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इजरायल से निपटना बंद कर सकता है फिलिस्तीन

फिलिस्तीनी राष्ट्रपति ने डोनाल्ड ट्रम्प के शांति प्रयासों को 'सदी के थप्पड़' कहा है - और महमूद अब्बास ने वापस थप्पड़ देने का वादा किया।

अमेरिका में प्रवासियों का भविष्य ट्रम्प शासन के तहत क्या है?

आप्रवासन नीति में बदलावों से हजारों अमरीकी निवासियों की संख्या जल्द ही प्रभावित हो सकती है। एक प्रोग्राम के संभावित अंत से जो युवा लोगों को अवैध रूप से देश में लाया गया, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के तथाकथित "चेन माइग्रेशन" के विरोध में, कई जोखिम वाले को छोड़ना पड़ेगा।

क्या सीरिया में कुर्दों का समर्थन कर डोनाल्ड ट्रम्प आग से खेल रहे हैं?

सीरिया में कुर्दों के लिए अमेरिकी समर्थन तुर्की से प्रतिशोध के खतरों को लेकर है। अमेरिका की अगुआई वाले देशों का गठबंधन सीरिया में तीस हजार शक्तिशाली सेना की योजना बना रहा है, जो कि तुर्की के साथ सीमा के पार है।

तुर्की के राष्ट्रपति का मानना है कि कुर्द की अगुवाई वाली सेना खतरे में है और उत्तरी सीरिया में अफरीन शहर पर हमला करने का वायदा है।

अफरीन वाईपीजी कुर्द सैनिकों का एक बड़ा गढ़ है। तुर्की वाईपीजी को आतंकवादी समूह कुर्दिस्तान श्रमिक पार्टी से जुड़ा हुआ मानता है। इसके पीकेके सेनानियों ने तुर्की प्रभुत्व के खिलाफ एक लंबा युद्ध किया है।

युद्ध क्षेत्र में कितनी अस्थिरता जुड़ जाएगी?

दक्षिण अफ्रीका के एएनसी पार्टी के लिए आगे क्या है?

दक्षिण अफ्रीका में शासन करने वाली एएनसी अफ्रीका में सबसे पुराना राजनीतिक आंदोलनों में से एक है।

यह पार्टी 1 912 में स्थापित किया गया था और 1994 में रंगभेद के अंत के बाद से यह प्रभावशाली पार्टी रही है।

इस पार्टी ने लाखों दक्षिण अफ्रीकी में समृद्धि लाने का वादा किया था, लेकिन उस पर भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन का आरोप लगाया गया है।

इसके नए नेता सिरिल रमोफोसा का कहना है कि वह इसे बदलना चाहते हैं।

उन्होंने इस पार्टी में विश्वसनीयता बहाल करने का वादा किया है, जिसे एक बार नेल्सन मंडेला ने नेतृत्व किया था।

लेकिन क्या वह इस काम को पूरा कर पाएंगे?

ब्लेज़ ऑफ़ फायर एंड फुरी: ट्रम्प अंतर्दृष्टि या उपन्यास?

ईरान परमाणु समझौते के खिलाफ ट्रम्प क्यों है?

संसद की स्थायी समिति ने रेलवे से पूछा, लक्जरी ट्रेनें सिर्फ 30 प्रतिशत यात्रियों के साथ क्यों चलाई जा रही हैं?

