुरक्षा अधिकारियों ने बताया कि इस मेल के मिलने के बाद दफ़्तर परिसर में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। इस धमकी का कंपनी के रोजाना ऑपरेशन पर कोई असर नहीं पड़ा है।

बेंगलुरु पुलिस ने शिकायत मिलने के बाद जांच शुरू कर दी है।  बेंगलुरु पुलिस की साइबर विंग इस केस की जांच कर रही है और मेल कहां से लिखा गया है और किस आईपी एड्रेस के जरिये भेजा गया है इसकी जांच कर रही है।

पुलिस का कहना है कि ये फर्जी मेल भी हो सकता है। बेंगलुरु के एडिशनल कमिश्नर एस रवि ने बताया कि वे अपने सभी साधनों के जरिये ये जानने की कोशिश करेंगे कि ये धमकी वास्तविक है या झूठ। साल 2013 में भी विप्रो ऑफिस को उड़ाने की धमकी मिली थी जो बाद में फर्जी साबित हुई थी।

सुप्रीम कोर्ट ने सहारा आम्‍बी वैली की नीलामी के आदेश दिए

सुप्रीम कोर्ट ने सहारा समूह को तगड़ा झटका दिया है। शीर्ष अदालत ने पुणे स्थित समूह की संपत्ति आम्‍बी वैली की नीलामी के आदेश दिए हैं।

सहारा समूह अपने निवेशकर्ताओं को जमा रकम लौटा पाने में नाकाम रहा जिसके बाद अदालत ने यह फैसला दिया। सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने सहारा समूह के सुब्रत रॉय को इस मामले में 28 अप्रैल को होने वाली सुनवाई में खुद मौजूद रहने के निर्देश दिए हैं।

शीर्ष अदालत ने 21 मार्च को हुई सुनवाई में सहारा समूह को आगाह किया था कि अगर वह 17 अप्रैल तक बकाया 5,092.6 करोड़ रुपए नहीं जमा कराता, तो पुणे में उसकी आम्‍बी वैली की 39,000 करोड़ रुपए मूल्‍य की प्रमुख संपत्ति की नीलामी की जाएगी। उच्चतम न्यायालय ने इससे पहले धन की वसूली के लिए सहारा समूह की इस प्रमुख संपत्ति की कुर्की का आदेश दिया था।

शीर्ष अदालत ने 21 मार्च की सुनवाई में सहारा समूह से दो सप्ताह में उन संपत्तियों की सूची देने को कहा था जिन पर किसी तरह की देनदारी नहीं है और जिन्हें सार्वजनिक नीलामी के लिए रखा जा सकता है ताकि निवेशकों को लौटाए जाने वाले मूल धन के शेष 14,000 करोड़ रुपए की राशि जुटाई जा सके।

निवेशकों से जुटायी गयी मूल राशि 24,000 करोड़ रुपए है जिसे लौटाया जाना है। यह पैसा सेबी-सहारा खाते में जमा कराया जाना है।

न्यायालय ने पिछले साल 28 नवंबर को सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत राय को जेल से बाहर रहने के लिए 6 फरवरी तक सेबी-सहारा रिफंड खाते में 600 करोड़ रुपए जमा कराने को कहा था।

न्यायालय ने चेतावनी दी थी कि यदि वह ऐसा नहीं कर पाते हैं तो उन्हें वापस जेल भेज दिया जाएगा।

लोक सभा के बाद राज्‍य सभा से भी पास हुआ जीएसटी बिल

संसद ने देश में ऐतिहासिक कर सुधार व्यवस्था जीएसटी को लागू करने का मार्ग प्रशस्त करते हुए आज वस्तु एवं सेवा कर से जुड़े चार विधेयकों को मंजूरी दे दी।

साथ ही सरकार ने आश्वस्त किया कि नयी कर प्रणाली में उपभोक्ताओं और राज्यों के हितों को पूरी तरह से सुरक्षित रखा जाएगा तथा कृषि पर कर नहीं लगाया जाएगा।

राज्यसभा ने आज केंद्रीय माल एवं सेवा कर विधेयक 2017 'जीएसटी विधेयक', एकीकृत माल एवं सेवा कर विधेयक 2017 आई जीएसटी विधेयक', संघ राज्य क्षेत्र माल एवं सेवाकर विधेयक 2017 और माल एवं सेवाकर 'राज्यों को प्रतिकर' विधेयक 2017 को सम्मिलित चर्चा के बाद लोकसभा को ध्वनिमत से लौटा दिया। इन विधेयकों पर लाये गये विपक्ष के संशोधनों को उच्च सदन ने खारिज कर दिया।

धन विधेयक होने के कारण इन चारों विधेयकों पर राज्यसभा में केवल चर्चा करने का अधिकार था। लोकसभा 29 मार्च को इन विधेयकों को मंजूरी दे चुकी है।

