विज्ञान और टेक्नोलॉजी

डिजिटल इंडिया: भारत में 4जी स्पीड सबसे धीमी है

डिजिटल इंडिया बनाने की लगातार कोशिश की जा रही हैं, लेकिन भारत को डिजिटल बनाने के लिए बुनियादी चीजों में सुधार किए बिना ऐसा संभव नहीं है। डिजिटलाइजेशन के लिए सबसे जरूरी है बेहतर इंटरनेट। भारत इंटरनेट के मामले में बहुत पीछे है।

भारत 4G इंटरनेट की स्पीड के मामले में दुनिया भर के 88 देशों से पीछे है। इस मामले में तो पाकिस्तान भी भारत से काफी आगे है। भारत में 4G इंटरनेट की एवरेज डाउनलोड स्पीड 6Mbps की है। वहीं पाकिस्तान में 4G इंटरनेट की डाउनलोड स्पीड 14Mbps की है। ओपन सिगनल की रिपोर्ट के मुताबिक, सिंगापुर में इंटरनेट की स्पीड 44Mbps की है। नॉर्थलैंड में स्पीड 42Mbps की है। नॉर्वे में स्पीड 41Mbps की है। साउथ कोरिया में स्पीड 40Mbps की है। हंगरी में स्पीड 39Mbps की है।

वहीं कुछ और देशों की बात करें तो यूएई में स्पीड 28Mbps की है। जापान में 4G इंटरनेट की स्पीड 25Mbps की है। यूके में डाउनलोड स्पीड 23Mbps की है। अमेरिका में 4G इंटरनेट की स्पीड 16Mbps की है। वहीं रूस में 4G इंटरनेट की स्पीड 15Mbps की है। वहीं अल्जीरिया में भी 4G इंटरनेट की स्पीड 9Mbps की है। ओपन सिगनल के मुताबिक, यह डेटा 1 अक्टूबर 2017 से लेकर 29 दिसंबर 2017 तक का है।

इस रिपोर्ट में धीमी स्पीड के लिए नेटवर्क की क्षमता को जिम्मेदार ठहराया गया है। इसके अलावा भारत में बड़ा 4G नेटवर्क भी इसका कारण है। हालांकि भारत में 4G लगभग 86% लोगों के लिए उपलब्ध है।

दूरसंचार सचिव अरुण सुंदरराजन ने कहा है कि भारत के कई हिस्सों में इंटरनेट यूजर्स को इंटरनेट की स्पीड धीमी मिल रही है, इसके बारे में सरकार ध्यान दे रही है। जियो पूरे भारत में अपनी 4G सर्विस के साथ लॉन्च हुआ था। एयरटेल भी अब पूरे भारत में अपनी 4G सर्विस दे रही है। वहीं आइडिया दिल्ली और कोलकाता को छोड़कर पूरे देश में अपनी 4G सर्विस दे रही है। वहीं वोडाफोन अभी अपने 17 सर्किलों में 4G सर्विस दे रही है।

डॉक्टर वेद समाज को एक नई दिशा देना चाहते हैं

ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज, नई दिल्ली ने डॉक्टर वेद श्रीवास्तव को Top Docter 2015  का अवार्ड दिया था। डॉक्टर वेद डॉक्टर होने के साथ-साथ सामाजिक कार्य भी करते रहते हैं। पिछले 2 साल से ग़रीब लड़कियाँ का विवाह हो या ग़रीबों को आर्थिक मदद हो या ग़रीब बच्चों को पढ़ाई में मदद वेद इन जिम्मेदारियों को बख़ूबी निभा रहे है।

आईबीटीएन मीडिया नेटवर्क ग्रुप की हमेशा से यही कोशिश रही है कि हम आपको ऐसे शख्सियत से रूबरू करवाये जो युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बन सके और जिससे युवा प्रेरणा लेकर अपने ज़िन्दगी में कामयाबी हासिल कर सके।

आइये मिलिए डॉक्टर वेद श्रीवास्तव से और जानिए उनके बारे में, जिससे आप युवा भी उनके जैसा इंसान बन सके, फिर एक अच्छा डॉक्टर।

एक डॉक्टर का एक अच्छा इंसान होना बेहद जरूरी है। एक अच्छा इंसान ही एक अच्छा डॉक्टर हो सकता है। वेद श्रीवास्तव एक बेहद अच्छे इंसान हैं, परिणामस्वरूप वे एक बेहद अच्छे डॉक्टर भी हैं।

