मैगजीन

ट्रंप के आदेश के बाद न्यूयार्क हवाई अड्डे पर हिरासत में लिए गए यात्री

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रवासियों और शरणार्थियों के अमेरिका में प्रवेश पर अस्थायी रूप से रोक लगाये जाने के आदेश के बाद अमेरिका में आने पर हिरासत में लिये गये लोगों के परिवारों के सदस्य न्यूयॉर्क शहर के कैनेडी हवाई अडडे पर परेशान और हताश नजर आ रहे थे।


ट्रंप ने शुक्रवार को जिस समय मुख्य रूप से सात मुस्लिम देशों के नागरिकों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया था उस समय कई विमान अमेरिका के लिए पहले ही रवाना हो चुके थे।

वकीलों ने कल कहा, उन्हें इस बारे में पूरी जानकारी नहीं है कि विमान के रवाना होने के बाद कितने लोगों को हिरासत में लिया गया है। हवाई अड्डे पर अपने प्रियजनों को रिहा किये जाने या वापस विमान से भेजे जाने का इंतजार कर रहे घबराये हुये दर्जनों लोगों में 25 वर्षीय योसरे घालेद भी शामिल थीं।

उनकी सास की 67 वर्षीय बहन को न्यूयॉर्क में सउदी अरब से आये एक विमान से उतरने के बाद हिरासत में ले लिया गया। उनकी सास की बहन यमन की नागरिक हैं जो अपने परिवार के साथ रहने के लिए अमेरिका इसलिए आ रहीं थी क्योंकि उन्हें दिल और मधुमेह से सबंधित समस्याएं हैं।

घालेद ने कहा, हम बहुत दुखी हैं। उनकी हालत बहुत खराब है। हम उनके अंतिम दिनों में उन्हें एक अच्छी जिंदगी देने की कोशिश कर रहे हैं।

उन्होंने बताया कि उनके परिवार से कहा गया है कि उन्हें प्रवेश नहीं दिया जाएगा और वापस सउदी अरब जाने वाले विमान में बिठा दिया जाएगा।

ट्रंप ने कहा है कि अस्थायी यात्रा प्रतिबंध का मकसद संभावित आतंकवादियों को अमेरिका से बाहर रखना है।

यूरोप को मात दे रही भारत की ठंड

यूरोप में अत्यधिक ठंड सामान्य बात है, लेकिन पिछले एक हफ्ते में अपेक्षाकृत गर्म माने जाने वाले भारत में कड़ाके की ठंड पड़ रही है। भारत की ठंड यूरोप को मात दे रही है। भारत के कई शहरों का न्यूनतम तापमान यूरोपीय शहरों से भी नीचे चला गया है।

भारत की राजधानी दिल्ली के सफदरजंग में गुरुवार को न्यूनतम तापमान 3.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जबकि स्पेन की राजधानी मैड्रिड में न्यूनतम तापमान भी इतना ही दर्ज किया गया। दिल्ली के लोधी रोड में तो 2 डिग्री पारा रहा।

भारत के प्रान्त हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला और जम्मू-कश्मीर की राजधानी श्रीनगर में न्यूनतम तापमान क्रमश: 0.6 और -5 डिग्री दर्ज किया गया। वहीं जिनेवा का पारा 0 और ज्यूरिख का तापमान मात्र -1 डिग्री सेल्सियस रहा।

हिमालय पर्वत की हवाओं से बेपरवाह रहने वाले दक्कन के शहरों की सुबह भी इस बार सर्द हो रही है। नासिक, पुणे और अहमदनगर में गुरुवार को क्रमश: 6, 7 और 8 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया।

भारतीय मौसम विभाग के मुताबिक, अगले 48 घंटों में न्यूनतम तापमान में गिरावट के साथ गलन बढ़ेगी। उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड के कई इलाकों में तापमान 7 डिग्री से नीचे चले जाने की उम्मीद है।