वस्तु एवं सेवा कर संबंधी विधेयकों पर चर्चा का जवाब देते हुए वित्त मंत्री अरूण जेटली ने विपक्ष की इन आशंकाओं को निर्मूल बताया कि इन विधेयकों के जरिये कराधान के मामले में संसद के अधिकारों के साथ समझौता किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि पहली बात तो यह है कि इसी संसद ने संविधान में संशोधन कर जीएसटी परिषद को करों की दर की सिफारिश करने का अधिकार दिया है।

जेटली ने कहा कि जीएसटी परिषद पहली संघीय निर्णय करने वाली संस्था है। संविधान संशोधन के आधार पर जीएसटी परिषद को मॉडल कानून बनाने का अधिकार दिया गया। जहां तक कानून बनाने की बात है तो यह संघीय ढांचे के आधार पर होगा, वहीं संसद और राज्य विधानसभाओं की सर्वोच्चता बनी रहेगी। हालांकि इन सिफारिशों पर ध्यान रखना होगा क्योंकि अलग-अलग राज्य अगर-अलग दर तय करेंगे तो अराजक स्थिति उत्पन्न हो जायेगी। यह इसकी सौहार्दपूर्ण व्याख्या है और इसका कोई दूसरा अर्थ नहीं निकाला जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि संविधान में संशोधन कर यह सुनिश्चित किया गया है कि यह देश का एकमात्र ऐसा कर होगा जिसे राज्य एवं केंद्र एक साथ एकत्र करेंगे। एक समान कर बनाने की बजाए कई कर दर होने के बारे में आपत्तियों पर स्थिति स्पष्ट करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि कई खाद्य उत्पाद हैं जिनपर अभी शून्य कर लगता है और जीएसटी प्रणाली लागू होने के बाद भी कोई कर नहीं लगेगा। कई चीजें ऐसी होती हैं जिन पर एक समान दर से कर नहीं लगाया जा सकता। जैसे तंबाकू, शराब आदि की दरें ऊँची होती हैं जबकि कपड़ों पर सामान्य दर होती है।

जेटली ने कहा कि जीएसटी परिषद में चर्चा के दौरान यह तय हुआ कि आरंभ में कई कर लगाना ज्यादा सरल होगा। वित्त मंत्री ने कहा कि जीएसटी परिषद ने विचार-विमर्श के बाद जीएसटी व्यवस्था में 0, 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत की दरें तय की है। लक्जरी कारों, बोतल बंद पेयों, तंबाकू उत्पाद जैसी अहितकर वस्तुओं एवं कोयला जैसी पर्यावरण से जुड़ी सामग्री पर इसके ऊपर अतिरिक्त उपकर भी लगाने की बात कही है।

उन्होंने कहा कि 28 प्रतिशत से अधिक लगने वाला उपकर (सेस) मुआवजा कोष में जायेगा और जिन राज्यों को नुकसान हो रहा है, उन्हें इसमें से राशि दी जायेगी। ऐसा भी सुझाव आया कि इसे कर के रूप में लगाया जाए। लेकिन कर के रूप में लगाने से उपभोक्ताओं पर प्रभाव पड़ता। बहरहाल, उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त कर नहीं लगाया जायेगा।

जेटली ने कहा कि मुआवजा उन राज्यों को दिया जायेगा जिन्हें जीएसटी प्रणाली लागू होने से नुकसान हो रहा हो। यह आरंभ के पांच वर्षो के लिए होगा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस नीत संप्रग सरकार के दौरान इसलिए जीएसटी पर आमसहमति नहीं बन सकी क्योंकि नुकसान वाले राज्यों को मुआवजे के लिए कोई पेशकश नहीं की गई थी। जीएसटी में मुआवजे का प्रावधान 'डील करने में सहायक' हुआ और राज्य साथ आए।

जीएसटी में रीयल इस्टेट क्षेत्र को शामिल नहीं किये जाने पर कई सदस्यों की आपत्ति पर स्पष्टीकरण देते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि यह एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें राज्यों को काफी राजस्व मिलता है। इसमें रजिस्ट्री तथा अन्य शुल्कों से राज्यों की आय होती है इसलिए राज्यों की राय के आधार पर इसे जीएसटी में शामिल नहीं किया गया है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जीएसटी परिषद में कोई भी फैसला लेने में केंद्र का वोट केवल एक तिहाई है जबकि दो तिहाई वोट राज्यों को है। इसलिए कोई भी फैसला करते समय केंद्र अपनी राय थोपने के पक्ष में नहीं है।

वस्तु एवं सेवा कर को संवैधानिक मंजूरी प्राप्त पहला संघीय अनुबंध करार देते हुए जेटली ने कहा कि उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त कर का भार नहीं डालते हुए जीएसटी के माध्यम से देश में 'एक राष्ट्र, एक कर' की प्रणाली लागू करने का मार्ग प्रशस्त होगा। वित्त मंत्री ने कहा कि जीएसटी परिषद कर ढांचे को सर्वसम्मति से तय कर रही है और इस बारे में अब तक 12 बैठकें हो चुकी हैं। यह विधेयक केंद्र और राज्य सरकारों के बीच साझी संप्रभुता के सिद्धांत पर आधारित है और यह ऐसी पहली पहल है।