डॉक्टर वेद श्रीवास्तव ने ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज, नई दिल्ली से एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की। ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज, नई दिल्ली से ही 'मास्टर इन न्यूरोसर्जरी' कर रहे हैं और यही जेआर के रूप में काम कर रहे हैं।

डॉक्टर वेद चिकित्सा के अलावा सामाजिक कार्य में हमेशा आगे आकर हिस्सा लेते हैं। पिछले 2 साल से ग़रीब लड़कियाँ का विवाह हो या ग़रीबों को आर्थिक मदद हो या ग़रीब बच्चों को पढ़ाई में मदद वेद इन जिम्मेदारियों को बख़ूबी निभा रहे है।

गौरतलब है कि डॉक्टर वेद श्रीवास्तव का जन्म वाराणसी में हुआ। डॉक्टर वेद श्रीवास्तव बचपन से ही पढ़ने में काफी कुशाग्र थे, परिणामस्वरूप वे प्रथम प्रयास में ही ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज, नई दिल्ली में एमबीबीएस में एडमिशन लेने में कामयाब रहे।

ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज, नई दिल्ली में एमबीबीएस में एडमिशन होना आसान नहीं होता। लाखों छात्रों में से कुछ छात्र ही एआईआईएमएस, नई दिल्ली में एडिमिशन लेने में कामयाब होते हैं। प्रथम प्रयास में ही डॉक्टर वेद श्रीवास्तव का एआईआईएमएस, नई दिल्ली में एडमिशन होना उनके टैलेंट को दिखाता है।

बचपन से ही उनका रूझान समाज सेवा की ओर रहा है। वह स्कूल के ज़माने से ही समाज सेवा करते रहे हैं। ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज, नई दिल्ली में एमबीबीएस की पढ़ाई के दौरान भी उन्होंने समाज सेवा में सक्रिय रूप से भाग लिया और मेडिकल कैंप में सक्रिय रूप से अपना योगदान दिया।

वह एक अच्छे इंसान के साथ-साथ एक अच्छे डॉक्टर भी हैं। उनके दिल में हमेशा गरीबों के प्रति हमदर्दी रही है। इसी का परिणाम है कि वह गरीबों के लिए लगने वाले मेडिकल कैंप में सक्रिय रूप से हिस्सा लेते हैं और गरीबों के इलाज के लिए सदा तत्पर रहते हैं।

डॉक्टर वेद समाज को एक नई दिशा देना चाहते हैं। जिस उम्र में लोग आमतौर पर आराम के बारे में सोचते हैं। डॉक्टर वेद उस उम्र में सामाजिक कार्य में लगे हुए हैं।

भारत ने सुपरसोनिक इंटरसेप्टर मिसाइल का सफल परीक्षण किया

भारत ने गुरुवार को सुपरसोनिक इंटरसेप्टर मिसाइल का सफल परीक्षण किया। ऐसा करने वाला वह दुनिया का चौथा देश बन गया है। रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार, भारत ने अंतरिक्ष युद्ध की परिकल्पना जैसी उप प्रणाली का सफल परीक्षण किया, जिसमें दुश्मन की मिसाइल को अपनी मिसाइल के जरिए हमला करने के पहले ही तबाह कर दिया जाता है।

भारत ने स्वदेशी रूप से विकसित 'एडवांस्ड एअर डिफेंस' सुपरसोनिक इंटरसेप्टर मिसाइल का ओडिशा के व्हीलर आइलैंड से गुरुवार को सफल परीक्षण किया। यह मिसाइल बेहद कम ऊंचाई से आने वाली किसी भी बैलिस्टिक मिसाइल को बीच में ही मार गिराने में सक्षम है। इस साल किया गया यह तीसरा सुपरसोनिक इंटरसेप्टर परीक्षण है, जिसमें सामने से आ रही बैलिस्टिक मिसाइल को धरती के वातावरण के 30 किलोमीटर की ऊंचाई के दायरे में सफलतापूर्वक निशाना बनाकर उसे नष्ट कर दिया गया।

ट्रैकिंग रडारों पर सिग्नल मिलने के बाद बंगाल की खाड़ी में अब्दुल कलाम द्वीप (व्हीलर द्वीप) पर तैनात इंटरसेप्टर मिसाइल हवा में दुश्मन मिसाइल को नष्ट करने के लिए आगे बढ़ी और सफलतापूर्वक निशाना लगाया। 7.5 मीटर लंबी एकल चरण ठोस रॉकेट प्रणोदन निर्देशित यह मिसाइल हाई-टेक कंप्यूटर और इलेक्ट्रो-मेकैनिकल एक्टीवेटर वाली दिशा निर्देशन प्रणाली से लैस है।