पश्चिमी विक्षोभ की वजह से जम्मू-कश्मीर के ऊपर कम दबाव का क्षेत्र सक्रिय है। इसकी वजह से ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी हो रही है। पूर्वी उत्तर प्रदेश में आतंरिक चक्रवात की स्थिति से भी तापमान में गिरावट के हालात पैदा हुए हैं।

यूरोप की सर्दी के मुकाबले भारत में पड़ रही ठंड सेहत के लिए अधिक घातक है। यूरोप में अधिकतम और न्यूनतम तापमान में अधिक अंतर नहीं होता। साथ ही यूरोपीय (कॉकेशियन) के जीन कठोर सर्दी के अनुकूल है। इसके उलट भारत में न्यूनतम और अधिकतम तापमान में 25 डिग्री तक का अंतर होता है।

रेलवे के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि 26 ट्रेनें देरी से चल रही हैं। आठ के समय में परिवर्तन किया गया, जबकि 7 को रद्द कर दिया गया।

हाड़ कंपा देने वाली ठंड के चलते नोएडा में कक्षा 12 तक के सभी स्कूल 15 जनवरी तक बंद कर दिए गए हैं।

कांग्रेस का सत्ता में आने पर चार सप्ताह में पंजाब को नशामुक्त करने का वादा

भारत के प्रान्त पंजाब में 4 फरवरी को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए सोमवार को उदार राजनैतिक पार्टी कांग्रेस ने अपना घोषणा पत्र जारी क्रिया। कांग्रेस ने सत्ता में आने पर चार सप्ताह में पंजाब को नशामुक्त करने के लिए कदम उठाने का वादा किया है। साथ ही, पंजाब में रोजगार, किसानों को कर्ज में राहत और बिजली की दरें घटाने का भरोसा दिया है।

घोषणा पत्र दिल्ली में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने जारी किया। इसके अलावा पंजाब के पांच जगहों जालंधर, लुधियाना, बठिंडा, अमृतसर और पटियाला से भी इसे जारी किया गया।

घोषणा पत्र में कांग्रेस ने पंजाब को नशा मुक्त करने, बेरोजगारों को रोजगार और किसानों को सहूलियत देने का वादा किया है। इस मौके पर पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष अमरिंदर सिंह, पंजाब कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष राजिंदर कौर भट्टल, कांग्रेस चुनाव प्रचार समिति की प्रमुख अम्बिका सोनी, पार्टी की पंजाब प्रभारी आशा कुमारी तथा कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख रणदीप सिंह सुरजेवाला भी मौजूद रहे। 120 पन्ने के घोषणा पत्र में दस पन्ने बादल सरकार की कथित नाकामियों पर केंद्रित हैं।

कांग्रेस के वादे और पंजाब की मौजूदा स्थिति
नशा मुक्ति पर कांग्रेस का वादा
- सत्ता में आने के चार सप्ताह के भीतर नशे के कारोबार पर रोक लगाई जाएगी।

पंजाब की मौजूदा स्थिति
- 33 फीसदी आबादी किसी न किसी रूप में अफीम का सेवन करती है
- 2.30 लाख लोग नशे के आदी
- 1.5 लाख से अधिक नशे के रूप में हेरोइन का सेवन करते हैं
- 21 से 25 साल उम्र के 70 फीसदी ग्रामीण युवक कोई न कोई नशा करते हैं।
स्रोत :पीओडी सर्वे 2015

बेरोजगारी पर कांग्रेस का वादा
- 2500 रुपये हर महीने बेरोजगारों को दिए जाएंगे
- 33 फीसदी आरक्षण नौकरियों में महिलाओं को दिए जायेंगे
- 25 लाख नौकरियों के अवसर पांच साल में सृजित होंगे
- 3 फीसदी आरक्षण नौकरियों में अंतरराष्ट्रीय सीमा के 30 किमी दायरे में रह रहे युवाओं को मिलेंगे।  