जीएसटी के लागू होने पर केंद्रीय स्तर पर लगने वाले उत्पाद शुल्क, सेवाकर और राज्यों में लगने वाले मूल्य वर्धित कर (वैट) सहित कई अन्य कर इसमें समाहित हो जायेंगे। जेटली ने विधेयकों को स्पष्ट करते हुए कहा कि केंद्रीय जीएसटी संबंधी विधेयक के माध्यम से उत्पाद, सेवा कर और अतिरिक्त सीमा शुल्क समाप्त हो जाने की स्थिति में केंद्र को कर लगाने का अधिकार होगा। समन्वित जीएसटी या आईजीएसटी के जरिये वस्तु और सेवाओं की राज्यों में आवाजाही पर केंद्र को कर लगाने का अधिकार होगा।

कर छूट के संबंध में मुनाफे कमाने से रोकने के उपबंध के बारे में स्थिति स्पष्ट करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि अगर 4.5 प्रतिशत कर छूट दी जाती है तब इसका अर्थ यह नहीं कि उसे निजी मुनाफा माना जाए बल्कि इसका लाभ उपभोक्ताओं को भी दिया जाए। इस उपबंध का आशय यही है।

वित्त मंत्री ने कहा कि रियल इस्टेट की तरह ही स्थिति शराब और पेट्रोलियम उत्पादों के संबंध में भी थी। राज्यों के साथ चर्चा के बाद पेट्रोलियम पदार्थो को इसके दायरे में लाया गया है, लेकिन इसे अभी शून्य दर के तहत रखा गया है। इस पर जीएसटी परिषद विचार करेगी। शराब अभी भी इसके दायरे से बाहर है।

वित्त मंत्री ने कहा कि पहले एक व्यक्ति को व्यवसाय के लिए कई मूल्यांकन एजेंसियों के पास जाना पड़ता था। आर्थिक गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए उत्पाद शुल्क, सेवा कर, राज्य वैट, मनोरंजन कर, प्रवेश शुल्क, लक्जरी टैक्स एवं कई अन्य कर से गुजरना पड़ता था।

वित्त मंत्री ने कहा कि वस्तुओं और सेवाओं का देश में सुगम प्रवाह नहीं था। ऐसे में जीएसटी प्रणाली को आगे बढ़ाया गया। एक ऐसा कर जहां एक मूल्यांकन अधिकारी हो। अधिकतर स्व मूल्यांकन हों और आॅडिट मामलों को छोड़कर केवल सीमित मूल्यांकन हो।

जेटली ने कहा कि कर के ऊपर कर लगता है जिससे मु्रदास्फीति की प्रवृत्ति बढ़ती है। इसलिए सारे देश को एक बाजार बनाने का विचार आया। यह बात आई कि सरल व्यवस्था देश के अंदर लाई जाए। कृषि को जीएसटी के दायरे में लाने को निर्मूल बताते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि कृषि एवं कृषक को पंजीकरण की आवश्यकता नहीं होती है। धारा 23 के तहत कृषक एवं कृषि को छूट मिली हुई है। इसलिए इस छूट की व्याख्या के लिए परिभाषा में इसे रखा गया है। इस बारे में कोई भ्रम नहीं होना चाहिए। जेटली ने कहा कि कृषि उत्पाद जब शून्य दर वाले हैं तब इस बारे में कोई भ्रम की स्थिति नहीं होनी चाहिए।

इस बारे में कांग्रेस की आपत्तियों को खारिज करते हुए जेटली ने कहा कि 29 राज्य, दो केंद्र शासित प्रदेश और केंद्र ने इस पर विचार किया जिसमें कांग्रेस शासित प्रदेश के आठ वित्त मंत्री शामिल थे। ''तब क्या इन सभी ने मिलकर एक खास वर्ग के खिलाफ साजिश की?'' जीएसटी लागू होने के बाद वस्तु एवं जिंस की कीमतों में वृद्धि की आशंकाओं को खारिज करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि कर की दर वर्तमान स्तर पर रखी जाएगी ताकि इसका मुद्रास्फीति संबंधी प्रभाव नहीं पड़े।

जेटली ने कहा कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा जीएसटी के बारे में अपना एक विधान लाएगी। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के वित्त मंत्री ने जीएसटी परिषद की सभी बैठकों में भाग लिया है।

उच्च सदन ने तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन का जो संशोधन खारिज किया उसमें कहा गया था कि जीएसटी परिषद के सभी फैसलों की संसद से मंजूरी दिलवायी जानी चाहिए।