इस अत्याधुनिक मिसाइल का अपना खुद का मोबाइल लांचर है और यह दुश्मन मिसाइल को निशाना बनाने के लिए सुरक्षित डेटा लिंक, आधुनिक राडार और अन्य तकनीकी व प्रौद्योगिकी विशिष्टताओं से लैस है।

परीक्षण के बाद रक्षा मंत्रालय ने कहा, ''यह एक सीधा निशाना था और यह बड़ी सफलता है। इससे पहले 11 फरवरी और एक मार्च 2017 को दो परीक्षण किए जा चुके हैं। ये बहुस्तरीय बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा प्रणाली का हिस्सा हैं।''

सूत्रों ने कहा, गुरुवार का परीक्षण उड़ान के दौरान इंटरसेप्टर के विभिन्न मानकों के सत्यापन के लिए किया गया और सभी सफल रहे। चांदीपुर स्थित एकीकृत परीक्षण केंद्र (आइटीआर) के प्रक्षेपण परिसर तीन से टारगेट मिसाइल (पृथ्वी मिसाइल) दागी गई।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) दूसरा चंद्रयान अगले वर्ष मार्च तक प्रक्षेपित करेगा

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अगले साल की पहली तिमाही में चन्द्रयान-द्वितीय प्रक्षेपित करने के लिए तैयार है। केन्द्रीय मंत्री जितेन्द्र सिंह ने ट्वीटर पर कहा कि इसका प्रक्षेपण अगले साल की पहली तिमाही में किया जाएगा।

इसरो के अध्यक्ष डॉ. किरन कुमार ने पुणे में पत्रकारों से बातचीत के दौरान इसकी पुष्टि की है।

भारत का यह दूसरा चन्द्र अभियान होगा।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के गौरवशाली इतिहास में एक और नया अध्‍याय जुड़ने जा रहा है। इसरो अगले वर्ष की शुरूआत में अपने चंद्रयान-2 प्रक्षेपित करेगा। चंद्रयान-2 में एक आरबिटर होगा जो चंद्रमा की 100 किलोमीटर की दायरे में चक्‍कर लगायेगा। इस अभि‍यान में एक रोबर चंद्रमा की सतह पर उतरेगा। यह रोबर महत्‍वपूर्ण आंकडे एकत्रित करके पृथ्‍वी पर भेजेगा।

कुड्डनकुलम परमाणु संयंत्र ने दो हजार मेगावॉट बिजली का उत्‍पादन कर नया रिकॉर्ड बनाया

तमिलनाडु में कुड्डनकुलम परमाणु संयंत्र ने दो हजार मेगावॉट बिजली का उत्‍पादन कर नया रिकॉर्ड बनाया।

भारत के तमिलनाडु में कुड्डनकुलम परमाणु संयंत्र ने दो हजार मेगावॉट बिजली का उत्‍पादन कर देश में परमाणु बिजली उत्‍पादन के क्षेत्र में नया रिकॉर्ड बनाया है।

संयंत्र के निदेशक ने कहा है कि कुड्डनकुलम परमाणु संयंत्र की दो इकाईयों ने आज सवेरे साढ़े तीन बजे यह महत्‍वपूर्ण उपलब्धि हासिल की।

पृथ्वी के अलावा इंसानों के रहने के लिए एक अलग दुनिया की हुई खोज

वैज्ञानिकों ने पृथ्वी के अलावा इंसानों के रहने के लिए एक अलग दुनिया को खोज में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने हाल ही में एक ऐसा ग्रह ढूंढा है जो धरती के काफी करीब है, जहां इंसानी जीवन संभव हो सकता है।

ऐस्ट्रोनॉमी से संबंधित एक पत्रिका के अनुसार, पृथ्वी के आकार का 'रॉस 128' ग्रह छोटा और हल्के लाल रंग का है। यह पृथ्वी से 11 हजार प्रकाश वर्ष दूर है। हालांकि यह ग्रह पृथ्वी की तुलना में थोड़ा भारी है।

वैज्ञानिकों का कहना है कि हमारे सोलर सिस्टम से दूर इस ग्रह पर मानव जीवन संभव है।

वैज्ञानिकों के मुताबिक, इस ग्रह का भार पृथ्वी से करीब डेढ़ गुना ज्यादा है। यह ग्रह प्रॉक्सिमा सेंचुरी के बाद हमारी पृथ्वी से दूसरा निकटतम ग्रह है, जहां जीवन की संभावना हो सकती है।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इंसानों को धरती पर रहने नहीं देगा: स्टीफन हॉकिंग