पंजाब की मौजूदा स्थिति
- 3 फीसदी कुल बेरोजगारी दर पंजाब में
- 7.7 फीसदी बेरोजगारी दर ग्रामीण इलाकों में
- 72 फीसदी शिक्षित युवा कुल बेरोजगार युवाओं में
स्रोत : एनएसएसओ 68 चक्र की रिपोर्ट

किसानों के कर्ज माफ़ी पर कांग्रेस का वादा
- कांग्रेस किसानों का कर्ज माफ करने के लिए बैंकों से मिलकर उपाय करेगी
- फसल की उपज का उचित मूल्य सुनिश्चित करने के साथ अन्य सहूलियत भी देगी।  

पंजाब की वास्तविक स्थिति
- 69 हजार करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज का बोझ किसानों पर
- 449 किसानों ने अकेले 2015 में खुदकुशी की
स्रोत : पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला का सर्वे

बिजली पर कांग्रेस का वादा
- उद्योगों के लिए पांच रुपये प्रति यूनिट बिजली का वादा
- उद्योगों के लिए पांच साल के लिए बिजली की दर तय होगी
- किसानों के लिए बिजली की दरों में कटौती की जाएगी।

पंजाब की मौजूदा स्थिति
- अभी उद्योगों को 7.6 रुपये प्रति यूनिट की दर से मिल रही बिजली
- 6364 करोड़ रुपये सालाना की सब्सिडी राज्य सरकार दे रही
- 5,197 करोड़ रुपये मुफ्त पंपिंग सेट चलाने के लिए किसानों को दिए जा रहे
- 10,525 मेगावॉट बिजली उपलब्ध, यह राज्य की मांग के अनुरूप है।

कांग्रेस के चुनावी अन्य वादे
- सीमावर्ती इलाकों के विकास के लिए विशेष पैकेज दिया जाएगा
- प्रवासी भारतीयों की समस्या एवं शिकायतों के लिए व्यापक प्रबंध
- अवैध कालोनियों को नियमित करने और पयर्टन के लिए नई नीति
- औद्योगिक विकास निधि को बढ़ाकर एक हजार करोड़ रुपये किया जाएगा
- प्रदेश पार्टी में वीवीआईपी संस्कृति को समाप्त किया जाएगा।

मुफ्त योजनाओं की झड़ी
- मीडिया कर्मियों को राज्य राजमार्गों पर टोल टैक्स से छूट होगी
- सभी पत्रकारों को राज्य परिवहन की बसों में मुफ्त यात्रा की सुविधा
- युवाओं को मुफ्त स्मार्ट फोन और छात्रों को मुफ्त किताबें
- लड़कियों की पीएसडी तक शिक्षा मुफ्त
- दलित, एससी, एसटी के लिए निशुल्क आवास की व्यवस्था।

प्रकाश पर्व और मोदी-नीतीश की 'जुगलबंदी'

गुरु गोविंद सिंह के 350वें प्रकाशोत्सव पर पटना साहिब की सरजमीं पर भारत के पीएम नरेंद्र मोदी और बिहार के सीएम नीतीश कुमार एक साथ मौजूद थे। भाषण में दोनों ने एक-दूसरे की जमकर तारीफ की। ऐसा लग रहा था मुंह से फूल बरस रहे हों। लुधियाना की जमीन से उठी कड़वाहट पटना की जमीन पर मिठास में बदलती नजर आ रही थी।

भारत की राजनीति के दो पुरोधा एक-दूसरे की तारीफों में कसीदे पढ़ रहे थे। नीतीश कुमार ने भाषण शुरू किया, शराबबंदी पर मोदी के कामों की जमकर तारीफ की, नीतीश ने कहा, जब मोदी जी गुजरात के सीएम थे, तभी उन्होंने सबसे पहले शराबबंदी सख्ती से लागू किया था।

