गुजरात चुनाव के नतीजे आ चुके हैं। बीजेपी अब वहां नए मुख्यमंत्री की तलाश में जुटी है, मगर राज्य में छठी बार सरकार बनाने जा रही बीजेपी को इन चुनावों में कांग्रेस ने जबर्दस्त टक्कर दी। चुनाव प्रचार के शुरुआती दौर में कांग्रेस बीजेपी से लंबी लकीर खींच चुकी थी, मगर अंतिम दौर आने तक सियासी घमासान में फिर से बीजेपी ने कांग्रेस पर निर्णायक बढ़त बना ली।
कांग्रेस की ओर से जहां राहुल गांधी ने मोर्चा संभाल रखा था, वहीं बीजेपी की तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने गृह राज्य में लगातार कैम्प किए हुए थे। दोनों ही दलों ने गुजरात में लगभग एक साथ ही तैयारी शुरू की थी। कांग्रेस पिछले कुछ विधानसभा चुनावों की तुलना में अच्छी रणनीति के साथ गुजरात में उतरी थी। लिहाजा, उसने 22 साल से सत्ता में रहने वाली बीजेपी के लिए चुनौती खड़ी कर दी थी, लेकिन अंतिम दौर में बीजेपी ही बाजी मारने में सफल रही।
सीएसडीएस के आंकड़ों पर अगर गौर करें तो गुजरात की राजनीति में बीजेपी को लगातार कड़ी टक्कर दे रही कांग्रेस अंतिम समय में लोगों का विश्वास जीतने में पीछे रह गई। सीएसडीएस के इस सर्वे में साफ देखा जा सकता है कि चुनाव प्रचार के अंतिम दो सप्ताह में बीजेपी को कांग्रेस पर बढ़त बनाने में जबर्दस्त सफलता हाथ लगी।
सर्वे के मुताबिक, गुजरात विधानसभा चुनाव में प्रचार अभियान की शुरुआत से पहले 48 प्रतिशत जनता कांग्रेस के साथ खड़ी थी, जबकि 46 प्रतिशत जनता का भरोसा बीजेपी पर कायम था। यानी कांग्रेस को जहां 10 प्रतिशत का फायदा हो रहा था, वहीं सत्तारूढ़ बीजेपी को आठ प्रतिशत का नुकसान। सर्वे के मुताबिक 6 फीसदी लोग अन्य के साथ भी खड़े दिखाई दिए।
सर्वे के मुताबिक, चुनाव प्रचार के शुरुआती दौर में 100 में से 42 लोग कांग्रेस को और 47 लोग बीजेपी के समर्थन में मतदान करने का मन बना चुके थे। चुनाव प्रचार के शुरुआती दौर में कांग्रेस को 7 प्रतिशत का फायदा हो रहा था, जबकि बीजेपी को 4 प्रतिशत का नुकसान। मगर आखिरी दो सप्ताह में कांग्रेस को जबर्दस्त झटका लगा और वोटर चुपचाप बीजेपी की तरफ सरक गए।
माना जा रहा है कि पीएम मोदी पर कांग्रेस नेता मणिशंक्कर अय्यर का 'नीच' वाला बयान बीजेपी को लाभ पहुंचा गया। बयान पर भावनात्मक अंदाज में प्रधानमंत्री मोदी ने खुद को गुजरात का बेटा बताते हुए इसे गुजराती अस्मिता से जोड़ दिया। यही वजह रही कि अंतिम दो सप्ताह में बीजेपी कांग्रेस पर बढ़त बनाने में सफल रही। आखिरकार अंतिम दौर में 7 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी के साथ 100 में से 53 लोग बीजेपी के पक्ष में वोट करने का मन बना चुके थे। कांग्रेस को इस दौरान काफी नुकसान झेलना पड़ा और उसे महज 38 प्रतिशत जनता का समर्थन ही हासिल हो सका।