भारत में संसद की एक स्थायी समिति ने भारतीय रेल से पूछा है कि लक्जरी ट्रेनें सिर्फ 30 प्रतिशत यात्रियों के साथ क्यों चलाई जा रही हैं? भारतीय रेल पर संसद की स्थायी समिति ने गुरुवार को संसद में पर्यटन संवर्द्धन और तीर्थाटन सर्किट पर अपनी रिपोर्ट पेश की।

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि मंत्रालय को स्थिति-सुधार के उपाय करने चाहिए। समिति के अनुसार, महाराजा एक्सप्रेस, गोल्डन चैरियट, रॉयल राजस्थान ऑन व्हील्स, डेक्कन ओडिसी और पैलेस ऑन व्हील्स ट्रेनों में 2012 से 2017 के दौरान खाली सीटों की संख्या क्रमश: 62.7 प्रतिशत, 57.76 प्रतिशत, 45.46 प्रतिशत और 45.81 प्रतिशत रही है।

तृणमूल कांग्रेस के सांसद सुदीप बंध्योपाध्याय की अगुवाई वाली समिति ने कहा कि सबसे चौंकाने वाला मामला महाराजा एक्सप्रेस का है। यह ट्रेन पूरी तरह भारतीय रेल द्वारा चलाई जाती है। 2012-13, 2013-14, 2014-15, 2015-16 और 2016-17 में इस ट्रेन में यात्रियों की औसत संख्या क्षमता के क्रमश: 29.86 प्रतिशत, 32.33 प्रतिशत, 41.8 प्रतिशत, 41.58 प्रतिशत और 36.03 प्रतिशत रही।

यह रिपोर्ट ऐसे समय आई है, जब रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अश्विनी लोहानी ने व्यापार और यात्रा पर अंशधारकों के साथ पहला परिचर्चा सत्र आयोजित किया है। भारतीय रेल की इस पहल का मकसद रेलवे के माध्यम से पर्यटन को प्रोत्साहन देना है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि समिति ने लक्जरी ट्रेनों में यात्रियों की कमी के मामले को गंभीरता से नहीं लेने के लिए रेल मंत्रालय की आलोचना की है। समिति ने कहा है कि मंत्रालय को इसकी उचित तरीके से समीक्षा के बाद बताना चाहिए कि ऐसी ट्रेनें सिर्फ 30 प्रतिशत यात्रियों के साथ क्यों चलाई जा रही हैं? वहीं दूसरी तरफ, भारतीय रेल की ड्रीम परियोजना 'स्वर्ण प्रोजेक्ट' के तहत शताब्दी ट्रेनों का कायाकल्प किया जा रहा है। इन ट्रेनों में सफर करने वाले यात्रियों को बेहतरीन सुविधाएं मुहैया कराने के लिए काफी काम हो रहा है। मुंबई और अहमदाबाद के बीच चलने वाली शताब्दी ट्रेन के लिए सोमवार को 25 नवीनीकृत और सर्वसुविधायुक्त कोच लॉन्च किए गए हैं। इन सभी कोच की बनावट बेहद ही खास है, इसमें स्वच्छता और सुंदरता पर काफी ध्यान दिया गया है।

मोदी सरकार ने माना: किसानों को फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिल पा रहा

भारत में केंद्र की मोदी सरकार ने माना है कि किसानों को उनकी फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिल पा रहा है। कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने शुक्रवार को राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान समर्थन मूल्य से जुड़े एक सवाल के मौखिक जवाब में कहा, ''यह सही है कि किसानों को उनकी फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिल पा रहा है, हालांकि किसानों को उपज का उचित मूल्य मिले, इसके लिए देशव्यापी स्तर पर उपाय किए जा रहे हैं।''

कांग्रेस सदस्य विप्लव ठाकुर द्वारा फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि के बावजूद किसानों को इसके मुताबिक उपज की कीमत नहीं मिल पाने के सवाल पर राधा मोहन सिंह ने कहा कि सरकार ने कृषि लागत और मूल्य आयोग की सिफारिशों के आधार पर धान, ज्वार, बाजरा सहित 22 फसलों के साल 2017-18 के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य में लागत पर लाभ 50 प्रतिशत से अधिक रखा था।