यह कोई पहला मौका नहीं है इससे पहले नीतीश कुमार पीएम मोदी के नोटबंदी के फैसले की जमकर सराहना कर चुके हैं। आज इसके जवाब में पीएम मोदी ने कहा, नीतीश जी ने शराबबंदी का फैसला लेकर ऐसा काम करने की हिम्मत दिखाई है जिसे करने से पहले कई लोग डर जाते हैं। नशामुक्ति के लिए जिस प्रकार उन्होंने अभियान चलाया है मैं नीतीश जी का अभिनंदन करता हूं। उन्होंने आने वाली पीढ़ियों को बनाने का बीड़ा उठाया है। मैं पूरे बिहार के लोगों से गुजारिश करता हूं कि शराबबंदी में नीतीश जी का सहयोग दें। यह अकेले नीतीश जी या फिर बिहार सरकार का काम नहीं है। शराबबंदी के बाद बिहार और तेजी से आगे बढ़ेगा और देश की तरक्की में बढ़-चढ़कर अपना योगदान देगा। बाकी राज्य अब बिहार से सीखेंगे।

इसके साथ ही पीएम मोदी ने पटना साहिब में प्रकाशोत्सव के इंतजामों की जमकर सरहाना करते हुए कहा कि मैं नीतीश सरकार, उनके साथियों और बिहार के लोगों को बधाई देता हूं कि यहां के लिए प्रकाश पर्व खास अहमियत रखता है। नीतीश जी ने स्वयं गांधी मैदान आकर हर चीज की बारीकी से जांच-परख कर भव्य समारोह की योजना तैयार की है। आइए जानते हैं प्रकाश पर्व और मोदी-नीतीश की 'जुगलबंदी'- दोनों ने जमकर की एक-दूसरे को तारीफ, तारीफ की तो मायने निकलेंगे ही-

पीएम मोदी और नीतीश कुमार की नजदीकियों को लेकर अटकलों का बाजार गर्म हो गया है। वैसे तो अटकलों का बाजार 9 नवंबर को ही गर्म हो गया था जब जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने पीएम मोदी के नोटबंदी की तारीफ की थी।

नीतीश कुमार ने बयान दिया था कि शुरुआत में नोटबंदी से लोगों को थोड़ी असुविधा होगी, लेकिन हर चीज को ध्यान में रखते हुए यह फैसला सकारात्मक परिणाम लेकर आएगा। जहां पूरा विपक्ष और कुछ सहयोगी भी पीएम मोदी के इस कदम की आलोचना कर रहे थे, वहीं नीतीश कुमार पीएम मोदी की तारीफ में कसीदे पड़ रहे थे।

बिहार की राजधानी पटना की सड़कें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पोस्टर से भरी पड़ी हैं। दोनों नेताओं की तस्वीर एक ही पोस्टर में लगाई गई है। इन पोस्टर्स में दोनों नेताओं को विकास पुरुष बताया गया है।

सितम्बर 23, 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय जनसंघ के संस्थापक और आरएसएस के वरिष्ठ नेता दीनदयाल उपाध्याय की जन्म शताब्दी मनाने के लिए बनाई दो समितियों में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को जगह दी है।

मोहम्मद शहाबुद्दीन की जमानत के बाद से नीतीश के सहयोगी आरजेडी के कुछ नेताओं के तीखे बयानों ने जेडीयू को बेचैन कर रखा है। नीतीश सरकार के एक अन्य सहयोगी दल कांग्रेस की इस मुद्दे पर अलग राय सामने आई है।

नीतीश ने स्पष्ट रूप से जीएसटी बिल पर सरकार के कदम की सराहना करते हुए उसका समर्थन किया था। पीएम मोदी लगातार अपने भाषणों में नीतीश कुमार का जिक्र करते रहे हैं। नेशनल इंटीग्रेशन काउंसिल की हाल में हुई बैठक में पीएम ने नीतीश का 5 बार जिक्र किया और कहा कि उनके सुझाव अच्छे थे।