मशहूर भौतिक वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग ने एक बार फिर मानव जाति को चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि मानव जाति को अपना अस्तित्व बचाये रखने के लिए जल्द ही दूसरी धरती या फिर प्लानेट खोज लेना चाहिए।

वायर मैगज़ीन को दिए अपने इंटरव्यू में स्टीफन हॉकिंग ने कहा कि विश्व अत्यधिक पर्यावरणीय एवं प्रौद्योगिकीय चुनौतियों का सामना कर रहा है और मानवता की रक्षा के लिए एकजुट होने तथा साथ काम करने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि हमारे पास अब अपने ग्रह को नष्ट करने की टेक्नोलॉजी है, लेकिन इससे बच निकलने की क्षमता अब तक विकसित नहीं की है। शायद कुछ सौ साल में हम तारों के बीच मानव बस्तियां बसा लेंगे, लेकिन फिलहाल हमारे पास सिर्फ एक ग्रह है और इसे बचाने के लिए हमें साथ मिल कर काम करने की जरूरत है।

मशहूर वैज्ञानिक हॉकिंग ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी कृत्रिम बुद्धिमत्ता धरती पर मानव के विनाश का कारण बनेगा। उन्होंने कहा कि मुझे डर है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मनुष्य को धरती से दूसरे ग्रह पर पलायन करने के लिए मजबूर कर देगा। ऐसे में लोगों को वक्त रहते दूसरे ग्रहों पर जल्द ही अपना नया ठिकाना ढूढ़ लेना चाहिए।

हॉवर्ड विश्वविद्यालय ने जीन में गलतियों को ठीक करने का एक अत्यंत ही सटीक तरीका ईजाद किया

अमेरिकी वैज्ञानिकों ने बुधवार को दो नए आणविक संपादन उपकरण का निर्माण किया है। इससे म्यूटेशनों को ठीक करने में मदद मिलेगी। म्यूटेशन बहुत से बीमारियों का कारण बनता है, जिनमें से कुछ का कोई उपचार नहीं है।

हॉवर्ड विश्वविद्यालय के डेविड लियू और ब्रॉड इंस्टीट्यूट ऑफ एम आई टी और हार्वर्ड जीन में गलतियों को ठीक करने का एक अत्यंत ही सटीक तरीका प्रदान करता है, जो डीओक्सीरिबो न्यूक्लिक एसिड या डीएनए के बने होते हैं।

ब्रॉड इंस्टीट्यूट के आण्विक जीवविज्ञानी फेंग झांग द्वारा एक दूसरी खोज, जो राइबोन्यूक्लिक एसिड या आरएनए को संपादित करने पर ध्यान केंद्रित करता है। ये डीएनए को बदले बिना प्रोटीन बनाने के लिए आनुवंशिक निर्देश करता है।

भारत में डॉक्टर मरीजों को सिर्फ 2 मिनट का समय देते हैं

भारत के डॉक्टर या प्राइमरी केयर कंसल्टेंट, मरीजों को सिर्फ दो मिनट का वक्त देते हैं। इसका खुलासा एक रिसर्च से हुआ है। मेडिकल कंसल्टेशन पर हुए सबसे बड़े इंटरनेशनल शोध में यह बात सामने आई है।

पड़ोसी देशों बंग्लादेश और पाकिस्तान में स्थिति और भी बदतर है, यहां कंसल्टिंग टाइम औसतन 48 सेकंड से 1.3 मिनट ही है।

यह शोध गुरुवार को मेडिकल जर्नल बी एम जे ओपन में प्रकाशित हुआ है। इसके विपरीत स्वीडन, अमेरिका और नॉर्वे जैसे देशों में कंसल्टेशन का औसत समय 20 मिनट होता है।

यह शोध यूनाइटेड किंगडम के कई अस्पतालों के शोधकर्ताओं ने किया था।

जर्नल में कहा गया है, ''यह चिंता की बात है कि 18 ऐसे देश, जहां की दुनिया की 50 फीसदी आबादी रहती है। यहां का औसत कंसल्टेशन टाइम 5 या इससे कम मिनट है।

स्टडी के मुताबिक, मरीज ज्यादा वक्त फार्मेसी में या ऐंटीबायॉटिक दवाएं खाकर बिता रहे हैं और उनके डॉक्टरों से रिश्ते उतने अच्छे नहीं है।