उन्होंने कहा, ''इसके बावजूद मेरा अनुभव कहता है कि दिल्ली से कोलकाता तक समूचे इलाके में सौ किमी के दायरे में धान की खेती करने वाले किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिल पा रहा है।'' राधा मोहन सिंह ने कहा कि सरकार राज्यों में फसलों की खरीद प्रक्रिया पर पूरी निगरानी रख रही है जिससे किसानों को उपज की निर्धारित कीमत मिल सके। राधा मोहन सिंह ने कहा कि सरकार इस समस्या के स्थायी समाधान की दिशा में नीति आयोग और राज्यों के साथ विचार-विमर्श कर रही है जिससे बेहतर व्यवस्था कायम की जा सके।

राधा मोहन सिंह ने इस समस्या के समाधान के तौर पर गेंहू और धान से इतर अन्य फसलों की पैदावार करने वाले किसानों के लिए मूल्य समर्थन योजना को बेहतर विकल्प बताया। इसके तहत उपज की कीमत न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम होने पर फसल की खरीद राज्य सरकार को करना चाहिए। इस बारे में राज्य सरकारों से जब भी प्रस्ताव आते हैं, केन्द्र सरकार इस योजना के तहत अतिरिक्त राशि जारी करती है। इस योजना में केन्द्र सरकार ने राज्यों से आठ लाख मीट्रिक टन दाल और कपास आदि की खरीद की है।

वित्त वर्ष 2017-18: सरकार ने GDP का अनुमान जारी किया, 7 फीसदी से कम विकास दर रहेगी

भारत में केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2017-18 के लिए शुक्रवार को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का पहला अनुमान जारी किया। सेंट्रल स्टैटिस्टिक्स ऑफिस (सीएसओ) के अनुसार, इस वित्त वर्ष में विकास दर में कमी देखने को मिलेगी। विकास दर 6.5 फीसदी के आसपास होगी। जबकि, बीते साल यह 7.1 फीसदी थी। वहीं, 2015-16 में विकास दर आठ फीसदी के करीब थी। 2014-15 में यह 7.5 प्रतिशत थी।

बता दें कि तीन तिमाही के आंकड़ों के साथ जीडीपी का दूसरा अनुमान 28 फरवरी को जारी किया जाएगा। पूरे साल के आंकड़े 2018 में जारी किए जाएंगे। कृषि और विनिर्माण क्षेत्र के खराब प्रदर्शन की वजह से जीडीपी की वृद्धि दर चालू 2017-18 में 6.5 प्रतिशत के चार साल के निचले स्तर पर रहेगी। नरेंद्र मोदी सरकार के कार्यकाल में यह सबसे कम वृद्धि दर होगी। नरेंद्र मोदी की सरकार ने मई 2014 में अपना कार्यभार संभाला था। जानकार इसे आर्थिक मोर्चे पर भारत के लिए झटके के तौर पर देख रहे हैं।

सीएसओ ने जीडीपी को लेकर कहा, ''चालू वित्त वर्ष में जीडीपी की वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत पर आने का अनुमान है, जो इससे पिछले वित्त वर्ष में 7.1 प्रतिशत रही थी।'' वास्तविक सकल मूल्यवर्धन (जीवीए) के आधार पर 2017-18 में वृद्धि 6.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो इससे पिछले साल 6.6 प्रतिशत थी।

आर्थिक गतिविधियां नोटबंदी और उसके बाद माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के क्रियान्वयन से प्रभावित चालू वित्त वर्ष में आर्थिक गतिविधियों में गिरावट दिख रही है। सीएसओ के आंकड़ों के अनुसार, कृषि, वन और मत्स्यपालन क्षेत्र की वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष में घटकर 2.1 प्रतिशत पर आने का अनुमान है, जो इससे पिछले वित्त वर्ष में यह 4.9 प्रतिशत थी। इसके अलावा विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर भी घटकर 4.6 प्रतिशत पर आने का अनुमान है, जो 2016-17 में 7.9 प्रतिशत रही थी।

गुजरात चुनाव: सीएसडीएस सर्वे- शुरू में कांग्रेस हावी थी, अंतिम दौर में बीजेपी बाजी मारने में सफल रही