नवंबर में यहां तक खबरें आयीं थी कि बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और सीएम नीतीश कुमार के बीच मुलाकात हुई है। ये खबर राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बनी रहीं। हालांकि इस बारे में किसी ने कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की थी। कहा गया कि कि दोनों नेताओं की मुलाकात एक नवंबर को गुड़गांव के एक फॉर्महाउस में हुई थी। जानकारी के मुताबिक, एक नवंबर को नीतीश कुमार गुड़गांव आए थे। जब इस मुलाकात के बारे में बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व सीएम सुशील मोदी से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं है।

पीएम मोदी और सीएम नीतीश कैसे दोस्त से दुश्मन बने? नीतीश कुमार ने 2002 में गुजरात दंगों की आलोचना नहीं की थी और एनडीए सरकार में बने रहे थे। साल 2003 में उन्होंने नरेंद्र मोदी और गुजरात में हुए विकास कार्यों की प्रशंसा की थी। नीतीश कुमार ने कहा था कि भविष्य में मोदी राष्ट्रीय राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

नवंबर 2005 आते-आते नीतीश कुमार के रूख में परिवर्तन आ गया। बिहार के मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालते ही उन्होंने राज्‍य में मोदी के प्रचार पर रोक लगा दी। 2009 में दोनों के रिश्तों में तनाव तब आ गया, जब लुधियाना रैली में मोदी ने नीतीश का हाथ उठा दिया।

लुधियाना जनसभा में गुजरात के सीएम मोदी ने एकजुटता दिखाने के लिए नीतीश का हाथ पकड़कर जबरन उठा दिया था। साल 2010 बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान नीतीश ने कई बार कहा था कि नरेंद्र मोदी के साथ एक मंच पर नहीं आएंगे।

साल 2010 बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान ही नीतीश ने मोदी को प्रचार के लिए बिहार में नहीं आने दिया था। जून 2010 में कोसी नदी में आई बाढ़ के बाद गुजरात सरकार की भेजी मदद की राशि को नीतीश में वापस लौटा दिया।

मई 2012 में नीतीश ने साफ कहा कि अगर मोदी पीएम पद के उम्मीदवार बने तो जदयू एनडीए से नाता तोड़ लेगी। जून 2012 में मोदी ने पलटवार करते हुए कहा कि बिहार शानदार राज्य था, लेकिन वहां के जातिवादी नेताओं ने तबाह कर दिया।

अप्रैल 2013 नरेंद्र मोदी के मुस्लिम टोपी ना पहनने पर नीतीश ने कहा, ''टीका भी लगाना होगा, टोपी भी पहननी होगी''।

16 जून 2013 को बिहार में भारतीय जनता पार्टी और जनता दल यूनाइटेड का 17 साल पुराना गठबंधन खत्म हो गया।

जनवरी 2014 में 12 साल बाद नीतीश कुमार ने गुजरात दंगों को लेकर कहा, ''नरेंद्र मोदी को 2002 के लिए देश कभी माफ नहीं करेगा।''

बिहार चुनाव के दौरान मोदी ने मुज्जफरपुर की रैली में नीतीश पर कटाक्ष करते हुए कहा था कि उनकेे डीएनए में ही समस्या है। दोनों नेताओं की सियासी कड़वाहट इस हद तक पहुंच गई कि दोनों के विभिन्न मंचों पर हाथ तो मिले, लेकिन दिल नहीं मिले।

उत्तर प्रदेश में किसी को बहुमत नहीं, सपा टूटी तो बीजेपी को फायदा

भारत के प्रान्त उत्तर प्रदेश के मौजूदा राजनीतिक हालात में सूबा के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव सीएम पद के लिए पहली पसंद बने हुए हैं। एबीपी न्यूज चैनल-लोकनीति-सीएसडीएस के ताजा सर्वे में 28 फीसदी लोगों ने उनका समर्थन किया। इस सर्वे में किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत मिलता नहीं दिख रहा है, लेकिन समाजवादी पार्टी में टूट हुई तो बीजेपी के फायदे में रहने का अनुमान है।