कंसल्टेशन का वक्त कम होने का मतलब है कि हेल्थकेयर सिस्टम में ज्यादा बड़ी समस्या है। भारत के परिपेक्ष्य में लोकल एक्सपर्ट्स का कहना है कि ये अस्पतालों में भीड़ और प्राइमरी केयर फिजिशन की कमी को दर्शाता है। प्राइमरी केयर डॉक्टर कंसल्टेंट्स से अलग होते हैं जो कि मेडिसिन की खास ब्रांच में ट्रेनिंग पाए होते हैं।

भारत में कंसल्टेशन को दो मिनट का वक्त मिलने वाली बात से किसी को भी हैरानी नहीं हुई। हेल्थ कंमेंटेटर रवि दुग्गल का कहना है, ''यह बात सभी को पता है कि अस्पतालों में भीड़भाड़ के चलते डॉक्टर मरीजों को कम वक्त दे पाते हैं।''

डॉ दुग्गल के मुताबिक, ''कोई नई बात नहीं है कि डॉक्टर मरीजों के लक्षणों में भ्रमित हो जाएं।''

वहीं प्राइवेट क्लीनिक और अस्पतालों में भी भीड़ का यही हाल है। यहां डॉक्टर सिर्फ लक्षण पूछते हैं और बहुत कम ही शारीरिक परीक्षण कर पाते हैं।

वेस्टर्न और इंडियन कंसल्टेशन में बीमारियों में फर्क होता है। महाराष्ट्र के डॉक्टर सुहास बताते हैं, ''स्वीडन में मरीज को वायरल फीवर के बजाय साइकोसोशल समस्या होती है। वही भारत में अगर डॉक्टर को हवा में मौजूद किसी खास तरह के वायरस के बारे में जानकारी है तो वह कई लोगों का आसानी से इलाज कर सकता है।'' बी एम जे ओपन स्टडी में कई देशों की स्वास्थ्य सेवाओं की ख़राब हालत को देखा गया।

दिल्ली में चार गुना बढ़ाई गई वाहन पार्किंग की फीस

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए प्रशासन ने मंगलवार को वाहन पार्किंग शुल्क चार गुना बढ़ा दिया। यह निर्णय सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त पर्यावरण प्रदूषण निवारण और नियंत्रण प्राधिकरण (ई पी सी ए) की एक बैठक में लिया गया, ताकि लोग निजी वाहनों का कम इस्तेमाल करें।

दिल्ली में वायु प्रदूषण की स्थिति अधिक बदतर हो गई है और मंगलवार को यह खतरनाक स्तर पर पहुंच गया। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में साल की सबसे खराब हवा की गुणवत्ता और धुंध की स्थिति देखी गई, जो दिवाली के बाद से अधिक खराब है। दिल्ली के आसमान में धुंध की पीली चादर छाई हुई है।

उल्लेखनीय है कि 21 सक्रिय प्रदूषण निगरानी केंद्रों में से 18 में वायु गुणवत्ता गंभीर दर्ज किए गए। इसके साथ ही प्रदूषण खतरनाक स्तर तक पहुंच गया है।

बीती शाम से वायु की गुणवत्ता और दृश्यता में तेजी से गिरावट आ रही है तथा नमी और प्रदूषकों के मेल के कारण शहर में घनी धुंध छा गई है। यह अत्यंत गंभीर से बेहतर स्थिति है, लेकिन वैश्विक मानकों के मुताबिक, यह भी खतरनाक है।

अगर स्थिति और खराब होती है और कम से कम 48 घंटों तक बनी रहती है तो जी आर ए पी के तहत आने वाला कार्यबल स्कूलों को बंद कर सकता है और सम-विषम (आॅड-ईवन) योजना को फिर शुरू कर सकता है।

इस सिलसिले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरंविद केजरीवाल ने शहर में बढ़ते प्रदूषण के मद्देनजर मंगलवार को उप मुख्यमंत्री एवं शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया से स्कूलों को कुछ दिन तक बंद रखने पर विचार करने को कहा। इसके बाद सिसोदिया ने शिक्षा, स्वास्थ्य और पर्यावरण विभागों के अधिकारियों की बैठक बुलाई है।

सिसोदिया ने पर्यावरण विभाग को मंगलवार शाम तक शहर के प्रदूषण स्तर पर एक रिपोर्ट देने का निर्देश भी दिया है। उन्होंने बताया कि दिल्ली सरकार रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद स्कूलों को बंद करने और हफ्ते के अलग-अलग दिनों में सम-विषम नंबर के हिसाब से गाड़ियां चलाने की योजना के विषयों पर अंतिम निर्णय लेगी।