गुजरात चुनाव के नतीजे आ चुके हैं। बीजेपी अब वहां नए मुख्यमंत्री की तलाश में जुटी है, मगर राज्य में छठी बार सरकार बनाने जा रही बीजेपी को इन चुनावों में कांग्रेस ने जबर्दस्त टक्कर दी। चुनाव प्रचार के शुरुआती दौर में कांग्रेस बीजेपी से लंबी लकीर खींच चुकी थी, मगर अंतिम दौर आने तक सियासी घमासान में फिर से बीजेपी ने कांग्रेस पर निर्णायक बढ़त बना ली।

कांग्रेस की ओर से जहां राहुल गांधी ने मोर्चा संभाल रखा था, वहीं बीजेपी की तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने गृह राज्य में लगातार कैम्प किए हुए थे। दोनों ही दलों ने गुजरात में लगभग एक साथ ही तैयारी शुरू की थी। कांग्रेस पिछले कुछ विधानसभा चुनावों की तुलना में अच्छी रणनीति के साथ गुजरात में उतरी थी। लिहाजा, उसने 22 साल से सत्ता में रहने वाली बीजेपी के लिए चुनौती खड़ी कर दी थी, लेकिन अंतिम दौर में बीजेपी ही बाजी मारने में सफल रही।

सीएसडीएस के आंकड़ों पर अगर गौर करें तो गुजरात की राजनीति में बीजेपी को लगातार कड़ी टक्कर दे रही कांग्रेस अंतिम समय में लोगों का विश्वास जीतने में पीछे रह गई। सीएसडीएस के इस सर्वे में साफ देखा जा सकता है कि चुनाव प्रचार के अंतिम दो सप्ताह में बीजेपी को कांग्रेस पर बढ़त बनाने में जबर्दस्त सफलता हाथ लगी।

सर्वे के मुताबिक, गुजरात विधानसभा चुनाव में प्रचार अभियान की शुरुआत से पहले 48 प्रतिशत जनता कांग्रेस के साथ खड़ी थी, जबकि 46 प्रतिशत जनता का भरोसा बीजेपी पर कायम था। यानी कांग्रेस को जहां 10 प्रतिशत का फायदा हो रहा था, वहीं सत्तारूढ़ बीजेपी को आठ प्रतिशत का नुकसान। सर्वे के मुताबिक 6 फीसदी लोग अन्य के साथ भी खड़े दिखाई दिए।

सर्वे के मुताबिक, चुनाव प्रचार के शुरुआती दौर में 100 में से 42 लोग कांग्रेस को और 47 लोग बीजेपी के समर्थन में मतदान करने का मन बना चुके थे। चुनाव प्रचार के शुरुआती दौर में कांग्रेस को 7 प्रतिशत का फायदा हो रहा था, जबकि बीजेपी को 4 प्रतिशत का नुकसान। मगर आखिरी दो सप्ताह में कांग्रेस को जबर्दस्त झटका लगा और वोटर चुपचाप बीजेपी की तरफ सरक गए।

माना जा रहा है कि पीएम मोदी पर कांग्रेस नेता मणिशंक्कर अय्यर का 'नीच' वाला बयान बीजेपी को लाभ पहुंचा गया। बयान पर भावनात्मक अंदाज में प्रधानमंत्री मोदी ने खुद को गुजरात का बेटा बताते हुए इसे गुजराती अस्मिता से जोड़ दिया। यही वजह रही कि अंतिम दो सप्ताह में बीजेपी कांग्रेस पर बढ़त बनाने में सफल रही। आखिरकार अंतिम दौर में 7 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी के साथ 100 में से 53 लोग बीजेपी के पक्ष में वोट करने का मन बना चुके थे। कांग्रेस को इस दौरान काफी नुकसान झेलना पड़ा और उसे महज 38 प्रतिशत जनता का समर्थन ही हासिल हो सका।