किसे कितनी सीटें मिलने का अनुमान  
सपा 141- 151
भाजपा 129- 139
बसपा 93-103
कांग्रेस 13-19

मुलायम-अखिलेश अलग लड़े तो
अखिलेश गुट 82-92 सीटें
मुलायम गुट 9-15 सीटें
बसपा 110-120 सीटें
भाजपा गठबंधन 158-168 सीटें
कांग्रेस 14-20 सीटें

अखिलेश-कांग्रेस साथ लड़े तो
अखिलेश-कांग्रेस 133-143 सीटें
भाजपा गठबंधन 138-148 सीटें
बसपा 105-115
मुलायम गुट 2-8 सीटें

सीएम के लिए कौन पसंद
अखिलेश 28 फीसदी
माया 21 फीसदी
आदित्यनाथ 4 फीसदी
मुलायम 3 फीसदी

अखिलेश का ग्राफ
दिसंबर 2016- 41 फीसदी
अगस्त 2016- 31 फीसदी
जुलाई 2013- 26 फीसदी

किसके काम से ज्यादा संतुष्ट
अखिलेश 34
मोदी 32

सपा वोटर किसे सीएम चाहते हैं
अखिलेश 83 फीसदी
मुलायम 06 फीसदी
रामगोपाल 02 फीसदी

सपा में झगड़े के लिए कौन जिम्मेदार
अखिलेश 6 फीसदी
शिवपाल 25 फीसदी

किस पार्टी को किसके वोट मिलेंगे
54 फीसदी मुस्लिम वोटर सपा के साथ
75 फीसदी यादव वोटर सपा के साथ
55 फीसदी सवर्ण वोटर बीजेपी के साथ
74 फीसदी जाटव वोटर बीएसपी के साथ
56 फीसदी दलित वोटर बीएसपी के साथ

पूर्वी उत्तर प्रदेश में किसे कितनी सीटें
सपा 35
भाजपा 30
बसपा 18

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में
भाजपा 37
सपा 16
बसपा 12

रूहेलखंड
सपा 47
बसपा 33
भाजपा 16

अवध
बसपा 33
भाजपा 26
सपा 25

बुंदेलखंड
सपा 25
भाजपा 23
बसपा 21

किस क्षेत्र में कितना वोट
पूर्वी उत्तर प्रदेश
सपा 35 फीसदी
भाजपा 30 फीसदी
बसपा 18 फीसदी

पश्चिमी उत्तर प्रदेश
भाजपा 3 फीसदी  
सपा 16 फीसदी
बसपा 12 फीसदी

(एबीपी न्यूज-लोकनीति-सीएसडीएस ने 5 दिसंबर से 17 दिसंबर के बीच उत्तर प्रदेश के 65 विधानसभा क्षेत्रों के 5 हजार 932 लोगों से बात की।)

ये सर्वे एबीपी न्यूज-लोकनीति-सीएसडीएस का है। इसमें दिए गए तथ्य, डाटा और विचार एबीपी न्यूज-लोकनीति-सीएसडीएस के हैं। इसकी आईबीटीएन खबर (आईबीटीएन डिजिटल मीडिया नेटवर्क की कंपनी) पुष्टि नहीं करती है।

अरुणाचल में बीजेपी सरकार जनादेश का सरासर अपमान

न तो बीजेपी ने और न तो खांडू ने जनादेश का सम्मान किया और न ही अलायन्स के धर्म का। अरुणाचल प्रदेश में चुनाव में जनादेश कांग्रेस को मिली थी, ऐसे में खांडू और बीजेपी को सत्ता का लोभ छोड़कर नए चुनाव का सामना करना चाहिए। मुख्यमंत्री पेमा खाडू को सिर्फ मुख्यमंत्री की कुर्सी से प्यार है और इसके लिए खांडू कुछ भी कर सकते हैं। बीजेपी को खुश होने की जरूरत नहीं है। बीजेपी खांडू से सतर्क रहे, इसी में बीजेपी की भलाई है।

अरूणाचल प्रदेश में तेजी से घटे अलोकतांत्रिक घटनाक्रम में मुख्यमंत्री पेमा खाडू के नेतृत्व में पीपुल्स पार्टी ऑफ अरूणाचल (पीपीए) के 43 में से 33 विधायकों के बीजेपी में शामिल होने के बाद पार्टी ने शनिवार को अरूणाचल प्रदेश में अपनी सरकार का गठन किया।

खांडू ने विधानसभा अध्यक्ष तेंजिंग नोरबू थोंगदोक के सामने विधायकों की परेड कराई। विधानसभा अध्यक्ष ने विधायकों के बीजेपी में शामिल होने को मंजूरी दे दी। पूरा अलोकतांत्रिक घटनाक्रम गुरुवार को शुरू हुआ, जब पीपीए के अध्यक्ष काहफा बेंगिया ने कथित पार्टी विरोधी गतिविधि के लिए खांडू, उपमुख्यमंत्री चौवना मेन और पांच विधायकों को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया।

अरुणाचल प्रदेश में नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस (एनईडीए) सरकार की गठबंधन सहयोगी पीपीए ने शुक्रवार को टकाम पेरियो को राज्य का नया मुख्यमंत्री चुना था। हालांकि राजनीतिक समीकरण तब बदल गए, जब शुरुआत में पेरियो को समर्थन देने वाले पीपीए के अधिकतर विधायक बाद में खांडू के खेमे में चले गए। पीपीए ने शनिवार को चार और पार्टी विधायकों - होनचुन न्गानदम, बमांग फेलिक्स, पुंजी मारा और पानी टराम को भी निलंबित कर दिया।

खांडू ने विधानसभा परिसर में संवाददाताओं से कहा, अरूणाचल प्रदेश में आखिरकार कमल खिल गया। राज्य में लोग नयी सरकार के नेतत्व में नये साल में विकास की नयी सुबह देखेंगे। भाजपा में विलय के फैसले पर प्रकाश डालते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि परिस्थितियों ने विधायकों को लोगों एवं राज्य के हित में यह फैसला लेने के लिए मजबूर कर दिया।

गौरतलब है कि 29 दिसंबर को अरुणाटल प्रदेश में एक बार फिर संवैधानिक संकट पैदा हो गया, जब सत्ताधारी पार्टी पीपीए के अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री पेमा खाण्डू और उप मुख्यमंत्री चाउना मे सहित पांच अन्य विधायकों को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निलंबित कर दिया है।

पार्टी अध्यक्ष काहफा बेंगिया ने कहा है कि मुख्यमंत्री पेमा खाण्डू और उनके कुछ सहयोगी पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त थे।

बेंगिया ने विधानसभा अध्यक्ष टी नोर्बू थोंगदोक से कहा है कि पार्टी से निलंबित विधायकों को सदन में अलग बैठने की व्यवस्था करें और पार्टी के इस निर्णय से राज्यपाल को भी अवगत करा दें।

न तो बीजेपी ने और न तो खांडू ने जनादेश का सम्मान किया और न ही अलायन्स के धर्म का। पिछले साल खांडू ने कांग्रेस छोड़ कर किसी और को मुख्यमंत्री बनाया, फिर कांग्रेस में वापस आकर खुद मुख्यमंत्री बन गए, इससे बाद जिसे मुख्यमंत्री बनाया थे, उसने ख़ुदकुशी कर ली, खांडू ने फिर कांग्रेस छोड़ी और पीपीए नाम की पार्टी बनाकर बीजेपी के नेतृत्ववाली नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस में शामिल हो गए। फिर देखिये, खांडू ने पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण पार्टी से निकाले जाने के बाद मुख्यमंत्री की कुर्सी खतरे में देख पीपीए को छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए।

मतलब साफ है खंडू को सिर्फ मुख्यमंत्री की कुर्सी से प्यार है और इसके लिए खांडू कुछ भी कर सकते हैं। बीजेपी को खुश होने की जरूरत नहीं है। बीजेपी खांडू से सतर्क रहे, इसी में बीजेपी की भलाई है।

अरुणाचल प्रदेश में चुनाव में जनादेश कांग्रेस को मिली थी, ऐसे में खांडू और बीजेपी को सत्ता का लोभ छोड़कर नए चुनाव का सामना करना चाहिए, नहीं तो इसे खांडू और बीजेपी की बेशर्मी मानी जाएगी। बीजेपी चुनाव हराने के बाद भी पिछले दरवाजे से अरुणाचल में सत्ता पर काबिज हो गई। ये तो जनादेश का सरासर अपमान है। सलीके से मोदी सरकार को अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाकर नए चुनाव की घोषणा करनी चाहिए।

ख़ुद जैसे मुसलमान तैयार करने का मिशन

ज़ाकिर नाइक की कमाई फाउंडेशन के ज़रिए बिकने वाली इस्लाम पर लिखी उनकी किताबें और उनके भाषणों की डीवीडी और सीडी से होती है

कट्टरपंथी इस्लामी विचारधारा के वहाबी कहलाने वाले मुसलमानों का यक़ीन है कि इस्लाम का सबसे सुनहरा दौर पैग़म्बर मोहम्मद और उनके बाद के चार शासकों का था.

ज़ाकिर नाइक- डोंगरी से दुबई तक

वो उसी दौर में वापस जाने की मांग करते हैं. इस विचारधारा का ये भी मानना है कि एक सच्चा मुसलमान वही है जो इस्लाम की सर्वोच्चता को माने और इसका प्रचार करे.

उन पर इल्ज़ाम है कि इस्लाम की अपनी समझ को वो सर्वश्रेष्ठ मानते हैं.

पिछले दिनों केंद्र सरकार ने आईआरएफ पर पाबंदी लगा दी. राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने फाउंडेशन और नाइक से जुड़े दूसरे दफ्तरों में छापे माकर उन्हें सील कर दिया.

नाइक ने आईआरएफ़ पर लगी पाबंदी को अदालत में चुनौती देने का फ़ैसला किया है.

आइए जानते हैं कि कितना बड़ा है ज़ाकिर नाइक का साम्राज्य?

मुंबई के मज़गांवन इलाक़े में ऊंची दीवारों और बड़े दरवाज़े से घिरे इस्लामिक इंटरनेशनल स्कूल को चलाने वाली संस्था इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन एजुकेशनल ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं ज़ाकिर नाइक.

वो आईआरएफ़ के भी अध्यक्ष हैं. इस पर सरकार ने पाबंदी लगा दी है. स्कूल पर कोई पाबंदी नहीं है. लेकिन स्कूल के बैंक खातों को फ्रीज़ कर दिया गया है.

ज़ाकिर नाइक पर चरमपंथी विचारधारा को बढ़ावा देने और विभिन्न समुदायों के बीच नफ़रत फैलाने का इल्ज़ाम है.

इस्लामिक इंटरनेशनल स्कूल के बच्चे कहते हैं कि लोगों को उनके स्कूल के बारे में ज़्यादा जानकारी नहीं है.

स्कूल में कैम्ब्रिज इंटरनेशनल बोर्ड - IGCSE पाठ्यक्रम चलता है, जहाँ पढ़ाई अंग्रेजी में होती है. इस स्कूल में इस्लाम की तालीम भी दी जाती है. स्कूल के बच्चे अपने भविष्य को लेकर परेशान हैं

इस स्कूल की शाखाएं चेन्नई और दुबई में भी हैं. इसे ज़ाकिर नाइक ने अपनी इमेज में ढालने की कोशिश की है.

वो ख़ुद अक्सर अंग्रेजी में भाषण देते हैं और टाई सूट के साथ टोपी लगाते हैं और दाढ़ी रखते हैं. उन्होंने अपनी छवि ऐसी बनाई है कि पारंपरिक और आधुनिक मुसलमानों में उनकी स्वीकृति हो.